प्रश्नोत्तरी-43 (हिंदी भाषा एवं साहित्य, हृदयराम)
#हृदयराम के संबंध में निम्नलिखित में कौन-कौन से कथन
सत्य हैं :
(A) हृदयराम ने संवत् 1680 में संस्कृत के ‘हनुमन्नाटक’ के आधार पर भाषा ‘हनुमन्नाटक’ लिखा जिसकी कविता बड़ी सुंदर और परिमार्जित
है।
(B) 'हिततरंगिणी' का निर्माण 'बिहारी सतसई' से पहले हुआ है।
(C) सबसे अधिक प्रसिद्ध हृदयराम का ‘हनुमन्नाटक’ हुआ।
(D) ‘‘बिछुआ है एई, अरु झाँझर हैं एई जुग।
नूपुर हैं, तेई राम जानत जराइ के।’’ इन काव्य-पंक्तियों के रचनाकार हृदयराम हैं।
(A)(a)(b)(c)
(B)(b)(c)(d)
(C)(a)(c)(d)
(D)(a)(b)(d)
Ans. : (C)(a)(c)(d)
#हृदयराम के संबंध में निम्नलिखित में कौन-कौन से कथन
सत्य हैं :
(A) हृदयराम ने संवत् 1598 में रसरीति पर 'हिततरंगिणी' नामक ग्रंथ दोहों में
बनाया। रीति या लक्षण ग्रंथों में यह बहुत पुराना है।
(B) हृदयराम के ‘हनुमन्नाटक’ में अधिकतर कवित्त और सवैयों
में बड़े अच्छे संवाद हैं।
(C) 'दशम स्कंध भाषा'
का अनुवाद फ़ारसी भाषा में हुआ है।
(D) ‘‘जीवति है? कहिबेई को नाथ, सु क्यों न मरी हमतें बिछुराहीं।
प्रान बसै पद पंकज में जम आवत है पर पावत
नाहीं।’’ इन काव्य-पंक्तियों के रचनाकार हृदयराम हैं।
(A)(a)(b)
(B)(b)(d)
(C)(a)(c)
(D)(a)(d)
Ans. : (B)(b)(d)
#‘‘गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने समय की सारी प्रचलित काव्य पद्धतियों पर रामचरित
का गान किया। था।’’ इस पंक्ति के रचनाकार
कौन हैं?
(1)
महावीर प्रसाद द्विवेदी
(2)
रामचंद्र शुक्ल
(3)
रामकुमर वर्मा
(4)
हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
Ans. : (2) रामचंद्र
शुक्ल
#‘‘गोस्वामी तुलसीदास जी ने शुद्ध, सात्विक और खुले रूप में रामभक्ति का
प्रकाश फैलाया था।’’ इस पंक्ति के रचनाकार
कौन हैं?
(5)
महावीर प्रसाद द्विवेदी
(6)
हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(7)
रामकुमर वर्मा
(8)
रामचंद्र शुक्ल
Ans. : (4) रामचंद्र शुक्ल
#‘‘गोस्वामी जी के समय से ही उनकी ख्याति के साथ साथ रामभक्ति की तरंगें भी देश के
भिन्न भिन्न भागों में उठ चली थीं। था।’’ इस पंक्ति के रचनाकार कौन हैं?
(1)
महावीर प्रसाद द्विवेदी
(2)
हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(3)
रामकुमर वर्मा
(4)
रामचंद्र शुक्ल
Ans. : (4) रामचंद्र शुक्ल
#‘‘जो भक्तिमार्ग श्रद्धा के अवयव को छोड़कर केवल प्रेम को ही लेकर चलेगा, धर्म से उसका लगाव न रह जायगा। वह एक प्रकार से अधूरा रहेगा।’’ इस पंक्ति के रचनाकार
कौन हैं?
(1)
महावीर प्रसाद द्विवेदी
(2)
रामचंद्र शुक्ल
(3)
रामकुमर वर्मा
(4)
हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
Ans. : (2) रामचंद्र
शुक्ल
#‘‘रामचरणदास की---श्रृंगारी उपासना में चिरान छपरा के जीवाराम जी ने थोड़ा हेरफेर
किया। उन्होंने पति पत्नी भावना के स्थान पर 'सखीभाव' रखा और अपनी शाखा का नाम 'तत्सुखी' शाखा रखा।’’ इस पंक्ति के रचनाकार कौन हैं?
(1)
महावीर प्रसाद द्विवेदी
(2)
हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(3)
श्यामसुंदरदास
(4)
रामचंद्र शुक्ल
Ans. : (4) रामचंद्र शुक्ल
#‘‘रामचरणदास ने अपनी
शाखा का नाम 'स्वसुखी शाखा' रखा। स्त्रीवेष धारण करके पति 'लाल साहब' (यह खिताब राम को दिया गया है) से मिलने के लिए सोलह श्रृंगार करना, सीता की भावना सपत्नी रूप में करना आदि इस शाखा के लक्षण हुए।’’ इस पंक्ति के रचनाकार
कौन हैं?
(1)
महावीर प्रसाद द्विवेदी
(2)
हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(3)
श्यामसुंदरदास
(4)
रामचंद्र शुक्ल
Ans. : (4) रामचंद्र शुक्ल
#‘‘कृष्णभक्ति शाखा कृष्ण भगवान के धर्मस्वरूप को लोकरक्षक और लोकरंजक स्वरूप को छोड़कर
केवल मधुर स्वरूप और प्रेमलक्षणा भक्ति की सामग्री लेकर चली। इससे धर्म सौंदर्य के
आकर्षण से वह दूर पड़ गई। हुए।’’ यह कथन किसका है?
(1) रामचंद्र शुक्ल
(2) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(3) श्यामसुंदरदास
(4) महावीर प्रसाद
द्विवेदी
Ans. : (1) रामचंद्र शुक्ल
#इन में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) 'हनुमानबाहुक' तो केवल हनुमान जी को ही संबोधन करके लिखा गया है।
(b) भक्ति के लिए किसी पहुँचे हुए भक्त
का प्रसाद भी भक्तिमार्ग में अपेक्षित होता है।
(c) संवत् 1696 में रायमल्ल पांडे ने 'हनुमच्चरित्र' लिखा था।
(d) जो भक्तिमार्ग श्रद्धा के अवयव को
छोड़कर केवल प्रेम को ही लेकर चलेगा, धर्म से उसका लगाव न रह जायगा। वह एक
प्रकार से पूर्ण रहेगा।
(A)(a)
(B)(b)
(C)(c)
(D)(d)
Ans. : (D)(d)
#इन में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) गोस्वामी जी की प्रतिभा
का प्रखर प्रकाश डेढ़ सौ वर्ष तक ऐसा छाया रहा कि रामभक्ति की और रचनाएँ उसके सामने
ठहर न सकीं।
(b) प्रेम और श्रद्धा अर्थात्
पूज्य बुद्धि दोनों के मेल से भक्ति की निष्पत्ति होती है। श्रद्धा धर्म की अनुगामिनी
है। जहाँ धर्म का स्फुरण दिखाई पड़ता है वहीं श्रद्धा टिकती है।
(c) धर्म ब्रह्म के सत्स्वरूप
की व्यक्त प्रवृत्ति है, उस स्वरूप की क्रियात्मक अभिव्यक्ति है, जिसका आभास अखिल विश्व की स्थिति में
मिलता है। पूर्ण भक्त व्यक्त जगत् के बीच सत् की इस सर्वशक्तिमयी प्रवृत्ति के उदय
का, धर्म की इस मंगलमयी ज्योति के स्फुरण का साक्षात्कार चाहता रहता है। इसी ज्योति
के प्रकाश में सत् के अनंत रूप सौंदर्य की भी मनोहर झाँकी उसे मिलती है।
(d) 'विनयपत्रिका' सूरदास जी की प्रसिद्ध रचना है।
(A)(a)
(B)(b)
(C)(c)
(D)(d)
Ans. : (D)(d)
#इन में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) 'विनयपत्रिका' में गोस्वामी जी ने लोक में फैले अधर्म, अनाचार, अत्याचार आदि का भीषण चित्र खींचकर भगवान से अपना सत् स्वरूप, धर्म संस्थापक स्वरूप व्यक्त करने की प्रार्थना की है।
(b) प्रेम और श्रद्धा अर्थात्
पूज्य बुद्धि दोनों के मेल से भक्ति की निष्पत्ति होती है। श्रद्धा धर्म की अनुगामिनी
है। जहाँ धर्म का स्फुरण दिखाई पड़ता है वहीं श्रद्धा टिकती है।
(c) धर्म ब्रह्म के सत्स्वरूप
की व्यक्त प्रवृत्ति है, उस स्वरूप की क्रियात्मक
अभिव्यक्ति है, जिसका आभास अखिल विश्व
की स्थिति में मिलता है। पूर्ण भक्त व्यक्त जगत् के बीच सत् की इस सर्वशक्तिमयी प्रवृत्ति
के उदय का, धर्म की इस मंगलमयी ज्योति के स्फुरण का
साक्षात्कार चाहता रहता है। इसी ज्योति के प्रकाश में सत् के अनंत रूप सौंदर्य की भी
मनोहर झाँकी उसे मिलती है।
(d) 'हनुमानबाहुक' तो केवल रावण को ही संबोधन करके लिखा गया है।
(A)(a)
(B)(b)
(C)(c)
(D)(d)
Ans. : (D)(d)
#‘‘जब अधर्म का अंधकार फाड़कर धर्मज्योति अमोघ शक्ति के साथ साथ फूट पड़ती है तब मानो
उसके प्रिय भगवान का मनोहर रूप सामने आ जाता और वह पुलकित हो उठता है। भीतर का 'चित्त' जब बाहर 'सत्' का साक्षात्कार कर पाता है तब 'आनंद' का आविर्भाव होता है और 'सदानंद' की अनुभूति होती है।’’ यह कथन किसका है?
(1) रामचंद्र शुक्ल
(2) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(3) श्यामसुंदरदास
(4) महावीर प्रसाद
द्विवेदी
Ans. : (1) रामचंद्र शुक्ल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें