सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

मैं अमृत की जय : माखनलाल चतुर्वेदी




मैं अमृत की जय, मरण का भय नहीं हूं,
नियति हूं, निर्माण हूं, बलिदान हूं मैं, ज़िन्दगी हूं, साधना हूं, ज्ञान हूं मैं....

ये पंक्तियां माखनलाल चतुर्वेदी की कविता प्रश्न हंसकर कह उठा से उद्धृत हैं।



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