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1.
उत्तर भारत में भक्ति का प्रसार करने का श्रेय किसे प्राप्त है?
(A) शंकराचार्य (B) रामानुजाचार्य (C) रामानन्द (D) मध्वाचार्य
2.
‘भक्तमाल के अनुसार रामानन्द के कितने शिष्य थे?
(A) आठ (B) नौ (C) दस (D) बारह
3.
वल्लभाचार्य किस सम्प्रदाय के संस्थापक हैं?
(A) अद्वैत (B) द्वैताद्वैत (C) शुद्धाद्वैत (D) विशिष्टाद्वैत
4. मध्वाचार्य किस सम्प्रदाय के संस्थापक हैं?
(A) अद्वैत (B) द्वैत (C) शुद्धाद्वैत (D) विशिष्टाद्वैत
5.
सखी सम्प्रदाय के संस्थापक हैं :
(A) हित हरिवंश (B) वल्लभाचार्य (C) स्वामी हरिदास (D) मध्वाचार्य
6.
पुष्टिमार्ग के संस्थापक हैं :
(A) हित हरिवंश (B) वल्लभाचार्य (C) स्वामी हरिदास (D) मध्वाचार्य
7.
पुष्टिमार्ग का जहाज़ किसको कहा जाता है ?
(A) सूरदास (B) वल्लभाचार्य (C) स्वामी हरिदास (D) तुलसीदास
8.
सखी सम्प्रदाय को कहा जाता है :
(A) राधावल्लभ सम्प्रदाय
(B) हरिदासी सम्प्रदाय (C) चिंत्याचिंत्य सम्प्रदाय (D) अष्टछाप सम्प्रदाय
9.
निम्नलिखित में से कौन ब्रह्म सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) विष्णुस्वामी (B) निम्बार्काचार्य (C) हित हरिवंश (D) मध्वाचार्य
10.
निम्नलिखित में से कौन श्री सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) विष्णुस्वामी (B) निम्बार्काचार्य (C) हित हरिवंश (D) रामानुजाचार्य
11.
निम्नलिखित में से कौन माध्वसम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) विष्णुस्वामी (B) निम्बार्काचार्य (C) हित हरिवंश (D) मध्वाचार्य
12.
विशिष्टाद्वैत की स्थापना किसने की ?
(A) विष्णुस्वामी (B) निम्बार्काचार्य (C) रामानुजाचार्य (D) मध्वाचार्य
13.
विशिष्टाद्वैत में किस वाद का खंडन किया गया है ?
(A) राधावल्लभ सम्प्रदाय (B) हरिदासी सम्प्रदाय (C) चिंत्याचिंत्य सम्प्रदाय (D) अद्वैतवाद
14.
द्वैताद्वैतवाद की स्थापना किसने की ?
(A) विष्णुस्वामी (B) निम्बार्काचार्य (C) रामानुजाचार्य (D) मध्वाचार्य
15.
निम्नलिखित में से कौन रुद्र सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) विष्णुस्वामी (B) निम्बार्काचार्य (C) हित हरिवंश (D) मध्वाचार्य
16.
निम्नलिखित में से कौन रामावत सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) वल्लभाचार्य (B) रामानन्द (C) स्वामी (D) छीतस्वामी
17.
निम्नलिखित में से कौन राधावल्लभ सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) वल्लभाचार्य (B) हित हरिवंश (C) स्वामी (D) छीतस्वामी
18.
निम्नलिखित में से कौन साध सम्प्रदाय का प्रवर्तक है?
(A) वल्लभाचार्य (B) वीरभान (C) स्वामी (D) छीतस्वामी
19.
लालपंथ का प्रवर्तक कौन है?
(A) संत लालदास (B) कबीरदास (C) संत पीपा (D) छीतस्वामी
20.
दादूपंथ का प्रवर्तक कौन है?
(A) संत लालदास (B) कबीरदास (C) संत दादूदयाल (D) स्वामी हरिदास
21.
विश्नोई सम्प्रदाय का प्रवर्तक कौन है?
(A) संत कवि जम्भनाथ (B) कबीरदास (C) संत दादूदयाल (D) स्वामी हरिदास
22.
तत्सुखी शाखा का प्रवर्तक कौन है?
(A) राधाचरणदास (B) जीवारामजी (C) भगवानदास (D) अग्रदास
23.
सखी सम्प्रदाय के स्वसुखी शाखा का प्रवर्तक कौन है?
(A) राधाचरणदास (B) हरिदास (C) भगवानदास (D) अग्रदास
24.
निरंजनी सम्प्रदाय का प्रवर्तक कौन है?
(A) निपट निरंजन (B) हरिदास निरंजनी (C) भगवानदास निरंजनी (D) स्वामी हरिदास
25.
राजस्थान के सलेमाबाद में किस सम्प्रदाय गोविन्द की गद्दी है?
(A) हरिदास सम्प्रदाय (B) राधावल्लभ सम्प्रदाय
(C) गौड़ीय सम्प्रदाय (D) निम्बार्क सम्प्रदाय
26.
बावरी पंथ का आदिप्रवर्तक कौन है?
(A) संत लालदास (B) संत रामानन्द (C) संत दादूदयाल (D) स्वामी हरिदास
27.
कौन-सा पंथ बावरी साहिबा के नाम पर है?
(A) बावरी पंथ (B) कबीरपंथ (C) विश्नोई
सम्प्रदाय (D) दादूपंथ
28.
मध्वाचार्य किस सम्प्रदाय के संस्थापक हैं?
(A) द्वैत (B) अद्वैत (C) शुद्धाद्वैत (D) विशिष्टाद्वैत
29.
इनमें से कौन वैष्णव भक्ति का आचार्य नहीं है?
(A) वल्लभाचार्य (B) मध्वाचार्य (C) शंकराचार्य (D) रामानुजाचार्य
30.
गौड़ीय संप्रदाय के संस्थापक हैं :
(A) हरिदास निरंजनी (B) लालदास (C) हितहरिवंश (D) चैतन्य महाप्रभु
31.¯ शुद्धाद्वैतवाद का प्रधान मूल ग्रंथ है
(A) अणुभाष्य (B) सुबोधिनी टाका (C) सूरसागर (D) रामचरितमानस
32.
महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्यों का वृत्तान्त इस ग्रंथ में है :
(A) दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता (B) भक्तमाल (C) चौरासी वैष्णवन की वार्ता (D) वचनामृत
33.
वल्लभाचार्य का वेदान्त सूत्र पर लिखा प्रसिद्ध ग्रंथ है :
(A) पुष्टिमार्ग रहस्य (B) आनन्द भाष्य (C) अणु भाष्य (D) सृष्टि रहस्य
34.
पुष्टिमार्ग का आधार ग्रंथ कौन-सा है?
(A) भगवत् गीता (B) महाभारत (C) श्रीमदभागत्
(D) रामायण
35. सूरदास
ने किस आचार्य से दीक्षा ली थी :
(A) वल्लभाचार्य (B) स्वामी
रामानन्द (C) मध्वाचार्य6(D) स्वामी विट्ठलनाथ
36.
निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके प्रवर्तकों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A)
श्री सम्प्रदाय (i) रामानुजाचार्य
(B) रुद्र सम्प्रदाय (ii) मध्वाचार्य
(C) हंस या सनकादि सम्प्रदाय (iii) विश्णुस्वामी
(D) राधावल्लभी सम्प्रदाय (iv) निम्बार्काचार्य
(v) श्री हितजी
कूट
:
a b c d
(A) (ii) (iv) (i) (iii)
(B) (i) (iii) (iv) (v)
(C) (iii) (iv) (i) (ii)
(D) (iv) (i) (ii) (iii)
37. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके प्रवर्तकों
के साथ सुमेलित कीजिए :
(A)
विश्नोई सम्प्रदाय (i) अलाउद्दीन हुसैन शाह
(B) सत्य पीर सम्प्रदाय (ii) लालदास
(C) लालपंथ (iii) जम्भनाथ
(D) राधावल्लभी सम्प्रदाय (iv) निम्बार्काचार्य (v) श्री हितजी
कूट
:
a b c d
(A) (ii) (iv) (i) (iii)
(B) (iii) (i) (ii) (v)
(C) (iii) (iv) (i) (ii)
(D) (iv) (i) (ii) (iii)
38. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके
प्रवर्तकों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) रसिक
सम्प्रदाय (i) चक्रधर
(B) महानुभाव सम्प्रदाय (ii) पुंडलिक
(C) हंस या सनकादि सम्प्रदाय (iii) रामानन्द
(D) वारकरी सम्प्रदाय (iv) निम्बार्काचार्य
(v) अग्रदास
कूट
:
a b c d
(A) (ii) (iv) (i) (iii)
(B) (i) (iii) (iv) (v)
(C) (v) (i) (iv) (ii)
(D) (iv) (i) (ii) (iii)
39. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके
प्रवर्तकों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) सिख
सम्प्रदाय (i) हितuरिवंश
(B) टट्टी सम्प्रदाय (ii) गुरु नानक
(C) योगदर्शन (iii) हरिदास
(D) राधावल्लभी सम्प्रदाय (iv) निम्बार्काचार्य (v) पतंजलि
कूट
:
a b c d
(A) (ii) (iii) (v) (i)
(B) (i) (iii) (iv) (v)
(C) (iii) (iv) (i) (ii)
(D) (iv) (i) (ii) (iii)
40. निम्नलिखित आचार्यों को उनके सिद्धान्तों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A)
वल्लभाचार्य (i) विशिष्टाद्वैतवाद
(B) निम्बार्काचार्य (ii) अद्वैतवाद
(C) रामानुजाचार्य (iii) द्वैतवाद
(D) मध्वाचार्य
(iv) द्वैताद्वैतवाद (v) शुद्धाद्वैतवाद
कूट
:
a b c d
(A) (v) (iv) (i) (iii)
(B) (i) (ii) (iv) (iii)
(C) (iii) (iv) (i) (ii)
(D) (ii) (i) (iv) (v)
41. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) राधावल्लभ सम्प्रदाय (i) शेख फरीद
(B) खालसा सम्प्रदाय (ii) प्राणनाथ
(C) सूफ़ी सम्प्रदाय (iii) गुरु गोविन्द सिंह
(D) प्रणामी सम्प्रदाय
(iv) बिहारी (v) सुन्दरदास
कूट
:
a b c d
(A) (ii) (i) (iii) (iv)
(B) (iv) (iii) (i) (ii)
(C) (iii) (ii) (iv) (i)
(D) (v) (iv) (ii) (iii)
42. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके अनुयायियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A)
वल्लभसम्प्रदाय (i) हरिव्यास देव
(B) निम्बार्क सम्प्रदाय (ii) दामोदरदास
(C) राधावल्लभ सम्प्रदाय (iii) गदाधर भट्ट
(D) चैतन्य सम्प्रदाय (iv) जगन्नाथ गोस्वामी (v) गोविन्द स्वामी
कूट
:
a b c d
(A) (v) (i) (ii) (iii)
(B) (iv) (i) (iii) (v)
(C) (ii) (i) (v) (iv)
(D) (v) (iv) (ii) (iii)
43. कवियों को उनके अवतारों के साथ सुमेलित
कीजिए :
(A) कबीर (i)
वाल्मीकि
(B) सूरदास (ii) मुरली
(C) तुलसीदास (iii) उद्धव
(D) हितहरिवंश (iv) ज्ञानी
जी (v) हंस
कूट
:
a b c d
(A) (iv) (iii) (i) (ii)
(B) (iv) (ii) (iii) (i)
(C) (iii) (iv) (v) (i)
(D) (ii) (iii) (iv) (v)
44. निम्नलिखित आचार्यों को उनके सिद्धान्तों
के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A)
शंकराचार्य (i) उद्धति सम्प्रदाय
(B) बाबा श्रीचन्द (ii) परब्रह्म सम्प्रदाय
(C) स्वामी सहजानन्द (iii) उदासीन सम्प्रदाय
(D) दादू दयाल
(iv) स्मार्त सम्प्रदाय (v) वल्लभसम्प्रदाय
कूट
:
a b c d
(A) (v) (iv) (i) (iii)
(B) (i) (ii) (iv) (iii)
(C) (iii) (iv) (i) (ii)
(D) (iv) (iii) (i) (ii)
45. निम्नलिखित संस्थाओं को उनके संस्थापकांे
साथ सुमेलित कीजिए:
(A)
ब्रह्म समाज (i) एनी बेसेंट
(B) प्रार्थना समाज (ii) विवेकानन्द
(C) आर्य समाज (iii) दयानन्द सरस्वती
(D) रामकृष्ण मिशन (iv) राजा राममोहन राय (v) केशवचन्द्र सेन
कूट
:
a b c d
(A) (iv) (i) (ii) (iii)
(B) (iv) (ii) (i) (v)
(C) (v) (ii) (ii) (iv)
(D) (iv) (v) (iii) (ii)
46. भक्तमाल में दिए गए रामानन्द के प्रथम चार
शिष्यों का सही अनुक्रम है :
(A) सुखानन्द, नरहर्यानन्द, अनंतानन्द,
सुरसुरानन्द
(B) अनंतानन्द, सुखानन्द, सुरसुरानन्द,
नरहर्यानन्द
(C) सुरसुरानन्द, अनंतानन्द, नरहर्यानन्द,
सुखानन्द
(D) सुखानन्द, सुरसुरानन्द, नरहर्यानन्द,
अनंतानन्द
47. आचार्य हजारी प्रसाद के अनुसार निम्नलिखित
सम्प्रदायों का सही अनुक्रम है:
(A) ब्राह्म सम्प्रदाय, सनकादि सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय, रुद्र सम्प्रदाय
(B) सनकादि सम्प्रदाय, ब्राह्म सम्प्रदाय, रुद्र सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय
(C) श्री सम्प्रदाय, ब्राह्म सम्प्रदाय, रुद्र सम्प्रदाय, सनकदि सम्प्रदाय
(D) रुद्र सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय, ब्राह्म सम्प्रदाय, सनकादि सम्प्रदाय
1.
C 2. D 3.
C 4. B 5.
C 6. B 7.
A 8. B 9. D 10. D 11. D
12.
C 13. D 14.
B 15. A 16.
B 17. B 18.
B 19. A 20.
C 21. A 22.
B
23.
A 24. B 25.
D 26. B 27.
A 28. A 29.
C 30. D 31.
A 32. A 33.
C
34.
C 35. A 36.
B 37. B 38.
C 39. A 40.
A 41. B 42.
A 43. A 44.
D
45.
D 46. B 47.
C
विभिन्न भक्ति सम्प्रदाय
स्मार्त सम्प्रदाय (आठवीं शती)
: यह द्विज या दीक्षित उच्च वर्णीय (ब्राह्मण, क्षत्रिय या
वैश्य) का धार्मिक सम्प्रदाय है। आठवीं शदी के दार्शनिक एवं अद्वैतवेदान्त के प्रतिपादक
शंकराचार्य इस सम्प्रदाय के संस्थापक थे।
अद्वैतवाद : आठवीं शताब्दी
में शंकराचार्य द्वारा अद्वैत सम्प्रदाय की स्थापना
वैष्णवाचार्य और उनके द्वारा स्थापित सम्प्रदाय
वैष्णव धर्म की स्थापना करने वाले चार आचार्यों
ने चार सम्प्रदायों की स्थापना की। उन आचार्यों कळ नाम हैंµ रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, विष्णुस्वामी
और निम्बार्काचार्य।
इनसे सबसे पहले शंकराचार्य ने अद्वैत
सम्प्रदाय की स्थापना की थी, जो अद्वैतवाद कहलाता है।
रामानुजाचार्य (1017-1137 ई॰):
रामानुजाचार्य ने श्री सम्प्रदाय की स्थापना की। इन्होंने हिन्दी को अपने प्रचार
का माध्यम बनाया। उनका दर्शन विशिष्टाद्वैत है, इसलिए विशिष्टाद्वैतवाद
कहलाता है।
मध्वाचार्य (13वीं शताब्दी):
मध्वाचार्य ने ब्रह्म सम्प्रदाय की स्थापना की। उनका दार्शनिक मत है µ द्वैतवाद।
विष्णु स्वामी : विष्णु स्वामी
ने रुद्र सम्प्रदाय का प्रर्वतन किया। उनका दार्शनिक मत शुद्धाद्वैतवाद
कहलाता है।
निम्बार्काचार्य : निम्बार्कचार्या
ने हंस या सनकादि सम्प्रदाय की स्थापना की। उनका दार्शनिक मत ‘द्वैताद्वैतवाद’ कहलाता है, जिसे भेदाभेदवाद
भी कहा जाता है। उन्होंने कृष्ण को विष्णु का अवतार माना है। रचनाएँ : ब्रह्मसूत्रा,
उपनिषद् और गीता की टीका। उनकी यह टीका ‘वेदान्त पारिजात
सौरभ’ (दसश्लोकी) कळ नाम से प्रसिद्ध है।
हंस या सनकादि सम्प्रदाय के प्रमुख कवि : श्रीभट्ट
(युगलशतक के रचयिता, पद : रस की रेलि
बेलि अति बाढ़ी), हरिव्यासदेव
(‘महावाणी’ ब्रज भाषा में, पद : और कामना
मोहि न कोई), परशुरामदेव
(परशुरामसागर के रचयिता) इत्यादि।
रामानन्द (1399-1137
ई॰): रामानन्दचार्य ने भक्ति को दक्षिण से उत्तर लाया और यहां स्थापित किया। इन्होंने
रामावत सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया। इनके लिखे तीन संस्कृत ग्रंथ मिलते हैंµ पहला वेदान्तसूत्रों
पर आनन्दभाष्य, दूसरा श्रीरामार्चन
पद्धति और तीसरा वैष्णव मताब्जभास्कर और हिन्दी में रामरक्षा स्रोत, ज्ञानलीला, योगचिन्तामणि
और ज्ञान तिलक।
गुरुग्रंथ साहब में इनका यह पद संकलित है :
जहां जाइए तहं जल पषान, तू परि रहिउ
है नभ समान।
वेद पुरान सब दैषे जोई, ऊहां तउ जोइऐ
जल इहयां न कोई।
भक्तमाल में रामानन्द के बारह शिष्य बताए गए हैं
µअनन्तानन्द, सुखानन्द, सुरसुरानन्द,
नरहर्यानन्द, भावानन्द, पीपा, कबीर, सेन, धना, रैदास, पद्मावती और
सुरसुरी।
वल्लभाचार्य (1478-1530
ई॰) : वल्लभाचार्य ने शुद्धाद्वैतवाद का प्रवर्तन किया। शुद्धाद्वैतवाद
को अभिवृत्त परिणामवाद भी कहा जाता है। उनका दार्शनिक मत पुष्टि मार्ग
कहलाता है। वेदान्तसूत्र पर लिखित ग्रंथ ‘अणुभाष्य’ और ‘सुबोधिनी टीका’। पहला शुद्धाद्वैतवाद का प्रधान मूल और दूसरा भक्ति
सिद्धान्तों क आकार ग्रंथ। रचनाएँ : 1¯ पूर्व मीमांसा
भाष्य, 2¯ उत्तर मीमांसा
का ब्रह्मसूत्र भाष्य, जो ‘अणुभाष्य’ के नाम से प्रसिद्ध है। शुद्धाद्वैतवात का प्रतिपादक
यही प्रधान दार्शनिक ग्रंथ है। 3¯ श्रीमत भागवत्
की सूक्ष्म टीका तथा सुबोधिनी टीका 4¯ तत्वदीप निबंध
तथा अन्य छोटे-छोटे ग्रंथ।
सखी सम्प्रदाय या हरिदासी सम्प्रदाय : इसका प्रवर्तन
स्वामी हरिदास (1478-1630 ई॰) ने किया था। इस सम्प्रदाय को ‘सखी सम्प्रदाय’ और ‘टट्टी सम्प्रदाय’ भी कहा जाता
है।
रचनाएँ : सिद्धान्त के पद केलिमाल।
सखी सम्प्रदाय के प्रमुख कवि : स्वामी हरिदास, जगन्नाथ गोस्वामी, बीठल विपुल, बिहारिनदास, नागरीदास, नरसिंहदेव, पीताम्बरदेव, रसिकदेव, भगवतरसिक इत्यादि।
चैतन्य महाप्रभु : चैतन्य महाप्रभु
(18 फरवरी 1486-14 जून 1534 ई॰) ने गौड़ीय सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया, जो चैतन्य
सम्प्रदाय भी कहलाता है। उनका दार्शनिक मत अचिन्त्य भेदाभेद कहलाता है।
सम्प्रदाय के कवि : रामराय, सूरदास मदनमोहन,, गदाधर भट्ट, चन्द्रगोपाल, भगवानदास, माधवदास ‘माधुरी’, भगवतमुदित इत्यादि।
राधावल्लभ सम्प्रदाय (स्थापना वर्ष
1534 ई॰): प्रवर्तन हितहरिवंश (जन्म: 1502 ई॰) ने किया।
रचनाएँ: हितचौरासी (84 पद) तथा स्फुटवाणी (दोनों
हिन्दी), राधासुधानिधि, यमुनाष्टक (दोनों
संस्कृत)।
राधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख कवि : हितहरिवंश, श्रीदामोदरदास
(सेवकवाणी के रचयिता), हरिरामव्यास (व्यासवाणी, रागमाला, नवरत्न, स्वधर्म पद्धति
इत्यादि), चतुर्भुजदास
(द्वादशयश), ध्रुवदास (भक्तनामावली
आदि 42 ग्रंथों के रचयिता), नेही नागरीदास (हितवाणी, नित्यविहार, राधाष्टक) इत्यादि।
अन्य सम्प्रदाय : महापुरुषिया
सम्प्रदाय (शांकरदेव), रामदासी सम्प्रदाय
(रामदास), उद्धति सम्प्रदाय
(सहजानन्द या स्वामी नारायण), रसिक सम्प्रदाय (अग्रदास), स्वसुखी सम्प्रदाय
(रामचरणदास), रामावत सम्प्रदाय
(रामानन्द), परब्रह्म सम्प्रदाय (दादू दयाल), तत्सुखी सम्प्रदाय
(जीवाराम), राधावल्लभी सम्प्रदाय
(गोस्वामी हित हरिवंश), महानुभाव सम्प्रदाय
(चक्रधर), वारकरी सम्प्रदाय
(पुण्डलिक)।
अष्टछाप : वल्लभाचार्य के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ
(1515-1585 ई॰) ने 1565 ई॰ में अष्टछाप की स्थापना की, जिनमें चार शिष्य
वल्लभाचार्य के और चार स्वयं विट्ठलनाथ के हैं। अष्टछाप के कवियों को ‘अष्टसखान’ भी कहा जाता
है। वे हैं : कुम्भनदास, सूरदास, परमानन्ददास,
कृष्णदास (ये चारों दो सौ वैष्णवन की वार्ता में संकलित वल्लभाचार्य के शिष्य हैं)
गोविन्द स्वामी, छीतस्वामी, चतुर्भुजदास और नन्ददास (ये चारों गोस्वामी
विट्ठलनाथ के शिष्य)।
विश्नोई सम्प्रदाय : गुरु जम्भेश्वर
यानी जम्भोजी (1451-1536 ई॰) ने विश्नोई सम्प्रदाय का 1485 ई॰ में प्रवर्तन किया।
वारकरी सम्प्रदाय : संत ज्ञानेश्वर
(जन्म: 1275 ई॰) ने तेरहवीं शताब्दी में किया।
रसिक सम्प्रदाय : प्रवर्तक
अग्रदास (1496 ई॰)
उदासीन सम्प्रदाय: गुरुनानक के
बड़े पुत्र बाबा श्रीचन्द (1449-1643 ई॰) कहलाता
है।
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