बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

प्रश्नोत्तरी-59 (हिंदी साहित्यकारों के परीक्षोपयोगी कथन)

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प्रश्नोत्तरी-59 (हिंदी साहित्यकारों के परीक्षोपयोगी कथन) 


"ज्ञान राशि के संचित कोष का नाम साहित्य है।" (आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेद)
"हिंदी नई चाल में ढली 1873 में।" (भारतेंदु हरिश्चंद्र)
"साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है।" (बालकृष्ण भट्ट)
"साहित्य का उद्देश्य दबे-कुचले हुए वर्ग की मुक्ति का होना चाहिए।" (प्रेमचंद)
"साहित्यकार देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई को भी नहीं, बल्कि उनके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है।" (प्रेमचंद)
"मानव अथवा प्रकृति के सूक्ष्म किंतु व्यक्त सुंदरी में आध्यात्मिक छाया का भान मेरे विचार से छायावाद की एक सर्वमान्य व्याख्या हो सकती है।" (आचार्य नंददुलारे वाजपेयी)
"कोई कवि विचार और भाषा की परंपरा को तोड़कर नए सृजन की ओर उन्मुख होता है तो उसकी हंसी उड़ाई जाती है।" (सुदामा पांडेय 'धूमिल')
"मुझे प्रोफेसरों के बीच में छायावाद सिद्ध करना पड़ेगा।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')
"मनुष्य की मुक्ति की तरह कविता की भी मुक्ति होती है। मनुष्य की मुक्ति कर्मों के बंधन से छुटकारा पाना है और कविता की मुक्ति छंदों के शासन से अलग हो जाना है।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')
"यहां एक ऐसा दल है जो उच्च शिक्षित है, शायद सोशलिस्ट भी है..... ये उच्च शिक्षित जन कुछ लिखते भी हैं, इसमें मुझे संशय है। शायद इसलिए लिखने का एक नया आविष्कार इन्होंने किया है।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')
"जब मनुष्य का हृदय अपनी अभिव्यक्ति के लिए व्याकुल हो उठा, तभी स्वच्छंद छंद में उसकी छाया अंकित हुई।" (महादेवी वर्मा)
"छायावाद एक विशाल सांस्कृतिक चेतना का परिणाम था, जिसमें कवियों की भीतरी आकुलता ने ही नवीन भाषा-शैली में अपने को अभिव्यक्त किया।" (पंडित हज़ारी प्रसाद द्विवेदी)
"छायावाद व्यक्तिवाद की कविता है जिसका आरंभ व्यक्ति के महत्व को स्वीकार करने और करवाने में हुआ।" (डॉ. नामवर सिंह)
"छायावादी कवि सुंदर शब्द संचय द्वारा अपनी रचना में आकर्षण, सजावट एवं संगीत उत्पन्न करना चाहता है, अनुभूति को व्यक्त करना मुख्य ध्येय नहीं है।" (डॉ. देवराज)
"यह (छायावादी काव्य) सरासर हिमाक़त, धृष्टता, अहमन्यता तथा हमचुनोदीगरेनेस्त के सिवाय और क्या हो सकता है।" (महावीर प्रसाद द्विवेदी)
"इस कविता ने जीवन के सूक्ष्मतम मूल्यों की प्रतिष्ठा द्वारा नवीन सौंदर्य चेतना जगाकर एक वृहत समाज की अभिरुचि का परिष्कार किया और उसकी समृद्धि की समता हिंदी का केवल भक्ति-काव्य ही कर सकता है।" (डॉ. नगेंद्र)
"प्रगतिशील कविता वास्तव में छायावाद की ही एक धारा है। दोनों स्वरों में जागरण का उदात्त संदेश मिलता है, एक में मानवीय जागरण का, दूसरे में लो जागरण का।" (सुमित्रानंदन पंत)
"प्रगतिवाद और प्रयोगवाद छायावाद की उपशाखाएं हैं। ये मूलतः एक ही युग चेतना अथवा युग सत्य से अनुप्राणित हैं और एक दूसरे की पूरक हैं।" (सुमित्रानंदन पंत)
"प्रगतिवाद समाजवाद की ही साहित्यिक अभिव्यक्ति है।" (डॉ. नगेंद्र)
"प्रयोग का कोई बाद नहीं है। हम वादी नहीं रहे, नहीं हैं, न प्रयोग अपने आप में इष्ट अथवा साध्य है। ठीक उसी तरह कविता का कोई बाद नहीं है, कविता भी अपने आप में इष्ट या साध्य नहीं। अतः हमें प्रयोगवादी कहना उतना ही सार्थक या निरर्थक है, जितना कवितावादी कहना।" (अज्ञेय) 
"ईश्वर ने मानव के रूप में अपनी प्रतिमा का निर्माण किया। कुशल शिल्पी होने के नाते उसने प्रत्येक प्रतिमा भिन्न और और अद्वितीय बनाई। भिन्न होने के कारण प्रतिमाएं परस्पर प्रेम कर सकीं।" (अज्ञेय) 
"मैं उन व्यक्तियों में से हूं और ऐसे व्यक्तियों की संख्या शायद दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है जो भाषा का सम्मान करते हैं और अच्छी भाषा को अपने आप में एक सिद्धि मानते हैं।" (अज्ञेय) 
"वस्तुतः नई कविता प्रयोगवाद का ही विकसित रूप है।" (गोविंद शर्मा 'रजनीश')
 "बच्चन और दिनकर दोनों प्रतिद्वंद्वी कवि हैऔ। बच्चन की भाषा दिनकर से ज़ोरदार है। दिनकर के भाव बच्चन से अधिक उन्मादक, सारवान और सामयिक हैं। दोनों में जो एक दूसरे को ग्रहण कर लेगा वही हिंदी कविता के वर्तमान और अगले युग का नेता होगा।" (रामनरेश त्रिपाठी)
"कबीर में जैसे सामाजिक विद्रोह का तीखापन और प्रणयानुभूति की कोमलता एक साथ मिलती है, कुछ वैसा ही रचाव मुक्तिबोध में है।" (डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी)

प्रश्नोत्तरी-62 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, आधुनिक काल, हिंदी साहित्यकारों की काव्य-पंक्तिया)

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प्रश्नोत्तरी-62 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, आधुनिक काल, हिंदी साहित्यकारों की काव्य-पंक्तिया)


#"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। 

बिन निजभाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को सूल।" (भारतेंदु हरिश्चंद्र)


#"तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। 

झुके कूल सों जल परसन हित मनहुं सुहाए।" 

(भारतेंदु हरिश्चंद्र)


#"पैधन विदेश चलि जात, यहै अति ख्वारी।

(भारतेंदु हरिश्चंद्र)


#"यह बयारी तबै बदलेगी तबे कछु्, पपीहा जब पूछिहै पीव कहां।" (प्रताप नारायण मिश्र)


#"जैसे कंता घर रहे, तैसे रहे विदेश।" (प्रताप नारायण मिश्र)


#"कौन करेजो नहिं कसकत सुनी विपत्ति बाल विधवनन की।" (प्रताप नारायण मिश्र) 


#"जो विषया संतन तजी, ताहि मूढ़ लपटाति।" (राधाकृष्ण दास)


#"केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिए। 

उसमें उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए।।" (मैथिलीशरण गुप्त, भारत भारती)


#"सखि! वे मुझसे कहकर जाते। 

कह, वह मुझको अपनी पथ-बाधा ही पाते।" (मैथिलीशरण गुप्त, यशोधरा)


#"अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी। 

आंचल में है दूध और आंखों में पानी।'" (मैथिलीशरण गुप्त, यशोधरा)


#"नारी पर नर का कितना अत्याचार है।

 लगता है विद्रोह मात्र ही अब उसका प्रतिकार है।" (मैथिलीशरण गुप्त)


#"हम कौन थे, क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी। आओ विचारें आज मिलकर ये समस्याएं सभी।। (मैथिलीशरण गुप्त, भारत भारती)


#"जिसको नहीं गौरव तथा निज देश का अभिमान है।

वह नर नहीं, नर पशु निरा है और मृतक समान है।" (मैथिलीशरण गुप्त)


#"अधिकार खोकर बैठना यह महादुष्कर्म है। 

न्यायार्थ अपने बंधु को भी दंड देना धर्म है।" (मैथिलीशरण गुप्त जयद्रथ वध)


#"वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे।" (अपनी शरण गुप्त)


#"अहा! ग्राम जीवन भी क्या है, 

क्यों न इसे सबका मन चाहे।" (मैथिलीशरण गुप्त)


#"हां, वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है, 

ऐसा पुरातन देश कोई विश्व में क्या और है?" (मैथिलीशरण गुप्त, भारत भारती)


#"राम तुम मानव हो, ईश्वर नहीं हो क्या? 

तब मैं निरीश्वर हूं, ईश्वर क्षमा करे।" (मैथिलीशरण गुप्त, भारत भारती)


#"संदेश नहीं मैं यहां स्वर्ग का लाया, 

इस धरती को ही स्वर्ग बनाने आया।"

 (मैथिलीशरण गुप्त, साकेत)


#"पराधीन रहकर अपना सुख शोक न सह सकता है। यह अपमान जगत् में केवल पशु ही सह सकता है।" (रामनरेश त्रिपाठी)


#"मैं ढूंढ़ता तुझे था, जब कुंज और वन में, 

तू खोजता मुझे था, जब दीन के वतन में। 

तू आह भन किसी की मुझको पुकारता था, 

मैं था तुझे बुलाता संगीत के भजन में।" 

(रामनरेश त्रिपाठी)


#"अरुण यह मधुमय देश हमारा।

जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।

(जयशंकर प्रसाद, चंद्र गुप्त)


#"दु:ख की पिछली रजनी बीच,

विकसित सुख का नवल प्रभात।"

(जयशंकर प्रसाद, कामायनी)


#"प्रकृति के यौवन का श्रृंगार, करेंगे कभी न बासी फूल।

मिलेंगे वे जाकर अतिशीघ्र, आह! उत्सुक है उनकी धूल।"

(कामायनी, जयशंकर प्रसाद)


#"नील परिधान बीच सुकुमार,

खुल रहा मृदुल अधखुला अंग। 

खिला हो ज्यों बिजली का फूल, 

मेघ बीच गुलाबी रंग।" (जयशंकर प्रसाद, कामायनी)


#"नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में। 

पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में।"

(जयशंकर प्रसाद, कामायनी)


#"अपना हो या औरों का सुख, बढ़ा कि बस दु:ख बना वही।" (जयशंकर प्रसाद, कामायनी)


#"अरी वरुण की शांत कछार। (प्रसाद, लहर)


#"ले चल वहां भुलावा देकर, मेरे नाविक!

 धीरे-धीरे।" (जयशंकर प्रसाद, लहर)


#"जो घनीभूत पीड़ा थी, मस्तक में स्मृति सी छाई, दुर्दिन में आंसू बनकर वह आज बरसने आई।" (जयशंकर प्रसाद, आंसू)


#"हिमाद्रि तुंग श्रृंग से, प्रबुद्ध शुद्ध भारती।

स्वयं प्रभा समुज्जवला, स्वतंत्रता पुकारती।" (जयशंकर प्रसाद, चंद्रगुप्त)


#"छेड़ो मत यह सुख का कण है।" (जयशंकर प्रसाद)


#"अधरों में राग अमंद पिये,

अलकों में मलयज बंद किए।

तू अब तक सोई है आली, आंखों में भरी बिहाग री। बीती विभावरी जाग री। (जयशंकर प्रसाद, लहर)


#"सुंदर है विहग सुमन सुंदर, 

मानव! तुम सबसे सुंदरतम।" 

(सुमित्रानंदन पंत)


सुंदर विश्वासों ही से, बनता रे सुखमय जीवन, 

ज्यों सहज-सहज सांसो से, चलता उर का मृदु स्पंदन।"

(सुमित्रानंदन पंत)


#"मुक्त करो नारी को मानव, चिरबंदिनी नारी को।" (सुमित्रानंदन पंत, युगवाणी)


#"वियोगी होगा पहला कवि, 

आह से उपजा होगा गान। उमड़कर आंखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान।। (सुमित्रानंदन पंत)


#"ऊषा की मृदु लाली में,

प्रथम किरण का आना रंगिणि। 

तूने कैसे पहिचाना? 

कहो, कहां हे बाल विहंगिनी।

 पाया तूने यह गाना।।" (सुमित्रानंदन पंत, रश्मिबंध)


जननी जन्मभूमि प्रिय अपनी, 

जो स्वर्गादपि गरीयसी।" (सुमित्रानंदन पंत, स्वर्णधूलि)


#"भारत माता ग्रामवासिनी। खेतों में फैला दृग श्यामल, शस्य भरा जन-जीवन आंचल। (सुमित्रानंदन पंत, रश्मिबंध)


सामूहिक जीवन रचनाकर 

तर सकते दु:ख सागर जन गण।" (सुमित्रानंदन पंत, लोकायतन)


एक बार बस और नाच तू श्यामा !

सामान सभी तैयार, 

कितने ही असुर, चाहिए कितने तुझको हार? 

कर मेकला मुंड मालाओं से बन बन अभिरामा।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', आह्वान)


#"दु:ख ही जीवन की कथा रही, 

क्या कहूं आज जो नहीं कही।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सरोज स्मृति)


#"धन्ये, मैं पिता निरर्थक था, 

कुछ भी तेरे हित कर न सका।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सरोज स्मृति)


#"हो गया व्यर्थ जीवन, मैं रण में गया हार।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', वनबेला)


#"मुक्त छंद सहज प्रकाशन वह मन का निज भावों का प्रकट अकृत्रिम चित्र।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')


#"नयनो का नरनो से गोपन--- प्रिय संभाषण।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')


#"अन्याय किधर है, उधर शक्ति कहते छल-छल, 

हो गए नयन, कुछ बूंद पुन: ढलके दृगजल।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', राम की शक्ति पूजा)


#"पास ही रे हीरे की खान, खोजता कहां और नादान।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', गीतिका)


#"योग्य जन जीता है, पश्चिम की युक्ति नहीं, 

गीता है--गीता है।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', जागो फिर एक बार)


सनेस निर्झर बह गया है, 

रेत ज्यों तन मन ढह गया है।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')


#"मैं अकेला, देखता हूं आ रही, 

मेरे दिवस की सांध्य बेला।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')


#"भारति जय विजय करे।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')


#"अबे सुन बे, गुलाब, 

भूल मत जो पाई ख़ुशबू रंगो आब।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', कुकुरमुत्ता)


#"मैं नीर भरी दु:ख की बदली।" (महादेवी वर्मा, संध्यागीत)


#"दीप मेरे जल अकंपित, घुल अचंचल।" (महादेवी वर्मा, सांध्यगीत)


#"कनक से दिन मोती-सी रात,

सुनहली सांझ गुलाबी प्रात,।" (महादेवी वर्मा, रश्मि)


#"धूप तन दीप-सी मैं, 

मोम-सा तन घुल चुका 

अब दीप-सा मन जल चुका है।" (महादेवी वर्मा, दीपशिखा)


#"जो तुम आ जाते एक बार।

कितनी करुणा, कितने संदेश,

 पथ में बिछ जाते बन पराग।" (महादेवी वर्मा, नीहार)


#”कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ जिससे उथल-पुथल मच जाए।" (बालकृष्ण शर्मा 'नवीन')


#"हो जाने दे ग़र्क़ नशे में, मत पड़ने दे फ़र्क़ नशे में। (बालकृष्ण शर्मा 'नवीन', साक़ी)


#"हम दीवानों की क्या हस्ती, 

आज यहां कल वहां चले।" (भगवतीचरण वर्मा)


#"बोले तुम केवल पांच मिनट 

चुप रहे आदमी दस हज़ार बस पांच मिनट।" (नागार्जुन, गांधी)


#"खेत हमारे, भूमि हमारी, सारा देश हमारा है 

इसीलिए तो हमको इसका, चप्पा-चप्पा प्यारा है।" (नागार्जुन)


#"घुन खाए शहतीरों पर बारह खड़ी विधाता बांचे

फटी भीत है, छत चूती है, आले पर विसतुइया नाचे

बरसाकर बेबस बच्चों पर मिनट-मिनट में पांच तमाचे इसी तरह दु:खहरण मास्टर गढ़ता है आदम के सांचे।" (नागार्जुन, युगधारा)


#"मैंने उसको जब-जब देखा लोहा देखा 

लोहा जैसे तपते देखा, गलते देखा ढलते देखा। (केदारनाथ अग्रवाल)


#"अपने यहां संसद तेली की वह घानी है जिसमें आधा तेल और आधा पानी है।" (धूमिल)


#"बाबूजी! सच कहूं : मेरी निगाह में,

न कोई छोटा है, न कोई बड़ा है, 

मेरे लिए, हर आदमी एक जोड़ी जूता ह 

जो मेरे सामने, मरम्मत के लिए खड़ा है।" (धूमिल, मोचीराम)


हम तो सारा का सारा लेंगे जीवन, 

'कम से कम' वाली बात न हमसे कीजिए।" (रघुवीर सहाय)


#"राष्ट्रगीत में भला कौन वह भारत भाग्य विधाता है।

फटा सुथन्ना पहने जिसका गुण हरचरना गाता है।" (रघुवीर सहाय)


#"अब अभिव्यक्ति के सारे ख़तरे उठाने ही होंगे। 

तोड़ने होंगे ही मठ और गढ़ सब।" (मुक्तिबोध)


#"ज़्यादा लिया और दिया बहुत-बहुत कम 

मर गया देश, अरे जीवित रह गए तुम।" (मुक्तिबोध)

 

जनता के गुणों से ही संभव, भावी उद्भव।" (मुक्तिबोध)


#"सब चुप 

साहित्यिक चुप और कवि जन निर्वाक् 

चिंतक शिल्पकार नर्तक चुप हैं 

उनके ख़्याल से यह सब गप है।" ्(मुक्तिबोध)


#"इन दिनों कि दुहरा है कवि धंधा, 

हैं दोनों चीज़ व्यस्त क़लम कंधा।" (भवानी प्रसाद मिश्र)


#"दु:ख सबको मांजता है।" (अज्ञेय)


#"मौन भी अभिव्यंजना है।

 जितना तुम्हारा सच है उतना ही कहो।" (अज्ञेय)

 #"हम नदी के द्वीप हैं, धारा नहीं हैं।" (अज्ञेय) 


#"ये उपमान मेले हो गए हैं देवता इन प्रतीकों से कर गए हैं कूच। 

कभी वासन अधिक घिसने से मुलम्मा छूट जाता है।" (अज्ञेय) 


#"कोठरी में लौ जलाकर दीप की,

 गिन रहा होगा महाजन सेंत की।" (अज्ञेय)


#"मैंने आहुति बनकर देखा, यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है।" (अज्ञेय, भग्नदूत)


#"आज मैं अकेला हूं, अकेले रहा नहीं जाता, जीवन मिला है यह, रतन मिला है यह।" (त्रिलोचन)

बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

प्रश्नोत्तरी-61 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, हिंदी साहित्यकारों के कथन)

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प्रश्नोत्तरी-61 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, हिंदी साहित्यकारों के कथन)


#"इत आवति उतर चली छ: सातक हाथ।"

इन काव्य-पंक्तियों के रचयिता कौन हैं?

(A) रहीम 

(B) बिहारी 

(C) तुलसी

(D) कबीर

उत्तर : (B) बिहारी 


#"केशव अलंकारवादी कवि हैं" यह कथन किसका है?

(A) रामचंद्र शुक्ल

(B) वियोगी हरि 

(C) डॉ. नगेंद्र 

(D) डॉ. वासुदेव सिंह

उत्तर : (A) रामचंद्र शुक्ल


#"नहिं पराग, नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहकाल। अली कली सों ही विंध्यौं, आगे कौन हवाल।।"

यह काव्य-पंक्ति किस रचनाकार की है?

(A) भिखारीदास 

(B) सेनापति 

(C) बिहारीलाल

(D) देवकवि

उत्तर : (C) बिहारीलाल


#"गुरु कह्यो रामभजन नीको, 

मोहिं लागत राजडगर सों।"

ये काव्य-पंक्तियां किनकी हैं?

(A) ब्रजनाथ 

(B) दूलह 

(C) रसनिधि 

(D) पजनेस

उत्तर : (A) ब्रजनाथ 


#"रस भावों के वश है और कविता शब्दार्थ के।"

यह कथन किसका है?

(A) आचार्य रामचंद्र शुक्ल 

(B) कृष्ण कवि 

(C) देवकवि 

(D) लालकवि

उत्तर : (C) देवकवि 


#"रीतिकाल का सम्यक् प्रवर्तन केशवदास द्वारा भक्ति काल में ही हो गया था।"

कथन किस विद्वान का है?

(A) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र (B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल (C) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी 

(D) डॉ. रामकुमार वर्मा

उत्तर : (A) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र


#"ये (घनानंद) साक्षात् रसमूर्ति और ब्रजभाषा के प्रधान स्तंभों में से हैं।"

यह कथन किसका है?

(A) डॉ. रामविलास शर्मा

(B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल

(C) डॉ श्याम सुंदरदास 

(D) आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी

उत्तर : (B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल


#"काव्य परंपरा को न मानने वाला काव्य अंधा, शब्द प्रयोग में औचित्त का प्रयोग न मानने वाला काव्य बधिर, छंददोष से युक्त काव्य पंगु, अलंकार रहित काव्य नग्न और अर्थ रहित काव्य मृतक तुल्य है।"

यह कथन किस विद्वान का है?

(A) बच्चनसिंह 

(B) केशवदास 

(C) बिहारीलाल 

(D) आलम

उत्तर : (B) केशवदास 


#"शब्दार्थ का सार काव्य है और काव्य का सार रस है।" यह कथन किस विद्वान का है? 

(A) भूषण 

(B) पद्माकर 

(C) भिखारी 

(D) देव

उत्तर : (D) देव


#"मेरी जानकारी में बिहारी जैसी रचनाएं यूरोप की किसी भी भाषा में नहीं मिलतीं।" यह कथन किसका है? 

(A) मैक्समूलर 

(B) वूहलर 

(C) डॉ. ग्रियर्सन 

(D) गिलक्रिस्ट

उत्तर : (C) डॉ. ग्रियर्सन 


#"किसी भी कवि का यश उसकी रचनाओं के परिणाम के हिसाब से नहीं होता, गुण के हिसाब से होता है। मुक्तक कविता में जो गुण होना चाहिए, वह बिहारी के दोहों मे चरम उत्कर्ष को पहुंचा है, इसमें कोई संदेह नहीं।"

(A) डॉ. वासुदेव सिंह 

(B) रामकुमार शर्मा 

(C) डॉ. ग्रियर्सन 

(D) रामचंद्र शुक्ल

उत्तर : (D) रामचंद्र शुक्ल


#भाषा प्रवीन सुछंद सदा रहै, 

सो घन जी के कवित्त बखानै।" ये काव्य-पंक्तियां किस कवि की है?

(A) घनानंद 

(B) ब्रजनाथ 

(C) बोधा 

(D) आलम

उत्तर : (B) ब्रजनाथ 


#"काव्य की रीति सिखी सुकबीन सों, देखी सुनी बहुलोक की बातें।" 

ये काव्य-पंक्तियां किस कवि की हैं? 

(A) चिंतामणि 

(B) बिहारीलाल 

(C) कृष्ण कवि 

(D) भिखारीदास

उत्तर : (D) भिखारीदास


#"कामकंदला सी त्रिया, नर माधव सो होय।" यह काव्य-पंक्ति किस कवि की है?

(A) बोथा

(B) रासलीन

(C) घनानंद

(D) मतिराम

उत्तर : (A) बोथा


#"थोरे क्रम-क्रम से कही अलंकार की रीति।" यह काव्य-पंक्ति किस कवि की है?

(A) दूलह कवि

(B) देव कवि

(C) लाल कवि

(D) वृंद कवि

उत्तर : (A) दूलह कवि


#"नवरस सब संसार में, नवरस में संसार। 

नवरस सार सिंगार, युगल सार सिंगार।।

यह दोहा किस कवि का है (A) देवकवि 

(B) केशवदास 

(C) भिखारीदास 

(D) दूलह

उत्तर : (A) देवकवि 


#"डार द्रुम पलना बिछौना नवपल्लव के,

सुमन झंगूला सोहैं तन छवि भारी दे।" यह काव्य-पंक्ति किस कवि की है?

(A) दूलह कवि 

(B) मतिराम 

(C) रसखान 

(D) देवकवि

उत्तर : (D) देवकवि 


#"तेरे नैन मेरे मन का खिलौना" यह काव्य-पंक्ति किसकी है?

(A) देव

(B) सेनापति

(C) घनानंद

(D) बिहारी

उत्तर : (B) सेनापति


#"अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लक्षणा हीन" यह काव्य-पंक्ति किस कवि की है?

(A) मतिराम

(B) वृंद

(C) भिखारीदास

(D) देव

उत्तर : (D) देव


#"भूषण बिनु न विराजई कविता वनिता मित्त" यह काव्य-पंक्ति किस कवि की है?

(A) चिंतामणि तय

(B) केशवदास

(C) देव

(D) मतिराम

उत्तर : (B) केशवदास


#"फागु की भीर अमीरन में, गहि गोविंद लै गई भीतर गोरी।" यह काव्य-पंक्ति किसकी है?

(A) बिहारी 

(B) चिंतामणि 

(C) पद्माकर 

(D) भूषण

उत्तर : (C) पद्माकर 


#"वेद में बखानी तीन लोकन को ठुकरानी।" यह काव्य-पंक्ति किसकी है?

(A) सेनापति 

(B) बिहारी 

(C) वृंद 

(D) बोधा

उत्तर : (A) सेनापति 


#"क्यों इन आंखिन को निहसंक हवै, 

मोहन को तन पानिप पीजै।" यह काव्य-पंक्ति किस कवि की है?

(A) देव 

(B) वृंद 

(C) मतिराम 

(D) गिरिधर कविराय

Ans. : (C) मतिराम 


#"यह प्रेम को पंथ कराल महा,

तरवरि के धार पे धावनो है।" यह पद किस कवि की रचना है?

(A) चिंतामणि 

(B) घनानंद 

(C) सेनापति 

(D) बोधा

Ans. : (B) घनानंद 


#"ढेल सो बनाय आय मेलत सभा के बीच, 

लोगन कवित्त कीबो खेल करि जान्यो है।" यह है पद किस रचनाकार का है?

(A) ठाकुर 

(B) पजनेस 

(C) पद्माकर 

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans. : (A) ठाकुर 


#"लोग हैं लागि कवित्त बनावत,

मोहिं तो मेरे कवित्त बनावत।" यह दोहा किस दोहाकार का है?

(A) सेनापति

 (B) घनानंद

 (C) सुरति मिश्र 

(D) मंझन मिश्र

Ans. : (B) घनानंद


#"ह्वै है परी भाग उघरी"

यह काव्य पंक्ति किस कवि की है? 

(A) गोवर्धन 

(B) बोधा 

(C) घनानंद 

(D) आलम

Ans. : (C) घनानंद 


#"आनंद विधान सुखदानि दुखियान दै।" यह काव्य पंक्ति किस कवि की है?

(A) देव कवि 

(B) वृंद कवि 

(C) कृपाराम 

(D) घनानंद

Ans. : (D) घनानंद


#"यहां सांच चलै तजि अपनपौ, 

झिझक कपटी जै निसांक नहीं।" यह पद किस रचनाकार का है? 

(A) घनानंद 

(B) पद्माकर 

(C) भूषण 

(D) दूलह

Ans. : (A) घनानंद 


बिछुरे मिलैं मीन पतंग दशा, कहां मो जिय गति को परसै।" यह पद किस रचनाकार का है?

(A) मुबारक 

(B) घनानंद 

(C) रसलीन 

(D) आलम

Ans. : (B) घनानंद 


#"देह दहै, न रहे सुधि देह की,

भूलिहूं नेह को नाम न लीजै।" यह पद किस कवि का है?

(A) बोधा

(B) आलम 

(C) घनानंद

(D) सेनापति

Ans. : (C) घनानंद

सोमवार, 14 फ़रवरी 2022

प्रश्नोत्तरी-60 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, ब्रजभाषा)

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प्रश्नोत्तरी-60 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, ब्रजभाषा)


#ब्रजभाषा का उदय निम्नलिखित में से किससे हु

(A) ब्राचड़ अपभ्रंश के मध्यवर्ती रूप से़

(B) शौरसेनी अपभ्रंश के मध्यवर्ती रूप से

(C) महाराष्ट्रीय अपभ्रंश के पूर्ववर्ती रूप से

(D) उपर्युक्त सभी रूपों से

उत्तर : (B) शौरसेनी अपभ्रंश के मध्यवर्ती रूप से


#पश्चिमी हिंदी का विकास अपभ्रंश के किस रूप से हु

(A) शौरसेनी (B) अवधि

(C) अर्धमगधी (D) ब्राच

उत्तर : (A) शौरसेनी


#आरंभिक ब्रजभाषा के कितने रूप मिलते हैं

(A) 1 ‍ (B) 2 (3) 3 (4)

उत्तर : (B) 


#ब्रजभाषा का एक अन्य नाम यह भी है 

(A) ब्रजबुलि (B) डिंगल

(C) पिंगल (D) जादवबाटी

उत्तर : (C) पिं


#'भुक्सा' क्या है

(A) श्रीकृष्ण का सखा ब्र

(B) ब्रज क्षेत्र में प्रचलित एक खे

(C) ब्रज क्षेत्र का एक वाद्य यंत्र

(D) ब्रज भाषा की एक उपबोली

उत्तर : (D) ब्रज भाषा की एक उपबो


#ब्रजभाषा का उदय काल है 

(A) 1000 ईस्वी के

आसपास

(B) 900 ईस्वी के आसपास

(C) 800 ईस्वी के आसपास

(D) 700 ईस्वी के आसपा

उत्तर : (A) 1000 ईस्वी के

आसपास


#'ब्रजभूमि' निम्नलिखित में से क्या है

(A) ब्रजभाषा का एक महाकाव्य

(B) बांग्ला का एक कृत्रिम रू

 (C) राधा की सर्वप्रिय सहेली का नाम

(D) अवधी, ब्रज और बुंदेली का मिश्रित रूप

उत्तर : (B) बांग्ला का एक कृत्रिम रू


#'ब्रजबुलि' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया

(A) नंददास

(B) सूरदास

(C) ईश्वरचंद्रगुप्त

(D) विट्ठलनाथ

उत्तर : (C) ईश्वरचंद्रगुप्त


#ब्रजभाषा निम्नलिखित में से कहां बोली नहीं बोली जाती है

(A) भरतपुर

(B) करौली

(C) गुड़गांव

(D) सीतापुर

उत्तर : (D) सीतापुर


#ब्रजभाषा के विकास को कितने समयों में विभाजित किया गया है

(A) 

(B) 

(C) 

(D) 

उत्तर : (B) 


#केंद्रीय ब्रजभाषा का क्षेत्र है 

(A) भरतपुर, जयपुर, करौली

(B) बरेली, बदायूं, मैनपुरी (C) अलीगढ़, आगरा, मथु

(D) हरदोई, शाहजहांपुर, पीलीभी

उत्तर : (C) अलीगढ़, आगरा, मथुरा


#निम्नलिखित में से किस ज़िले की ब्रजभाषा पर कन्नौजी का प्रभाव है

(A) ग्वालिय

(B) बरेली

(C) एटा

(D) करौली

उत्तर : (B) बरेली


#"जोगी सोई जाणिए जगतैं रहे उदास

तत निरंजण पाइए कहैं मछंदरनाथ।

उपर्युक्त दोहा किस बोली में है?

(A) अवधी

(B) बघेली

(C) ब्रजभाषा

(D) भोजपुरी

उत्तर : (C) ब्रजभा


#ब्रजभाषा में निरंतर और स्वतंत्र साहित्य कब से मिलने लगता है

(A) 13वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध से

(B) 14वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से

(C) 15वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से

(D) 18वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध से

उत्तर : (B) 14वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से


#गुरु अर्जुन देव की भाषा है

(A) राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा

(B) मैथिली मिश्रित ब्रजभाषा

 (C) पंजाबी मिश्रित ब्रजभा

 (D) अवधी मिश्रित ब्रजभाषा

उत्तर : (C) पंजाबी मिश्रित ब्रजभा


 #निम्नलिखित में से किसकी ब्रजभाषा पर मराठी का प्रभाव है 

(A) कबीर

(B) दादूदयाल

(C) दामों कवि

(D) नामदेव

उत्तर : (D) नामदेव


#ब्रजभाषा में निम्नलिखित में से कौ-सा स्वर नहीं है

(A) ऋ 

(B) ऐं

(C) ओ (D) 

उत्तर : (A) 


#ब्रजभाषा का पूर्वी रूप है 

(A) बुंदेली

(B) कन्नौजी

(C) अंतर्वेदी

(D) डांगी

उत्तर : (B) कन्नौजी


#'ब्रजभाषा काव्यशाला' के संस्थापक निम्नलिखित में से कौन हैं

(A) जयसिंह

(B) मानसिंह

(C) लखपति सिंह

(D) अकबर

उत्तर : (C) लखपति सिं


#ब्रजभाषा को उत्कर्ष पर पहुंचाने का श्रेय है

 (A) परमानंददास को

(B) छीतस्वामी को

(C) वल्लभाचार्य को

(D) सूरदास को

उत्तर : (D) सूरदास 


#निम्नलिखित में से किसके काल में ब्रजभाषा का समूचा सौंदर्य, वैभव, माधुर्य और ऐश्वर्य देखने योग्य है :  

(A) सूरदास

(B) रसखान

(C) तुलसीदास

(D) गंग कवि

उत्तर : (A) सूरदास


#निम्नलिखित में से एक भक्त कवि, संगीतज्ञ, शास्त्रज्ञ और रीति-तत्वों का ज्ञाता है 

(A) हितहरिवंश

(B) सूरदास

(C) तुलसीदास

(D) नंददास

 उत्तर : (D) नंददास


#निम्नलिखित में से किस वर्ग द्वारा ब्रजभाषा का अहित हुआ

(A) रीतिकालीन कवियों द्वारा

 (B) खड़ी बोली के कवियों द्वा

 (C) कृष्णभक्ति शाखा के कवियों द्वारा

(D) रामभक्ति शाखा के कवियों द्वारा

उत्तर : (A) रीतिकालीन कवियों द्वा


#हिंदी साहित्य के इतिहास में किस काल को ब्रजभाषा का पुराण काल कहा गया है

(A) आदिकाल

(B) पूर्वमध्यकाल

(C) उत्तरमध्यकाल

(D) आधुनिककाल

उत्तर : (B) पूर्वमध्यकाल


#सूरसागर का शिथिल और नीरस अंश है 

(A) बाल लीला, माखन चोरी का प्रसंग

(B) विप्रलंभ श्रृंगार के पद

(C) भागवत पुराण की कथाएं

(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर : (C) भागवत पुराण की कथाएं


#19वीं सदी के अंत तक काव्यक्षेत्र में निम्नलिखित में से किस बोली का एकछत्र राज्य रहा

(A) कुमाऊनी

(B) अवधी

(C) भोजपुरी

(D) ब्रजभाषा

उत्तर : (D) ब्रजभाषा


#कृष्ण काव्य में ब्रजभाषा के दो प्रधान रस निम्नलिखित में से कौन हैं ? (A) वात्सल्य और श्रृंगा

(B) करुण और वात्सल्य

(C) श्रृंगार और वी

(D) शांत और हास्य

उत्तर : (A) वात्सल्य और श्रृंगार


#ब्रजभाषा का वह कवि जिसने कृष्णलीला की अपेक्षा कृष्ण के प्रेममर स्वरूप का चित्रण किया है? 

(A) रसखा

(B) मीरा

(C) रहीम

(D) सूरदास

उत्तर : (B) मीरा


#ब्रजभाषा का वह कवि जो किसी मतवाद से संबंधित नहीं है 

(A) हरिराम व्यास

(B) श्रीभट्ट

(C) मीरा

(D) रामराय

उत्तर : (C) मीरा


#नंददास के काव्य में निम्नलिखित में से किस रस की प्रधानता है ?

(A) वात्सल्य

(B) वीर

(C) करुण

(D) श्रृंगार

उत्तर : (D) श्रृंगार


#चमत्कारी भाषा का प्रथम कवि कौन है

(A) केशव

(B) मतिराम

(C) बिहारी

(D) देव

उत्तर : (A) केशव


#निम्नलिखित में से किस के काव्य में व्यर्थ का शब्दाडंबर और वाग्जाल नहीं है ?

(A) मतिराम

(B) श्रीपति

(C) रसलीन

(D) देव

 उत्तर : (B) श्रीपति


#'राधासुधाशतक' किसकी रचना है

(A) भगवतरसिक

(B) वृंदावनदास

(C) श्रीहरि जी

(D) अलबेली अलि

उत्तर : (B) श्रीपति


#किसकी काव्यभाषा में ब्रजभाषा, बुंदेली और अवधी का मिश्रण 

 (A) सूदन

(B) भूषण

(C) पद्माकर

(D) लालकवि

उत्तर : (D) लालकवि


#काव्य के रूप में ब्रजभाषा के प्रयोग की शास्त्रीय व्याख्या किसने की

(A) भिखारीदास

(B) पद्माकर

(C) आलम

(D) वृंद

उत्तर : (A) भिखारीदास


#'पृथ्वीराज रासो' की भाषा को ब्रजभाषा किसने घोषि

 किया

(A) डॉ. धीरेंद्र वर्मा

(B) डॉ. हरदेव बाहरी

(C) डॉ. भोलानाथ तिवारी

(D) डॉ. नामवर सिंह

उत्तर : (A) डॉ. धीरेंद्र वर्मा


#हेमचंद्र के 'प्राकृत व्याकरण' के दोहों की भाषा है

(A) पाली

 (B) प्राकृत

(C) संस्कृत

(D) ब्रज

उत्तर : (B) प्राकृत


#'राधामाधव विलास' किसकी रचना है

(A) नंददास

(B) गोकुलदा

(C) सूरदास

(‌D) जयराम

उत्तर : (‌D) जयराम


#'राधामाधव विलास' किस भाषा में लिखी गई 

(A) अवधी

(‌B) ब्रजभाषा

(D) प्राकृत

उत्तर : (B) ब्रजभाषा


#'स्वाति तिरुनाल' नाम से ब्रजभाषा का रचनाकार कौन है

(A) रामवर्मा

(B) स्वामी हरिदास

(C) विष्णुदास

(D) नारायणदा

उत्तर : (A) रामवर्मा


#सूरपूर्व का सबसे पुराना ग्रंथ निम्नलिखित में से कौन-सा है

(A) साहित्य लहरी

(C) रासलीला 

(D) प्रद्युम्नचरित

उत्तर : (D) प्रद्युम्नचरित


#'हरीचंद्र पुराण' किसकी रचना है

(A) सुधीर अग्रवाल

(B) अमरदास

(C) विष्णुदत्त

(D) जाखूमणयार

उत्तर : (D) जाखूमणयार


#सूरपूर्व युग के सर्वश्रेष्ठ कवि निम्नलिखित में से कौन है

(A) विष्णुदास

(B) त्रिलोचन

(C) नानकदेव

(D) अमरदास

उत्तर : (A) विष्णुदास


#निम्नलिखित में से कौन-सी कृति विष्णुदास की नहीं है

(A) महाभारत कथा

(B) जानकी मंगल

(C) रुक्मणी मंगल

(D) स्वर्गारोहण

उत्तर : (B) जानकी मंगल


#'सनेह लीला' के रचनाकार कौन है

(A) कुंभनदास

(B) रैदास

(C) विष्णुदा

(D) नानकदास

उत्तर : (C) विष्णुदास



#दामोदर कवि की रचना है

(A) हरिचंद पुराण

(B) मधुमालती कथा

(C) वर्ण रत्नाकर

(D) लक्ष्मण सेन पद्मावती कथा

उत्तर : (D) लक्ष्मण सेन पद्मावती क


#दामो कवि की भाषा है : 

(A) राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा

(B) अवधी मिश्रित ब्रजभाषा

 (C) पंजाबी मिश्रित ब्रजभाषा

 (D) कन्नौजी मिश्रित ब्रजभाषा

उत्तर : (A) राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा


#'प्रद्युमनचरित्र' के रचनाकार कौन हैं

(A) नारायणदास

(B) चतुर्भुजदास

(C) विष्णुदास

(D) सुधीर अग्रवाल

उत्तर : (D) सुधीर अग्रवाल


#'स्वर्गारोहण' नामक कृति के रचनाकार कौन हैं :

(A) नारायणदास

(B) चतुर्भुजदास

(C) विष्णुदास

(D) सुधीर अग्रवाल

उत्तर : (C) विष्णुदास


 #'मधुमालती कथा' के रचनाकार कौन है

(A) नारायणदास

(B) चतुर्भुजदास

(C) विष्णुदास

(D) सुधीर अग्रवाल

 उत्तर : (B) चतुर्भुजदास


#'छिताईवार्ता' के रचनाकार कौन है

(A) नारायणदास

(B) चतुर्भुजदास

(C) विष्णुदास

(D) सुधीर अग्रवाल

उत्तर : (A) नारायणदास


#निम्नलिखित में से कौन-सी कृति ब्रजभाषा में है

(A) बरवै रामायण

(B) कवितावली

(C) रामलला नहछू

(D) वैराग्य संदीपनी

उत्तर : (B) कवितावली


#तुलसीदास की कौन-सी कृति ब्रजभाषा में नहीं है

(A) गीतावली

(B) कृष्ण गीतावली

(C) रामाज्ञा प्रश्न

(D) विनयपत्रिका

उत्तर : (C) रामाज्ञा प्रश्न


#निम्नलिखित में से कौन-सी कृति ब्रजभाषा में है?

(A) बरवै रामायण

(B) कवितावली 

(C) रामलला नहछू 

(D) वैराग्य संदीपनी 

उत्तर : (B) कवितावली 


#तुलसीदास की कौन-सी कृति ब्रजभाषा में नहीं है?

(A) गीतावली 

(B) कृष्ण गीतावली

(C) रामाज्ञा प्रश्न 

(D) विनयपत्रिका

उत्तर : (C) रामाज्ञा प्रश्न

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

प्रश्नोत्तरी-59 (हिंदी साहित्यकारों के परीक्षोपयोगी कथन)

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प्रश्नोत्तरी-59 (हिंदी साहित्यकारों के परीक्षोपयोगी कथन)


"ज्ञान राशि के संचित कोष का नाम साहित्य है।" (आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेद)

"हिंदी नई चाल में ढली 1873 में।" (भारतेंदु हरिश्चंद्र)

"साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है।" (बालकृष्ण भट्ट)

"साहित्य का उद्देश्य दबे-कुचले हुए वर्ग की मुक्ति का होना चाहिए।" (प्रेमचंद)

"साहित्यकार देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई को भी नहीं, बल्कि उनके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है।" (प्रेमचंद)

"मानव अथवा प्रकृति के सूक्ष्म किंतु व्यक्त सुंदरी में आध्यात्मिक छाया का भान मेरे विचार से छायावाद की एक सर्वमान्य व्याख्या हो सकती है।" (आचार्य नंददुलारे वाजपेयी)

"कोई कवि विचार और भाषा की परंपरा को तोड़कर नए सृजन की ओर उन्मुख होता है तो उसकी हंसी उड़ाई जाती है।" (सुदामा पांडेय 'धूमिल')

"मुझे प्रोफेसरों के बीच में छायावाद सिद्ध करना पड़ेगा।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')

"मनुष्य की मुक्ति की तरह कविता की भी मुक्ति होती है। मनुष्य की मुक्ति कर्मों के बंधन से छुटकारा पाना है और कविता की मुक्ति छंदों के शासन से अलग हो जाना है।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')

"यहां एक ऐसा दल है जो उच्च शिक्षित है, शायद सोशलिस्ट भी है..... ये उच्च शिक्षित जन कुछ लिखते भी हैं, इसमें मुझे संशय है। शायद इसलिए लिखने का एक नया आविष्कार इन्होंने किया है।" (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')

"जब मनुष्य का हृदय अपनी अभिव्यक्ति के लिए व्याकुल हो उठा, तभी स्वच्छंद छंद में उसकी छाया अंकित हुई।" (महादेवी वर्मा)

"छायावाद एक विशाल सांस्कृतिक चेतना का परिणाम था, जिसमें कवियों की भीतरी आकुलता ने ही नवीन भाषा-शैली में अपने को अभिव्यक्त किया।" (पंडित हज़ारी प्रसाद द्विवेदी)

"छायावाद व्यक्तिवाद की कविता है जिसका आरंभ व्यक्ति के महत्व को स्वीकार करने और करवाने में हुआ।" (डॉ. नामवर सिंह)

"छायावादी कवि सुंदर शब्द संचय द्वारा अपनी रचना में आकर्षण, सजावट एवं संगीत उत्पन्न करना चाहता है, अनुभूति को व्यक्त करना मुख्य ध्येय नहीं है।" (डॉ. देवराज)

"यह (छायावादी काव्य) सरासर हिमाक़त, धृष्टता, अहमन्यता तथा हमचुनोदीगरेनेस्त के सिवाय और क्या हो सकता है।" (महावीर प्रसाद द्विवेदी)

"इस कविता ने जीवन के सूक्ष्मतम मूल्यों की प्रतिष्ठा द्वारा नवीन सौंदर्य चेतना जगाकर एक वृहत समाज की अभिरुचि का परिष्कार किया और उसकी समृद्धि की समता हिंदी का केवल भक्ति-काव्य ही कर सकता है।" (डॉ. नगेंद्र)

"प्रगतिशील कविता वास्तव में छायावाद की ही एक धारा है। दोनों स्वरों में जागरण का उदात्त संदेश मिलता है, एक में मानवीय जागरण का, दूसरे में लो जागरण का।" (सुमित्रानंदन पंत)

"प्रगतिवाद और प्रयोगवाद छायावाद की उपशाखाएं हैं। ये मूलतः एक ही युग चेतना अथवा युग सत्य से अनुप्राणित हैं और एक दूसरे की पूरक हैं।" (सुमित्रानंदन पंत)

"प्रगतिवाद समाजवाद की ही साहित्यिक अभिव्यक्ति है।" (डॉ. नगेंद्र)

"प्रयोग का कोई बाद नहीं है। हम वादी नहीं रहे, नहीं हैं, न प्रयोग अपने आप में इष्ट अथवा साध्य है। ठीक उसी तरह कविता का कोई बाद नहीं है, कविता भी अपने आप में इष्ट या साध्य नहीं। अतः हमें प्रयोगवादी कहना उतना ही सार्थक या निरर्थक है, जितना कवितावादी कहना।" (अज्ञेय) 

"ईश्वर ने मानव के रूप में अपनी प्रतिमा का निर्माण किया। कुशल शिल्पी होने के नाते उसने प्रत्येक प्रतिमा भिन्न और और अद्वितीय बनाई। भिन्न होने के कारण प्रतिमाएं परस्पर प्रेम कर सकीं।" (अज्ञेय) 

"मैं उन व्यक्तियों में से हूं और ऐसे व्यक्तियों की संख्या शायद दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है जो भाषा का सम्मान करते हैं और अच्छी भाषा को अपने आप में एक सिद्धि मानते हैं।" (अज्ञेय) 

"वस्तुतः नई कविता प्रयोगवाद का ही विकसित रूप है।" (गोविंद शर्मा 'रजनीश')

 "बच्चन और दिनकर दोनों प्रतिद्वंद्वी कवि हैऔ। बच्चन की भाषा दिनकर से ज़ोरदार है। दिनकर के भाव बच्चन से अधिक उन्मादक, सारवान और सामयिक हैं। दोनों में जो एक दूसरे को ग्रहण कर लेगा वही हिंदी कविता के वर्तमान और अगले युग का नेता होगा।" (रामनरेश त्रिपाठी)

"कबीर में जैसे सामाजिक विद्रोह का तीखापन और प्रणयानुभूति की कोमलता एक साथ मिलती है, कुछ वैसा ही रचाव मुक्तिबोध में है।" (डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी)