मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

प्रश्नोत्तरी-52 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, #मुहावरे और #लोकोक्तियां)

 

प्रश्नोत्तरी-52 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, #मुहावरे और #लोकोक्तियां)

डॉ. वचनदेव कुमार मुहावरे की परिभाषा इन शब्दों में देते हैं, "मुहावरे ऐसे वाक्यांश होते हैं जिनसे वाक्य सुसंगठित, चमत्कारजनक और सारगर्भित बनते हैं।" (वृहत् व्याकरण भास्कर, अध्याय - 9, पृ.  25)

डॉ. वासुदेवननदन प्रसाद मुहावरे के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं, "मुहावरे किसी भी सजीव भाषा के प्राण होते हैं।" (सरल हिंदी व्याकरण और रचनापृ. 99)

वस्तुतः मुहावरे के प्रयोग से भाषा चमक उठती है और उसकी सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं।

 

#अंक भरना (स्नेह से लिपटा लेना) :  मैंने जैसे ही मां के पैर छुए मां ने मुझे अंक में भर ली। 

#अंक भरना : मां द्वारा शिशु के अंक भरने से उसे ख़ुशी तथा संतुष्टि मिलती है। 

#अंग-अंग टूटना (थकान के कारण दर्द) : अत्यधिक काम करने के कारण आज मेरा अंग-अंग टूट रहा है। 

#अंगारों पर लेटना (दुख सहना) : अंगारों पर लेट कर ही कोई महान बन सकता है। 

#अंगूठा चूमना (ख़ुशामद करना) : आज के बुद्धिजीवी राजनीतिज्ञों का अंगूठा चूसते नज़र आते हैं।

#अंगूठा दिखाना (टाल देना) : काम हो जाने पर लोग अंगूठा दिखा देते हैं। #सिर चढ़ाना (अधिक छूट देना) : बच्चों को सिर नहीं चढ़ाना चाहिए। 

#अंगूठा दिखाना (धोखा देना) : काम निकल जाने पर मदन ने गणेश को अंगूठा दिखा दिया। 

#अंगूठा दिखाना (मौक़े पर धोखा देना) : चालबाज़ों से बचकर रहो, वे अंगूठा दिखाना ख़ूब जानते हैं।

#अंत पाना (ठिकाना पा लेना) : उस गंभीर व्यक्ति का कोई अंत नहीं पा सकता। 

#अंधा बनाना (धोखा देना ) : राम किसी को भी अंधा बनाने में माहिर है। 

#अंधेर नगरी (अनुचित न्याय) : जहां सत्य बोलने वाले को दंडित किया जाता है वह अंधेर नगरी है।

#अक़्ल का दुश्मन (मूर्ख) : तुमसे बड़ा अक़्ल का दुश्मन शायद ही कोई होगा। वह तो अक़्ल का दुश्मन है, इस बात को नहीं समझ पाएगा।

#अधजल गगरी छलकत जाय (अधूरा ज्ञान अनर्थकारी, ओछे व्यक्ति में ऐंठन होती है) : श्याम जानता तो कम है, पर सदा अंग्रेज़ी में बोलने की ही कोशिश करता है। ठीक ही कहा है-- अधजल गगरी छलकत जाय। अमर की बात करते हो, वह तो छोटा-सा व्यापारी है और हाँकता है लम्बी-चौड़ी, अधजल गगरी छलकत जाय।

#अपना उल्लू सीधा करना (मतलब निकालना, स्वार्थ साधना) : अपना उल्लू सीधा करने की कला कोई तुमसे सीखे। महेश को मीठे-मीठे गप्प में फँसाकर उसने अपना उल्लू सीधा कर लिया। अपना उल्लू सीधा करने की कला कोई तुमसे सीखे।

#अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) : अरे मिल-जुल कर रहो। अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ है?

#अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (मुसीबत मोल लेना) : शाहिद, तुम उस औरत के चक्कर में पड़कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहे हो।

#अपने पांव पर खड़ा होना/अपने पैरों पर खड़ा होना (आत्मनिर्भर होना, स्वाबलंबी बनना) : जब तक भारत के लोग अपने पांव पर खड़े नहीं होते हैं, तब तक ग़रीबी दूर नहीं होगी। अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद ही मैं परिणय-सूत्र में बँधूँगा। जब तक भारत के लोग अपने पैरों पर खड़े नहीं होंगे, तब तक इनका स्थान नहीं होगा। 

#अब-तब करना (बहाना करना) : अब-तब करके घनश्याम जी मुझे बहुत दिनों से मूर्ख बना रहे हैं।

#आँख की किरकिरी होना (आँख का काटा होना) : इन दिनों मैं उनकी आँखों की किरकिरी हो गया हूँ।

#आँख की पुतली (अत्यंत प्रिय होना) : बेटा कैसा भी क्यों न हो, माँ-बाप की आँखों की पुतली ही होता है।

#आँख खुलना (सावधान होना, बोध होना) : ठोकर खाने पर अब उसकी आँखें खुल गई हैं।

#आँख चुराना (लज्जित होकर छिपना, कतरा जाना) : सरिता मुझे देखकर आँखें चुराने लगती है।

#आँख दिखाना (धौंस जमाना) : चीन यदि दोबारा आँख दिखाए तो उसकी आँखें निकाल लो।

#आँख फेरना (विरुद्ध होना) : बुरे दिनों में अपने-पराये सभी आँखें फेर लेते हैं। ः

#आँख भर आना (आँसू आना) : बेटी की विदाई पर माँ-बाप की आँखें भर आईं।

#आँख मारना (इशारा करना) : मदन ने रमा को आँख मारकर अपने पास बुलाया।

#आँख में चर्बी छाना (घमंड से उपेक्षा करना, घमंड में चूर होना) : धन आते ही उसकी आँखों में चर्बी छा गई।

#आँख में धूल डालना (धोखा देना) : जनता की आँखों में धूल डालना आसान नहीं।

#आँख में बसना (हृदय में समाना) : रूप की रानी सारंगा मेरी आँखों में बस गई है।

#आँखें चार होना (आँखें मिलना, प्यार होना) : अजय और सरिता की आँखें चार होते ही दोनों के चेहरे खिल उठे।

#आँखों का तारा (अत्यंत प्रिय) : बेटा कैसा भी क्यों न हो, बेटा माँ-बाप की आँखों का तारा ही होता है।

#आंख उठाकर न देखना (ध्यान न देना) : सती-साध्वी स्त्रियां पर-पुरुष की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखती हैं।

#आंख खुलना (ज्ञान होना) : राम की बात सुनकर मेरी आंख खुल गई।

#आंख चुराना : दिल चुरा कर आंखें चुराना ठीक नहीं।

#आंख दिखाना (धमकाना) : लड़के अब आंख दिखाने से ही नहीं डरते हैं। 

#आंख लगना (नींद आना) : जब आंख लड़ती है तब आंख लगती ही नहीं। 

#आंखें खिलना (ख़ुश होना) : संजय को आया देख सुशील की आंखें खिल गईं। 

#आंखें चार होना (प्यार होना) : आंखें चार हुई नहीं कि दोनों एक दूसरे की आंखों की पुतली बन गए।

#आंखें चुराना (लज्जित होना) : कब तक आंखें चुराते रहोगे, एक न एक दिन सामने आना ही पड़ेगा।

#आंखें दिखाना (धौंस जमाना) : किसकी मजाल है जो मुझे आंखें दिखाएं, मैं उसकी आंखें निकाल लूंगा।

#आंखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना) : अपने प्रिय नेता के आगमन के बारे में सुनकर ग्रामवासी ने अपनी आंखें बिछा दीं। 

#आंखें मारना (इशारा करना) : उसने आंखें मारकर मुझे चुप रहने का संकेत किया।

#आंखों का कांटा होना (शत्रु होना) : जब से मैंने पंचायत में मोहन का विरोध किया है, उसकी आंखों का कांटा हो गया हूं। 

#आंखों का काजल चुराना (सफाई के साथ चोरी) : सफ़ेदपोश आंख का काजल भी चुरा ले जाते हैं।

#आंखों का तारा (प्यारा होना) : राम अपने पिता की आंखों का तारा है।

#आंखों का पानी ढल जाना (निर्णय होना) : तुम्हारी तरह मेरी आंखो का पानी नहीं ढल गया है जो मैं सब की आलोचना करता हूं।

#आंखों के आगे अंधेरा छाना (गहरा शोक होना) : पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनते ही उसकी उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया।

#आंखों में ख़ून उतरना :  सिपाहियों की बातें सुनकर कंस की आंखों में ख़ून उतर आया। 

#आंखों में गड़ना (लालच होना) : तुम्हारी सूरत मेरी आंखों में गड़ी हुई है। 

#आंखों में धूल झोंकना (धोखा देना) : चोर पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर कैसे निकल भागा। 

#आंसू पीकर रह जाना (कष्ट सहकर रहना) : ग़रीब लोग दुख पड़ने पर आंसू पीकर रह जाते हैं। 

#आकाश के तारे तोड़ना (असंभव कार्य कर दिखाना) : सच्चा प्रेमी अपनी प्रिया के लिए आकाश के तारे तोड़ लाने का हौसला रखना है। 

#आकाश-पाताल एक करना (कठिन परिश्रम करना) : तुम भले ही आकाश-पाताल एक करो, लेकिन अपराधी का पता नहीं लगेगा। 

#आग उगलना (अतिशय क्रोध, विरोध में उग्र होकर बोलना) : छोटी-सी ग़लती पर भी आग उगल रहे हो? पता नहीं क्यों आजकल वह अपने पिता के विरुद्ध भी आग उगलता रहता है।

#आग में घी डालना (क्रोध और भड़काना) वीर वैसे ही लिख रहे तुम आग में घी क्यों डाल रहे हो

#आग में घी डालना (क्रोध को भड़काना) : राम के पिता पहले से ही क्रुद्ध थे। मां ने राम की शिकायत करके और भी आग में घी डाल दिया। 

#आग से खेलना (ख़तरा मोल लेना) : हटो, बचो, आग से मत खेलो।

#आगे कुआँ पीछे खाई (चारों ओर संकट ही संकट) : दुश्मन से बुुरी तरह घिरकर चीन के सैनिकों ने आख़िर हथियार डाल दिया। क्या करते, आगे कुआँ, पीछे खाई।

#आटे-दाल का दाल का भाव मालूम होना (कठिनाइयों का ज्ञान होना) : अभी मौज मना लो जब जीवन के जंजाल में पड़ोगे तो आटे दाल का भाव मालूम होगा। 

#आठ-आठ आँसू बहाना (फूट-फूटकर रोना): बेटे की हत्या की ख़बर सुनकर माँ ने आठ-आठ आँसू बहाए।

#आड़े हाथों लेना (व्यंग्य प्रहार से लज्जित करना) : आज सभा में वक्ताओं ने इस तरह नेता जी को आड़े हाथों लिया कि उसकी बोलती बंद हो गई। 

#आधा तीतर आधा बटेर (अस्त-व्यस्त होना) उसने काम तो बनाया ही नहीं उल्टे आधा तीतर आधा बटेर कर दिया। 

#आवाज़ उठाना (विरोध करना) : बुराई के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना हर इन्सान के लिए फ़र्ज़ है।

#आसन डोलना (चंचल होना) : मेनका का रूप देखकर विश्वामित्र का आसन डोल गया। 

#आसमान के तारे गिनना (कठिन कार्य करना);: भारत को पराजित करना आसमान के तारे गिनने की तरह कोशिश करना है। 

#आसमान के तारे तोड़ना (असंभव कार्य) : श्याम की सफलता आसमान के तारे तोड़ने के समान है। 

#आसमान सिर पर उठाना : रानी सारंगा छोटी-छोटी बातों पर भी आसमान सिर पर उठा लेती है। 

#आस्तीन का साँप (मित्र के रूप में शत्रु, छिपा दुश्मन, वह व्यक्ति जो मित्र होकर धोखा दे) : मेरा परम मित्र आस्तीन का साँप निकला। मैंने तुम पर पूरा विश्वास किया, किंतु तुम तो आस्तीन का सांप निकले। यदि मैं जानता कि मोहन आस्तीन का सांप निकलेगा तो मैं कभी भी उसे अपना सहयोगी नहीं बनाता।

#इतिश्री करना (समाप्त करना) : आज निबंध-लेखन की इतिश्री करनी ही है।

#ईंट से ईंट बजाना (नेस्तनाबूद करना) : भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की ईंट से ईंट बजा दी।

#ईद का चाँद होना (लम्बे अंतराल के बाद दिखाई पड़ना) : भाई, तुम तो कभी आते ही नहीं, ईद का चाँद हो रहे हो। तुम तो ईद का चांद हो गए हैं, इतने दिन तुम कहां रहे। 

#ईमान बेचना (ईमान गँवाना) : पैसों के लोभ में कितनों ने ईमान बेच दिए।

#उँगली उठाना (बदनाम करना) : अच्छे आदमी पर उँगली उठाना ठीक नहीं। जो मुझ पर उंगली उठाएगा, उसकी उंगली काट लूंगा। 

#उल्टी गंगा बहाना (विपरीत कार्य करना) : मेरा दोष निकालकर राम उल्टी गंगा बहा रहा है। 

#उल्टी गंगा बहाना : अंतरजातीय विवाह करके रामनगर के युवकों ने समाज में उल्टी गंगा बहा दी। 

#उल्लू सीधा करना (अपना काम निकालना) : आजकल मंत्री लोग जनता की सेवा करने के बदले अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं। मोहन हमेशा उल्लू सीधा करना चाहता है।

#ऊँची दुकान, फीका पकवान (केवल बाह्य प्रदर्शन केवल बाहरी चमक-दमक, भीतरी खोखलापन) :   भाई, मैंने तुम्हारा बहुत नाम सुनाा था कि तुम यह कर देते हो, वह कर देते हो। मगर तुम कुछ भी नहीं कर सके। ऊँची दुकान, फीका पकवान।

#ऊंट के मुंह में ज़ीरा (बहुत कम) : रघुनाथ पेटू है। दो-दो रोटियां उसके लिए ऊंट के मुंह में ज़ीरा के समान है। 

#एक आंख से देखना : ईश्वर सबको एक आंख से देखता है। 

#एक पंथ दो काज (एक ही प्रयास से अनेक कार्यों की सिद्धि) : मैं रमा की शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली गया था। वहाँ एक अटका पड़ा काम हो गया। इसे कहते हैं--एक पंथ दो काज।

#एड़ी-चोटी का पसीना एक करना (कठिन परिश्रम करना) : उसने सफलता प्राप्त करने के लिए एड़ी-चोटी का पसीना एक कर दिया।

#कंधा लगाना (सहारा देना) : भारी बोझ है। ज़रा कंधा लगा दो भाई।

#कड़वा कड़वा थू (कटु वचन बोलना) : तुम अक्सर कड़वा-कड़वा थू करते हो।

#कफ़न सिर पर बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना) : जो सिर से कफ़न बाँध ले, उसके लिए मौत का डर क्या?

#कमर टूटना (बेसहारा होना) : बेटे के मर जाने पर बाप की कमर ही टूट गई।

#क़लम तोड़ना : दिनकर ने गद्य में  भी कलम तोड़कर, तोड़ कर लिखा है। 

#कलेजा का टुकड़ा (बेटा, बहुत प्यारा) : तुम मेरे कलेजे का टुकड़ा हो।

#कलेजा काँपना (डरना) : बाघ को देखते ही मेरा कलेजा काँप उठा।

#कलेजा फटना (ईर्ष्या होना) : मेरी उन्नति देखकर मेरे पड़ोसी का कलेजा फटने लगा।

#कलेजा मुंह को आना (अधिक शोक हो दोना) : उसकी पत्नी की मृत्यु के विषय में जानकर कलेजा मुंह को आ गया। 

#कहीं की मिट्टी कहीं का रोड़ा (अव्यवस्थित) : आजकल कहीं की मिट्टी कहीं का रोड़ा लाकर बेमेल विवाह होने लगे हैं। 

#काठ का उल्लू (निरा मूर्ख) : उसकी समझ में कुछ नहीं आता। वह तो काठ का उल्लू है। समझ में नहीं आता तुम क्यों उस काठ के उल्लू की प्रशंसा करते हो।

#काठ की हांडी (अस्थायी विश्वास) : झूठ बोल कर एक बार किसी को ठगा जा सकता है, पर काठ की हाड़ी बार-बार आग पर नहीं चढ़ती। अरे, काठ की हांडी एक ही बार चूल्हे पर चढ़ती है। 

#काठ मार जाना (स्तब्ध रह जाना) : ऐसी घटना थी कि सबको काठ मार जाना स्वभाविक था। 

#कान खोलना (सावधान होना) : कान खोलकर सुन लो, तुम्हें यह काम नहीं करना है।

#कान जूँ न रेंगना (कूछ भी ध्यान न देना, कुछ भी परवाह न होना) : मैं उसे समझाता रहा, लेकिन उसके कान पर जूँ न रेंगी।

#कान देना (ध्यान देना) : बच्चों को माँ-बाप की बातों पर कान देना चाहिए। विनोबा जी की बातों पर किसी ने कान नहीं दिया।

#कान पकड़ना (बाज़ आना) : कान पकड़ो कि फिर ऐसा काम न करोगे।

#कान भरना (गुमराह करना) : जुमलेबाज़ लोग अपने सहकर्मियों के ख़िलाफ़ अधिकारियों के कान भरते रहते हैं।

#काम तमाम करना (मार डालना) : उसने धोखे से मेरा काम तमाम करना चाहा, लेकिन मैं ईश्वर की कृपा से बच गया। 

#कायापलट होना (परिवर्तन होना) : सहकारिता आंदोलन के द्वारा गांव की काया पलट हो जा सकती है। 

#काल के गाल में जाना (मौत के मुँह में जाना) : हर जीव को अंत में काल के गाल में जाना पड़ता है।

#काला अक्षर भैंस बराबर (पूर्णतः निरक्षर) : वह तो अनपढ़ है। उसके लिए यह पत्र काला अक्षर भैंस बराबर है।

#कुत्ते की मौत मरना (निकृष्ट मृत्यु) : कायर होने के कारण वह कुत्ते की मौत मरा। 

#कोढ़ में खाज (दुख में दुख) : ग़रीबों में अधिक बाल-बच्चे होना कोढ़ में खाज की तरह है। 

#कोल्हू का बैल (एक ही लकीर पर चलने वाला) : अरे, मदन लाल की बात मत करो, वह तो कोल्हू का बैल है। 

#कौड़ी का तीन होना (सर्व सुलभ, निकम्मा) : नेता मंत्री पद से हटते ही कौड़ी के तीन हो जाते हैं। 

#खटाई में डालना (दूर करना) : सरकार योजना बनाती है और ऑफ़िसर उसे व्यवहार में लाने के बदले खटाई में डाल देते हैं।

#खड़ा-खोटा पहचानना (भले-बुरे की पहचान करना) : अब वह मुझे चकमा नहीं दे सकता, मैं खड़ा-खोटा पहचानता हूँ।

#खाक छानना (मारा-मारा फिरना) : मैं दिन भर मोहन की तलाश में खाक छानता रहा, मगर उससे भेंट नहीं हुई। स्वाभिमानी आदमी खाक छानता है, झुकता नहीं। 

#खाक में मिलाना (नष्ट कर देना) : मुझे अपने विरोधियों को खाक में मिलाना अच्छी तरह आता है। 

#खिल्ली उड़ाना (परिहास करना) : तुम कल तक रमेश की खिल्ली उड़ाते थे और आज उसकी पूजा कर रहे हो।

#खिल्ली उड़ाना : दूसरों की खिल्ली उड़ाना अच्छी बात नहीं। 

#ख़ुशामदी टट्टू होना (दिखावटी प्रशंसक) : मदन से बड़ा ख़ुशामदी टट्टू मैंने आज तक नहीं देखा। 

#ख़ून का घूँट पीना (भीतर ही भीतर सहकर रह जाना) : उसकी जली-कटी सुनकर मैं ख़ून का घूँट पीकर रह गया।

#ख़ून की नदी बहाना (मार-काट करना) : महाभारत के युद्ध में भीम ने ख़ून की नदी बहा दी। #गिरगिट की तरह रंग बदलना (एक बात पर न रहना) : तुम पर कौन विश्वास करे, तुम तो गिरगिट की तरह रंग बदलते हो।

#ख़ून के घूंट पीना (क्रोध को दबा देना) : आज साहब की डांट सुनकर मोहन ख़ून के घूंट पीकर रह गया। 

#ख़ून खौलना (ग़ुस्सा होना) : उन दुष्टों को देखते ही मेरा ख़ून खौल उठता है। सुग्रीव की ललकार सुनकर बालि का ख़ून खौलने लगा। 

#ख़ून-पसीना एक करना (कठिन परिश्रम करना) : यह घर मैंने ख़ून-पसीना एक करके बनाया है।

#खेत आना (युद्ध में शहीद होना) : गलवान घाटी झड़प में हमारे बीस जवान खेत आए।

#खेत रहना (वीरगति पाना) : देश की स्वतंत्रता के लिए हज़ारों देश भक्त खेत रहे। 

#ख़्याली पुलाव पकाना (काल्पनिक बातें करना) : तुम ख़्याली पुलाव पकाते रहो, तुमसे जीवन में कुछ नहीं होगा।

#गंगा लाभ होना (मरना) : आज रवि के पिता का गंगा लाभ हो गया।

#गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात को फिर से उभारना, पुरानी बातों को निकालना, बीती बातों को दोहराना, बीती हुई बातों की चर्चा करना) : भाई, क्यों गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हो, काम की बात करो। गड़े मुर्दे उखाड़ने से तुम्हारा कोई भला नहीं होगा, समझौता कर लो। राम पुरानी बातों की चर्चा करके गढ़े मुर्दे उखाड़ना चाहता है।

#गरम होना (गुस्सा आना) : धैर्य रखो गरम होने से काम बिगड़ जाएगा। 

#गर्दन पर सवार होना (पीछा न छोड़ना, पीछे लगे रहना) : अपनी राह लो, मेरी गर्दन पर सवार न रहो।

#गला छूटना (मुसीबत दूर हो जाना, पिंड छूटना) : इस बॉस के ट्रांसफर के बाद ही गला छूटेगा।

#गले का हार (बहुत प्यारा) : लक्ष्मण श्रीराम के गले का हार थे।

#गागर गागर में सागर (चोले में बहुत रखना) :  बिहारी के दोहे गागर में सागर के अन्यतम उदाहरण हैं। 

#गाजर-मूली समझना (छोटा समझना) : हम तो चीनियों को गाजर-मूली समझते हैं।

#गाल बजाना (डींग हाँकना) : चीनियों के गाल बजाने से अब कोई लाभ नहीं। कुछ लोग केवल गाल बजाते हैं। 

#गिरगिट की तरह रंग बदलना (तुरंत-तुरंत बात बदलना) : उसका क्या भरोसा भाई, वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता रहता है। उसपर कौन यक़ीन करे, वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता रहता है।

#गीदड़ भभकी देना (भयभीत करने की चेष्टा करना) : मुझे गीदड़ भभकी मत दो, मैं तुम्हारी ताक़त जानता हूं।

#गुदड़ी का लाल (ग़रीब घर में गुणवान उत्पन्न होना, तुच्छ स्थान में छिपी हुई उत्तम वस्तु) : लाल बहादुर शास्त्री अपने वंश में सचमुच गुदड़ी के लाल थे। उस ठेले वाले का बेटा डी. एम. बन गया। वह गुदड़ी का लाल है।

#गुरु गुड़ चेला चीनी (बताने वाला से सीखने वाला तेज़) : मैंने उसे व्यापार करने का तरीक़ा बताया था, मैं तो साधारण आदमी की तरह ही रह गया, पर वह आज शहर का धनी व्यक्ति बन गया। ठीक ही कहा गया है गुरु गुड़ रह गए, चेला चीनी हो गया। 

#गुरुघंटाल (बहुत चालाक) : गुरुघंटाल लोग अपने आसपास बेपेंदे के लोटों को जमा रखते हैं।

#गुल खिलाना (झमेला पैदा करना) : देखें उसकी कुटिलता क्या-क्या गुल खिलाती है। 

#गूँगे का गुड़ (अनुभूति की अभिव्यक्ति में असमर्थ) : यह तो गूँगे का गुड़ जैसा है, इसे शब्दों में बयान नहीं कर सकता।

#गूलर का फूल होना (दर्शन दुर्लभ) : शुद्ध वस्तु तो अब गूलर का फूल होती जा रही हैं। 

 #गूलर का फूल होना (दुर्लभ होना, कभी दिखाई नहीं देना) : तुम तो गूलर के फूल हो गए हो कभी मिलते ही नहीं। आजकल ईमानदार व्यक्ति गूलर का फूल हो गए हैं।

#घड़ियाली आँसू (बनावटी शोक या दुख) : घड़ियाल जल की ढेर सारी मछलियों को खाकर किनारे पर पड़े-पड़े आँसू बहता रहता है।

#घर का शेर (घर में बहादुरी की डींग हाँकने वाला) : अरे भाई, अपने घर में हर कोई शेर होता है, घर के बाहर सीना दिखाओ तो जानें।

#घास खोदना (व्यर्थ का काम) : एक छात्र के लिए पत्रिका में मन लगाना घास खोदने के समान है। 

#घी के दीए जलाना (ख़ुशी मनाना) : आजकल के व्यापारी अपने घर में ही घी के दीए जला रहे हैं। 

#घी के दीए जलाना (ख़ूब आनंद मनाना, ख़ुशी मनाना) : जब तक पिताजी जीवित है घी के दीए जला रहा हूं। सलमान जब वर्षों बाद विदेश से लौटा, तो उसके घर घी के दीए जलाए गए। मुफ़्त का अपार धन मिल जाने के कारण उसने घी के दीये जलाए।

#घुटने टेकना : कायर प्रायः शत्रु के आगे घुटने टेकते हैं। 

#घोड़े बेचकर सोना (बेफ़िक्र होना) : ग़ज़ब प्रकृति का आदमी है वह, 25 वर्ष की बेटी हो जाने पर भी वह उसके ब्याहने के बदले घोड़े बेचकर सोता है। 

#चंपत होना (भाग जाना) : चोर बटुआ लेकर चंपत हो गया।

#चाँद का टुकड़ा (परम सुन्दर वस्तु या व्यक्ति) : मेरे सामनेवाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है।

#चाँदी का जूता (घूस के रूप में दिया जाने वाला धन) : इस काम के लिए बड़ा बाबू को कई चाँदी के जूते मिले।

#चाँदी काटना (मौज उड़ाना) : दारोग़ा साहब इस थाने में चाँदी काट रहे हैं।

#चाँदी के जूते मारना (रुपये के ज़ोर से वश में करना) : चुनाव में चाँदी के जूते ख़ूब मारे जाते हैं।

#चांद पर थूकना (श्रेष्ठ की निंदा करना) : चांद पर थूकने से तुम्हें क्या लाभ होगागांधीजी के ख़िलाफ़ बोलना चांद पर थूकना है। 

#चांदी काटना : पुरानी पीढ़ी कष्ट में है, नई पीढ़ी चांदी काट रही है।

#चार दिन की चांदनी : हराम की कमाई तो चार दिन की चांदनी होती है। 

#चार दिनों की चांदनी फिर अंधेरी रात (थोड़े समय का सुख) : जीवन में सुख के दिन थोड़े और दुख के अधिक होते हैं। इसलिए कहा गया है कि चार दिनों की चाँदनी फिर अंधेरी रात। इस शरीर का क्या ठिकाना, अभी भी तो ज़रा भक्ति कर लो, क्योंकि चार दिनों की चांदनी फिर अंधेरी रात।

#चिराग़ गुल होना (वंश नष्ट होना) : इस दुर्घटना से उसके ख़ानदान का चिराग़ गुल हो गया। 

#चिराग़ तले अंधेरा (गुणी के निकट अवगुण, अपनी ख़ामी से अनभिज्ञ होना) : विद्वान का बेटा अनपढ़, चिराग़ तले अंधेरा नहीं तो और क्या है? सरकार शुद्ध प्रशासन की तो बात करती है पर दिल्ली में हत्याओं से पता चलता है कि चिराग़ तले अंधेरा है। मोहन को अपना दोष नज़र नहीं आता, यह तो वही बात हुई कि चिराग़ तले अंधेरा।

#चूना लगाना (घाटा देना) : माफ़िया तत्व सरकार को करोड़ों का चूना लगाते हैं। #चिकना घड़ा (बेअसर) : राम चिकना घड़ा है, उसे सुधारने में समय बर्बाद कर रहे हो। 

#चोर की दाढ़ी में तिनका (अपराधी के हाव-भाव से अपराध की पहचान मिल जाना) : पुलिस को देखते ही उसका मुँह सूखने लगा और वह बगलें झाँकने लगा मानो चोर की दाढ़ी में तिनका।

#छक्का पंजा जानना (पेंच-पांच जानना) : आजकल के सभी लोग छक्का-पंजा जानते हैं। #पगड़ी उतारना (इज़्ज़त लेना) : भारत ने ऑस्ट्रेलिया को क्रिकेट के मैच में हराकर उसकी पगड़ी उतार ली।

#छक्के छुड़ाना (हरा देना) : भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए।

#छक्के छूटना : युद्ध भूमि में शिवाजी को देखकर शत्रुओं के छक्के छूट जाते हैं। 

#छप्पर फाड़ कर देना (बिना मेहनत के देना) : ईश्वर जब देता है तो छप्पर फाड़ देता है। 

#छाती पर मूंग दलना (पीड़ित करना) :  वह यहीं रहकर तुम्हारी छाती पर मूंग दलता रहेगा।

#छाती पर सांप लोटना (ईर्ष्या करना) : दूसरे की सफलता देखकर ईर्ष्यालु व्यक्ति की छाती पर सांप लोटने लगता है। रीता के गले में हीरों की माला देखते ही कविता की छाती पर सांप लोटने लगा। 

#छींटे कसना : किसी पर छींटे कसना मेरी आदत नहीं। 

#जड़ जमाना : भारत आकर अंग्रेज़ों ने धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमा लीं।

#जलते पर नमक छिड़कना (और अधिक उकसाना) : हमारे कुछ नेताओं से पूछताछ करके संवाददाता जले पर नमक छिड़कने हैं।

#ज़हर उगलना (अनुचित बात बोलना) : (अपमानजनक बातें करना, अनुचित बात बोलना) : तुम बात-बात में ज़हर उगलते हो। वह आया और ज़हर उगलकर चला गया।

#ज़हर का घूँट पीना (अप्रिय बात सुनकर भी चुपचाप रहना, क्रोध रोक कर रह जाना) : मैं उनकी अनुचित बातों का उत्तर देना चाहता था, लेकिन ज़हर का घूँट पीकर रह गया।

#जादू का असर होना (जल्दी प्रभाव होना) : खेत में खाद डालने से पौधों पर जादू का-सा असर होता है।

#जान छिड़कना (प्यार करना) : तुम रवि को ग़लत मत समझो, वह तुम पर जान छिड़कता है।

#जान पर खेलना (अत्यधिक साहस करना) : बच्चे को आग से बचाने के लिए वह जान पर खेल गया। डीएसपी ने जान पर खेलकर डकैतों का सामना किया। 

#जान लड़ा देना (कठिन परिश्रम करना) : रघुनाथ ने परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए जान लड़ा दी है। 

 #जान-बूझकर मक्खी निगलना (समझ-बूझकर ग़लत को स्वीकार करना) : आप लाख सब्ज़-बाग दिखाएं, लेकिन मैं जान-बूझकर मक्खी नहीं निगल सकता। 

#जीती मक्खी निगलना : मैंने अपनी आंखों से सब कुछ देखा है, कोई कि जीती मक्खी नहीं निगल सकता।

#टांग या पांव अड़ाना (अड़ंगा लगाना, विघ्न डालना, अवरोध पैदा करना) : तुम अपना काम करो, दूसरों के मामले में टांग मत अड़ाया करो।

#टेढ़ी खीर (कठिन काम) : उससे पैसा लेना टेढ़ी खीर है।

#टोपी उछालना (इज्जत उतारना) : मेरी टोपी उछालने से भी तुम्हारा काम नहीं बनेगा। 

#टोपी पैरों पर रखना (प्रतिष्ठा बचाने के लिए प्रार्थना करना) : इस आकस्मिक संकट से उबरने का एक ही मार्ग है टोपी भोला बाबू के पैरों पर रखना।

#ठसक दिखाना (अकड़ दिखाना) : मेरे सामने ठसक दिखाना आसान नहीं है। 

#ठेढ़ी खीर (कठिन कार्य) : हिमालय पर चढ़ना सबके लिए टेढ़ी खीर है। 

#ठोकर खाना (ग़लती करना) : जीवन में कभी न कभी हर आदमी ठोकर खाता ही है। 

#डगरे का बैंगन (ढुलमुल विचार वाला आदमी) : उसकी बातों का क्या, वह तो डगरे का बैंगन है।

#डींग हांकना (बढ़-चढ़कर बातें करना) : डींग हांकना भूषण की पुरानी आदत है।

#डूबते को तिनके का सहारा (विपत्ति में थोड़ी मदद को भी बहुत मानना) : डूबते को तिनके का सहारा बहुत है। डूबते हुए व्यक्ति के लिए तिनके का सहारा भी बहुत होता है। 

#डोरे डालना (फंसाना) : तुम लाख डोरे डालो मगर राधा तेरे हाथ नहीं आएगी। 

 #ढेर चावल की खिचड़ी पकाना (अलग विचार रखना) : जब डेढ़ चावल की खिचड़ी पकानी है तो मेरी सहायता की क्या आवश्यकता। 

#तलवा चाटना (ख़ुशामद करना) : चाटुकारों का काम तलवा चाटना ही है।

#तलवे धो-धोकर पीना (ख़ुशामद करना) : चाटुकारों का काम तलवे धो-धोकर पीना है।

#तलवे सहलाना (ख़ुशामद करना) : कुछ लोग मंत्रियों के तलवे सहलाने में ही लगे रहते हैं। चाटुकारों का काम ही तलवे सहलाना है। हरीश के तलवे सहला कर वह लोगों की नज़र में गिर गया। 

#तिल का ताड़ करना (बढ़ा चढ़ाकर कहना) : राम ने रघुनाथ को सिर्फ़ डांटा था, पर रघुनाथ ने तिल का ताड़ बनाकर मां को कह दिया। #काला अक्षर भैंस बराबर (अज्ञानी के पास ज्ञान की बात, मूर्ख के सामने पुस्तक) : मेरे लिए बंगला पुस्तके काला अक्षर भैंस बराबर है। 

#तिल का ताड़ बनाना (बात का बतंगड़ बनाना) : तिल का ताड़ बनाना तुम्हारे हक़ में अच्छा नहीं होगा। 

#तीन-तेरह करना (तितर-बितर करना) : महेश के मरते ही उसके बेटे ने धन-सम्पत्ति को तीन-तेरह कर दिया।

#तीन-तेरह होना (तितर बितर होना) : सैनिकों को देखकर विद्रोही तीन-तेरह हो गए। 

#तूती बोलना (ख़ूब चलती होना, ख़ूब प्रभाव होना) : पूरे ज़िले में उस अफ़सर की ईमानदारी की तूती बोलती है।

#तूती बोलना (प्रभाव जमाना) : आजकल विश्व में धन की ही तूती बोल रही है। 

#थाली का बैंगन (ढुलमुल विचार वाला आदमी) : उसकी बातों का क्या, वह तो थाली का बैंगन है।

#दम मारना (थोड़ा रुक कर) : ठहरो ज़रा दम मारने दो, फिर काम करूंगा। #छाती पर सांप लोटना (ईर्ष्या से जलना): दूसरे की उन्नति को देखकर ईर्ष्यालु व्यक्ति की छाती पर सांप लोटने लगता है। 

#दांत खट्टे करना (बुरी तरह पराजित करना) : भारतीय सैनिकों ने सदा शत्रुओं के दांत खट्टे किए हैं। 

#दांत खट्टे करना : भारतीयों ने अंग्रेज़ों के दांत खट्टे कर दिए। 

#दांत दिखाना (घबरा जाना) : वीर पुरुष कठिनाइयों में भी कुत्ते की तरह दांत नहीं दिखाते हैं। #होश उड़ना (अवाक हो जाना) : जेब से पैसे ग़ायब जानकर उसके होश उड़ गए। 

#दाने-दाने को तरसना (भुखमरी की स्थिति) : काम के अभाव के कारण दिहाड़ी मज़दूर दाने-दाने को तरस गए।

#दाल गलना (मतलब सिद्ध होना) : अब तुम्हारी दाल नहीं गलेगी हमें वास्तविकता मालूम हो गई है। 

#दाल न गलना (किसी मामले में बात न चलना) : इस मामले में उसकी दाल न गली।

#दाल में कुछ काला होना (संदेह की स्थिति होना, संदेह की बात होना) : कुछ दाल में कुछ काला ज़रूर है, नहीं तो वह तुम्हारी इतनी ख़ुशामद क्यों करता।

#दाहिना हाथ (सहायक) : वह मोहन बाबू का दाहिना हाथ है।

#दूज का चांद होना (बहुत दिनों पर भेंट) : अलवर जाने के बाद से ही मदन दूज का चांद हो गया है।

#दूध का दूध पानी का पानी (उचित न्याय) : उस विवादित भूमि का अदालत ने उसके पक्ष में फ़ैसला देकर दूध का दूध पानी का पाानी कर दिया।

#दूध का धोया (निर्दोष, निष्पाप) : तुम कोई दूध के धोए नहीं हो जो तुम्हारी बातों पर विश्वास कर लूं। 

#द्रविड़ प्राणायाम करना (बेकार मेहनत करना) : तुम लाख द्रविड़ प्राणायाम करो, मगर यह समस्या तुमसे नहीं सुलझेगी। 

#धज्जियाँ उड़ाना (ख़ूब मरम्मत करना, दोष दिखाना) : उसने उसकी कविता की धज्जियाँ उड़ा दीं।

#धरती पर पैर न पड़ना (अतिशय प्रसन्नता या घमंड होना) : क्या बात है आज तुम्हारे पैर धरती पर नहीं पड़ रहे हैं। 

#धूप में बाल सफ़ेद करना (अनुभवहीन) : मैंने धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं जो तुम्हारी चिकनी-चुपड़ी बातों में आ जाऊं।

#धूप में बाल सफ़ेद होना (बूढ़ा होने पर भी अनुभवहीन होना, अनुभवहीन रहकर जीवन व्यतीत करना) : उसने धूप में ही अपने बाल सफ़ेद किए हैं। वह सांसारिक ज्ञान से रिक्त ही है।

#धूल फांकना (बेकार भटकना) : यदि तुम अपनी आदतें नहीं बदलोगे तो इसी तरह जीवन भर धूल फांकनी पड़ेगी।

#धूल में मिलाना (नष्ट करना) : रघु को धूल में मिलाना राजू के लिए बाएं हाथ का खेल है। 

#धौंस जमाना (ज़बरदस्ती प्रभाव जमाना) : वह धौंस जमाना चाहता था, लेकिन लोगों ने ऐसी पिटाई की कि लेने के देने पड़ गए।

#धौंस जमाना (रोब दिखाना) : बेकार की धौंस जमाने से कुछ नहीं होगा।

#न घर का न घाट का (कहीं का नहीं) : उसे न तो घर में मेल है और न बाहर में, इसलिए तो वह न घर का है और न घाट का, फिर कैसे जिए। 

#नमक-मिर्च मिलाना (बढ़ा चढ़ा कर कहना) : जब सविता ने नमक-मिर्च लगाकर कहना शुरू किया तो शंभू आग-बबूला हो गया। 

#नमक-मिर्च लगाना (किसी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना) : झूठे लोग किसी बात को नमक-मिर्च लगाकर ही सुनाते हैं।

#नाक कटना (इज़्ज़त जाना, शर्मनाक) : सबके सामने उसके काले कारनामे की पोल खुलते ही उसकी नाक कट गई। कारगिल युद्ध में पराजय से पाकिस्तान की नाक कट गई।

#नाक का बाल होना (अत्यंत प्यारा होना, बहुत प्यारा होना) : लक्ष्मी अपने पिता की नाक का बाल है। मेरा पोता मेरी नाक का बाल है। इन दिनों वह अपने प्रिंसिपल की नाक का बाल बना हुआ है। इकलौता पुत्र अपने मां-बाप की नाक का बाल होता है।

#नाक काटना (अपमानित करना) : सबके सामने उसके काले कारनामों की पोल खोलकर उमेश ने उसकी नाक काट ली।

#नाक काटना (पराजित करना) : लड़ाई में शिवाजी ने मुगलों की नाक काट ली थी। 

#नाक में दम करना/नाकों दम करना (बहुत परेशान  करना) : गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के नाकों दम कर दिया।

#नाक-भौं सिकोड़ना (घृणा करना) : विपन्नों पर नाक-भौं सिकोड़ना मानवोचित कर्म नहीं है। 

#नाकों चने चबवाना (परेशान करना) शिवाजी ने अपनी कूटनीति से औरंगजेब को नाकों चने चबवा दिए।

#नानी मरना (संकट से घबरा जाना) : पुलिस को देखते ही जुआरियों की नानी मर जाती है। 

#निन्यानवे का फेरा (भौतिक वस्तुओं को पाने का चक्कर) : जब निन्यानवे के फेर में पढ़ोगे तो सुख-शांति हवा हो जाएगी।

#नौ दो ग्यारह होना (ग़ायब होना, भाग जाना) : पुलिस को देखकर चोर नौ दो ग्यारह हो गया। 

#नौ-दो ग्यारह होना (भाग जाना) : उचक्का सामान लेकर नौ-दो ग्यारह हो गया। #नाक रखना (इज़्ज़त रखना) : राम ने परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने विद्यालय की नाक रख ली। #सितारा चमकना (भाग्योदय होना) : लॉटरी मिलते ही उसका सितारा चमक उठा। 

#नौ-दो ग्यारह होना (भाग जाना) : पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।

#पगड़ी उछालना (हँसी उड़ाना) : उसने भरी सभा में मेरी पगड़ी उछाली।

#पट्टी पढ़ाना (गलत बातों की शिक्षा) : मेरे बेटे को पट्टी पढ़ाना बंद करो अन्यथा हाथ-पांव तोड़ कर बेकार कर दूंगा। सुजान घनानंद को पट्टी पढ़ाती है।

#पत्थर पर दूब जमना (असंभव काम होना) : अपनी खोई बेटी का अन्वेषण कर उसने मानो पत्थर पर दूब जमा दिया। किशोर का अंग्रेज़ी सीखना पत्थर पर दूब जमने के समान है।

#पहाड़ टूट पड़ना : पति की मृत्यु क्या हुई, पत्नी पर मानो पहाड़ टूट पड़ा। 

 #पांचवा सवार बनना (अयोग्य का योग्य के साथ होना) : इस पुस्तक को लिखकर पांचवा सवार बनने की मेरी इच्छा क़तई नहीं है। 

#पांव उखड़ना (पराजित होना) : आम चुनाव में कई दिग्गजों के पांव उखड़ गए।

#पांव उखड़ना (हार जाना) : जीयो या मरो की भावना से जब सैनिकों ने लड़ना प्रारंभ किया तो दुश्मनों के पांव उखड़ गए। 

#पानी उतरना (इज़्ज़त लेना) : भरी सभा में द्रौपदी का पानी उतारा गया।

#पानी फिर जाना (व्यर्थ जाना) : बाढ़ आ जाने पर किसानों के सारे किए-कराए पर पानी फिर जाता है। 

#पानी-पानी होना (लज्जित होना) : कलई खुल जाने पर आदमी पानी-पानी हो जाता है। 

#पानी-पानी होना (लज्जित होना) : सबके सामने उसके काले कारनामों की पोल खुलते ही वह पानी-पानी हो गया।

#पापड़ बेलना (कष्ट झेलना) : आजकल नौकरी के लिए काफ़ी पापड़ झेलना पड़ता है।

#पापड़ बेलना : उसने जीवन में कितने पापड़ बेले हैं, किसी को नहीं मालूम।

#पिल पड़ना (टूट पड़ना) : देखते ही देखते सभी बच्चे भोजन पर पिल पड़े। 

#पीछा छुड़ाना (मुक्ति पाना) : उस दुष्ट से पीछा छुड़ाने का़ मार्ग समझ में नहीं आता।

#पीछे पड़ना (तंग करना, लगा रहना) : मेरे पीछे पड़ने का अंजाम बहुत बुरा होगा। कुछ भिखारी हम लोगों के पीछे पड़ जाते हैं। 

#पीठ दिखाना (मैदान छोड़कर भाग जाना) : भारतीय सैनिकों ने कभी भी पीठ दिखाना नहीं सीखा है। 

#पेट काटना (अपने भोजन तक में बचत) : अपना पेट काटकर मैं तुम्हें पढ़ा रहा हूँ।

#पेट में आग लगना (बहुत तेज़ भूख लगना) : मेरे पेट में आग लगी है, पेट-पूजा के बाद ही कुछ करूँगा।

#पेट में चूहे कूदना (भूख लग जाना) : चार बजते ही बच्चों के पेट में चूहे कूदने लगते हैं। 

#पेट में चूहे कूदना/पेट में चूहे दौड़ना (बहुत भूख लगना) : जब पेट में चूहे कूदने लगते हैं तो कोई काम अच्छा नहीं लगता। मां! जल्दी भोजन लाओ, मेरे पेट में चूहे कूदते हैं।

#पौ बारह होना ( लाभ ही लाभ ) : आजकल सरकारी ठेकेदारों का पौ बारह है। आजकल तो आपके पौ बारह हैं।

#पौ-बारह होना (लाभ ही लाभ) : अत्यधिक मूल्य बढ़ जाने के कारण व्यापारियों की पौ-बारह है। 

#फूंक-फूंक कर पैर रखना (सावधानी बरतना) : काम जोखिम का है, फूंक-फूंक कर पैर रखना होगा। 

#फूला न समाना (बहुत ख़ुश होना) : अपनी जीत पर वह फूला न समा रहा है।

#फूला नही समाना : अख़बार में अपनी सफलता का समाचार पढ़कर राजीव फूला न समाया। 

#बहती गंगा में हाथ धोना (अवसर से लाभ उठाना, अच्छा अवसर देखकर लाभ उठाना) : होशियार सदा बहती गंगा में हाथ धोते हैं। नक़ल की बहती गंगा में हाथ धोने से अच्छे छात्र भी अपने को रोक नहीं पाते। 

#बाँछें खिलना (अत्यंत प्रसन्न होना) : पास होने की ख़बर सुनते ही उसकी बाँछें खिल उठीं।

#बांछें खिलना (अत्यधिक प्रसन्न होना) प्रतियोगिता परीक्षा में पुत्र की सफलता की सूचना पाकर पिता की बांछें खिल उठीं। 

#बाज़ार गर्म होना (महंगाई) : आजकल चीनी का बाज़ार गर्म है। 

#बात का बतंगड़ बनाना (बात को तूल देना) :  कुछ लोग बात का बतंगड़ बना देते हैं।

#बाल की खाल खींचना (फालतू बहस करना) : श्याम हर बात में बाल की खाल खींचा करता है। 

#बाल बांका न होना (कुछ नहीं बिगड़ना, कोई हानि न होना, सुरक्षित रह जाना) : लाख कोशिश के बावजूद उससे मोहन का बाल बांका न हुआ। मैं तो विपत्ति में पड़ गया था लेकिन ईश्वर की कृपा से मेरा बाल भी बांका नहीं हुआ। कुएं में गिर जाने पर भी उसका बाल बांका नहीं हुआ।

#बालू से तेल निकालना (कठिन कार्य करना) : इस योजना से लाभ प्राप्त करना बालू से तेल निकालने के बराबर है।

#बिजली की तरह टूट पड़ना (तेज़ी से आक्रमण करना)  : चीनी सेना पर हमारे सैनिक बिजली की तरह चूच पड़े।

#बिजली की तरह टूट पड़ना (तेजी से आक्रमण करना) : भारतीय सेना चीनी सेना पर बिजली की तरह टूट पड़ी।

#बीड़ा उठाना (ज़िम्मेदारी लेना) : भारत को आज़ाद कराने का गाँधीजी ने बीड़ा उठाया था।

#बेपेंदी का लोटा (अनिश्चित विचार वाला आदमी) : कुछ नेता बेपेंदी का लोटा हैं, सुबह इस पार्टी में तो शाम को उस पार्टी में।

#भंडा फूटना (भेद खुलना) : आज उसके कुकर्मों का भंडा फूट ही गया।

#भंवरा बना फिरना (लट्टू होना, रस-लोलुप होना) : श्याम राधा के पीछे भंवरा बना फिरता है।

#भभूत रमाना (साधु हो जाना) : इस दुनिया से निराश होकर उसने भभूत रमा लिया है।

#भर नज़र देखना (अच्छी तरह देखना) : इसे भर नज़र देख लो, पता नहीं यह यहाँ कब आए या न आए।

#भरी थाली में लात मारना (लाभ के काम को ठुकराना) : अच्छी-ख़ासी नौकरी थी, वह भरी थाली में लात मारकर चला गया।

#भांड़ में झोंकना (नष्ट करना) : उसने सारे काग़ज़ातों को भांड़ में झोंक दिया।

#भाग्य खुलना/तक़दीर खुलना (भाग्योदय होना) : यह नौकरी उसे क्या मिली, उसके तो भाग्य ही खुल गए।

 #भाग्य फूटना (बुरे दिन आना) : कोरोना में उसके पति की मृत्यु से उसके भाग्य ही फूट गए।

#भाड़ झोंकना (व्यर्थ समय बर्बाद करना) : आजकल कोई काम हाथ में नहीं रहने के कारण वह भाड़ झोंक रहा है।

#भाड़े का टट्टू (पैसे का ग़ुलाम) : वह तो भाड़े का टट्टू है, जिसका खाएगा उसी का गाएगा।

#भानुमती का पिटारा (बिना मतलब की वस्तु) : मेरा यह थैला भानुमती का पिटारा नहीं, इसमें बहुत-सी उपयोगी वस्तुएं हैं। 

#भीगी बिल्ली (भयभीत) : घर में दहाड़ते हो और ऑफिस में  बॉस के सामने भीगी बिल्ली बने रहते हो। 

#भीगी बिल्ली बनना (भयभीत होना, डर से दबना, भय या आशंका से दुबकना) : सोहन शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली बन कर गिड़गिड़ाने लगता है। अमर शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है।

#भीष्म प्रतिज्ञा करना (दृढ़ निश्चय करना) : उसने भीष्म प्रतिज्ञा कर रखी है कि वह संघ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा पास करके ही दम लेगा।

#भुजा उठाकर कहना (प्रतिज्ञा करना) : परीक्षा देने जाते समय उसने निश्चित सफलता के लिए भुजा उठाकर कहा।

#भूंजी भांग न होना (दरिद्र होना, पूंजी न होना) : मोहन के घर भूंजी भांग नहीं है और वह बड़ा-बड़ी बातें करता है। उसके घर में भूंजी भांग नहीं है, पर बाहर निकलते ही डकार लेने लगता है। 

#भूत चढ़ना या सवार होना (सनक सवार होना) : मेरे ऊपर भूत सवार हो गया है,  इसलिए मैं यह काम करूंगा ही।

#भूत बनकर लगना (पीछा न छोड़ना) : नौकरी पाने के लिए वह भूत बनतर अफ़सर के पीछे लगा हुआ है।

#भृकुटी टेढ़ करना (नाराज़ होना) : अपनी बेटी की शिकायत सुनते ही उसने भृकुटी टेढ़ी कर ली।

#भैंस के आगे बिन बजाना (मूर्ख के आगे समझदारी की बात करना, मूर्ख को ज्ञान की बात समझाना) : उस अनपढ़-गंवार को कंप्यूटर की शिक्षा देना, भैंस के आगे बिन बजाना है। कंजूसों से दान मांगना भैंस के आगे बीन बजाने के समान है।

#मक्खी मारना (बेकार बैठे रहना) : पढ़-लिख कर भी वह आज मक्खी ही मार रहा है। 

#मक्खी मारना (बेकार होना) : कमज़ोर लोग दिनभर मक्खी मारते रहते हैं। 

#मन चंगा तो कठौती में गंगा (आंतरिक शुद्धि ही  सर्वशुद्धि) : वह पूजा-पाठ पर ज़ोर नहीं देता है। वह कहता है : मन चंगा तो कठौती में गंगा ।

#मन में बसना (प्रिय लगना) : उसकी भोली सूरत मेरे मन में बस गई है।

#मिट्टी पलीद करना (दुर्दशा करना) : उसने सबके सामने हीरा बाबू की पोल खोल कर उनकी मिट्टी पलीद कर दी। 

#मीठा मीठा गप्प (चिकनी-चुपड़ी बातें) : महेश को मीठे-मीठे गप्प के जाल में फँसाकर उसने अपना उल्लू सीधा कर लिया।

#मुँह की खाना (पहल करके हार जाना) : भारत-चीन झड़प में चीन को मुँह की खानी पड़ी।

#मुँह छिपाना (लज्जावश सामने न आना, कतराना) : तुम मुझसे मुँ क्यों छिपाते हो?

#मुँह जोहना (किसी का आसरा जोहना ) : मेहनती आदमी किसी का मुँह नहीं जोहता।

#मुँह ताकना (किसी का आसरा जोहना) : मेहनती आदमी किसी का मुँह नहीं ताकता।

#मुँह धो रखना (आशा न रखना) : यह चीज़ तुम्हें मिलने की नहीं, मुँह धो रखो।

#मुँह में पानी आना (लालच होना) : मिठाई देखते ही महेश के मुँह में पानी आ गया।

#मुँह में पानी भरना (लालच होना) : मिठाई देखते ही रमेश के मुँह में पानी भर आया।

#मुंह में कालिख लगाना (बेइज़्ज़त करनाप्रतिष्ठित करना) : तुमने अपने कर्मों से अपने परिवार के मुंह में कालिख लगा दी। 

#मुंह में राम बग़ल में छुरी (पीठ पीछे बुराई, कपटी व्यक्ति): आजकल के नेता मुंह में राम और बग़ल में छुरी रखने वाले होते हैं।

#मेंढकी को ज़ुकाम होना (बड़ों की बराबरी करना) : ज़माना ही ऐसा आ गया है कि लोगों को भी ज़ुकाम होने लगा है। 

#मैदान मारना (विजय प्राप्त करना) : उसने आज कुश्ती में मैदान मार लिया।

#मौत से खेलना (ख़तरा मोल लेना) : हटो, बचो मौत से क्यों खेलते हो?

#रंग उतरना (फीका होना) : सज़ा सुनते ही अपराधी के चेहरे का रंग उतर गया।

#रंग जमना (धाक जमना) : खेल में तुमने तो रंग जमा लिया।

#रंग लाना (रौनक़ बढ़ाना) : तुम्हारे गीतों ने आज महफ़िल में रंग ला दिया।

#रंग लाना (सुधार होना) : धीरे-धीरे सरकार की नीति रंग ला रही है। 

#रंगा सियार होना (धूर्त होना, अन्दर कुछ, बाहर कुछ) : वह रंगा सियार है, अपनी बात से कब पलट जाएगा, कुछ कहना मुश्किल है।

#रफूचक्कर होना (भाग जाना) जेबकतरा पुलिस को देखते ही रफूचक्कर हो गया। 

#राई का पर्वत बनाना (छोटी बात को बड़ा कर कहना) : कुछ लोग राई को पर्वत बनाने की कला में प्रवीण होते हैं। 

#रास्ते पर आना (सुधर जाना) : मेरा बेटा रास्ते पर नहीं आ सका।

#लकीर का फ़कीर (पुरानी रीतियों पर आँख मूँदकर चलनेवाला, पुराणपंथी ही रहना) : ज़माने के साथ बदलना चाहिए, पर वह तो लकीर का फ़कीर ही है।

#लहू का घूंट पीकर रह जाना (क्रोध को दबा जाना) परिस्थिति की नज़ाकत समझ कर शेरा लहू का घूंट पीकर रह गया। 

#लुटिया डुबोना (बर्बाद करना) : नौकरशाहों ने इस राज्य की कल्याणकारी योजनाओं की लुटिया डुबो दी।

#लेने के देने पड़ना (लाभ के बदले हानि) : मदन ने व्यापार में अच्छी-ख़ासी राशि निवेश की थी, लेकिन काफ़ी घाटा लगा। उसे लेने के देने पड़े।

#लोहा मानना (श्रेष्ठ समझना) : चीनी सेना भारतीय जवानों का लोहा मानती है।

#लोहा मानना : लोगों ने बाजपेयी जी का लोहा मान लिया। 

#लोहा लेना (युद्ध करना) : महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के मैदान में मुग़लों से डटकर लोहा लिया था। 

#लोहे का चना चबाना (कठिन परिश्रम करना, बहुत कठिनाइयां झेलना, श्रम-साध्य कार्य करना) : तरक़्क़ी के लिए लोहे के चने चबाने पड़ते हैं।  राम के लिए अंग्रेज़ी सीखना लोहे के चने चबाने के समान है। भारतीय सेना के सामने चीनी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।

#वीर गति को प्राप्त होना (शहीद होना) : भारत-चीन झड़प में बीस भारतीय जवान वीर गति को प्राप्त हुए।

#शिकार करना (इच्छा-पूर्ति) : उसने उसका शिकार कर लिया।

#शिकार होना (भुक्त भोगी होना) : वह भी कोरोना का शिकार हो गया।

#श्री गणेश करना (आरंभ करना) : शुभ मुहूर्त के किसी कार्य का श्रीगणेश करना सदा लाभदायक होता है। 

#श्री गणेश करना (काम प्रारंभ करना) : उसने कल ही अपने व्यापार का श्रीगणेश किया है। आज मैं निबंध-लेखन का श्रीगणेश करूँगा।

#सफ़ेद झूठ (नितान्त असत्य, सरासर झूठ) : यह सफ़ेद झूठ है कि वह इस कालजयी कृति का अनुवादक है।

#सब्ज़-बाग़ दिखाना (झूठ बोलकर ठगना, बड़ी बड़ी आशाएं दिखाना) : उसने तो मुझे सब्ज़-बाग़ दिखाकर मेरे काफ़ी पैसे ठग लिए।

#सर करना (काम पूरा कर लेना, जीत लेना) : उसने अपना अभियान सर कर लिया।

#सांप सूंघ जाना (डर जाना) : उस भयंकर जंतु को देखते ही सबको सांप सूंघ गया। 

#सिक्का जमाना (प्रभाव डालना) : वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करके मदन ने विद्यालय में अपना सिक्का जमा लिया। 

#सिर आँखों पर होना (सहर्ष स्वीकार करना): पुत्र ने पिता से कहा कि आपकी आज्ञा सिर आँखों पर।

#सिर उठाना (विरोध करना) : पाकिस्तान भारत की कश्मीर नीति के विरुद्ध अभी भी सिर उठा रहा है।

#सिर उठाना (विरोध में खड़ा होना, मुख़ालफ़त करना) : जनता भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ सिर उठाने लगी है।

#सिर खाना (परेशान करना, तंग करना) : बकबक करके मेरा सिर मत खाओ।

#सिर खुजलाना (बहाना करना) : सिर न खुजलाओ, देना है तो जल्दी दो।

#सिर गंजा कर देना (ख़ूब पीटना) : भागो यहाँ से, नहीं तो सिर गंजा कर दिया जाएगा।

#सिर चढ़कर बोलना (पोल खुलना) : ख़ुनी का अपराध सिर चढ़कर बोलता है। 

#सिर चढ़ाना (अधिक प्यार से बिगाड़ देना) : बच्चों को अधिक सिर चढ़ाना अच्छा नहीं होता। 

#सिर चढ़ाना (शोख़ बनाना) : बच्चे को सिर चढ़ाना ठीक नहीं।

#सिर धुनना (पछताना, नाराज़गी प्रकट करना) : बेटे की आपत्तिजनक बात पर माँ सिर धुनने लगी। अपनी ग़लती पर तुम सिर घुनने के सिवा और कर ही क्या सकते हो

#सिर नीचा होना (लज्जित होना) : पुत्र की करनी से समाज में पिता का सिर नीचा हो गया। 

#सिर पर आ जाना (बहुत नज़दीक होना) : परीक्षा सिर पर आ गई है।

#सिर पर कफ़न बांधना (जान की परवाह न करना) : मैं तो अपने सिर पर कफ़न बांध कर देश की सुरक्षा के लिए निकला हूं।

#सिर पर पांव रखकर भागना (तेजी से भागना) : पागल हाथी की चिंघाड़ सुनते ही वनरक्षक सिर पर पैर रखकर भाग चला। 

#सिर फिर जाना (पागल होना) : दौलत मिलते ही उसका सिर फिर गया।

#सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना (आरंभ में ही बूरे दिन देखना) : घर से निकलते ही उसकी गाड़ी ख़राब हो गई मानो सिर मुड़ाते ही ओले पड़े। 

#सिर-आंखों पर बिठाना (सम्मान देना) : हम अपने आदरणीय अतिथि को सिर-आंखों पर बिठाना जानते हैं। 

#सुबह का चिराग़ (मरनासन्न व्यक्ति, अंतिम अवस्था) : वह बहुत दिनों से बीमार है। उसे सुबह का चिराग़ ही समझो। भूमिपतियों के लिए ज़मीन अब सुबह के चिराग़ के समान है। 

#सुर्खाब के पर लगना () : क्या श्याम के सुर्खाब के पर लगे हैं, जो तुम दिन-रात उसकी तारीफ़ करते रहते हो?

#सोने में सुगंध होना (गुण ही गुण) : धन के साथ विद्वता सोने में सुगंध के समान है। 

#सोने में सोहागा (बहुत अच्छी चीज़ में और अच्छे गुण प्राप्त होना) : वह रूपवान ही नहीं, गुणवान भी है। सोने में सुहागा।

#सौ बात की एक बात (ठीक और सारभूत बात) : यह है कि वह इस कालजयी कृति का अनुवादक नहीं है।

#हजामत बनाना (मूर्ख बनाना) : क्यों आज कोई नहीं मिला जो मेरी ही हजामत बनाने पर तुले हो।

#हथियार डाल देना (पराजित हो जाना) : भूखी सेना ने हथियार डाल दिया।

#हथियार डाल देना (हार मान लेना) : 1971 ईस्वी में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में पाकिस्तान ने भारत के सामने हथियार डाल दिए।

#हथेली पर सरसों जमाना (असंभव को संभव कर दिखाना) : मानव ने चांद पर चढ़कर मानो हथेली पर सरसों जमा दिया। 

#हवा खाना (शुद्ध हवा का सेवन करना या व्यर्थ होना) : सुबह-शाम ताज़ा हवा खाना चाहिए।

#हवा में उड़ना (केवल कल्पना करना) : काम नहीं करने पर केवल हवा में उड़ने से सफलता नहीं मिल सकती है। 

#हवा से बातें करना (तेज़गामी) : बाबा भारती का घोड़ा हवा से बातें करता था। 

#हाथ का मैल (तुच्छ वस्तु) : पैसा तो हाथ का मैल है। 

#हाथ खींच लेना (किसी काम से अपने आपको हटा लेना, अलग होना) : मैंने इस काम से हाथ खींच लिया है।

#हाथ छोड़ना (मारना पीटना) : किसी पर शीघ्रता में हाथ नहीं छोड़ना चाहिए।

#हाथ देना (सहायता करना) : आपके हाथ दिए बिकिसना यह काम न होगा।

#हाथ धोकर पीछे पड़ना (बुरी तरह पीछे पड़ना) : आजकल वह हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ा है। 

#हाथ पसारना (मांगना) : मैं दूसरों के आगे हाथ नहीं पसारता। 

#हाथ बँटाना (सहयोग देना)  : काम में अपने बड़े भाई का हाथ बँटाओ।

#हाथ मलना (पछताना) : अब हाथ मलने से क्या लाभ? तुम्हें पहले ही सावधान हो जाना चाहिए था। 

#हाथ मलना (पछताना) : समय बीत जाने पर हाथ मलते रह जाना पड़ता है। समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ?

#हाथ मारना (उड़ा देना) : देखते ही देखते उसने मेरा बैग उड़ा दिया।

#हाथ लगाना (सहायता करना) : आपके हाथ लगाए बिना यह काम न होगा।

#हाथ साफ़ करना (चुरा लेना) : आज किसी ने मेरे पर्स पर हाथ साफ़ कर दिया। 

#हाथ साफ़ करना (पॉकेटमारी करना) : मेले में जेबकतरे अपना हाथ साफ़ कर लेते हैं। 

#हाथ-पांव फूलना (बहुत डर जाना) : वह उत्साह से नदी में नहाने उतरा, लेकिन दूर से आते हैं मगरमच्छ को देख कर उसके हाथ पांव फूल गए। 

#हाथ-पैर मारना (काफ़ी प्रयत्न करना) : वह नौकरी पाने के लिए काफ़ हाथ-पैर मार रहा है।

#हाथों-हाथ (जल्दी में, शीघ्र) : यह किताब हाथों-हाथ बिक गई। यह काम हाथों-हाथ निपटा लो।

#हामी भरना (स्वीकृति प्रदान करना) : उसने मेरे साथ चलने को हामी भर दी।

#हिरन होना (भाग जाना) : शिक्षक को देखते ही बच्चे हिरन हो गए। 

#होनहार बिरवान के होत चीकने पात (बड़े लोगों के लक्षण उनके बचपन से ही झलकने लगते हैं) : महादेवी वर्मा छात्र-जीवन से ही कविता लिखने लगी थीं, आगे चलकर वह हिंदी की बड़ी कवयित्री बनी। होनहार बिरवान के होत चीकने पात।

 

 

 

#बांछें खिलना 

#एक एक ग्यारह होना #जीवनदान देना 

#भानुमती का पिटारा 

#पिल पड़ना 

#खिलखिला पड़ना 

#जी नहीं भरना 

#सिर चढ़ाना 

#बात चलाना 

#नाक का बाल होना 

#मैदान मारना 

#रंग लाना 

#पीठ ठोंकना 

#भाड़े का टट्टू 

#कान भरना 

#आस्तीन का सांप 

#ईंट से ई़ट बजाना 

#बाज़ार गर्म होना 

#हाथ मलना 

#पौ बारह होना 

#जूते चाटना 

#गाल बजाना 

#नाक कट जाना 

#आंखें फेर लेना 

#नौ-दो ग्यारह होना 

#बरस पड़ना 

#लकीर का फ़कीर होना

 #हाथ मलना

#लोहा मानना 

#नाक रगड़ना 

#दांत काटी रोटी 

#काध देना 

#अंक भरना 

#कान में तेल डाल कर बैठना 

#कलेजे पर सांप लोटना

#छाती पीटना 

#दांत खट्टे करना 

#मक्खी मारना 

#कान काटना 

#आंसू पोंछना 

#अपने पैरों पर खड़ा होना  #अब-तब करना 

#कान खोलना 

#बात का धनी होना 

#ईमान बेचना 

#चादर तान कर सोना 

#जोड़-तोड़ करना 

#राई का पहाड़ बनाना 

#एक आंख से देखना 

#घोड़े बेचकर सोना 

#पहाड़ टूट पड़ना 

#सिर चढ़ाना 

#एक पंथ दो काज का अर्थ है : अनेक कार्य होना क्या करें क्या न करें एक साथ दो-दो काम इसमें इनमें से कोई नहीं

#टांग अड़ाना मुहावरे का सही अर्थ है : काम में मदद करना काम में बाधा डालना धोखा देना इसमें इनमें कोई नहीं 

#एक पंथ दो काज का अर्थ है : अनेक कार्य करना क्या करें क्या ना करें सोचना एक साथ दो लाभ होना एक साथ दो पद प्राप्त होना #उल्लू सीधा करना मुहावरे का सही अर्थ है : दूर तथा करना खुशामद करना उल्लू पालना अपना काम निकालना 

#वचन देना मुहावरे का सही अर्थ है : जवाब देना कठिन परिश्रम वादा करना इनमें से कोई नहीं 

#सिर फिरना मुहावरे का सही अर्थ क्या होगा ? सिर उलट जाना पागल होना सिर में दर्द होना सिर में चोट लगना रास न आना मतलब का मतलब है स्वादिष्ट ना लगना पकड़ में ना आना अच्छी तरह नहीं लगना अच्छा नहीं लगना गीत गाना नाना 

#अपने पांव पर खड़े होने का अर्थ है : स्वाबलंबी होना चलना दौड़ना लंबा होना #सागर में सागर भरना मुहावरे का अर्थ है थोड़े में बहुत कहना असंभव कार्य चमत्कार उत्पन्न करना अधिक सुनाना 

#एक आंख से देखना मुहावरे का अर्थ है : एक समान मानना कट्टर होना होना एक विचार से तुलना एक विचारधारा से सोना कान पकड़ना मुंह फिर जाना सिर चढ़ाना आंख मारना खून खोलना गाल बजाना आंखों का तारा दम मारना नौ दो ग्यारह अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना अपना हाथ जगन्नाथ नौ दो ग्यारह होना कमर सूचना हाथ बटाना 

#श्री गणेश करना का सही अर्थ है :

गणेश जी को प्रणाम करना आदर देना कार्य आरंभ करना कार्य समाप्त करना 

#आस्तीन का सांप होना का सही अर्थ क्या है : कपड़े के अंदर सांप कपटी मित्र विषधर सांप प्रिय मित्र #आग में घी डालना का सही अर्थ होगा :

आप को तेज करना हवन करना आग जलाना क्रोध भड़काना #नाकों चने चबवाना का सही अर्थ है :

अधिक परेशान करना नाक में चने दाल ना नाक में चने घुस जाना नाक से चने सुनना 

#आंख खुलना का सही अर्थ क्या है : 

आंख में दवा डालना आंख का रोग ज्ञान होना नींद ना आना

#उल्टी गंगा बहाना का सही अर्थ है :

गंगा की धारा और ना प्रतिकूल कार्य करना गंगा से नहर निकालना गंगा के निकट होना 

#नौ-दो ग्यारह होना का सही अर्थ है :

भाग जाना हिसाब बनाना 929 में दो जोड़ना गिनती करना 

#तलवे सहलाना का सही अर्थ क्या है :

तलवे में छाले पड़ना तलवे में खुजली होना तलवे में चोट लगना खुशामद करना 

#घी के दीए जलाना का सही अर्थ होगा :

खुशी मनाना प्रकाश करना किए में घी डालना पूजा करना 

#दांत खट्टे करना का सही अर्थ क्या है :

दांत में नींबू मलना दांत का रोग होता बुरी तरह पराजित करना दांत तोड़ना

 

#किन्हीं पांच मुहावरों के अर्थ वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें।

(क) टांग या पांव अड़ाना (अड़ंगा लगाना, विघ्न डालना, अवरोध पैदा करना) : तुम अपना काम करो, दूसरों के मामले में टांग मत अड़ाया करो।

(ख) तूती बोलना (ख़ूब चलती होना, ख़ूब प्रभाव होना) : पूरे ज़िले में उस अफ़सर की ईमानदारी की तूती बोलती है।

(ग) धूप में बाल सफ़ेद होना (बूढ़ा होने पर भी अनुभवहीन होना, अनुभवहीन रहकर जीवन व्यतीत करना) : उसने धूप में ही अपने बाल सफ़ेद किए हैं। वह सांसारिक ज्ञान से रिक्त ही है।

(घ) बहती गंगा में हाथ धोना (अच्छा अवसर देखकर लाभ उठाना) : होशियार सदा बहती गंगा में हाथ धोते हैं।

(ड.) पौ बारह होना (लाभ ही लाभ) : आजकल सरकारी अफ़सरों के पौ बारह हैं।

(च) बाल बांका न होना (कुछ नहीं बिगड़ना) : लाख कोशिश के बावजूद उससे मोहन का बाल बांका न हुआ।

(छ) सिर खाना (परेशान करना, तंग करना) बकबक करके मेरा सिर मत खाओ।

 

 

#वाक्य-प्रयोग द्वारा निम्नलिखित मुहावरों एवं लोकोक्तियों के अर्थ स्पष्ट कीजिए :

(1)        बांछें खिलना, एक-एक ग्यारह होना, जीवनदान देना, भानुमती का पिटारा, पिल पड़ना, खिलखिला पड़ना, जी नहीं भरना।

(2)        बाज़ार गर्म होना, हाथ मलना, पौ बारह होना, जूते चाटना, गाल बजाना, सिर चढ़ाना, बात चलाना, नाक का बाल होना, मैदान मारना, रंग लागा, अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना, अपना हाथ जगन्नाथ।

(3)        पीछ छोंकना, भाड़े का टट्टू, कान खोलना, कान भरना, आस्तीन का सांप, ईंट से ईंट बजाना, लकीर का फ़कीर होना, बरस पड़ना, नौ-दो ग्यारह होना, आंखें फेर लेना, नाक कट जाना।

(4)        अंक भरना, कान देना, कान काटना, कान में तेल डालकर बैठना, कलेजे पर सांप लोटना, छाती पीटना, दांत काटी रोटी, दांत काटी रोटी, लोहा मानना, नाक रगड़ना।

(5)        मक्खी मारना, आंसू पोंछना, अपने पैरों पर खड़ा होना, अब तब करना, पौ बारह होना, बात का धनी होना, ईमान बेचना, चादर तानकर सोना, जोड़-तोड़ करना, राई का पहाड़ बनाना, एक आंख से देखना, घोड़े बेचकर सोना, पहाड़ टूट पड़ना, सिर चढ़ाना।

(6)        एक पंथ दो काज का अर्थ है :

(1)        अनेक कार्य करना (2) एक साथ दो-दो काम (3) क्या करे क्या न करे (4) इनमें कोई नहीं।

(7)        एक पंथ