गुरुवार, 30 जनवरी 2020

भाषा और साहित्य प्रश्नोत्तरी (आचार्य रामचंद्र शुक्ल पर विशेष)-1

प्रश्नोत्तरी-12 (भाषा और साहित्य, आचार्य रामचंद्र शुक्ल पर विशेष)

1. #“शुक्लजी स्वच्छंद चिंतक थे। उन्होंने भारतीय परंपरा को मानते हुए  भी अंधानुकरण कहीं नहीं किया है। आधुनिक पश्चिमी शास्त्रमीमांसा को विदेशी कहकर त्यागा भी नहीं है। यथास्थान उसका संग्रह भी (किया) है।” 
उपर्युक्त कथन किसका है?
(1) आचार्य रामचंद्र शुक्ल (2) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (3) आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र (4) रामविलास शर्मा
2. #‘चिंतामणि’ किसका निबंध संग्रह है?
(1) आचार्य रामचंद्र शुक्ल (2) हजारीप्रसाद द्विवेदी (3) रामविलास शर्मा (4) आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
3. 'साहित्य क्या है' शीर्षक निबंध के रचनाकार हैं:
(1) बालकृष्ण भट्ट (2) आचार्य रामचंद्र शुक्ल (3) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (4) विवेकीराय
4. 'कविता क्या है?' निबंध के रचनाकार हैं :
(1) बद्रीनाथ भट्ट (2) अनूप शर्मा (3) आचार्य रामचंद्र शुक्ल (4) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
5. अंग्रेजी के निबंधकार जोसेफ एडिसन के निबंध 'प्लेजर्स आफ इमेजीनेशन' का 'कल्पना का आनंद' शीर्षक से स्वच्छंद भाषांतर किसने किया था?
(1) राहुल सांकृत्यायन (2) बालकृष्ण भट्ट (3) बालमुकुन्द (4) रामचंद्र शुक्ल
6. 'रसात्मकता बोध के विविध रूप' शीर्षक निबंध के रचनाकार हैं :
(1) बालमुकुन्द (2) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (3) आचार्य रामचंद्र शुक्ल (4) रामविलास शर्मा
7. साहित्य को 'कल्पना और विचार की भाषा' किसने कहा है :
(1) बालकृष्ण भट्ट (2) गुलाबराय (3) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (4) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
8. ''साहित्य के अंतर्गत वह सारा वाङ्मय लिया जा सकता है जिसमें अर्थबोध के अतिरिक्त भावोन्मेष या चमत्कारपूर्ण अनुरंजन हो तथा जिसमें ऐसे वाङ्मय की विचारात्मक व्याख्या हो ।''
उपर्युक्त कथन किसका है?
(1) आचार्य रामचंद्र शुक्ल (2) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (3) निराला (4) रामविलास शर्मा
9. ''जो उक्ति हृदय में कोई भाव जाग्रत कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या तथ्य की मार्मिक व्यंजना में लीन कर दे वह तो है काव्य। ''
उपर्युक्त कथन किसका है?
(1) बालमुकुन्द गुप्त (2) बालकृष्ण भट्ट (3) चंद्रधरशशर्मा गुलेरी (4) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
10. '' वाणी का वह चमत्कारपूर्ण विन्यास जो हमारे मन में भावनाओं को तरंगायित कर देता है, काव्य है। ''
उपर्युक्त कथन किस साहित्येतिहासकार का है?
(1) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (2) आचार्य रामचंद्र शुक्ल (3) रामकुमार वर्मा (4) रामविलास शर्मा

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रविवार, 26 जनवरी 2020

अध्यापक सरदारपूर्ण सिंह के निबंध/essays of Adhyapak Sardar Purnasingh

अध्यापक सरदारपूर्ण सिंह के निबंध/essays of Adhyapak Sardar Purnasingh

#सरदार पूर्ण सिंह ने हिंदी में बहुत कम लिखा है। उनके अब तक कुल 6 निबंध प्राप्त हुए हैं। सच्ची वीरता (1909 ई.), कन्यादान (1909 ई.), पवित्रता (1910 ई.), आचरण की सभ्यता (1912 ई.), मज़दूरी और प्रेम (1912 ई.) तथा अमेरिका का मस्त योगी वाल्टह्वीटमैन (1983 ई.)। सातवां निबंध ‘धन की परिभाषा’ अप्राप् है। माधवसिंह भंडारी ‘पार्वती’ के अनुसार इसका प्रकाशन लाहौर की किसी अव्यवसायिक पत्रिका में हुआ था। (अध्यापक पूर्णसिंह निबंधावली, सं. रामअवध शास्त्री, ऋषि पब्लिकेशन, नई दिल्ली, संस्करण 1999 से साभार)