बुधवार, 27 अगस्त 2014

UGCNET/JRF में फिर पूछे गए ग़लत सवाल

UGCNET/JRF (HINDI-2nd & 3rd papers, Subject code : 20, June 2014 )  में पूछे गए ग़लत सवालUGCNET/JRF में फिर पूछे गए ग़लत सवाल





UGCNET/JRF (HINDI-2nd & 3rd papers, Subject code : 20, June 2014 )  में फिर पूछे गए ग़लत सवाल


HINDI (2nd paper, Subject code : 20) June 2014 में 25वाँ सवाल ग़लत है। सवाल इस प्रकार है :
25. ज्ञानपीठ पुरस्कृत कृतियों का वर्षवार सही अनुक्रम है :
(A) चितम्बरा, यामा, उर्वशी, कितनी नावों में कितनी बार
(B) उर्वशी, कितनी नावों में कितनी बार, चितम्बरा, यामा
(C) उर्वशी, चितम्बरा, कितनी नावों में कितनी बार, यामा,
(D) कितनी नावों में कितनी बार, यामा, चितम्बरा, उर्वशी

कालक्रम की दृष्टि उपयुक्त प्रश्न ग़लत हैं। सही कालक्रम इस प्रकार होगा :
चितम्बरा (1968), उर्वशी (1972), कितनी नावों में कितनी बार (1978), यामा (1982)
इसका उत्तर (A) हो सकता है, लेकिन UGC की ओर से जो Answer Key fidback के लिए आया है, उसमें Answer (C) है।


ज्ञानपीठ पर ही HINDI (3rd paper, Subject code : 20) June 2014 में भी ग़लत सवाल पूछा गया है। सवाल इस प्रकार है :
54. ज्ञानपीठ प्रदान किए गए वर्षों के अनुसार निम्नांकित साहित्यकारों का सही अनुक्रम है :
(A) श्री नरेश मेहता, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, सुमित्रानन्दन पंत
(B) रामधारी सिंह दिनकर, सुमित्रानन्दन पंत, महादेवी वर्मा, श्री नरेश मेहता
(C) सुमित्रानन्दन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, श्री नरेश मेहता, महादेवी वर्मा
(D) महादेवी वर्मा, सुमित्रानन्दन पंत, श्री नरेश मेहता, रामधारी सिंह दिनकर

कालक्रम की दृष्टि से उपयुक्त प्रश्न भी ग़लत है। सही कालक्रम इस प्रकार होगा :
सुमित्रानन्दन पंत (1968), रामधारी सिंह दिनकर (1972), महादेवी वर्मा (1982), श्री नरेश मेहता (1992)
इसका उत्तर (C) हो सकता है, लेकिन UGC की ओर से जो Answer Key fidback के लिए आया है उसमें Answer (B) है।
अपने दावे की पुष्टि के लिए Wikipedia, the free encyclopedia द्वारा प्रकाशित Jnanpith Award recipients   for Hindi Literature की लिस्ट प्रस्तुत है :

Jnanpith Award recipients   for Hindi Literature

Year
Name
Works
Language
Image

1968
Chidambara


1972
Urvashi
Hindi


1978
Kitni Navon Men Kitni Bar (How many times in how many boats?)
 –

1982
Yama


1992

Hindi
 –

1999

Hindi
Nirmal Verma (1929 - 2005).jpg

2005

Hindi
 –

2009

Hindi
 –


Hindi
 –

2013

Hindi



From Wikipedia, the free encyclopedia



भवदीय

मुहम्मद इलियास हुसैन

E-mail : iliyashussain 1966@gmail.com

Mobile : 09717324769


शनिवार, 23 अगस्त 2014

ANWER KEYS UGCNET/JRF (HINDI-2, code : 20)

ANWER KEYS UGCNET/JRF 

(HINDI-2, code : 20)




Answer Key of Hindi UGCNET/JRF (Code 20), Paper - 2  (Un-official & Not Final) 
  1.  C           2.  C   3.  A   4.  D   5.  A   6.  C   7.  B   8.  B   9.  D 10.  A

11.  C        12.  B  13. ?? 14. A 15.  B  16.  A  17.  D  18.  D  19.   C 20.  A

21.  D        22.  B  23.  D  24.  B  25.  A  26.  D  27.  A 28.  B  29.  D  30.  C

31.  A        32 A  33.  C  34.  D  35.  C  36.  B  37.  A  38.  B  39   D  40.  D

41.  B        42.  D  43.  D  44.  C  45.  B  46.  A  47.  A  48.  D  49.  A  50.  B




MD ILIYAS HUSSAIN


04/07/14

शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

जैनेन्द्र कुमार (1905-1988) की रचनाएँ



जन्म : 2 जनवरी1905 (अलीगढ़)
निधन : 24 दिसंबर1988 (दिल्ली)
गांधीवादी, प्रेमचंदोत्तर उपन्यासकार, हिन्दी गद्य में 'मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक' के रूप में मान्य, और 'प्रयोगवाद' के प्रारम्भकर्ता, मूलनाम : 'आनंदी लाल'

उपन्यास
·         'परख' (1929, पात्र : सत्यधन, कट्टो, गरिमा, बिहारी)
·         'सुनीता' (1935, पात्र : सुनीता, श्रीकान्त और हरिप्रसन्न)
·         'त्यागपत्र' (1937, पात्र : मृणाल, प्रमोद, शीला)
·         'कल्याणी' (1939, पात्र : डॉ. असरानी, )
·         'विवर्त' (1953, भुवनमोहिनी, जितेन)
·         'सुखदा' (1952)
·         'व्यतीत' (1953, पात्र : अनीता)
·         'जयवर्धन' (1956)
·         'मुक्तिबोध' (1966, पात्र : सहाय, राजेश्वरी, नीलिमा)
·         'अनन्तर' (1968, पात्र : अपराजिता, प्रसाद, रामेश्वरी)
·         'अनामस्वामी' (1974, पात्र : वसुन्धरा, कुमार, शंकर उपाध्याय)
·         'दशार्क' (1985, वेश्या समस्या पर, पात्र : सरस्वती, रंजना)

कहानी-संग्रह
·         'फाँसी' (1929)
·         'वातायन' (1930)
·         'नीलम देश की राजकन्या' (1933)
·         'एक रात' (1934)
·         'दो चिड़ियाँ' (1935)
·         'पाजेब' (1942)
·         'जयसंधि' (1949)
·         'जैनेन्द्र की कहानियाँ' (सात भाग)
·         'जैनेंद्र कुमार की कहानियाँ' (2000)

निबंध-संग्रह
·         'प्रस्तुत प्रश्न' (1936)
·         'जड़ की बात' (1945)
·         'पूर्वोदय' (1951)
·         'साहित्य का श्रेय और प्रेय' (1953)
·         'मंथन' (1953)
·         'सोच-विचार' (1953)
·         'काम, प्रेम और परिवार' (1953)
·         'समय और हम' (1962)
·         'परिप्रेक्ष' (1964)
·         'राष्ट्र और राज्य'
·         'सूक्तिसंचयन'
·         'इस्ततः' (1962)

संस्मरण
·         'ये और वे' (1954)
·         'मेरे भटकाव'
·         'जैनेन्द्रकुमार की मौत पर' (स्वयं पर)

आलोचनात्मक ग्रंथ
·         'कहानी : अनुभव और शिल्प' (1967)
·         'प्रेमचन्द एक कृती व्यक्तित्व' (1967)

जीवनी
·         'अकाल पुरुष गांधी' (1968)

अनूदित ग्रंथ
·         'मंदालिनी' (नाटक, 1935)
·         'प्रेम में भगवान' (कहानी-संग्रह, 1937)
·         'पाप और प्रकाश' (नाटक, 1953)

सह लेखन
·         'तपोभूमि' (उपन्यास, ऋषभचरण जैन के साथ, 1932)

संपादित ग्रंथ
·         'साहित्य चयन' (निबंध-संग्रह, 1951)
·         'विचारवल्लरी' (निबंध-संग्रह, 1952)

सम्मान और पुरस्कार
·         हिन्दुस्तानी अकादमी पुरस्कार1929 में 'परख' (उपन्यास) के लिए
·         भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय पुरस्कार1952 में 'प्रेम में भगवान' (अनुवाद) के लिए
·         1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार 'मुक्तिबोध' (लघु उपन्यास) के लिए
·         पद्म भूषण1971
·         साहित्य अकादमी फैलोशिप1974
·         हस्तीमल डालमिया पुरस्कार (नई दिल्ली)
·         उत्तर प्रदेश राज्य सरकार (समय और हम,1970)
·         उत्तर प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान 'भारत-भारती'
·         मानद डी. लिट् (दिल्ली विश्वविद्यालय, 1973, आगरा विश्वविद्यालय,1974)
·         हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग (साहित्य वाचस्पति,1973)
·         विद्या वाचस्पति (उपाधि : गुरुकुल कांगड़ी)
·         साहित्य अकादमी की प्राथमिक सदस्यता
·         प्रथम राष्ट्रीय यूनेस्को की सदस्यता
·         भारतीय लेखक परिषद् की अध्यक्षता
·         दिल्ली प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सभापतित्व।



'हिन्दी साहित्य का इतिहास' में गोपाल राय जी लिखते हैं 'उनके उपन्यासों की कहानी अधिकतर एक परिवार की कहानी होती है और वेशहर की गली और कोठरी की सभ्यतामें ही सिमट कर व्यक्ति-पात्रों की मानसिक गहराइयों में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं।'