मुहावरे और कहावतें
डॉ. वचनदेव कुमार मुहावरे की परिभाषा इन शब्दों में देते हैं, "मुहावरे ऐसे वाक्यांश होते हैं जिनसे वाक्य सुसंगठित, चमत्कारजनक और सारगर्भित बनते हैं।" (वृहत् व्याकरण भास्कर, अध्याय - 9, पृ. 25)
डॉ. वासुदेवननदन प्रसाद मुहावरे के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं, "मुहावरे किसी भी सजीव भाषा के प्राण होते हैं।" (सरल हिंदी व्याकरण और रचना, पृ. 99)
वस्तुतः मुहावरे के प्रयोग से भाषा चमक उठती है और उसकी सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं।
#अंगूठा दिखाना (मौक़े पर धोखा देना) : चालबाज़ों से बचकर रहो, वे अंगूठा दिखाना ख़ूब जानते हैं।
#आँख मारना (इशारा करना) : मदन ने रमा को आँख मारकर अपने पास बुलाया।
#आँख खुलना (सावधान होना, बोध होना) : ठोकर खाने पर अब उसकी आँखें खुल गई हैं।
#आँख चुराना (लज्जित होना, कतरा जाना) : सरिता मुझे देखकर आँखें चुराने लगती है।
#आँख दिखाना (ग़ुस्सा करना) : चीन यदि दोबारा आँख दिखाए तो उसकी आँखें निकाल लो।
#आँख फेरना (विरुद्ध होना) : बुरे दिनों में अपने-पराये सभी आँखें फेर लेते हैं। ः
#आँख भर आना (आँसू आना) : बेटी की विदाई पर माँ-बाप की आँखें भर आईं।
#आँख में चर्बी छाना (घमंड से उपेक्षा करना, घमंड में चूर होना) : धन आते ही उसकी आँखों में चर्बी छा गई।
#आँख में धूल डालना (धोखा देना) : जनता की आँखों में धूल डालना आसान नहीं।
#आँख में बसना (हृदय में समाना) : रूप की रानी सारंगा मेरी आँखों में बस गई है।
#आँखों का तारा (अत्यंत प्रिय) : बेटा कैसा भी क्यों न हो, बेटा माँ-बाप की आँखों का तारा ही होता है।
#आँख की पुतली (अत्यंत प्रिय होना) : बेटा कैसा भी क्यों न हो, माँ-बाप की आँखों की पुतली ही होता है।
#आग उगलना (अतिशय क्रोध) : छोटी-सी ग़लती पर भी आग उगल रहे हो?
#आग से खेलना (ख़तरा मोल लेना) : हटो, बचो, आग से मत खेलो।
#आवाज़ उठाना (विरोध करना) : बुराई के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना हर इन्सान के लिए फ़र्ज़ है।
#इतिश्री करना (समाप्त करना) : आज निबंध-लेखन की इतिश्री करनी ही है।
#आग उगलना (अतिशय क्रोध) : छोटी-सी ग़लती पर भी आग उगल रहे हो?
#आग से खेलना (ख़तरा मोल लेना) : हटो, बचो, आग से मत खेलो।
#आवाज़ उठाना (विरोध करना) : बुराई के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना हर इन्सान के लिए फ़र्ज़ है।
#इतिश्री करना (समाप्त करना) : आज निबंध-लेखन की इतिश्री करनी ही है।
#रंगा सियार होना (धूर्त होना, अन्दर कुछ, बाहर कुछ) : वह रंगा सियार है, अपनी बात से कब पलट जाएगा, कुछ कहना मुश्किल है।
#लकीर का फ़कीर (पुरानी रीतियों पर आँख मूँदकर चलनेवाला, पुराणपंथी ही रहना) : ज़माने के साथ बदलना चाहिए, पर वह तो लकीर का फ़कीर ही है।
#आगे कुआँ पीछे खाई (चारों ओर संकट ही संकट) : दुश्मन से बुुरी तरह घिरकर चीन के सैनिकों ने आख़िर हथियार डाल दिया। क्या करते, आगे कुआँ, पीछे खाई।
#आगे कुआँ पीछे खाई (चारों ओर संकट ही संकट) : दुश्मन से बुुरी तरह घिरकर चीन के सैनिकों ने आख़िर हथियार डाल दिया। क्या करते, आगे कुआँ, पीछे खाई।
#एक पंथ दो काज (एक ही प्रयास से अनेक कार्यों की सिद्धि) : मैं रमा की शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली गया था। वहाँ एक अटका पड़ा काम हो गया। इसे कहते हैं--एक पंथ दो काज।
#ईमान बेचना (ईमान गँवाना) : पैसों के लोभ में कितनों ने ईमान बेच दिए।
#टेढ़ी खीर (कठिन काम) : उससे पैसा लेना टेढ़ी खीर है।
#पापड़ बेलना (कष्ट झेलना) : आजकल नौकरी के लिए काफ़ी पापड़ झेलना पड़ता है।
#तलवा चाटना (ख़ुशामद करना) : चाटुकारों का काम तलवा चाटना ही है।
#तलवे धो-धोकर पीना (ख़ुशामद करना) : चाटुकारों का काम तलवे धो-धोकर पीना है।
#तलवे सहलाना (ख़ुशामद करना) : चाटुकारों का काम ही तलवे सहलाना है।
#दाल में काला होना (संदेह की स्थिति होना):
कुछ दाल में काला है, नहीं तो वह तुम्हारी इतनी ख़ुशामदी क्यों करता।
#दाल न गलना (किसी मामले में बात न चलना) : इस मामले में उसकी दाल न गली।
#पापड़ बेलना (कष्ट झेलना) : आजकल नौकरी के लिए काफ़ी पापड़ झेलना पड़ता है।
#तलवा चाटना (ख़ुशामद करना) : चाटुकारों का काम तलवा चाटना ही है।
#तलवे धो-धोकर पीना (ख़ुशामद करना) : चाटुकारों का काम तलवे धो-धोकर पीना है।
#तलवे सहलाना (ख़ुशामद करना) : चाटुकारों का काम ही तलवे सहलाना है।
#दाल में काला होना (संदेह की स्थिति होना):
कुछ दाल में काला है, नहीं तो वह तुम्हारी इतनी ख़ुशामदी क्यों करता।
#दाल न गलना (किसी मामले में बात न चलना) : इस मामले में उसकी दाल न गली।
#मन चंगा तो कठौती में गंगा (आंतरिक शुद्धि ही सर्वशुद्धि) : वह पूजा-पाठ पर ज़ोर नहीं देता है। वह कहता है : मन चंगा तो कठौती में गंगा ।
#चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात (थोड़ेे समय का सुख) : जीवन में सुख के दिन थोड़े और दुु के अधिक होते हैं। इसलिए कहा गया है कि चार दिनों की चाँदनी फिर अंधेरी रात।
#दूध का दूध पानी का पानी (उचित न्याय) : उस विवादित भूमि का अदालत ने उसके पक्ष में फ़ैसला देकर दूध का दूध पानी का पाानी कर दिया।
#धज्जियाँ उड़ाना (ख़ूब मरम्मत करना, दोष दिखाना) : उसने उसकी कविता की धज्जियाँ उड़ा दीं।
#गड़े मुरदे उखाड़ना (दबी हुई बात को फिर से उभारना पुरानी बातों को निकालना) : भाई, क्यों गड़े मुरदे उखाड़ रहे हो, काम की बात करो।
#गर्दन पर सवार होना (पीछा न छोड़ना, पीछे लगे रहना) : अपनी राह लो, मेरी गर्दन पर सवार न रहो।
#गागर में सागर भरना (थोड़े में अधिक कहना) : बिहारीलाल के दोहों में गागर में सागर भरा है।
#गाजर-मूली समझना (छोटा समझना) : हम तो चीनियों को गाजर-मूली समझते हैं।
#गिरगिट की तरह रंग बदलना (बराबर बात बदलना) : उसपर कौन यक़ीन करे, वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता रहता है।
#गागर में सागर भरना (थोड़े में अधिक कहना) : बिहारीलाल के दोहों में गागर में सागर भरा है।
#गाजर-मूली समझना (छोटा समझना) : हम तो चीनियों को गाजर-मूली समझते हैं।
#गिरगिट की तरह रंग बदलना (बराबर बात बदलना) : उसपर कौन यक़ीन करे, वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता रहता है।
#कंधा लगाना (सहारा देना) : भारी बोझ है। ज़रा कंधा लगा दो भाई।
#कड़वा कड़वा थू (कटु वचन बोलना) : तुम अक्सर कड़वा-कड़वा थू करते हो।
#कलेजा फटना (ईर्ष्या करना) : मेरी तरक़्क़ी देखकर उसका कलेजा फटने लगा।
#काठ का उल्लू (निरा मूर्ख) : उसकी समझ में कुछ नहीं आता। वह तो काठ का उल्लू है।
#कड़वा कड़वा थू (कटु वचन बोलना) : तुम अक्सर कड़वा-कड़वा थू करते हो।
#कलेजा फटना (ईर्ष्या करना) : मेरी तरक़्क़ी देखकर उसका कलेजा फटने लगा।
#काठ का उल्लू (निरा मूर्ख) : उसकी समझ में कुछ नहीं आता। वह तो काठ का उल्लू है।
#कान खोलना (सावधान होना) : कान खोलकर सुन लो, तुम्हें यह काम नहीं करना है।
#कान पकड़ना (बाज़ आना) : कान पकड़ो कि फिर ऐसा काम न करोगे।
#कान पर जूँ न रेंगना (असर न होना) : मै
#कान पर जूँ न रेंगना (असर न होना) : मै
मैं उसे समझाता रहा, लेकिन उसके कान
जूँँ न रेंगी।
#कान देना (ध्यान देना) : बच्चों को माँ-बाप की बातों पर कान देना चाहिए।
#काल के गाल में जाना (मौत के मुँह में जाना) : हर जीव को अंत में काल के गाल में जाना पड़ता है।
#गला छूटना (मुसीबत दूर हो जाना) : इस बॉस के ट्रांसफर के बाद ही गला छूटेगा।
#चंपत होना (भाग जाना) : चोर बटुआ लेकर चंपत हो गया।
#चाँदी का जूता (घूस के रूप में दिया जाने वाला धन) : इस काम के लिए बड़ा बाबू को कई चाँदी के जूते मिले।
#चाँदी के जूते मारना (रुपये के ज़ोर से वश में करना) : चुनाव में चाँदी के जूते ख़ूब मारे जाते हैं।
चिराग़ तले अंधेरा (अपनी ख़ामी से अनभिज्ञ होना) : विद्वान का बेटा अनपढ़, चिराग़ तले अंधेरा नहीं तो और क्या है?
#चाँदी के जूते मारना (रुपये के ज़ोर से वश में करना) : चुनाव में चाँदी के जूते ख़ूब मारे जाते हैं।
चिराग़ तले अंधेरा (अपनी ख़ामी से अनभिज्ञ होना) : विद्वान का बेटा अनपढ़, चिराग़ तले अंधेरा नहीं तो और क्या है?
#श्री गणेश करना (प्रारम्भ करना) : आज मैं निबंध-लेखन का श्रीगणेश करूँगा।
#घी के दीये जलाना (आनंद मनाना, ख़ुशी मनाना): मुफ्त का अपार धन मिल जाने के कारण उसने घी के दीये जलाए।
#दाने-दाने को तरसना (भुखमरी की स्थिति) :
काम के अभाव के कारण दिहाड़ी मज़दूर दाने-दाने को तरस गए।
#नाक कटना (इज़्ज़त जाना) : सबके सामने उसके काले कारनामे की पोल खुलते ही उसकी नाक कट गई।
#नाक कटना (इज़्ज़त जाना) : सबके सामने उसके काले कारनामे की पोल खुलते ही उसकी नाक कट गई।
#नाक काटना (अपमानित करना) : सबके सामने उसके काले कारनामों की पोल खोलकर उमेश ने उसकी नाक काट ली।
#सब्ज़ बाग़ दिखाना (झूठ बोलकर ठगना) :
#गले का हार (बहुत प्यारा) : लक्ष्मण श्रीराम के गले का हार थे।
#गाल बजाना (डींग हाँकना) : चीनियों के गाल बजाने से अब कोई लाभ नहीं।
#गुरुघंटाल (बहुत चालाक) : गुरुघंटाल लोग अपने आसपास बेपेंदे के लोटों को जमा रखते हैं।
#अक़्ल का दुश्मन (मूर्ख) : वह तो अक़्ल का दुश्मन है, इस बात को नहीं समझ पाएगा।
#आठ-आठ आँसू बहाना (फूट-फूटकर रोना): बेटे की हत्या की ख़बर सुनकर माँ ने आठ-आठ आँसू बहाए।
#आस्तीन का साँप (वह व्यक्ति जो मित्र होकर धोखा दे) : मेरा परम मित्र आस्तीन का साँप निकला।
एड़ी-चोटी का पसीना एक करना (कठिन परिश्रम करना) : उसने सफलता प्राप्त करने के लिए एड़ी-चोटी का पसीना एक कर दिया।
एड़ी-चोटी का पसीना एक करना (कठिन परिश्रम करना) : उसने सफलता प्राप्त करने के लिए एड़ी-चोटी का पसीना एक कर दिया।
#ईद का चाँद होना (लम्बे अंतराल के बाद दिखाई पड़ना) : भाई, तुम तो कभी आते ही नहीं, ईद का चाँद हो रहे हो।
#गुदड़ी का लाल (तुच्छ स्थान में छिपी हुई उत्तम वस्तु) : उस ठेले वाले का बेटा डी. एम. बन गया। वह गुदड़ी का लाल है।
#गूंगे का गुड़ (अनुभूति की अभिव्यक्ति में असमर्थ) : यह कविता इतनी अच्छी हैै कि मै
#गूंगे का गुड़ (अनुभूति की अभिव्यक्ति में असमर्थ) : यह कविता इतनी अच्छी हैै कि मै
इसे शब्दों में बयान नहीं कर सकता। यह तो गूँगे का गुड़ है।
#घर का शेर (घर में बहादुरी की डींग हाँकने वाला) : अरे भाई, अपने घर में हर कोई शेर होता है, घर के बाहर सीना दिखाओ तो जानें।
#चाँद का टुकड़ा (परम सुन्दर वस्तु या व्यक्ति) : मेरे सामनेवाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है।
ज़हर उगलना (अनुचित बात बोलना) : वह आया और ज़हर उगलकर चला गया।
ज़हर उगलना (अनुचित बात बोलना) : वह आया और ज़हर उगलकर चला गया।
#ज़हर का घूँट पीना (अप्रिय बात सुनकर भी चुपचाप रहना, क्रोध रोक कर रह जाना) : मैं उनकी अनुचित बातों का उत्तर देना चाहता था, लेकिन ज़हर का घूँट पीकर रह गया।
#घड़ियाली आँसू (बनावटी शोक या दुख) :
घड़ियाल जल की ढेर सारी मछलियों को खाकर किनारे पर सोए आँसू बहा रहा है।
घड़ियाल जल की ढेर सारी मछलियों को खाकर किनारे पर सोए आँसू बहा रहा है।
#डगरे का बैंगन (ढुलमुल विचार वाला आदमी) : उसकी बातों का क्या, वह तो डगरे का बैंगन है।
#थाली का बैंगन (ढुलमुल विचार वाला आदमी) : उसकी बातों का क्या, वह तो थाली का बैंगन है।
#दाहिना हाथ (सहायक) : वह मोहन बाबू का दाहिना हाथ है।
#नमक-मिर्च लगाना (किसी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना) : झूठे लोग किसी बात को नमक-मिर्च लगाकर ही सुनाते हैं।
#पगड़ी उछालना (हँसी उड़ाना) : उसने भरी सभा में मेरी पगड़ी उछाली।
#नमक-मिर्च लगाना (किसी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना) : झूठे लोग किसी बात को नमक-मिर्च लगाकर ही सुनाते हैं।
#पगड़ी उछालना (हँसी उड़ाना) : उसने भरी सभा में मेरी पगड़ी उछाली।
#बेपेंदी का लोटा (अनिश्चित विचार वाला आदमी) : कुछ नेता बेपेंदी का लोटा हैं, सुबह इस पार्टी में तो शाम को उस पार्टी में।
#सफ़ेद झूठ (नितान्त असत्य) : यह सफ़ेद झूठ है कि वह इस कालजयी कृति का अनुवादक है।
#शिकार होना (भुक्त भोगी होना) : वह भी कोरोना का शिकार हो गया।
#शिकार करना (इच्छा-पूर्ति) : उसने उसका शिकार कर लिया।
#सोने में सोहागा (बहुत अच्छी चीज़ में और अच्छे गुण प्राप्त होना) : वह रूपवान ही नहीं, गुणवान भी है। सोने में सुहागा।
#सौ बात की एक बात (ठीक और सारभूत बात):
सौ बात की एक बाा यह है कि वह इस कालजयी कृति का अनुवादक नहीं है।
सौ बात की एक बाा यह है कि वह इस कालजयी कृति का अनुवादक नहीं है।
#छक्के छुड़ाना (हरा देना) : भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए।
#पानी उतरना (इज़्ज़त लेना) : भरी सभा में द्रौपदी का पानी उतारा गया।
#पानी उतरना (इज़्ज़त लेना) : भरी सभा में द्रौपदी का पानी उतारा गया।
#पानी-पानी होना (लज्जित होना) : सबके सामने उसके काले कारनामों की पोल खुलते ही वह पानी-पानी हो गया।
#पेट काटना (अपने भोजन तक में बचत) : अपना पेट काटकर मैं तुम्हें पढ़ा रहा हूँ।
#पेट में आग लगना (बहुत तेज़ भूख लगना) : मेरे पेट में आग लगी है, पेट-पूजा के बाद ही कुछ करूँगा।
#पेट में चूहे कूदना/पेट में चूहे दौड़ना (बहुत भूख लगना) : जब पेट में चूहे कूदने लगते हैं तो कोई काम अच्छा नहीं लगता।
#पौ बारह होना ( लाभ ही लाभ ) : आजकल सरकारी ठेकेदारों का पौ बारह है।
#फूला न समाना (बहुत ख़ुश होना) : अपनी जीत पर वह फूला न समा रहा है।
#बात का बतंगड़ बनाना (बात को तूल देना): कुछ लोग बात का बतंगड़ बना देते हैं।
#बीड़ा उठाना (ज़िम्मेदारी लेना) : भारत को आज़ाद कराने का गाँधीजी ने बीड़ा उठाया था।
#मीठा मीठा गप्प (चिकनी-चुपड़ी बातें) : महेश को मीठे-मीठे गप्प के जाल में फँसाकर उसने अपना उल्लू सीधा कर लिया।
#पेट काटना (अपने भोजन तक में बचत) : अपना पेट काटकर मैं तुम्हें पढ़ा रहा हूँ।
#पेट में आग लगना (बहुत तेज़ भूख लगना) : मेरे पेट में आग लगी है, पेट-पूजा के बाद ही कुछ करूँगा।
#पेट में चूहे कूदना/पेट में चूहे दौड़ना (बहुत भूख लगना) : जब पेट में चूहे कूदने लगते हैं तो कोई काम अच्छा नहीं लगता।
#पौ बारह होना ( लाभ ही लाभ ) : आजकल सरकारी ठेकेदारों का पौ बारह है।
#फूला न समाना (बहुत ख़ुश होना) : अपनी जीत पर वह फूला न समा रहा है।
#बात का बतंगड़ बनाना (बात को तूल देना): कुछ लोग बात का बतंगड़ बना देते हैं।
#बीड़ा उठाना (ज़िम्मेदारी लेना) : भारत को आज़ाद कराने का गाँधीजी ने बीड़ा उठाया था।
#मीठा मीठा गप्प (चिकनी-चुपड़ी बातें) : महेश को मीठे-मीठे गप्प के जाल में फँसाकर उसने अपना उल्लू सीधा कर लिया।
#नौ-दो ग्यारह होना (भाग जाना) : पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।
#खेत आना (युद्ध में शहीद होना) : गलवान घाटी झड़प में हमारे बीस जवान खेत आए।
#ख़ून का घूँट पीना (भीतर ही भीतर सहकर रह जाना) : उसकी जली-कटी सुनकर मैं ख़ून का घूँट पीकर रह गया।
#ख़ून खौलना (ग़ुस्सा होना) : उन दुष्टों को देखते ही मेरा ख़ून खौल उठता है।
#कमर टूटना (बेसहारा होना) : बेटे के मर जाने पर बाप की कमर ही टूट गई।
#सिर धुनना (नाराज़गी प्रकट करना) : बेटे की आपत्तिजनक बात पर माँ सिर धुनने लगी।
#अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ साधना) : महेश को मीठे-मीठे गप्प में फँसाकर उसने अपना उल्लू सीधा कर लिया।
#अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) : अरे मिल-जुल कर रहो। अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ है?
#अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (मुसीबत मोल लेना) : शाहिद, तुम उस औरत के चक्कर में पड़कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहे हो।
#अधजल गगरी छलकत जाय (ओछे व्यक्ति में ऐंठन होती है) : अमर की बात करते हो, वह तो छोटाा-स व्यापारी है और हाँकता है लम्बी-चौड़ी, अधजल गगरी छलकत जाय।
#अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (मुसीबत मोल लेना) : शाहिद, तुम उस औरत के चक्कर में पड़कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहे हो।
#अधजल गगरी छलकत जाय (ओछे व्यक्ति में ऐंठन होती है) : अमर की बात करते हो, वह तो छोटाा-स व्यापारी है और हाँकता है लम्बी-चौड़ी, अधजल गगरी छलकत जाय।
#ईंट से ईंट बजाना (नेस्तनाबूद करना) : भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की ईंट से ईंट बजा दी।
#होनहार बिरवान के होत चीकने पात (बड़े लोगों के लक्षण उनके बचपन से ही झलकने लगते हैं) : महादेवी वर्मा छात्र-जीवन से ही कविता लिखने लगी थीं, आगे चलकर वह हिंदी की बड़ी कवयित्री बनी। होनहार बिरवान के होत चीकनेे पात।
#होनहार बिरवान के होत चीकने पात (बड़े लोगों के लक्षण उनके बचपन से ही झलकने लगते हैं) : महादेवी वर्मा छात्र-जीवन से ही कविता लिखने लगी थीं, आगे चलकर वह हिंदी की बड़ी कवयित्री बनी। होनहार बिरवान के होत चीकनेे पात।
#ऊँची दुकान, फीका पकवान (केवल बाह्य प्रदर्शन केवल बाहरी चमक-दमक, भीतरी खोखलापन) : भाई, मैंने तुम्हारा बहुत नाम सुनाा था कि तुम यह कर देते हो, वह कर देते हो। मगर तुम कुछ भी नहीं कर सके। ऊँची दुकान, फीका पकवान।
#ज़हर उगलना (अपमानजनक बातें करना) : तुम बात-बात में ज़हर उगलते हो।
#नाक का बाल होना (बहुत प्यारा होना) : इन दिनों वह अपने प्रिंसिपल की नाक का बाल बना हुआ है।
#नाक में दम करना/नाकों दम करना (बहुत परेशान करना) : गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के नाकों दम कर दिया।
#नाक में दम करना/नाकों दम करना (बहुत परेशान करना) : गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के नाकों दम कर दिया।
#चोर की दाढ़ी में तिनका (अपराधी के हाव-भाव से अपराध की पहचान मिल जाना) : पुलिस को देखते ही उसका मुँह सूखने लगा और वह बगलें झाँकने लगा मानो चोर की दाढ़ी में तिनका।
#मन में बसना (प्रिय लगना) : उसकी भोली सूरत मेरे मन में बस गई है।
#मुँह छिपाना (लज्जावश सामने न आना, कतराना) : तुम मुझसे मुँ क्यों छिपाते हो?
#मुँह छिपाना (लज्जावश सामने न आना, कतराना) : तुम मुझसे मुँ क्यों छिपाते हो?
#काला अक्षर भैंस बराबर (पूर्णतः निरक्षर) : वह तो अनपढ़ है। उसके लिए यह पत्र काला अक्षर भैंस बराबर है।
#उँगली उठाना (बदनाम करना) : अच्छे आदमी पर उँगली उठाना ठीक नहीं।
#आँख की किरकिरी होना (आँख का काटा होना): इन दिनों मैं उनकी आँखों की किरकिरी हो गया हूँ।
#आँख की किरकिरी होना (आँख का काटा होना): इन दिनों मैं उनकी आँखों की किरकिरी हो गया हूँ।
#कान भरना (गुमराह करना) : जुमलेबाज़ लोग अपने सहकर्मियों के ख़िलाफ़ अधिकारियों के कान भरते रहते हैं।
#आँखें चार होना (आँखें मिलना) : अजय और सरिता की आँखें चार होते ही दोनों के चेहरे खिल उठे।
#अपने पैरों पर खड़ा होना (आत्मनिर्भर होना) : अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद ही मैं परिणय-सूत्र में बँधूँगा।
#कलेजा काँपना (डरना) : बाघ को देखते ही मेरा कलेजा काँप उठा।
#कलेजा का टुकड़ा (बेटा, बहुत प्यारा) : तुम मेरे कलेजे का टुकड़ा हो।
#कलेजा फटना (ईर्ष्या होना) : मेरी उन्नति देखकर मेरे पड़ोसी का कलेजा फटने लगा।
#कफ़न सिर से बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना) : जो सिर से कफ़न बाँध ले, उसके लिए मौत का डर क्या?
#खड़ा-खोटा पहचानना (भले-बुरे की पहचान करना) : अब वह मुझे चकमा नहीं दे सकता, मैं खड़ा-खोटा पहचानता हूँ।
#कलेजा फटना (ईर्ष्या होना) : मेरी उन्नति देखकर मेरे पड़ोसी का कलेजा फटने लगा।
#कफ़न सिर से बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना) : जो सिर से कफ़न बाँध ले, उसके लिए मौत का डर क्या?
#खड़ा-खोटा पहचानना (भले-बुरे की पहचान करना) : अब वह मुझे चकमा नहीं दे सकता, मैं खड़ा-खोटा पहचानता हूँ।
#तीन-तेरह करना (तितर-बितर करना) : महेश के मरते ही उसके बेटे ने धन-सम्पत्ति को तीन-तेरह कर दिया।
#मुँह की खाना (पहल करके हार जाना) : भारत-चीन झड़प में चीन को मुँह की खानी पड़ी।
#मुँह ताकना (किसी का आसरा जोहना) : मेहनती आदमी किसी का मुँह नहीं ताकता।
#मुँह जोहना (किसी का आसरा जोहना ) : मेहनती आदमी किसी का मुँह नहीं जोहता।
#मुँह धो रखना (आशा न रखना) : यह चीज़ तुम्हें मिलने की नहीं, मुँह धो रखो।
#मुँह में पानी आना (लालच होना) : मिठाई देखते ही महेश के मुँह में पानी आ गया।
#मुँह में पानी भरना (लालच होना) : मिठाई देखते ही रमेश के मुँह में पानी भर आया।
#मौत से खेलना (ख़तरा मोल लेना) : हटो, बचो मौत से क्यों खेलते हो?
#मुँह की खाना (पहल करके हार जाना) : भारत-चीन झड़प में चीन को मुँह की खानी पड़ी।
#मुँह ताकना (किसी का आसरा जोहना) : मेहनती आदमी किसी का मुँह नहीं ताकता।
#मुँह जोहना (किसी का आसरा जोहना ) : मेहनती आदमी किसी का मुँह नहीं जोहता।
#मुँह धो रखना (आशा न रखना) : यह चीज़ तुम्हें मिलने की नहीं, मुँह धो रखो।
#मुँह में पानी आना (लालच होना) : मिठाई देखते ही महेश के मुँह में पानी आ गया।
#मुँह में पानी भरना (लालच होना) : मिठाई देखते ही रमेश के मुँह में पानी भर आया।
#मौत से खेलना (ख़तरा मोल लेना) : हटो, बचो मौत से क्यों खेलते हो?
#सिर चढ़ाना (शोख़ बनाना) : बच्चे को सिर चढ़ाना ठीक नहीं।
#चाँदी काटना (मौज उड़ाना) : दारोग़ा साहब इस थाने में चाँदी काट रहे हैं।
#हाथ मलना (पछताना) : समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ?
#हाथ मलना (पछताना) : समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ?
#बाँछें खिलना (अत्यंत प्रसन्न होना) : पास होने की ख़बर सुनते ही उसकी बाँछें खिल उठीं।
#रंग उतरना (फीका होना) : सज़ा सुनते ही अपराधी के चेहरे का रंग उतर गया।
#रंग जमना (धाक जमना) : खेल में तुमने तो रंग जमा लिया।
#रास्ते पर आना (सुधर जाना) : मेरा बेटा रास्ते पर नहीं आ सका।
#लेने के देने पड़ना (लाभ के बदले हानि) : मदन ने व्यापार में अच्छी-ख़ासी राशि निवेश की थी, लेकिन काफ़ी घाटा लगा। उसे लेने के देने पड़े।
#लोहे के चने चबाना (बहुत कठिनाइयां झेलना, श्रम-साध्य कार्य करना) : भारतीय सेना के सामने चीनी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।
#लोहा मानना (श्रेष्ठ समझना) : चीनी सेना भारतीय जवानों का लोहा मानती है।
#रंग उतरना (फीका होना) : सज़ा सुनते ही अपराधी के चेहरे का रंग उतर गया।
#रंग जमना (धाक जमना) : खेल में तुमने तो रंग जमा लिया।
#रास्ते पर आना (सुधर जाना) : मेरा बेटा रास्ते पर नहीं आ सका।
#लेने के देने पड़ना (लाभ के बदले हानि) : मदन ने व्यापार में अच्छी-ख़ासी राशि निवेश की थी, लेकिन काफ़ी घाटा लगा। उसे लेने के देने पड़े।
#लोहे के चने चबाना (बहुत कठिनाइयां झेलना, श्रम-साध्य कार्य करना) : भारतीय सेना के सामने चीनी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।
#लोहा मानना (श्रेष्ठ समझना) : चीनी सेना भारतीय जवानों का लोहा मानती है।
#वीर गति को प्राप्त होना (शहीद होना) : भारत-चीन झड़प में बीस भारतीय जवान वीर गति को प्राप्त हुए।
#सर करना (काम पूूरा कर लेना, जीत लेना) : उसने अपना अभियान सर कर लिया।
#सिर आँखों पर होना (सहर्ष स्वीकार करना): पुत्र ने पिता से कहा कि आपकी आज्ञा सिर आँखों पर।
#सिर उठाना (विरोध में खड़ा होना, मुख़ालफ़त करना) : जनता भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ सिर उठाने लगी है।
#सिर खुजलाना (बहाना करना) : सिर न खुजलाओ, देना है तो जल्दी दो।
#सिर गंजा कर देना (ख़ूब पीटना) : भागो यहाँ से, नहीं तो सिर गंजा कर दिया जाएगा।
#सिर पर आ जाना (बहुत नज़दीक होना) : परीक्षा सिर पर आ गई है।
#सिर फिर जाना (पागल होना) : दौलत मिलते ही उसका सिर फिर गया।
#सुबह का चिराग़ (मरनासन्न व्यक्ति) : वह बहुत दिनों से बीमार है। उसे सुबह का चिराग़ ही समझो।
#हवा खाना (शुद्ध. हवा का सेवन करना या व्यर्थ होना) : सुबह-शाम ताज़ा हवा खाना चाहिए।
#हाथ खींचना (अलग होना) :
मैंने इस काम से हाथ खींच लिया है।
#हाथ पैर मारना (काफ़ी प्रयत्न करना) :
#हाथ बँटाना (सहयोग देना) : काम में अपने बड़े भाई का हाथ बँटाओ।
#हाथ मारना (उड़ा देना) : देखते ही देखते उसने मेरा बैग उड़ा दिया।
#हाथों-हाथ (जल्दी, शीघ्र) : यह काम हाथों-हाथ निपटा लो।
#हाथ देना (सहायता करना) : आपके हाथ दिए बिना यह काम न होगा।
#हाथ लगाना (सहायता करना) : आपके हाथ लगाए बिना यह काम न होगा।
#हथियार डाल देना (पराजित हो जाना) : भूखी सेना ने हथियार डाल दिया।
#हामी भरना (स्वीकृति प्रदान करना) : उसने मेरे साथ चलने को हामी भर दी।
#सर करना (काम पूूरा कर लेना, जीत लेना) : उसने अपना अभियान सर कर लिया।
#सिर आँखों पर होना (सहर्ष स्वीकार करना): पुत्र ने पिता से कहा कि आपकी आज्ञा सिर आँखों पर।
#सिर उठाना (विरोध में खड़ा होना, मुख़ालफ़त करना) : जनता भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ सिर उठाने लगी है।
#सिर खुजलाना (बहाना करना) : सिर न खुजलाओ, देना है तो जल्दी दो।
#सिर गंजा कर देना (ख़ूब पीटना) : भागो यहाँ से, नहीं तो सिर गंजा कर दिया जाएगा।
#सिर पर आ जाना (बहुत नज़दीक होना) : परीक्षा सिर पर आ गई है।
#सिर फिर जाना (पागल होना) : दौलत मिलते ही उसका सिर फिर गया।
#सुबह का चिराग़ (मरनासन्न व्यक्ति) : वह बहुत दिनों से बीमार है। उसे सुबह का चिराग़ ही समझो।
#हवा खाना (शुद्ध. हवा का सेवन करना या व्यर्थ होना) : सुबह-शाम ताज़ा हवा खाना चाहिए।
#हाथ खींचना (अलग होना) :
मैंने इस काम से हाथ खींच लिया है।
#हाथ पैर मारना (काफ़ी प्रयत्न करना) :
#हाथ बँटाना (सहयोग देना) : काम में अपने बड़े भाई का हाथ बँटाओ।
#हाथ मारना (उड़ा देना) : देखते ही देखते उसने मेरा बैग उड़ा दिया।
#हाथों-हाथ (जल्दी, शीघ्र) : यह काम हाथों-हाथ निपटा लो।
#हाथ देना (सहायता करना) : आपके हाथ दिए बिना यह काम न होगा।
#हाथ लगाना (सहायता करना) : आपके हाथ लगाए बिना यह काम न होगा।
#हथियार डाल देना (पराजित हो जाना) : भूखी सेना ने हथियार डाल दिया।
#हामी भरना (स्वीकृति प्रदान करना) : उसने मेरे साथ चलने को हामी भर दी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें