बुधवार, 1 अगस्त 2018

ANSWER KEY UGCNET/JRF, JULY 2018, HINDI-II (56-75)



ANSWER KEY UGCNET/JRF, JULY 2018, HINDI-II  (56-75)

Hindi Sahitya Vimarsh
UGCNET/JRF/SET/PGT (हिन्दी भाषा एवं साहित्य)
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सम्पादक : मुहम्मद इलियास हुसैन

निर्देश : प्रश्न संख्या 56 से 75 तक के प्रश्नों में दो कथन दिए गए हैं । इनमें से एक स्थाहना (Assertion) (A) है और दूसरा तर्क (Reason) (R) है। कोड में दिए गए विकल्पों में से से सही विकल्प का चयन कीजिए।

56. स्थापना (Assertion) (A)  : जिस प्रकार हमारी आँखों के सामने आए हुए कुछ रूप व्यापर हमें रसात्मक भावों में मग्न करते हैं, उसी प्रकार भूतकाल में प्रत्यक्ष की हुई कुछ परोक्ष वस्तुओं का वासतविक स्मरण भी कभी-खबी रसात्मक होता है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि हमारी मनोवृत्ति स्वार्थ या शरीर यात्रा के रूखे विधानों से हटकर कुछ भाव क्षेत्र में स्थिर हो जाती है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) सही (R) ग़लत    (3) (A) ग़लत (R) सही    (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(1) (A) सही (R) सही
57. स्थापना (Assertion) (A) : साहित्य का इतिहास वस्तुतः मनुष्य-जीवन के अखंड प्रवाह का इतिहास है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि मनुष्य ही साहित्य का अन्तिम लक्ष्य है।
कोड :
(1) (A) सही (R) ग़लत (2) (A) सही (R) सही   (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(2) (A) सही (R) सही

58. स्थापना (Assertion) (A) : भूमंडलीकरण विश्व की पूँजीवादी व्यवस्था है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि इसमें पूरा विश्व एक बाज़ार है और व्यक्ति उपभोक्ता।
कोड :
(1)  (A) ग़लत (R) सही  (2) (A) सही (R) ग़लत  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) सही

59. स्थापना (Assertion) (A)  : दलित साहित्य का वैचारिक आधार मार्क्सवाद है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि इसमें वर्ग-संघर्ष की हिमायत की गई है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही   (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) सही (R) ग़लत
(2) (A) ग़लत (R) ग़लत

60. स्थापना (Assertion) (A)  : अस्तित्ववाद सामाजिक कल्याण और सह अस्तित्व का दर्शन है।
तर्क (Reason) (R) : क्यंकि यह व्यक्ति की स्वतंत्रता और चयन की आज़ादी का पक्षधर है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A)  ग़लत (R)  सही (3) (A)  सही (R)  सही  (4) (A) ग़लत (R)  ग़लत
(2) (A)  ग़लत (R)  सही

61. स्थापना (Assertion) (A) : वासना या संस्कार वंशनुक्रम से चली आती हुई दीर्घ भाव-परम्परा का मनुष्य जाति की अन्तःप्रकृति में निहित संचय नहीं है।
तर्क (Reason) (R) : इसी कारण भारतीय आचार्यों की यह मान्यता पश्चिम की मनोविश्लेषणवादी सामूहिक अवचेतन की अवधारणा से पुष्ट है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) सही (R) ग़लत  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) ग़लत (R) सही
(3) (A) ग़लत (R) ग़लत

62. स्थापना (Assertion) (A) : किसी काव्य का श्रोता, पाठक जिन विषयों को मन में रति, करुणा, क्रोध, उत्साह इत्यादि भावों तथा सौन्दर्य, रहस्य, गाम्भीर्य आदि भावनाओं का अनुभव करता है, वे अकेले उसी के हृदय से सम्बन्ध रखनेवाले होते हैं।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि उपर्युक्त सभी विषय और भाव मनुष्य मात्र की भावात्मक सत्ता पर प्रभाव डालनेवाले होते हैं।
कोड :
(1)     (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) सही (R) सही
(2) (A) ग़लत (R) सही

63. स्थापना (Assertion) (A) : यह दृष्टकोण पूर्णतः स्थापित है कि एकांकी नाटक का लघु संस्करण है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि पूर्णकालिक नाटक को काट-छाँट कर नाट्यकार्य अथवा नाटकीय संघर्ष का पूर्ण विकास प्रदर्शित नहीं किया दा सकता है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(4) (A) ग़लत (R) ग़लत

64. स्थापना (Assertion) (A) : वस्तु में सौन्दर्य एक ऐसी शक्ति या ऐसा धर्म है जो द्रष्टा को आन्दोलित और हिल्लोलित कर सकता है और द्रष्टा में भी ऐसी शक्ति है, एक ऐसा संवेदन है, जो द्रष्टव्य के सौन्दर्य से चालित और हल्लोलित होने की योग्यता देता है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि द्रष्टा और द्रष्टव्य में एक ही समानधर्मा तत्व अन्तर्निहित है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही     (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) सही (R) ग़लत
(1)  (A) सही (R) सही

65. स्थापना (Assertion) (A) : नाटक जड़ या रूढ़ नहीं, एक गतिशील पाठ है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि यह लिखा कभी जाए खेला वर्तमान में जाता है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) सही (R) ग़लत  (4) (A) ग़लत (R) सही
(1)  (A) सही (R) सही

66. स्थापना (Assertion) (A) : कविता में चित्रित प्रेम निजी होता है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि प्रेम सामाजिक भाव नहीं है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) सही (R) सही   (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) ग़लत (R) सही
(3) (A) ग़लत (R) ग़लत

67. स्थापना (Assertion) (A) : चेतना अनुभूति की सघनता और चिन्तन की परकाष्ठा है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि अनुभूति और चिन्तन का सम्बन्ध शुद्ध हृदय के संवेदन से है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) सही (R) ग़लत  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) ग़लत (R) सही
(2) (A) सही (R) ग़लत

68. स्थापना (Assertion) (A) : श्रद्धा में कारण अन्तर्निहित और आलम्बन अज्ञात होता है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि श्रद्धा में दृष्टि व्यक्ति के कर्मों से होती हुई श्रद्धेय तक पहुँचती है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) सही (R) सही
(3) (A) ग़लत (R) सही

69. स्थापना (Assertion) (A) : छायावाद शुद्ध लौकिक और सौन्दर्य का काव्य है।
तर्क (Reason) (R) : इसीलिए उसमें राष्ट्रबोध और आध्यात्मिक चेतना न के बराबर है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(4) (A) ग़लत (R) ग़लत

70. स्थापना (Assertion) (A) : भक्ति को 'सा परानुरकितरीश्वरे' कहा गया है।
तर्क (Reason) (R) : इसीलिए भक्ति को साध्यस्वरूपा माना गया है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) सही

71. स्थापना (Assertion) (A) : मानव और प्रकृति के बीच समानता, पूर्व सम्पर्क, पूरकता या विरोध भाव में मिथक सृजन के सूत्र विद्यमान होतो हैं।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि प्रकृति में अलौकिकता और दिव्यशक्ति है और मानव कल्पना तथा प्रकृति के मध्य सीधा औऱ अनिवार्य सम्बन्ध है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) सही (R) ग़लत  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) सही (R) सही
(4) सही (R) सही

72. स्थापना (Assertion) (A) : स्वच्छन्दतावाद छायावाद और रहस्यवाद का पर्याय ही ह।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि यह द्विवेदीयुगीन शास्त्रीयता की प्रतिक्रियास्वरूप वैयक्तिक, काल्पनिक और निजी रहस्यानुभूति का प्रतिफलन है। 
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(2) (A) ग़लत (R) सही

73. स्थापना (Assertion) (A) : अद्वैतवाद आत्मतत्व का विस्तार है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि वह जीव और जगत् की पृथक सत्त्ता को स्वीकार करता है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) सही (R) सही
(1)  (A) सही (R) ग़लत

74. स्थापना (Assertion) (A) : आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं, वह मूल्यों के परिवर्तन का पर्याय है। 
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि बदलाव की प्रक्रिया में हर युग आधुनिक होता है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) सही

75. स्थापना (Assertion) (A) :  देश-भक्ति, संस्कृति-राग, चरित्रों की उदात्तता, भाषिक गरिमा और लम्बी कालावधि के विस्तृत कथानक के कारण जयशंकर प्रसाद का नाटक चन्द्रगुप्त महाकाव्योचित औदात्य से परिपूर्ण नाटक है।
तर्क (Reason) (R) : साथ ही उसमें ब्रेख्त के महानाट्य (एपिक थिएटर) की सम्पूर्ण विशेषताएँ भी मिलती हैं।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) सही (R) ग़लत
(4) (A) सही (R) ग़लत