गा कोकिल, बरसा पावक कण
नष्ट-भ्रष्ट हो जीर्ण-पुरातन
_पंत
google search pant ki kavita
मुक्त करो नारी को मानव, मुक्त करो नारो को
युग-युग की निर्मम कारा से, सजनि, सखी, प्यारी को।
_पंत
नष्ट-भ्रष्ट हो जीर्ण-पुरातन
_पंत
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मुक्त करो नारी को मानव, मुक्त करो नारो को
युग-युग की निर्मम कारा से, सजनि, सखी, प्यारी को।
_पंत
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