सोमवार, 31 जनवरी 2022

राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा के कवि (कालक्रमानुसार)


बालकृष्ण शर्मा नवीन 1887-1960 ई.

माखनलाल चतुर्वेदी 1889-1968 ई.

उदय शंकर भट्ट 1898-1961 ई.

भगवती चरण वर्मा 1903-1981 ई.

सुभद्रा कुमारी चौहान 1905-1948 ई.

सोहनलाल द्विवेदी 1906-1988 ई.

जगन्नाथ प्रसाद मिलिंद 1907-1986 ई.

केदारनाथ प्रभात मिश्र 1907-1984 ई. 

श्यामनारायण पांडेय 1907-1991 ई.

रामधारी सिंह दिनकर 1908-1974 ई.

आरसी प्रसाद सिंह 1911-1996 ई.

नरेंद्र शर्मा 1913-1989 ई.

रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' 1915-1996 ई.

रांगेय राघव 1923-1962 ई.

रविवार, 30 जनवरी 2022

Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University) हिंदी (सामान्य) (भाषा-साहित्य का इतिहास, काव्यांग विवेचन एवं प्रयोजनमूलक हिंदी)

 Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University)
हिंदी (सामान्य) (भाषा-साहित्य का इतिहास, काव्यांग विवेचन एवं प्रयोजनमूलक हिंदी) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

यह पत्र पांच खंडों में विभक्त है। खंड (क)  हिंदी भाषा के इतिहास से, खंड (ख) हिंदी साहित्य के इतिहास से, खंड (ग) काव्यांग के विवेचन से और खंड (घ) प्रयोजनमूलक हिंदी से संबद्ध है। परीक्षार्थियों को इनमें से प्रत्येक से एक-एक अर्थात कुल चार आलोचनात्मक प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। खंड (ड.) और खंड (ड.) वस्तुनिष्ठ/अतिलघुउत्तरीय प्रश्नों के होंगे जिनके भी उत्तर अपेक्षित होंगे। 

अंक विभाजन : 

 (i) निर्धारित पाठ्य विषयों से आलोचनात्मक प्रश्न :  4×20=80 अंक

(प्रत्येक खंड से एक-एक)

🙏(ii) वस्तुनिष्ठ/अतिलघूत्तरीय प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पाठ्य विषय :

खंड (क) हिंदी भाषा का इतिहास

अध्येतव्य : हिंदी भाषा का स्वरूप विकास, मूल आकार भाषाएं तथा विभाषाओं का विकास।

खंड (ख) हिंदी साहित्य का इतिहास

अध्येतव्य : हिंदी साहित्य के आदिकाल, पूर्वमध्यकाल, उत्तरमध्य काल तथा आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि,श प्रमुख युगप्रवृतियां, विशिष्ट रचनाकार और उनकी प्रतिनिधि कृतियां।

खंड (ग) काव्यांग विवेचन

अध्येतव्य : काव्य का स्वरूप, काव्य हेतु, काव्यप्रयोजन, रसांग विवेचन, रस निष्पत्ति।

 निम्नलिखित अलंकारों के लक्षण-उदाहरण, यमक, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, भ्रांतिमान, श्लेष, असंगति, विरोधाभास, अतिशयोक्ति,

 विभावना।

निम्नलिखित छंदों के लक्षण-उदाहरण दोहा, चौपाई, रोला, सोरठा, कवित्त, छप्पय, कुंडलिया, सवैया, वसंतिलका, मंदाक्रांता।

खंड (घ) प्रयोजनमूलक हिंदी

अध्येतव्य : संक्षेपण, पल्लवन, प्रारूपण, टिप्पण, कार्यालयी एवं व्यवसायिक पत्र।

ध्यातव्य : इस पत्र के लघुउत्तरीय प्रश्न उपर्युक्त निर्धारित पाठ्य विषय पर आधृत होंगे।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. हिंदी भाषा का उद्भव और विकास : डॉ. उदय नारायण तिवारी (भारती भंडार, इलाहाबाद) 

2. हिंदी भाषा का इतिहास : डॉ. भोलानाथ तिवारी (वाणी प्रकाशन, दिल्ली) 

3. हिंदी भाषा का विकास : डॉ. गोपाल राय (अनुपम प्रकाशन, पटना)

4. हिंदी साहित्य का इतिहास : डॉ. नगेंद्र 

5. हिंदी साहित्य का इतिहास : आचार्य रामचंद्र शुक्ल 

6. रीतिकाल की भूमिका : डॉ. नगेंद्र 

7. आधुनिक हिंदी साहित्य : डॉ. लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय

8. काव्य दर्पण : पंडित रामहिन मिश्र 

9. रसमंजरी : सं. कन्हैयालाल पोद्दार 

10. रस-प्रक्रिया और बोध : डॉ. रूद्र प्रताप सिंह 

11. अलंकार मुक्तावली : आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा 

12. छंदशास्त्र : पंडित रघुनंदन शास्त्री 

13. प्रयोजनमूलक हिंदी : विनोद गोदरे (वाणी प्रकाशन, दिल्ली) 

14. हिंदी राष्ट्रभाषा, राजभाषा एवं संपर्क भाषा : डॉ. मदन कुमार (मोतीलाल बनारसीदास, पटना) 

15. काव्य कल्पद्रुम : कन्हैयालाल पोद्दार

 16. प्रयोजनमूलक हिंदी : पारिभाषिक शब्दावली तथा टिप्पण प्रारूपण : डॉ. मधु धवन

Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University) हिंदी प्रतिष्ठा : अष्टम पत्र (साहित्य के सिद्धांत और हिंदी आलोचना)

 Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University)
हिंदी प्रतिष्ठा : अष्टम पत्र (साहित्य के सिद्धांत और हिंदी आलोचना) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

यह पत्र पांच खंडों में विभक्त है। खंड (क) भारतीय साहित्य सिद्धांत का है जिससे परीक्षार्थियों को दो आलोचनात्मक प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। खंड (ख) पाश्चात्य साहित्य सिद्धांत एवं खंड (ग) प्रमुख हिंदी आलोचकों से संबद्ध है। इनमें से प्रत्येक का एक-एक आलोचनात्मक प्रश्न का उत्तर देना होगा। खंड (घ) और खंड (ड.) क्रमश: लघुउत्तरीय और वस्तुनिष्ठ/अतिलघुउत्तरीय प्रश्नों के होंगे जिनके भी उत्तर अपेक्षित होंगे। 

अंक विभाजन : 

 (i) निर्धारित पाठ्य विषयों से आलोचनात्मक प्रश्न : 4×15=60 अंक

(ii) लघुउत्तरीय प्रश्न : 5×4= 20 अंक

🙏(iii) वस्तुनिष्ठ/अतिलघूत्तरीय प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पाठ्य विषय :

खंड (क) भारतीय साहित्य सिद्धांत 

अध्येतव्य : काव्य-लक्षण, काव्य-हेतु, काव्य-प्रयोजन काव्य-प्रकार, शब्दशक्ति, प्रमुख प्रकार।

काव्य-गुण, काव्य-दोष काव्य-रीति, 

रस निष्पत्ति, साधारणीकरण।

निम्नलिखित अलंकार-युग्म का तुलनात्मक अध्ययन :

श्लेष-यमक, उपमा-रूपक, उपमा-उत्प्रेक्षा, काव्यलिंग- अर्थांतरन्यास, दृष्टांत-निदर्शना, दीपक-तुल्ययोगिता, संदेह-भ्रांतिमान, विरोधाभास, असंगति, अप्रस्तुत प्रशंसा, समास्योक्ति, संकर-संसृष्टि 

निम्नलिखित छंदों के लक्षण उदाहरण का अध्ययन : चौपाई, रोला, हरिगीतिका, दोहा, सोरठा, कुंडलिया, द्रुतविलंबित, मंदाक्रांता, सवैया, कवित्त।

खंड (ख) पाश्चात्य साहित्य सिद्धांत

अध्येतव्य : प्लेटो, वर्ड्सवर्थ, मैथ्यू अर्नाल्ड, और आई. ए. रिचर्ड्स के साहित्य सिद्धांतों का सामान्य परिचय।

खंड (ग) प्रमुख की हिंदी आलोचकों के अवदान

अध्येतव्य : आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ. नंददुलारे वाजपेयी, डॉ. रामविलास शर्मा।

ध्यातव्य : इस पत्र के लघु उत्तरीय प्रश्न उपर्युक्त निर्धारित पाठ्य विषय पर आधृत होंगे।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. भारतीय काव्यशास्त्र (भाग 1 और भाग 2) : डॉ. बलदेव उपाध्याय

2. काव्य दर्पण : पंडित राम दहिन मिश्र

3. भारतीय काव्य चिंतन में शब्द : डॉ. अमरनाथ सिन्हा

4. रसमंजरी : सं. कन्हैयालाल पोद्दार

5. रस-प्रक्रिया और बोध : डॉ. रूद्र प्रताप सिंह 

6. अलंकार, रीति और वक्रोक्ति : डॉ. सत्यदेव चौधरी 

7. अलंकार मुक्तावली : देवेंद्रनाथ शर्मा 

8.अलंकार मीमांसा : मुरली मनोहर प्रसाद सिंह 

9. हिंदी छंद प्रकाश : रघुनंदन शास्त्री 

10. पाश्चात्य काव्यशास्त्र : देवेंद्रनाथ शर्मा

शनिवार, 29 जनवरी 2022

Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University) हिंदी प्रतिष्ठा : सप्तम पत्र (हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास)

 Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University)
हिंदी प्रतिष्ठा : सप्तम पत्र (हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

यह पत्र चार खंडों में विभक्त है। खंड (क) हिंदी भाषा के इतिहास से तथा खंड (ख) हिंदी साहित्य के इतिहास से संबंध है। परीक्षार्थी को इन दोनों खंडों से दो-दो आलोचनात्मक प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। खंड (ग) एवं खंड (घ) क्रमशः लघु उत्तरीय और वस्तुनिष्ठ/ अतिलघुउत्तरीय प्रश्नों के होंगे जिनके भी उत्तर अपेक्षित होंगे।

अंक विभाजन : 

 (i) निर्धारित पाठ्य विषयों से आलोचनात्मक प्रश्न : 4×15=60 अंक

(प्रत्येक खंड से दो-दो प्रश्न)

(ii) लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 5×4= 20 अंक

(iii) वस्तुनिष्ठ/अतिलघूत्तरीय प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पाठ्य विषय :

खंड (क) हिंदी भाषा का इतिहास :

अध्येतव्य :

हिंदी भाषा का स्वरूप विकास, हिंदी की उत्पत्ति, हिंदी की मूल आकार भाषाएं, पुरानी हिंदी, अवहट्ठ, डिंगल तथा विभिन्न विभाषाओं का विकास।

हिंदी का शब्द भंडार : तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशज।

हिंदी भाषा का मानकीकरण और आधुनिकीकरण

हिंदी भाषा की निजी प्रकृति

खंड (ख) हिंदी साहित्य का इतिहास

अध्येतव्य : हिंदी साहित्येतिहास-लेखन की परंपरा

हिंदी साहित्येतिहास में काल विभाजन और नामकरण

आदिकाल, पूर्वमध्यकाल, उत्तर मध्यकाल और आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, प्रमुख युग प्रवृतियां, विशिष्ट रचनाकार और उनकी प्रतिनिधि रचनाएं

निम्नलिखित गद्य विधाओं का उद्भव और विकास : कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध, आलोचना

ध्यातव्य : इस पत्र के लघु उत्तरीय प्रश्न उपर्युक्त निर्धारित पाठ्य विषय पर आधृत होंगे।

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखत रचनाकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरी प्रश्न इनमें से किन्हीं दो पर आधृत होंगे।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. हिंदी भाषा का उद्भव और विकास : डॉ. उदय नारायण तिवारी (भारती भंडार, इलाहाबाद) 

 2. हिंदी भाषा का इतिहास : डॉ. भोलानाथ तिवारी (वाणी प्रकाशन, दिल्ली)

3. हिंदी भाषा का विकास : डॉ. गोपाल राय (अनुपम प्रकाशन, पटना) 

4. हिंदी साहित्य का इतिहास : आचार्य रामचंद्र शुक्ल 

5. हिंदी साहित्य का इतिहास : सं. डॉ. नगेंद्र

6. हिंदी साहित्य उद्भव और विकास : आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी

7. रीति काव्य की भूमिका : डॉ. नगेंद्र 

8. आधुनिक हिंद साहित्य : डॉ. लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय 

9. रीति साहित्य को बिहार की देन : डॉ. अमरनाथ सिन्हा 

10. आधुनिक हिंदी साहित्य का विकास : डॉ. श्री कृष्ण लाल 

11. रसमंजरी : सं. कन्हैयालाल पोद्दार

Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University) हिंदी प्रतिष्ठा : षष्ठ पत्र (निबंध तथा अन्य गद्य विधाएं)

 Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University)

हिंदी प्रतिष्ठा : षष्ठ पत्र (निबंध तथा अन्य गद्य विधाएं) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

अंक विभाजन : 

 (i) पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न :  2×15=30 अंक

(ii) पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंक

(iii) पाठ्य पुस्तक से लघूत्तरी प्रश्न : 5×4=20 अंक

(iv) वस्तुनिष्ठ/अतिलघूत्तरी प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पाठ्य पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

1. गद्य गौरव : सं. डॉ. नंदजी दुबे

पाठ्यांश-निबंध : 

साहित्य की महत्ता : आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी

कविता क्या है : आचार्य रामचंद्र शुक्ल 

अशोक के फूल : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

छायावाद : आचार्य नंददुलारे वाजपेयी 

पृथ्वी पर कल्पवृक्ष : बाबू गुलाब राय 

बंजारा मन : डॉ. विद्यानिवास मिश्र 

मीराबाई नाम : डॉ. पीतांबरदत्त बार्थ्वाल रेखाचित्र/संस्मरण 

जंजीरें और दीवारें : रामवृक्ष बेनीपुरी 

चिंतन चालू है : शरद जोशी रिपोर्ताज 

ऋणजल : फणीश्वरनाथ 'रेणु'

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखत रचनाकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरी प्रश्न इनमें से किन्हीं दो पर आधृत होंगे।

अध्येतव्य : पांडे बेचन शर्मा 'उग्र’, माखनलाल चतुर्वेदी, कुबेर नाथ राय।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. निबंध : स्वरूप और विकास : डॉ. चंद्रप्रकाश मिश्र

2. आचार्य रामचंद्र शुक्ल : निबंध संरचना काव्य चिंतन : योगेंद्र प्रसाद सिंह 

3. हिंदी निबंध : एक यात्रा : डॉ. सिद्धनाथ श्रीवास्तव

Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University) हिंदी प्रतिष्ठा : पंचम पत्र (नाट्य साहित्य)

 Syllabus B. A. Part-III (BNMU/Purnea University)
हिंदी प्रतिष्ठा : पंचम पत्र (नाट्य साहित्य) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

अंक विभाजन : 

 (i) पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न : 2×15=30 अंक

(ii) पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंक

(iii) पाठ्य पुस्तक से लघूत्तरी प्रश्न : 5×4=20 अंक

(iv) वस्तुनिष्ठ/अतिलघूत्तरी प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पाठ्य पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

1. (क) अजातशत्रु : जयशंकर प्रसाद

2. लहरों का राजहंस

3. एकांकी कुंज : सं. डॉ. उमेशचंद्र मिश्र 'शिव'

पाठ्यांश : 

तांबे के कीड़े श्री भुवनेश्वर प्रसाद दो कलाकार श्री भगवती चरण वर्मा राजरानी सीता डॉ रामकुमार वर्मा 1 दिन पंडित लक्ष्मी नारायण मिश्र मां विष्णु प्रभाकर सूखी डाली उपेंद्रनाथ अश्क

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखत रचनाकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरी प्रश्न इनमें से किन्हीं दो पर आधृत होंगे।

अध्येतव्य : हरि कृष्ण प्रेमी, शंकर शेष, विपिन कुमार अग्रवाल।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. हिंदी नाटक : उद्भव और विकास : दशरथ ओझा

2. आधुनिक हिंदी नाटक : डॉ. नगेंद्र 

3. प्रसाद के नाटकों का शास्त्रीय अध्ययन : डॉ. जगन्नाथ प्रसाद शर्मा 

4. प्रसाद के ऐतिहासिक नाटक : धनंजय 

5. नाटक और रंगमंच : डॉ. सीताराम झा 'श्याम' 

6. हिंदी एकांकी : उद्भव और विकास : डॉ. रामचरण महेंद्र 

7. हिंदी एकांकी की शिल्पविधि का विकास डॉ. सिद्धनाथ कुमार

Syllabus B. A. Part-I (BNMU/Purnea University) हिंदी प्रतिष्ठा : द्वितीय पत्र (आधुनिक काव्य)

 Syllabus B. A. Part-I (BNMU/Purnea University)

‌हिंदी प्रतिष्ठा, द्वितीय पत्र (आधुनिक काव्य) 

समय : 3 घंटे           पूर्णांक : 100 

अंक विभाजन : 

 (i) पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न :  2×15=30 अंक

(ii) पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंक

(iii) पाठ्य पुस्तक से लघूत्तरी प्रश्न : 5×4=20 अंक

(iv) वस्तुनिष्ठ/अतिलघूत्तरी प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पाठ्य पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

1. (क) यशोधरा : मैथिलीशरण गुप्त

पाठ्यांश : निम्नांकित काव्यांश 

1. घूम रहा है कैसा चक्र, देखी मैंने आज जरा, मरने को जग जीता है, ओ क्षणभंगुर भव राम-राम, सिद्धि हेतु स्वामी गए, अब कठोर ही वज्रादपि, आली चक्र कहां चलता है, रूदन का हंसना ही तो गान, निज बंधन को समान सयत्न बनाऊं, पधारो भव भव के भगवान।

2. प्रसाद निराला पंत महादेवी की श्रेष्ठ रचनाएं : सं. वाचस्पति पाठक (लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद)

पाठ्यांश :

(क) जयशंकर प्रसाद : हिमाद्रि तुंग श्रृंग से, मेरे नाविक, अरी वरूणा की शांत कछार, पेशोला की प्रतिध्वनि, तुमुल कोलाहल कलह में।

(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' :

वसंत आया, जागो फिर एक बार, बादल राग-1 ग्रहण है यह अंधकार, स्नेह निर्झर बह गया है।

(ग) सुमित्रानंदन पंत :

नौका विहार, द्रुत झरो, चांदनी, भारत माता, धेनुएं

(घ) महादेवी वर्मा जीवन विरह का जलजात, मधुर-मधुर मेरे दीपक जल, तुम मुझमें प्रिय, मैं नीर भरी दुख की बदली, जाने किस जीवन की सुधि ले।

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखित कवियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरीयश प्रश्न इनमें से किन्हीं दो पर आधृत होंगे।

अध्येतव्य : सत्यनारायण कविरत्न, सोहनलाल द्विवेदी, भगवतीचरण वर्मा।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. पंत, प्रसाद और मैथिलीशरण गुप्त : दिनकर

2. प्रसाद का काव्य : डॉ. प्रेम शंकर (भारती भंडार, इलाहाबाद)

3. प्रसाद की कविता : डॉ. भोलानाथ तिवारी

4. निराला की काव्य साधना (खंड-2) : डॉ. रामविलास शर्मा (राजकमल प्रकाशन दिल्ली)

5. कवि निराला : आचार्य नंददुलारे वाजपेयी (मैकमिलन दिल्ली)

6. सुमित्रानंदन पंत : डॉ. नगेंद्र (साहित्य रत्न भंडार, आगरा)

7. महादेवी का काव्य-सौष्ठव : डॉ. कुमार विमल

8. महादेवी वर्मा : इंद्रनाथ मदान (राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली)

सहायक पुस्तक : रेखा गेस पेपर हिंदी प्रतिष्ठा (द्वितीय पत्र/paper-2)

शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

Syllabus B. A. Part-I (BNMU/Purnea University) हिंदी प्रतिष्ठा : प्रथम पत्र (प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य) समय : 3 घंटे पूर्णांक : 100 अंक विभाजन : (i) पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न : 2×15=30 अंक (ii) पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंख (iii)लघूत्तरी प्रश्न : 5×4=20 अंक (iv) वस्तुनिष्ठ/लघूत्तरी प्रश्न : 20×1=20 अंक निर्धारित पुस्तक पाठ्य पुस्तक एवं पाठ्यांश : 1. काव्य सुधा (सं. डॉ. रूद्र प्रताप सिंह, डॉ, विनय कुमार चौधरी, संदर्भ प्रकाशन, मधेपुरा) पाठ्यांश : 1. विद्यापति : पद संख्या 4, 8, 10, 15, 18, 20, 22, 23, 24, 25 (कुल 10 पद) 2. कबीरदास (संपूर्ण) 3. सूरदास (संपूर्ण) 4. तुलसीदास : (क) राम-सीता-संवाद (अयोध्या कांड) (ख) भरत-राम-संवाद (उत्तरकांड) 5. बिहारीलाल (संपूर्ण) दुरूद पार्टी हेतु निम्नलिखित कवियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरीयश प्रश्न इनमें से किन्ही दो पर आधृत होंगे। अध्येतव्य : जायसी, भूषण, घनानंद। अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 1. विद्यापति अनुशीलन और मूल्यांकन (खंड-1, सं. डॉ. धीरेंद्र श्रीवास्तव) 2. विद्यापति : डॉ. शिव नंदन ठाकुर 3. कबीर : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी 4. सूरदास का काव्य वैभव : मुंशीराम शर्मा 5. सूर की काव्य चेतना : डॉ. बलराम तिवारी 6. गोस्वामी तुलसीदास : आचार्य रामचंद्र शुक्ल 7. तुलसी : आधुनिक वातायन से : डॉ. रमेश कुंतल मेघ 8. बिहारी : पंडित विश्वनाथ प्रसाद मिश्र 9. बिहारी का नया मूल्यांकन : डॉक्टर बच्चन सिंह सहायक पुस्तक : रेखा गेस पेपर हिंदी प्रतिष्ठा (प्रथम पत्र/paper-1)

 Syllabus B. A. Part-I (BNMU/Purnea University) 

हिंदी प्रतिष्ठा : प्रथम पत्र (प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य)  

समय : 3 घंटे   पूर्णांक 100

 

अंक विभाजन : 

 (i) पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न : 2×15=30 अंक

(ii) पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंक

(iii) लघूत्तरी प्रश्न : 5×4=20 अंक

(iv) वस्तुनिष्ठ/लघूत्तरी प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पुस्तक पाठ्य पुस्तक एवं पाठ्यांश : 

1. काव्य सुधा (सं. डॉ. रूद्र प्रताप सिंह, डॉ, विनय कुमार चौधरी, संदर्भ प्रकाशन, मधेपुरा)

पाठ्यांश : 

1. विद्यापति : पद संख्या 4, 8, 10, 15, 18, 20, 22, 23, 24, 25 (कुल 10 पद)

2. कबीरदास (संपूर्ण)

3. सूरदास (संपूर्ण)

4. तुलसीदास :

(क) राम-सीता-संवाद (अयोध्या कांड)

(ख) भरत-राम-संवाद (उत्तरकांड)

5. बिहारीलाल (संपूर्ण)

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखित कवियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरी प्रश्न इनमें से किन्ही दो पर आधृत होंगे।

अध्येतव्य : जायसी, भूषण, घनानंद।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. विद्यापति अनुशीलन और मूल्यांकन (खंड-1, सं. डॉ. धीरेंद्र श्रीवास्तव)

2. विद्यापति : डॉ. शिव नंदन ठाकुर

3. कबीर : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

4. सूरदास का काव्य वैभव : मुंशीराम शर्मा

5. सूर की काव्य चेतना : डॉ. बलराम तिवारी 

6. गोस्वामी तुलसीदास : आचार्य रामचंद्र शुक्ल

7. तुलसी : आधुनिक वातायन से : डॉ. रमेश कुंतल मेघ

8. बिहारी : पंडित विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

9. बिहारी का नया मूल्यांकन : डॉक्टर बच्चन सिंह

सहायक पुस्तक : रेखा गेस पेपर हिंदी प्रतिष्ठा (प्रथम पत्र/paper-1)

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

Syllabus B. A. part-I (BNMU/Purnea University हिंदी (Pass/Subsidiary) (प्राचीन एवं अर्वाचीन काव्य)

 Syllabus B. A. part-I (BNMU/Purnea University
हिंदी (Pass/Subsidiary)
(प्राचीन एवं अर्वाचीन काव्य) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

यह पत्र चार खंडों में विभक्त है। खंड (क) मध्यकालीन हिंदी काव्य का है।। परीक्षार्थियों को इस खंड से एक आलोचनात्मक और एक व्याख्यात्मक प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। खंड (ख) अर्वाचीन हिंदी काव्य का है, जिसमें दो आलोचनात्मक और दो व्याख्यात्मक प्रश्नों के उत्तर अपेक्षित होंगे। खंड (ग) एवं खंड (घ) क्रमश: लघूत्तरी एवं वस्तुनिष्ठ/ अतिलघूत्तरी प्रश्नों के होंगे और इनके भी उत्तर अनिवार्य होंगे।

अंक विभाजन : 

खंड (क)

•पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न : 1×15=15 अंक

•पाठ्य पुस्तक से। व्याख्यात्मक प्रश्न 1×10= 10 अंक

खंड (ख)।

पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न : 2×15=30 अंक

•पाठ्य पुस्तक से व्याख्यात्मक प्रश्न 2×10= 20 अंक

खंड (ग)

•लघूत्तरी प्रश्न : 2×5=10 अंक

खंड (घ)

•वस्तुनिष्ठ अतिलघूत्तरीय प्रश्न : 15×1=15 अंक

निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

खंड (क) मध्यकालीन काव्य : स्वर्णमंजूषा : सं. नलिन विलोचन शर्मा, केसरी कुमार (मोतीलाल बनारसीदास)

पाठ्यांश :

सूरदास उद्धव गोपी संवाद मीराबाई पद संख्या 12 6 7 12 तुलसीदास विनय पत्रिका के पद बिहारीलाल मंगलाचरण घर आनंद आरंभ के 9 पद

खंड (ख) 

अर्वाचीन काव्य : 

हिंदी पद्य संग्रह (भाग-2, सं. डॉ. अमरनाथ सिन्हा, डॉ. दिनेश प्रसाद सिंह, मोतीलाल बनारसीदास, पटना)

पाठ्यांश : 

•जयशंकर प्रसाद : मेरे नाविक, बीती विभावरी जाग री 

•सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' : संध्या सुंदरी, तोड़ती पत्थर •सुमित्रानंदन पंत : प्रथम रश्मि, संध्या तारा 

•महादेवी वर्मा : यह मंदिर का दीप, मधुर मधुर मेरे दीपक जल 

•रामधारी सिंह दिनकर : बापू, मनुज का श्रेय, •सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय : कतकी पूनो, पुनः उड़ चल हारिल 

•द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखित कवियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरीय प्रश्न इनमें से किन्ही पांच पर आधृत होंगे। 

अध्येतव्य : भी चंद्रबरदाई, रसखान, केशव, सुभद्रा कुमारी चौहान, नागार्जुन, श्रीकांत वर्मा

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

•सूरदास का काव्य वैभव : डॉ. मुंशीराम शर्मा 

•सूर साहित्य : डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी

•सूर की काव्य चेतना : डॉ. बलराम तिवारी

•मीरा की प्रेम साधना : डॉ. भुवनेश्वर मिश्र 'माधव' 

•मीरा का काव्य : विश्वनाथ त्रिपाठी

•गोस्वामी तुलसीदास : आचार्य रामचंद्र शुक्ल

•तुलसीदास : डॉ. माता प्रसाद गुप्त 

•बिहारी : पंडित विश्वनाथ प्रसाद मिश्र 

•बिहारी का नया मूल्यांकन : डॉ. बच्चन सिंह

•घनानंद ग्रंथावली (भूमि का भाग, सं. आचार्य विश्वनाथ प्रसाद त्रिपाठी 

•पंत, प्रसाद और मैथिलीशरण गुप्त : दिनकर

 •हिंदी साहित्य बीसवीं शताब्दी : आचार्य नंददुलारे वाजपेयी 

•निराला : व्यक्तित्व और कृतित्व : धनंजय वर्मा •महादेवी का काव्य सौष्ठव : डॉ. कुमार विमल 

•महादेवी वर्मा : सं. सचीरानी गुर्दू

 •महादेवी : सृजन और शिल्प : रंजीत सिंह

सहायक पुस्तक : रेखा पासपोर्ट (Rekha Passport Hindi, Pass/Subsidiary)

सोमवार, 24 जनवरी 2022

Syllabus B. A. part-I (BNMU/Purnea University) सामान्य हिंदी (अहिंदी भाषियों के लिए, Non-Hindi)

 Syllabus B. A. part-I (BNMU/Purnea University)
सामान्य हिंदी (अहिंदी भाषियों के लिए, Non-Hindi) 

समय : डेढ़ घंटे  

पूर्णांक : 50 

अंक विभाजन : 

 •पाठ्य पुस्तक से परिचयात्मक प्रश्न :  2×10=20 अंक

•निबंध लेखन : 1×15=15 अंक

•व्याकरण एवं रचना :

3×5=15 अंक

निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

1.  हिंदी पद्य संग्रह (भाग-1, सं. डॉ वीणा श्रीवास्तव, डॉ. दिनेश प्रसाद सिंह, मोतीलाल बनारसीदास, पटना)

पाठ्यांश : 

•कबीर साखी (सं. 1-9) •सूरदास (पद सं. 1-8), •तुलसीदास विनय (पद सं. 2, 5, 6)  

•रसखान-सवैया (1-4, 9)

•रहीम-दोहे (2, 4, 7, 10, 13-18) 

•बिहारी-दोहे (सं. 1-10)

•भारतेंदु (भाषा-महत्व)

•मैथिलीशरण गुप्त (मनुष्यता, खंड-सं. 1-5) •माखनलाल चतुर्वेदी (उन्मूलित वृक्ष)

सुभद्राकुमारी चौहान (वीरों का कैसा हो बसंत)।

व्याकरण एवं रचना हेतु निर्धारित अंश :

शब्द ज्ञान : पर्याय, विलोम, अनेकार्थी, समश्रुत भिन्नार्थक, मुहावरे, लोकोक्तियां, शब्द-शुद्धि, वाक्य-शुद्धि।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

•आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना (डॉ वासुदेव नंदन प्रसाद)

•शुद्ध हिंदी कैसे लिखें (डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह) 

•शुद्ध हिंदी (डॉ. विजय पाल सिंह) 

•स्नातक हिंदी रचना (डॉ. विनय कुमार चौधरी, संदर्भ प्रकाशन मधेपुरा) 

•मानक हिंदी व्याकरण (पृथ्वीनाथ पांडेय)

सहायक पुस्तक : रेखा पासपोर्ट (Non-Hindi)

Syllabus B. A. part-I (BNMU/Purnea University) सामान्य हिंदी (हिंदी भाषियों के लिए, M. I L.)

 Syllabus B. A. part-I (BNMU/Purnea University)
सामान्य हिंदी (हिंदी भाषियों के लिए, M. I. L.) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

अंक विभाजन : 

 •पाठ्य पुस्तक से परिचयात्मक प्रश्न : 2×15=30 अंक

•पाठ्य पुस्तकों से अर्थ-लेखन 2×5= 10 अंक

•निबंध लेखन : 1×20=20 अंक

•व्यावहारिक हिंदी रचना से प्रश्न : 4×10=40 अंक

निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

1. काव्य वैभव (सं. डॉ. रूद्र प्रताप सिंह, डॉ. विनय कुमार चौधरी, संदर्भ प्रकाशन, मधेपुरा)

2. चित्रलेखा (भगवतीचरण वर्मा)

3. मध्यांतर डॉक्टर राम विनोद सिंह अनुपम प्रकाशन पटनां

पाठ्यांश : 

•विद्यापति •कबीर •सूर •तुलसी •रहीम •रसखान •भारतेंदु की संगृहीत कविताएं।

व्यावहारिक हिंदी रचना हेतु निर्धारित पाठ : संक्षेपन, पल्लवन, पत्राचार, पारिभाषिक शब्दावली, अनुवाद सिद्धांत, देवनागरी लिपि एवं वर्तनी का मानक रूप, हिंदी में संक्षिप्तीकरण, हिंदी में पदनाम, कंप्यूटर में हिंदी का अनुप्रयोग।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

•व्यावहारिक हिंदी और भाषा संरचना (डॉ. दिनेश प्रसाद सिंह) 

•संक्षेपन कैसे करें (डॉ. शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव)

•आदर्श पत्र लेखन (श्यामचंद्र कपूर) 

•आवेदन प्रारूप (शिवनारायण चतुर्वेदी) 

•स्नातक हिंदी रचना (डॉ. विनय कुमार चौधरी, संदर्भ प्रकाशन, मधेपुरा) 

•प्रयोजनमूलक हिंदी (डॉ. मधु धवन) 

सहायक पुस्तक : रेखा पासपोर्ट (M.I.L.)


syllabus B. A. part-I (BNMU/Purnea University)

सामान्य हिंदी (अहिंदी भाषियों के लिए, Non-Hindi) 

समय : डेढ़ घंटे  

पूर्णांक : 50 

अंक विभाजन : 

 •पाठ्य पुस्तक से परिचयात्मक प्रश्न :  2×10=20 अंक

•निबंध लेखन : 1×15=15 अंक

•व्याकरण एवं रचना :

3×5=15 अंक

निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

1.  हिंदी पद्य संग्रह (भाग-1, सं. डॉ वीणा श्रीवास्तव, डॉ. दिनेश प्रसाद सिंह, मोतीलाल बनारसीदास, पटना)

पाठ्यांश : 

•कबीर साखी (सं. 1-9) •सूरदास (पद सं. 1-8), •तुलसीदास विनय (पद सं. 2, 5, 6)  

•रसखान-सवैया (1-4, 9)

•रहीम-दोहे (2, 4, 7, 10, 13-18) 

•बिहारी-दोहे (सं. 1-10)

•भारतेंदु (भाषा-महत्व)

•मैथिलीशरण गुप्त (मनुष्यता, खंड-सं. 1-5) •माखनलाल चतुर्वेदी (उन्मूलित वृक्ष)

सुभद्राकुमारी चौहान (वीरों का कैसा हो बसंत)।

व्याकरण एवं रचना हेतु निर्धारित अंश :

शब्द ज्ञान : पर्याय, विलोम, अनेकार्थी, समश्रुत भिन्नार्थक, मुहावरे, लोकोक्तियां, शब्द-शुद्धि, वाक्य-शुद्धि।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

•आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना (डॉ वासुदेव नंदन प्रसाद)

•शुद्ध हिंदी कैसे लिखें (डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह) 

•शुद्ध हिंदी (डॉ. विजय पाल सिंह) 

•स्नातक हिंदी रचना (डॉ. विनय कुमार चौधरी, संदर्भ प्रकाशन मधेपुरा) 

•मानक हिंदी व्याकरण (पृथ्वीनाथ पांडेय)

सहायक पुस्तक : रेखा पासपोर्ट (Non-Hindi)

शनिवार, 22 जनवरी 2022

Syllabus B. A. Part-II (BNMU/Purnea University) हिंदी प्रतिष्ठा (प्रश्नपत्र-4 कथा साहित्य)

 Syllabus B. A. Part-II (BNMU/Purnea University)
‌हिंदी प्रतिष्ठा (प्रश्नपत्र-4 कथा साहित्य) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

अंक विभाजन : 

 •पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न : 2×15=30 अंक

•पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंख

•लघूत्तरी प्रश्न : 5×4=20 अंक

•वस्तुनिष्ठ/लघूत्तरी प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

1. मानस का हंस (अमृतलाल नागर)

2. चित्रलेखा (भगवतीचरण वर्मा)

3. मध्यांतर डॉक्टर राम विनोद सिंह अनुपम प्रकाशन पटना

पाठ्यांश : 

ममता (जयशंकर प्रसाद), बलिदान (प्रेमचंद), पत्नी (जैनेंद्र कुमार), परमात्मा का कुत्ता (मोहन राकेश), राजा निरबंसिया (कमलेश्वर), जलवा (फणीश्वर नाथ 'रेणु')।

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखित कथाकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरी प्रश्न इनमें से किन्ही दो पर आधृत होंगे। 

अध्येतव्य : #आचार्य चतुरसेन शास्त्री, #भीष्म साहनी, #हिमांशु जोशी। 

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. हिंदी उपन्यास : एक अंतर्यात्रा (डॉ. रामदरश मिश्र)

2. उपन्यास : सिद्धांत और संरचना (रवींद्र कुमार जैन) 3. हिंदी उपन्यास साहित्य का अध्ययन (डॉक्टर गणेशन) 

4. कहानी का रचना विधान (डॉ. जगन्नाथ प्रसाद शर्मा) 

5. कहानी स्वरूप और संवेदना (राजेंद्र यादव) 

6. हिंदी कहानी : अंतरंग पहचान (रामदरश मिश्र) 

7. हिंदी कहानी : बदलते प्रतिमान (डॉ. रघुवर दयाल पांडेय) 

8. नई कहानी : संदर्भ और प्रकृति (सं. देवीशंकर अवस्थी)

सहायक पुस्तक : रेखा गेस पेपर हिंदी प्रतिष्ठा (द्वितीय पत्र)

Syllabus B. A. Part-II (B.N. M. U./Purnea University) (हिंदी उत्तीर्ण एवं अनुषांगिक, उपन्यास, कहानी, नाटक एवं निबंध)

 Syllabus B. A. Part-II (B.N. M. U./Purnea University)

(हिंदी उत्तीर्ण एवं अनुषांगिक, उपन्यास, कहानी, नाटक एवं निबंध)

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

अंक विभाजन : 

 •पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न :  2×15=30 अंक

•पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंख

•लघूत्तरी प्रश्न : 5×4=20 अंक

•वस्तुनिष्ठ/लघूत्तरी प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यांश : 

1. मानस का हंस (अमृतलाल नागर)

2. चित्रलेखा (भगवतीचरण वर्मा)

3. मध्यांतर डॉक्टर राम विनोद सिंह अनुपम प्रकाशन पटना

पाठ्यांश : 

ममता (जयशंकर प्रसाद), बलिदान (प्रेमचंद), पत्नी (जैनेंद्र कुमार), परमात्मा का कुत्ता (मोहन राकेश), राजा निरबंसिया (कमलेश्वर), जलवा (फणीश्वर नाथ 'रेणु')।

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखित कथाकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरी प्रश्न इनमें से किन्ही दो पर आधृत होंगे। 

अध्येतव्य : #आचार्य चतुरसेन शास्त्री, #भीष्म साहनी, #हिमांशु जोशी। 

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. हिंदी उपन्यास : एक अंतर्यात्रा (डॉ. रामदरश मिश्र)

2. उपन्यास : सिद्धांत और संरचना (रवींद्र कुमार जैन) 3. हिंदी उपन्यास साहित्य का अध्ययन (डॉक्टर गणेशन) 

4. कहानी का रचना विधान (डॉ. जगन्नाथ प्रसाद शर्मा) 

5. कहानी स्वरूप और संवेदना (राजेंद्र यादव) 

6. हिंदी कहानी : अंतरंग पहचान (रामदरश मिश्र) 

7. हिंदी कहानी : बदलते प्रतिमान (डॉ. रघुवर दयाल पांडेय) 

8. नई कहानी : संदर्भ और प्रकृति (सं. देवीशंकर अवस्थी)

सहायक पुस्तक : रेखा गेस पेपर हिंदी प्रतिष्ठा (द्वितीय पत्र)

Syllabus B. A. Part-II (BNMU/Purnea University) हिंदी प्रतिष्ठा (प्रश्नपत्र-3, छायावादोत्तर काव्य)

 Syllabus B. A. Part-II (BNMU/Purnea University)

हिंदी प्रतिष्ठा (प्रश्नपत्र-3, छायावादोत्तर काव्य) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

अंक विभाजन : 

 •खंड (क) पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न : 3×15=45 अंक

•पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंक

•खंड (ख) लघूत्तरी प्रश्न : 5×3=15 अंकश

•खंड (ग) वस्तुनिष्ठ/लघूत्तरी प्रश्न : 10×1=10 अंक

निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यांश :

खंड (क)

1. प्रतिनिधि कविताएं : हरिवंशराय बच्चन (राजकमल पेपर बैक्स)

पाठ्यांश : प्याला, इस पार- उस पार, लहरों का निमंत्रण, जो बीत गई, युग का जुआ

2. आज के लोकप्रिय हिंदी कवि अज्ञेय (सं. डॉक्टर विद्यानिवास मिश्र)

पाठ्यांश : नदी के द्वीप, बावरा अहेरी, मैंने देखा : एक बूंद, कतकी पुनो, सोन मछली।न

3. द्वंद्व गीत (रामधारी सिंह दिनकर)

4. प्रतिनिधि कविताएं : नागार्जुन (राजकमल पेपर बैक्स)

पाठ्यांश : 

वह दंतुरित मुस्कान, बहुत दिनों के बाद, मन करता है, अकाल और उसके बाद, नतीनों बंदर बापू के।

5. भूरी भूरी खाक धूल (मुक्तिबोध)

पाठ्यांश : ओ मसीहा, एक फोड़ा दुखा, बिना तुम्हारे, मीठा बेर, भूरी-भूरी खाक धूल।

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखित कवियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरी प्रश्न इनमें से किन्ही दो पर आधृत होंगे। 

अध्येतव्य : #श्याम नारायण पांडे य, #विजयदेवनारायण साही, #रघुवीर सहाय। 

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. दिनकर का रचना संसार शंभुनाथ

2. गजानन माधव मुक्तिबोध और उनका काव्य (डॉ. संजीव सिंह)

3. अज्ञेय और काव्य (डॉ. राजेंद्र प्रसाद)

4. नागार्जुन की कविता (अजय तिवारी)

सहायक पुस्तक : रेखा गेस पेपर हिंदी प्रतिष्ठा (प्रथम पत्र)

 Syllabus B. A. Part-II (BNMU/Purnea University)
हिंदी (उत्तीर्ण एवं आनुषंगिक; उपन्यास, कहानी, नाटक एवं निबंध) 

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

यह पत्र चार खंडों में विभक्त है। खंड (क) पाठ्य पुस्तकों का है जिसमें चार उपखंड उपन्यास, कहानी, नाटक और निबंध हैं। परीक्षार्थियों को इनमें से किन्हीं तीन आलोचनात्मक और तीन व्याख्यात्मक प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। शेष दो खंड लघूत्तरीय एवं वस्तुनिष्ठ/ अतिलघूत्तरी के हैं जिनके प्रश्नोत्तर भी अनिवार्य होंगे।

अंक विभाजन : 

 •खंड (क) पाठ्य पुस्तक से आलोचनात्मक प्रश्न :  3×15=45 अंक

•पाठ्य पुस्तकों से व्याख्यात्मक प्रश्न 3×10= 30 अंक

•खंड (ख) लघूत्तरी प्रश्न : 5×3=15 अंक

•खंड (ग) वस्तुनिष्ठ/लघूत्तरी प्रश्न : 10×1=10 अंक

निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यांश

खंड (क)

1. उपन्यास : झांसी की रानी (संक्षिप्त संस्करण) वृंदावन लाल वर्मा

2. कहानी : प्रासंगिक कहानियां (सं. मारकंडेय) पाठ्यांश :

•कफ़न (प्रेमचंद) •जानवी (जैनेंद्र कुमार) •धर्मयुद्ध (यशपाल) •मलबे का मालिक (मोहन राकेश) •दोपहर का भोजन (अमरकांत)

3. नाटक : अंधेर नगरी (भारतेंदु हरिश्चंद्र)

4. निबंध निकट (सं. डॉ. राम विनोद सिंह)

पाठ्यांश : 

•चढ़ती उमर (बालकृष्ण भट्ट) •हंस का नीर-क्षीर- विवेक (आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी), •उत्साह (आचार्य रामचंद्र शुक्ल), •भारतीय संस्कृति की देन (डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी), •भोर का आवाहन (डॉ. विद्यानिवास मिश्र), •निठल्ले की डायरी (हरिशंकर परसाई)

द्रुत पाठ हेतु निम्नलिखित गद्यकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अध्ययन अपेक्षित है। लघूत्तरी प्रश्न इनमें से किन्ही पांच पर आधृत होंगे। 

अध्येतव्य : #सुदर्शन, #विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक', #रामवृक्ष बेनीपुरी, #शिवानी, #सरदार पूर्ण सिंह, #शरद जोशी, #हबीब तनवीर। अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. हिंदी उपन्यास : एक अंतर्यात्रा (डॉ. राम दरश मिश्र) 

2. हिंदी उपन्यास : पहचान और परख (डॉ. इंद्रनाथ मदान) 

3. हिंदी उपन्यास (डॉ. सुषमा धवन) 

4. कहानी : नई कहानी (डॉ. नामवर सिंह) 

5. हिंदी कहानी :  अंतरंग पहचान (डॉ. रामदरश मिश्र) 

6. हिंदी कहानी : पहचान और परख (इंद्रनाथ मदान)

7. हिंदी नाटक : उद्भव और विकास (डॉ. दशरथ ओझा) 8. हिंदी नाटक (डॉ. बच्चन सिंह) 

9. भारतेंदु कालीन नाटक साहित्य (डॉ. गोपीनाथ तिवारी) 

सहायक पुस्तक : 

रेखा पासपोर्ट हिंदी (पास सब्सिडियरी)

Syllabus B. A. Part-II (BNMU/Purnea University) सामान्य हिंदी (अहिंदी भाषियों के लिए, नन- हिंदी)

 Syllabus B. A. Part-II (BNMU/Purnea University)
सामान्य हिंदी (अहिंदी भाषियों के लिए, नन- हिंदी) 

समय : डेढ़ घंटा                      अंक: 50 

अंक विभाजन : 

 •पाठ्य पुस्तक से परिचयात्मक प्रश्न : 2×10=20 अंक

•निबंध लेखन : 1×15 =15 अंक

•पत्र लेखन : 1×5=05 अंक

•हिंदी व्याकरण के निर्धारित अंश से प्रश्न : 2×5=10 अंक

निर्धारित पुस्तक एवं पाठ्यांश

1. हिंदी गद्य संग्रह (भाग-2) : सं. डॉ. अमरनाथ सिन्हा, डॉ. दिनेश प्रसाद सिंह (मोतीलाल बनारसीदास पटना)

पाठ्यांश : 

•साहित्य : विविध विधाएं •महाकवि निराला : शिवपूजन सहाय 

•बिंदा :मेरी बालसखी : महादेवी वर्मा 

•विद्या और वय : राहुल सांकृत्यायन 

•अदम्य जीवन : रांगेय राघव 

कहानी :

•उसने कहा था :चंद्रधर शर्मा गुलेरी 

•कफ़न : प्रेमचंद 

•शरणदाता :अज्ञेय 

•विष के दांत : नलिन विलोचन शर्मा 

•अकेली : मन्नू भंडारी 

•सुख : काशीनाथ सिंह 

हिंदी व्याकरण के निर्धारित अंश : 

संधि, समास, लिंग, कारक, काल, उपसर्ग, प्रत्यय अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

•आदर्श पत्र लेखन : श्यामचंद्र कपूर

•आवेदन प्रारूप : शिवनारायण चतुर्वेदी •आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना : डॉ. वासुदेव नंदन प्रसाद 

•हिंदी व्याकरण प्रबोध एवं रचना : डॉ. विजय पाल सिंह 

•स्नातक हिंदी रचना : डॉ. विनय कुमार चौधरी (संदर्भ प्रकाशन, मधेपुरा) 

सहायक पुस्तक :

•रेखा पासपोर्ट सामान्य हिंदी (अहिंदी)

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

Syllabus B.A. पार्ट-II (सामान्य हिंदी, हिंदी भाषियों के लिए, बीएनएमयू/ पूर्णिया यूनिवर्सिटी)

 Syllabus B.A. पार्ट-II (सामान्य हिंदी, हिंदी भाषियों के लिए, बीएनएमयू/ पूर्णिया यूनिवर्सिटी) 

समय : 3 घंटे।      श्रक्ष  पूर्णांक : 100  

(i) पाठ्य पुस्तक से परिचयात्मक प्रश्न : 2×15 = 30 अंक 

(ii) पाठ्य पुस्तक से अर्थ-लेखन के प्रश्न : 3×10= 30 अंक 

(ii) व्यावहारिक प्रयोजनमूलक पाठ्य विषय के प्रश्न : 1× 20= 20 अंक (iv) अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद : (क) शब्दों के अनुवाद : 10×1= 10 अंक  परिच्छेद का अनुवाद : 1×10= 10 अंक 

निर्धारित पुस्तक एवं पाठ्यांश :

1. निबंध निकुंज : सं. डॉ. रमाकांत झा 

पाठ्यांश :  

मोक्षदाता राम : महात्मा गांधी 

स्वरूप देखिए : विनोबा भावे 

विविधता में एकता : आचार्य नरेंद्र देव 

समाज और धर्म : डॉ. संपूर्णानंद 

रामायण महाभारत में सांस्कृतिक चेतना : डॉ. देवराज 

2. व्यावहारिक/प्रयोजनमूलक हिंदी के निर्धारित पाठ्य विषय :

कार्यालयी भाषा, मीडिया की भाषा, वित्त एवं वाणिज्य की भाषा, मशीनी भाषा।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें व्यावहारिक हिंदी और भाषा संरचना : डॉ. दिनेश प्रसाद सिंह 

प्रयोजनमूलक हिंदी विनोद गोदरे 

अंग्रेज़ी हिंदी अनुवाद : डॉ. दिनेश्वर प्रसाद 

स्नातक हिंदी रचना : डॉ. विनय कुमार चौधरी (संदर्भ प्रकाशन, मधेपुरा) प्रयोजनमूलक हिंदी : डॉ. मधु धवन 

सहायक पुस्तक : रेखा पासपोर्ट सामान्य हिंदी

बुधवार, 19 जनवरी 2022

धर्मयुद्ध (यशपाल रचित कहानी)

 Mobile : 9717324769 Hindi Sahitya Vimarsh

iliyashussain1966@gmail.com

यशपाल (जन्म :  3 दिसम्बर, 1903 ई., फ़ीरोज़पुर छावनी; मृत्यु :  26 दिसंबर, 1976) हिन्दी के यशस्वी कथाकार और निबन्ध लेखक हैं।

धर्मयुद्ध (यशपाल रचित कहानी)

श्री कन्हैयालाल के पारिवारिक क्षेत्र में घटी धर्म-युद्ध की घटना की बात कहने से पहले कुछ भूमिका की आवश्यकता है इसलिए कि ग़लत-फ़हमी न हो। कुरुक्षेत्र में जो धर्मयुद्ध हुआ था उसमें शस्त्रों का यानि गांधीवाद के दृष्टिकोण से पाशविक बल का ही प्रयोग किया गया था।

कुरुक्षेत्र में जो धर्मयुद्ध हुआ था उसमें शस्त्रों का यानि गांधीवाद के दृष्टिकोण से पाशविक बल का ही प्रयोग किया गया था। यों तो सतयुग से लेकर द्वापर तक धर्मयुद्ध का काल रहा है। वह युग आध्यात्मिक और नैतिकता का काल था। सुनते हैं कि उस काल में लोग बहुत शांतिप्रिय और संतुष्ट थे परन्तु सभी सदा सशस्त्र रहते थे। न्याय-अन्याय और उचित-अनुचित का प्रश्न जब भी उठता तो निर्णय शस्त्रों के प्रयोग और रक्तपात से ही होता था। झगड़ा चाहे भाइयों में रहा हो या देव-दानवों में या पति पत्नी में...जैसाकि ऋषि जमदग्नि का अपनी पत्नी से या ऋषियों के समाज में... जैसा कि ब्रह्मर्षि वशिष्ठ और राजर्षि विश्वामित्र में।

इधर ज्यों-ज्यों मानव समाज में आध्यात्मिकता का ह्रास होता गया, लोग निःशस्त्र रहने लगे। झगड़े तो होते ही रहे, होते ही हैं; परन्तु निःशस्त्र होने के कारण लोग नैतिक शक्ति का प्रयोग करने लगे। शस्त्रों के बिना नैतिक शक्ति से न्याय और धर्म के लिए लड़ने का संघर्ष करने की विधि का नाम कालान्तर में सत्याग्रह पड़ गया। सत्याग्रह को ही हम वास्तव में धर्मयुद्ध कह सकते हैं क्योंकि युद्ध की इस विधि में मनुष्य पाशविक बल से नहीं बल्कि आत्म-बलिदान से या धर्म बल से ही न्याय की प्रतिष्ठा का यत्न करता है। श्री कन्हैयालाल के पारिवारिक क्षेत्र में विचारों का संघर्ष धर्मयुद्ध की विधि से ही हुआ था।

कुछ परिचय श्री कन्हैयालाल का भी आवश्यक है। यों तो कन्हैयालाल की स्थिति हमारे दफ़्तर के सौ-सौ रुपये माहवार पाने वाले दूसरे बाबुओं के समान ही थी, परन्तु उनके व्यवहार में दूसरे सामान्य बाबुओं से भिन्नता थी।

सौ सवासौ रुपये का मामूली आर्थिक आधार होने पर भी उनके व्यवहार में एक बड़प्पन और उदारता थी, जैसी ऊंचे स्तर के बड़े-बाबू लोगों में होती है। वे दस्तखत करते थे ‘के. लाल’ और हाथ मिलाते तो ज़रा कलाई को झटक कर होंठों पर मुस्कराहट आ जाती-हाउ डू यू डू (कहिये क्या हाल है) और पूछ बैठते, ह्वाट कैन आई डू फ़ॉर यू! (आपके लिए क्या करता सकता हूं!)’

दफ़्तर के कुछ तुनक मिजाज लोग के. लाल के ‘व्हाट कैन आई डू फ़ॉर यू (आपके लिए मैं क्या कर सकता हूं)’ प्रश्न पर अपना अपमान भी समझ बैठते और कुछ उनकी इस उदारता का मज़ाक़ उड़ा कर उन्हें ‘बॉस’ (मालिक) पुकारने लगे लेकिन के. लाल के व्यवहार में दूसरों का अपमान करने की भावना नहीं थी। दूसरे को क्षुद्र बनाये बिना ही वे स्वयं बड़प्पन अनुभव करना चाहते थे। इसके लिए हमसे और हमारे पड़ोसी दीना बाबू से कभी किसी प्रतिदान की आशा न होने पर भी उन्होंने कितनी ही बार हमें कॉफ़ी-हाउस में कॉफ़ी पिलाई और घर पर भी चाय और शरबत से सत्कार किया। लाल की इस सब उदारता का मूल्य हम इतना ही देते थे कि उन्हें अपने से अधिक बड़ा आदमी और अमीर स्वीकार करते रहते। दफ़्तर के चपरासी लाल का आदर लगभग बड़े साहब के समान ही करते थे। लाल के आने पर उनकी साइकिल थाम लेते और छुट्टी के समय साइकिल को झाड़-पोंछ कर आगे बढ़ा देते। कारण यह कि लाल कभी पान या सिगरेट का पैकेट मंगाते तो कभी कभार रुपये में से शेष बचे दाम चपरासी को बख्शीश में दे देते।

हम लोग तो इस दफ़्तर में तीन चार बरस से काम कर रहे थे; पचहत्तर रुपये पर काम आरम्भ करके सवासौ तक पहुंच गये थे। दफ़्तर की साधारण सालाना तरक़्क़ी के अतिरिक्त कोई सुनहरा भविष्य सामने था नहीं। वह आशा भी नहीं थी कि हमें कभी असिस्टेंट या मैनेजर बन जाना है, परन्तु के. लाल शीघ्र ही किसी ऐसी तरक़्क़ी की आशा में थे। तीन-चार मास पूर्व ही वे किसी बड़े आदमी की सिफ़ारिश से दफ़्तर में आये थे। प्रायः बड़े आदमियों से मिलने-जुलने की बात इस भाव से करते कि अपने समान आदमियों की ही बात कर रहे हों। अक्सर कह देते ग्राहम ऐण्ड ग्रिण्डले के दफ़्तर से उन्हें चार सौ का ऑफ़र है अभी सोच रहे हैं....या मैकेंजी एण्ड विनसन उन्हें तीन सौ तनख़्वाह और बिक्री पर तीन प्रतिशत मय फर्स्ट क्लास किराये के देने के लिए तैयार है, लेकिन सोच रहे हैं....

हमारे दफ़्तर में उन्हें लोहे की सलाखों और चादरों के ऑर्डर बुक करने का काम दिया गया था। इस ड्यूटी के कारण उन्हें दफ़्तर के समय की पाबन्दी कम रहती, घूमने फिरने का समय मिलता रहता और वे अपने आप को साधारण बाबुओं से भिन्न समझते। इस काम में कम्पनी को कोई विशेष सफलता उनके आने से नहीं हुई थी, इसलिए शीघ्र ही कोई तरक़्क़ी पा जाने की लाल की आशा हमें बहुत सार्थक नहीं जान पड़ रही थी। परन्तु लाल को अपने उज्ज्वल भविष्य पर अडिग विश्वास था। ऊंचे दर्जे के ख़र्च से बढ़ते क़र्ज़े की चिन्ता के कारण उनके माथे पर कभी तेवर नहीं देखे गये और न उनके चाय, और सिगरेट ऑफ़र प्रस्तुत करने में कोई कमी देखी गयी। उन्हें ज्योतिषी द्वारा बताये अपनी हस्तरेखा के फल पर दृढ़ विश्वास था।

जैसे जंगल में आग लग जाने पर बीहड़ झाड़-झंखार में छिपे जानवरों को मैदानों की ओर भागना पड़ता है और टुच्चे-टुच्चे शिकारियों की भी बन आती है वैसे ही पिछले युद्ध के समय महान् राष्ट्रों को परस्पर संहार के लिए साधारण पदार्थों की अपरिचित आवश्यकता हो गयी थी। सर्वसाधारण जनता तो अभाव से मरने लगी, परन्तु व्यापारी समाज की बन आयी। अब हमारी मिल को ग्राहक और एजेण्ट ढूंढ़ने नहीं पड़ रहे थे, बल्कि ग्राहक और एजेण्टों से पीछा छुड़ाना पड़ रहा था। लाल का काम सरल हो गया। उनका काम था मिल के लोहे का कोटा बांटना और मिल के लिए लाभ की प्रतिशत दर बढ़ाना।

दस्तूरन तो के. लाल की तनख़्वाह में कोई अन्तर नहीं आया, परन्तु अब वे साइकिल पर पांव चलाते दफ़्तर आने के बजाय तांगे या रिक्शा पर आते दिखाई देते। तांगे वाले की ओर रुपया फेंककर बाक़ी रेजगारी के लिए नहीं, बल्कि उनके सलाम का जवाब देने के लिए ही उसकी ओर देखते। कई बार उनके मुख से सेकेण्ड हेन्ड ‘शेवरले’ या ‘वाक्सहाल’ गाड़ी का ट्रायल लेने जाने की बात भी सुनाई दी। अब वे चार-चार, पांच-पांच आदमियों को कॉफ़ी हाउस ले जाने लगे और उम्मुक्त उदारता से पूछते-

व्हाट बुड यू लाइक टु हैव? (क्या शौक़ कीजिएगा)’’

अपने घर पर भी अब वे अधिक निमंत्रण देने लगे। उनके घर जाने पर भी हर बार कोई न कोई नयी चीज़ दिखाई देती। कमरे का आकार बढ़ नहीं सकता था, इसलिए वह फर्नीचर और सामान से अटा जा रहा था। जगह न रहने पर कुर्सियां सोफ़ाओं के पीछे रख दी गयी थीं और टी टेबलें कॉर्नर टेबलें और पेग टेबलें मेजों और सोफ़ाओं के नीचे दबानी पड़ रही थीं। मेहमानों के सत्कार में भी अब केवल चायदानी या शरबत का जग ही सामने नहीं आता था। के. लाल तराशे हुए बिल्लौर का डिकेण्टर उपेक्षा से उठाकर आग्रह करते-

हैव ए डैश आफ़ ह्विस्की! (एक दौर ह्विस्की का हो जाय?)’’

धन्यवाद सहित नकारात्मक उत्तर दे देने पर भी वे अपनी उदारता को समेटने के लिए तैयार न थे; आग्रह करते-तो रम लो। अच्छा गिमलेट।’’

युद्ध के दिनों में कुछ समय वैकाइयों (W. A. C. A. I.) की भी बहार आई थी। सर्वसाधारण लोग बाज़ार में जवान, चुस्त बेझिझक छोकरियों के दलों को देख कर हैरान थे, जैसे नीलगायों का कोई दल नगर की सीमा में फांद आया हो। सामर्थ्य रखने वाले लोग प्रायः इनकी संगति का प्रदर्शन कर गौरव अनुभव करते थे। ऐसी तीन चार हंसमुखियां के. लाल साहब की महफ़िल में भी शोभा बढ़ाने लगीं।

श्री के. लाल के माता-पिता अपेक्षाकृत रुढ़िवादी हैं। आचार-व्यवहार के सम्बन्ध में उनकी धारणा धर्म पाप और पुण्य के विचारों से बंधी है। अपने एक मात्र पुत्र की सांसारिक समृद्धि से उन्हें सन्तोष और गौरव अनुभव होता था, परन्तु उसकी आचार सम्बन्धी उच्छृंखलता से अपना धर्म और परलोक बिगड़ जाने की बात की भी वे उपेक्षा न कर सकते थे। एक दिन माता-पिता और पुत्र की आचार सम्बन्धी धारणाओं में परस्पर-विरोध के कारण धर्मयुद्ध ठन गया।

उस दिन के. लाल ने अन्तरंग मित्र मि. माथुर और वैकाई में काम करने वाली उनकी पत्नी तथा उनकी साली को ‘डिनर’ और ‘कॉकटेल’ (शराब) पार्टी के लिए निमंत्रित किया था। इस प्रकार की पार्टियां प्रायः होती ही रहती थीं। परन्तु इस सावधानी से कि ऊपर की मंज़िल में रसोई-चौके के काम में व्यस्त उनकी मां और संग्रहणी के रोग से जर्जर खाट पर पड़े उनके पिता को पार्टी की बातचीत और खानपान के ढंग का आभास न हो पाता था। पार्टी के कमरे से रसोई तक सम्बन्ध नौकर या श्रीमती लाल द्वारा ही रहता था। मिसेज लाल सास-ससुर की धार्मिक निष्ठा की अपेक्षा अपने पति के सन्तोष को ही अपना धर्म मानती थी। सास के निर्मम अनुशासन की अपेक्षा पति की उच्छृंखलता उनके लिए अधिक सह्य थी।

उस सन्ध्या ऊपर और नीचे की मंज़िलों का प्रबन्ध अलग-अलग रखने के प्रसंग में श्रीमती लाल ने पति से पूछा-

विद्या और आनन्द का क्या होगा?’’

के. लाल की बहिन विद्या अपने पति आनन्द सहित आगरे से आकर एक सप्ताह के लिए भाई के यहां ठहरी हुई थी। बहिन और बहनोई को मेहमानों से मिलने से रोके रहना सम्भव न था। इसमें आशंका भी थी, क्योंकि विद्या को इस कम उम्र में ही धार्मिकता का गर्व अपनी मां से कुछ कम न था।

दांत से नाखून खोंटते हुए लाल ने सलाह दी,‘‘तुम विद्या को समझा दो।’’

यह मेरे बस का नहीं....’’ श्रीमती लाल ने दोनों हाथ उठा कर दुहाई दी,

तुम ही आनन्द को समझा दो वही विद्या को संभाल सकता है।’’

यही तय पाया और लाल ने आनन्द को एक ओर ले जाकर उसके हाथ अपने हाथों में थाम विश्वास और भरोसे के स्वर में समझाया,‘‘आज मेहमान आ रहे हैं...मेहमानों के लिए तो करना ही पड़ता है। तुम तो होगे ही। अगर विद्या को एतराज़ हो तो कुछ समय के लिए टाल देना या उसे समझा दो...तुम जैसा समझो। विद्या को पहले से समझा देना ठीक होगा। उसे शायद यह बात विचित्र जान पड़े। माता जी के विचार और विश्वास तो तुम जानते ही हो। वह जाकर माता जी को न कुछ कह दे!’’ लाल ने मुस्कराकर अपना पूर्ण विश्वास और भरोसा प्रकट करने के लिए बहनोई के हाथ ज़रा और ज़ोर से दबा दिये।

आनन्द ने विद्या को एक ओर बुलाकर समझाया,‘‘आजकल के ज़माने में यह सब होता ही है। भैया की मजबूरी है...तुम जानती हो मैं तो कभी पीता नहीं। हमारी वजह से इन लोगों के मेहमानों को क्यों परेशानी हो? तुम इतना ध्यान रखना कि माता जी को नीचे न आना पड़े।’’ विद्या ने सुना और मानसिक आघात से चुप रह गयी।

मिस्टर माथुर, मिसेज माथुर अपनी साली के साथ ज़रा विलम्ब से पहुंचे। पार्टी शुरू हो गयी थी। पहला पेग चल रहा था। हंसी-मज़ाक़ की दबी-दबी आवाज़ें ऊपर की मंज़िल में पहुंच रही थीं। आनन्द कुछ देर नीचे बैठता और फिर ऊपर जाकर देख आता कि सब ठीक है।

इस प्रकार के. लाल उर्फ़ कन्हैयालाल यह धर्मयुद्ध छल की मदद लेकर के जीत गए।

यशपाल की रचनाएं (कालक्रमानुसार)

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यशपाल (जन्म :  3 दिसम्बर, 1903 ई., फ़ीरोज़पुर छावनी; मृत्यु :  26 दिसंबर, 1976) हिन्दी के यशस्वी कथाकार और निबन्ध लेखक हैं।

यशपाल की रचनाएं (कालक्रमानुसार)

यशपाल के उपन्यास : #दादा कामरेड (1941 ई.), #देशद्रोही (1943 ई.), #दिव्या (1945 ई.), #पार्टी कामरेड (1946 ई.), #मनुष्य के रूप (1949 ई.), #अमिता (956 ई.),  #झूठा सच (दो भाग, 1958 ई.), #बारह घंटे (1962 ई.),  #अप्सरा का शाप (1965 ई.), #क्यों फंसे (1968 ई.), #तेरी मेरी उसकी बात (1974 ई.);

यशपाल के कहानी संग्रह :  #पिंजरे की उड़ान (1939 .), #ज्ञानदान (1943 .), #अभिशप्त (1943.), #तर्क का तूफ़ान (1944.), #भस्मावृत चिंगारी (1946.), #वो दुनिया (1948.), #फूलो का कुर्ता (1949.), #धर्मयुद्ध (1950.), #उत्तराधिकारी (1951.), #चित्र का शीर्षक (1951 ई.), #तुमने क्यों कहा था मै सुंदर हूं (1954 ई.), #उत्तमी की मां (1955 ई.), #सच बोलने की भूल (1962.), #खच्चर और आदमी (1965.), #भूख के तीन दिन (1968.), #मक्रीला, #शिवपार्वती, #दूसरी नाक, #परदा;

यशपाल की आत्मकथा : सिंहावलोकन (1955 ई.);

यशपाल के यात्रावृत्तांत : लोहे की दीवार के दोनों ओर (1953 ई.) ;

यशपाल के व्यंग्य संग्रह : चक्कर क्लब, कुत्ते की पूंछ।

यशपाल के निबंध संग्रह : न्याय का संघर्ष, बात बात में बात, देखा, सोचा, समझा

पुरस्कार :  

1955.      देव पुरस्कार’

1970.      सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार

1971.      मंगला प्रसाद पारितोषिक

1959 ई.            साहित्य अकादमी पुरस्कार,

1959 ई.            पद्म भूषण पुरस्कार

सोमवार, 17 जनवरी 2022

कविता की विश्व प्रसिद्ध_परिभाषाएं?

 #कविता की विश्व प्रसिद्ध_परिभाषाएं?

#शदार्थौ सहितौ काव्यम् उद्यम पद्मं च तदविधा। (भामाह)

(शब्द और अर्थ सहित साहित्य काव्य है जो गद्य एवं पद्य के भेद से दो प्रकार का होता है।)

#शब्दार्थौ काव्यम्। (रुद्रट)

(शब्द और अर्थ का संयोग काव्य है।)

#शब्दार्थ शरीरं तावत्काव्यम्। (आनंदवर्धन)

(शब्द और अर्थ संगति जिसमें दोष न हो, गुणों से युक्त कभी-कभी अनलंकृत हो वह काव्य है।)

#गुण एवं अलंकार से संयुक्त शब्दार्थ को काव्य कहते हैं। (आचार्य वामन)

#दोषाहीन, गुण एवं अलंकार सहित शब्दार्थ काव्य है। (आचार्य हेमचंद्र)

#वाक्यम् रसात्मकं काव्यम्। (आचार्य विश्वनाथ) 

(रसात्मक वाक्य काव्य है।

#रमणीयार्दप्रतिपादक: शब्द: काव्यम्। (पंडितराज जगन्नाथ)

(रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाला शब्द काव्य है।)

#अंतःकरण की वृत्तियों के चित्र का नाम कविता है।/ ‌ कविता प्रभावशाली रचना है जो पाठक या श्रोता के मन पर आनंदमयी प्रभाव डालती है।/मनोभाव शब्दों का रूप धारण करते हैं। वही कविता है, चाहे वह पद्यात्मक हो या गद्यात्मक। (महावीर प्रसाद द्विवेदी)

#कविता जीवन और जगत् की अभिव्यक्ति है। (आचार्य रामचंद्र शुक्ल)

#सत्त्वोद्रेक या हृदय की मुक्तावस्था के लिए किया हुआ शब्द विधान काव्य है। (आचार्य रामचंद्र शुक्ल)

#जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है, उसी प्रकार हृदय की मुक्तावस्था रस दशा कहलाती है। हृदय की इसी मुक्ति साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती है, उसे कविता कहते हैं। (आचार्य रामचंद्र शुक्ल)

#कविता ही मनुष्य के हृदय को स्वार्थ-संबंधों के संकुचित मंडल से ऊपर उठाकर लोकसामान्य भावभूमि पर ले जाती है, जहां जगत् की नाना गतियों के मार्मिक स्वरूप का साक्षात्कार और शुद्ध अनुभूतियों का संचार होता है। (आचार्य रामचंद्र शुक्ल)

#काव्य आत्मा की संकल्पात्मक अनुभूति है जिसका संबंध विश्लेषण या विज्ञान से नहीं है। (जयशंकर प्रसाद)

#कविता कवि विशेष की भावनाओं का चित्रण है और यह चित्र इतना ठीक है कि उसके जैसी ही भावनाएं दूसरे के हृदय में अभिर्भूत हो जाती हैं। (महादेवी वर्मा)

#कांटा चुभा कर उसकी पीड़ा की अनुभूति तो संसार कराता है पर कवि बिना कांटा चुभाए उसकी पीड़ा की अनुभूति करा देता है। (महादेवी वर्मा)

#कविता हमारे परिपूर्ण क्षणों की वाणी है। (सुमित्रानंदन पंत)

#काव्य जीवन की आलोचना है। (प्रेमचंद)

#कविता आत्माभिव्यक्ति है। (डॉक्टर नगेंद्र)

#रसात्मक शब्दार्थ काव्य है और उसकी छंदोमयी विशिष्ट विधा आधुनिक अर्थ में कविता है। (डॉक्टर नगेंद्र)

#कविता भाषा में आदमी होने की तमीज़ है। (धूमिल)

#कविता सबसे पहले और अंत में शब्द है। (अज्ञेय)

#आदर्श का प्रदर्शन ही कविता है और कविता का तत्व है कल्पना। (अरस्तू)

#कविता सत्य, सौंदर्य और शांति के तीव्रभाव की अभिव्यक्ति है, जो अपने विचारों को कल्पना और भावना के द्वारा स्पष्ट करती है। (ले हंट)

#कविता जीवन की सौंदर्यमयी और आनंदपुर्ण व्याख्या है। (मैथ्यू आर्नाल्ड)

#कविता प्रबल भावों का सहज उच्छवास है। (विलियम वर्ड्सवर्थ)

कल्पना के आवेग में अभिजात मूल्यों की सर्जना को कविता कहते हैं। (रस्किन)

#कविता तो कल्पना और भावों की व्याख्या है। (विलियम हैजलिट)

शब्दों के काल्पनिक जाल में फंसाने वाली जादूगरनी कविता है। (लॉर्ड मैकाले)

शनिवार, 15 जनवरी 2022

प्रश्नोत्तरी-58 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, बिहारीलाल)

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प्रश्नोत्तरी-58 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, बिहारीलाल)

#बिहारी लाल का जन्म कब हुआ था?

उत्तर : महाकवि बिहारी लाल का जन्म 1603 के लगभग ग्वालियर में हुआ।

#बिहारी लाल का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर : महाकवि बिहारी लाल का जन्म ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था।

#बिहारी लाल का निधन कहां हुआ था?

उत्तर : महाकवि बिहारी लाल का निधन 1664 ई. में जयपुर में हुआ।

#बिहारी लाल के पिता का नाम क्या था?

उत्तर : बिहारी लाल के पिता का नाम केशवराय था।

#बिहारी लाल के गुरु का नाम क्या था?

उत्तर : बिहारी लाल के गुरु नरहरिदास थे।

#बिहारी लाल का बचपन कहां बीता?

उत्तर : बिहारी लाल का बचपन बुंदेलखंड (ओरछा) में बीता।

#सतसई किसकी रचना है?

उत्तर : सतसई बिहारी लाल की रचना है।

#बिहारी लाल रीतिसिद्ध कवि हैं या रीतिमुक्त?

उत्तर : बिहारी लाल रीतिकाल के रीतिसिद्ध कवि हैं।

#बिहारी-सतसई में कितने दोहे हैं?

उत्तर : बिहारी-सतसई में 713 दोहे हैं।

#बिहारी के दोहे उनकी किस कृति में संकलित है?

उत्तर : बिहारी के दोहे उनकी सतसई में संकलित है। उनकी एकमात्र रचना बिहारी-सतसई (शप्तशती) है। यह मुक्तक काव्य है। इसमें कुल 713 दोहे संकलित हैं।

#बिहारी किस राज्य के राजा के आश्रित कवि थे?

उत्तर : बिहारी लाल जयपुर-नरेश सवाई राजा जयसिंह के आश्रित थे।

#बिहारी लाल किस राजा के दरबारी कवि थे?

उत्तर : बिहारी लाल जयपुर-नरेश सवाई राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे।

#बिहारी किस राजा के आश्रित थे?

उत्तर : बिहारी लाल जयपुर-नरेश सवाई राजा जयसिंह के आश्रित थे।

#बिहारी की सतसई किस भाषा में रचित है?

उत्तर : बिहारी की सतसई ब्रजभाषा में रचित है।

#बिहारी लाल के उपास्य देव कौन थे?

उत्तर : बिहारी लाल के उपास्य देव राधा-कृष्ण थे। बिहारी वस्तुत: कृष्णोपासक थे।

#निम्नलिखित दोहे में किस कवि के बारे में सूचना दी गई है?

उत्तर : निम्नलिखित दोहे में महाकवि बिहारी लाल के बारे में सूचना दी गई है--

जन्म ग्वालियर जानिये खंड बुंदेले बाल।

तरुनाई आई सुघर मथुरा बसि ससुराल॥

#महाकवि बिहारी लाल के दोहों के मुख्य वर्ण्य विषय क्या हैं?

उत्तर : बिहारी के दोहों का मुख्य विषय श्रृंगार है। उन्होंने श्रृंगार के संयोग और वियोग दोनों ही पक्षों का वर्णन किया है। संयोग पक्ष में बिहारी ने हावभाव और अनुभवों का बड़ा ही सूक्ष्म चित्रण किया हैं। उसमें बड़ी मार्मिकता है।

#बिहारी की तुलना किससे की गई है?

उत्तर : कविवर बिहारी की तुलना कविवर देव से की गई। एक ओर देव को, तो दूसरी ओर बिहारी को बढ़कर सिद्ध करने का प्रयत्न किया गया। दो पुस्तकें, 'देव और बिहारी' पं. कृष्णबिहारी मिश्र लिखित तथा 'बिहारी और देव' लाला भगवानदीन लिखित उल्लेखनीय हैं।

#नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।

अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल॥

बिहारी ने उपर्युक्त दोहा किस राजा को लिखकर भेजा था?

उत्तर : बिहारी लाल ने दोहा भोग-विलास में लिप्त जयपुर के राजा सवाई जयसिंह को लिखकर भिजवाया था।

#''यदि सूर सूर हैं, तुलसी शशी और उडगन केशवदास हैं तो बिहारी उस पीयूष वर्षी मेघ के समान हैं जिसके उदय होते ही सबका प्रकाश आछन्न हो जाता है।'' यह कथन किसका है?

उत्तर : यह कथन राधाकृष्णदास जी का है।

#बिहारी को 'पीयूष वर्षी मेघ' की संज्ञा किसने दी है?

उत्तर : बिहारी को 'पीयूष वर्षी मेघ' की संज्ञा राधाकृष्णदास ने दी है।

#"मेरी जानकारी में बिहारी जैसी रचनाएं यूरोप की किसी भी भाषा में नहीं मिलती।" यह कथन किसका है?

(क) गिलक्राइस्ट (‌ख) मैक्समूलर (ग) डॉ. ग्रियर्सन (घ) आचार्य रामचंद्र शुक्ल

उत्तर : (ग) डॉ. ग्रियर्सन