सिद्धों की संख्या 84 है। इन्होंने बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा के
प्रचार-प्रसार के लिए ग्रंथ लिखे।
प्रमुख सिद्ध एवं उनकी रचनाएँ
1.
सरहपा (769 ई.) : दोहाकोश, उपदेश गीति, द्वादशोपदेश, डाकिनीगुहयावज्रगीति, चर्यागीति, चित्तकोष अजव्रज गीति । इनके कुल 32 ग्रंथ
हैं।
2.
शबरपा (780 ई.) : चर्यापद, सितकुरु, वज्रयोगिनी, आराधन-विधि ।
3.
भूसुकपा (नवीं सदी)
4.
लुइपा (830
ई., शबरपा के शिष्य) : अभिसमयविभगं, तत्वस्वभाव दोहाकोष, बुद्धोदय, भगवदअमभिसय, लुइपा-गीतिका ।
5.
विरूपा (9वीं सदी)
6.
डोभ्भिपा (840 ई.) : योगचर्या, अक्षरद्विकोपदेश, डोंबि गीतिका, नाड़ीविंदुद्वारियोगचर्या । इनके कुल 21 ग्रंथ हैं ।
7.
दारिकपा (9वीं सदी) तथतादृष्टि, सप्तमसिद्धांत, ओड्डियान विनिर्गत-महागयह्यातत्वोपदेश
8.
गंडरिपा (9वीं सदी)
9.
कुकुरिपा (9वीं सदी)
10.
कमरिपा (9वीं सदी)
11.
कण्हपा (820 ई., जालन्धरपा के शिष्य) : योगरत्नमाला, असबधदृष्टि, वज्रगीति, दोहाकोष, बसंत तिलक, कान्हपाद गीतिका ।
12.
गोरक्षपा (9वीं सदी)
13.
तिलोपा (9वीं सदी)
14.
शांतिपा : सुख दुख द्वयपरित्याग ।
15.
तंतिपा : चतुर्योगभावना ।
16.
विरूपा : अमृतसिद्ध, विरुपगीतिका, मार्गफलान्विताव वादक ।
17.
भुसुकपा : बोधिचर्यावतार, शिक्षा-समुच्चय ।
18.
वीणापा : वज्रडाकिनी निष्पन्नक्रम ।
19.
कुकुरिपा : तत्वसुखभावनासारियोगभवनोपदेश, स्रवपरिच्छेदन ।
20.
मीनपा : बाहयतरंबोधिचितबंधोपदेश ।
21.
महीपा : वायुतत्व, दोहा गीतिका ।
22.
कंबलपाद : असबध दृष्टि, कंबलगीतिका ।
23.
नारोपा : नाडपंडित गीतिका, वज्रगीति, ।
24.
गोरीपा : गोरखवाणी, पद-शिष्य दर्शन
25.
आदिनाथ : विमुक्त मर्जरीगीत, हुंकारचित बिंदु भावना क्रम ।
26.
तिलोपा : करुणा भावनाधिष्ठान, महा भद्रोपदेश ।
नाथ-साहित्य
सिद्धों की योग-साधना नारी भोग पर आधारित थी । इसकी प्रतिक्रिया में नाथ-धारा
का आविर्भाव माना जाता है । यह हठयोग पर आधारित मत है । आगे चलकर यह साधना रहस्यवाद के रूप में
प्रतिफलित हुई और नाथपंथ से ही भक्तिकाल के संतमत का विकास हुआ ।
आदिकाल की नाथ धारा के कवि और
उनकी रचनाएँ
इस धारा के प्रवर्त्तक गोरखनाथ हैं । नाथों की संख्या नौ होने के कारण
ये नवनाथ कहलाए। इन नवनाथों की रचनाएँ निम्नलिखित हैं :-
1. गोरखनाथ : पंचमासा, आत्मबोध, विराटपुराण, नरवैबोध, ज्ञानतिलक, सप्तवार, गोरखगणेश संवाद, सबदी, योगेश्वरी, साखी, गोरखसार, गोरखवाणी, पद शिष्या दर्शन (इनके 14 काव्यग्रंथ मिलते हैं ) । डॉ पीताम्बर बड़थ्वाल ने गोरखबानी नाम
से इनकी रचनाओं का एक संकलन संपादित किया है ।
2. मत्स्येन्द्र या मच्छन्द्रनाथ : कौलज्ञान निर्णय, कुलानंदज्ञान-कारिका, अकुल-वीरतंत्र।
3. जालंधर नाथ : विमुक्तमंजरी गीत, हुंकारचित बिंदु भावना क्रम ।
4. चर्पटनाथ : चतुर्भवाभिवासन
5. चौरंगीनाथ : प्राण संकली, वायुतत्वभावनोपदेश
6. गोपीचंद : सबदी
7. भर्तृनाथ (भरथरीनाथ) : वैराग्य शतक
8. ज्वालेन्द्रनाथ : अप्राप्य
9. गाहिणी नाथ : अप्राप्य
जैन धारा के कवि और उनकी रचनाएँ :
1.
स्वयम्भू (8वीं सदी) : 1.पउम चरिउ (रामकाव्य), 2. रिट्ठणेमि चरिउ, 3.पचाम चरिउ, 4. स्वयम्भू छंद। पउम चरिउ (रामकाव्य)
के कारण स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि कहा जाता है।
2.
पुष्पदंत (10वीं सदी) : महापुराण, णायकुमार चरिउ, जसहर चरिउ, कोश ग्रंथ। महापुराण में इन्होंने कृष्णलीला का वर्णन किया
है, इसलिए अपभ्रंश का व्यास कहा जाता है।
3.
धनपाल (10वीं
सदी) : भविस्यत्तकहा (एक बनिए की कहानी)
4.
देवसेन : श्रावकाचार (933
ई., डॉ. नगेन्द्र के अनुसार हिन्दी का पहला काव्यग्रंथ, सावधम्म दोहा), लघुनयचक्र,
दरेशनसार
5.
वीर : जम्बूसामिचरिउ (11वीं शती)
6.
शालिभद्र सूरि : भरतेश्वर बाहुबलीरास (1184 ई., मुनि जिन
विजय के अनुसार जैन साहित्य की रास परम्परा का प्रथम ग्रंथ)
7.
सोमप्रभ सूरि : कुमारपाल प्रतिबोध (1195 ई., चम्पूकाव्य)
8.
आसगु : चन्दनबालारास (1200 ई., खंडकाव्य, करुण रस की
रचना)
9.
जिनधर्म सूरि : स्थूलीभद्ररास (1209 ई.)
10. जिनदत्त सूरि : उपदेश रसायन रास
11. जिन पदम सूरि : धूमि भद्दफाग (1243 ई. के लगभग)
12. विनयचन्द्र सूरि : नेमिनाथ चतुष्पदिका ((1243
ई. के लगभग))
13. राजशेखर सूरि : नेमिनाथ फागु (12वीं-13वीं शती)
14. जिनधर्म सूरि : स्थूलीभद्ररास (1309 ई.)
15. सुमति गणि : नेमिनाथरास (1213 ई., नेमिनाथ-चरित)
16. विजय सेन सूरि : रेवन्तगिरिरास (1231 ई., नेमिनाथ की प्रतिमा और रेवन्तगिरि तीर्थ का वर्णन)
17. प्रज्ञातिलक : कचछूलिरास (1306 ई.)
18. हेमचंद्र सूरि (1085 ई.-1172 ई.) : कुमारपाल चरित, हेमचंद्रशब्दानुशासन, देशी नाममाला,
छन्दानुशासन, योगश।स्त्र
19. मुनि राम सिंह (11वीं शती) : पाहुड़ दोहा
20. जोइन्दु (6ठी शती) : परमात्म प्रकाश (मुक्तक काव्य), योगसार
21. जिन पदम सूरि : धूमि भद्दफाग (1243 ई.)
22. विनयचन्द्र सूरि : नेमिनाथ चतुष्पादिका
23. राजशेखर सूरि : नेमिनाथ फागु (13वीं-13वीं सदी)
24. जैनाचार्य मेरुतुंग : प्रबंध चिंतामणि (1304 ई.)
25. धर्म सूरि : जम्बू स्वामी रास, स्थूलिभद्र रास (1200 के बाद)
26. देवसेनमणि : सुलोचना चरिउ
27. मुनि कनकामर : करकंड चरिउ
28. धवल : हरिवंश पुराण
29. वरदत्त : बैरसामि चरिउ
30. हरिभद्र सूरी : णाभिणाह चरिउ
31. धाहिल : पउमसिरी चरिउ
32. लक्खन : जिवदत्त चरिउ
33. जल्ह कवि : बुद्धि रासो
34. माधवदास चारण : राम रासो
35. देल्हण : गद्य सुकुमाल रासो
36. श्रीधर : रणमल छंद, पारीछत रायसा
37. रोडा कवि : राउलवेल (10वीं शती)
38. योगसार : सानयधम्म दोहा
39. श्यधू : धन कुमार चरित
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