76. निम्नलिखित बोलियों को उनके क्षेत्र के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
खड़ीबेली (i) बिलासपुर
(2)
ब्रजभाषा (ii) सुल्तानपुर
(3)
बांगड़ू (iii) आगरा
(4)
अवधी (iv) बिजनौर
(v) करनाल
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iii) (iv) (v) (i)
(2) (iv) (iii) (v) (ii)
(3) (iv) (ii) (iii) (v)
(4) (ii) (iii) (iv) (v)
77. निम्नलिखित काव्यभाषाओं को उनसे सम्बद्ध रचनाओं के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
अवहट्ठ (i) भँवर गीत
(2)
ब्रजभाषा (ii) प्रिय प्रवास
(3)
अवधी (iii) कीर्तिलता
(4)
खड़ीबोली (iv) प्रबन्ध चिन्तामणि
(v) मधुमालती
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) (iii) (ii) (i)
(2) (i) (v) (iii) (iv)
(3) (v) (iv) (ii) (iii)
(4) (iii) (i) (v) (ii)
78. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके रचयिता से सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
नगर बाहिरे डोंबी तोहरी कुडिया छाइ (i) लूहिपा
(2)
काआ तरुवर पंच बिडाल (ii) कण्हपा
(3)
कड़ुवा बोल न बोलिस नारि (iii) खुसरो
(4)
मोरा जोवना नवेलरा भयो है गुलाल (iv) नरपता नाल्ह
(v) सरहपा
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (ii) (i) (iv) (iii)
(2) (i) (ii) (iii) (v)
(3) (iv) (iii) (ii) (i)
(4) (iii) (ii) (v) (iv)
79. निम्नलिखित काव्य-पंक्तयों को उनके रचनाकारों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
ओनई घटा, परी जग छाहाँ (i) सूरदास
(2)
आवत जात पनहियाँ टूटी (ii) कुंभनदास
(3)
अति मलीन वृषभानु कुमारी (iii) तुलसीदास
(4)
कीरति भनिति भूतिभल सोई (iv) जायसी
(v) कबीरदास
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (iii) (iv) (v)
(2) (i) (v) (iii) (iv)
(3) (ii) (v) (iv) (iii)
(4) (iv) (ii) (i) (iii)
80. निम्नलिखित दार्शनिक सिद्धान्तों को उनसे सम्बद्ध कवियों के
साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
अद्वैतवाद (i) जायसी
(2)
विशिष्टाद्वैतवाद (ii) हरिदास
(3)
शुद्धाद्वैतवाद (iii) रैदास
(4)
सखी सम्प्रदाय (iv) कुंभनदास
(v) तुलसीदास
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iii) (v) (iv) (ii)
(2) (i) (ii) (iii) (iv)
(3) (ii) (iii) (v) (i)
(4) (iv) (i) (ii) (v)
81. निम्नलिखित कृतियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए
:
सूची-I सूची-II
(1)
जपुजी (i) तुलसीदास
(2)
रसमंजरी (ii) कबीरदास
(3)
बरवै नायिका भेद (iii) नन्ददास
(4)
वैराग्य संदीपनी (iv) रहीम
(v) नानक
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (v) (iv) (iii) (i)
(2) (i) (ii) (iii) (iv)
(3) (v) (iii) (iv) (i)
(4) (iv) (v) (iii) (i)
82. निम्नलिखित रचनाओं को उनके प्रतिपाद्य के आधार पर सुमेलित
कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
शिवराज भूषण (i) सर्वांग निरूपण
(2)
छत्र प्रकाश (ii) रीतिस्वच्छन्दवृत्ति
(3) विरहवारीश (iii) जीवन चरित
(4) काव्य-निरेणय (iv) अलंकार निरूपण
(v) रस निरूपण
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (v) (iii) (iv)
(2) (iv) (iii) (ii) (i)
(3) (ii) (i) (iii) (iv)
(4) (ii) (iii) (v) (iv)
83. निम्नलिखित रस-प्रतिपादक कृतियों को उनके रचनाकारों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
रस सागर (i) मतिराम
(2)
रस चन्द्रोदय (ii) कवीन्द्र
(3)
रसराज (iii) सोमनाथ
(4)
रसपीयूष निधि (iv) भिखारीदास
(v) श्रीपति
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (ii) (iii) (v) (iv)
(3) (v) (ii) (i) (iii)
(4) (iii) (iv) (ii) (i)
84. निम्नलिखित काव्य-पंक्तयों को उनके रचनाकारों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
दुःख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज
जो नहीं कही । (i) अज्ञेय
(2)
मैं दिन को ढूंढ रही हूँ
जुगनू की
उजियाली में ।
मन माँग रहा है
मेरा
सिकता हीरक
प्याली में । (ii) पन्त
(3)
रोज़ सवेरे थोड़ा-सा मैं अतीत में जी लेता हूँ
क्योंकि रोज़
शाम को मैं थोड़ा-सा भविष्य में मर जाता
हूँ (iii) महादेवी
(4)
बिखरी अलकें ज्यों तर्क जाल
वह विश्व
मुकुट-सा उज्ज्वलतम शशिखंड
सदृश्य था
स्पष्ट भाल (iv) निराला (v) प्रसाद
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) (iii) (i) (v)
(2) (v) (i) (ii) (iii)
(3) (i) (ii) (iii) (iv)
(4) (ii) (iv) (v) (i)
85. निम्नलिखित पात्रों को लम्बद्ध काव्य-कृतियों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
कर्ण (i) उर्वशी
(2)
कमला (ii) यशोधरा
(3)
औशीनरी (iii) रश्मिरथी
(4)
राहुल (iv) प्रलय की छाया
(v) कामायनी
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (iv) (v) (ii) (iii)
(3) (iii) (iv) (i) (ii)
(4) (ii) (iii) (v) (i)
86. निम्नलिखित कवियों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
अज्ञेय (i) कला और बूढ़ा चाँद
(2)
बच्चन (ii) दीपशिखा
(3)
रघुवीर सहाय (iii) पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ
(4)
सुमित्रानन्दन पन्त (iv) सतरंगिनी
(v) सीढ़ियों पर धूप में
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (v) (iv) (i) (ii)
(3) (iii) (iv) (v) (i)
(4) (iv) (i) (ii) (iii)
87. निम्नलिखित कवियों को उनसे जुड़े आन्दोलनों के साथ सुमेलित
कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
लक्ष्मीकान्त वर्मा (i) नवगीत
(2)
नरेश (ii) प्रगतिवाद
(3)
शम्भुनाथ सिंह (iii) प्रयोगवाद
(4)
केदारनाथ अग्रवाल (iv) अकविता
(v) नकेनवाद
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) (v) (i) (ii)
(2) (i) (ii) (iii) (iv)
(3) (iii) (v) (iv) (i)
(4) (ii) (iii) (v) (iv)
88. निम्नलिखित कहानियों को उनसे सम्बद्ध पात्रों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
आकाशदीप (i) सुनन्दा
(2)
दिल्ली में एक मौत (ii) मालवी
(3)
उसने कहा था (iii) बुद्धगुप्त
(4)
गैंग्रीन (iv) आतुल
(v) बोधासिंह
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iii) (iv) (v) (ii)
(2) (iv) (ii) (iii) (i)
(3) (ii) (iii) (iv) (v)
(4) (iv) (i) (ii) (iii)
89. निम्नलिखित उपन्यासों को उनके वर्ण्य विषय के साथ सुमेलित
कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
अजय की डायरी (i) समकालीन राजनीतिक परिवेश
(2)
अन्तराल (ii) विदेशों में शोषित नारी
(3)
बसन्ती (iii) स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में जटिलता
(4)
महाभोज (iv) विश्वविद्यालय की पृष्ठभूमि
(v) महानगरी में बसी गन्दी बस्तियों का चित्रण
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) (iii) (v) (i)
(2) (i) (ii) (iii) (iv)
(3) (ii) (iv) (i) (iii)
(4) (iii) (v) (iv) (ii)
90. निम्नलिखित निबन्धों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
कहानी-अकहानी (i) शरद जोशी
(2)
गन्धमादन (ii) रामधारी सिंह दिनकर
(3)
जीप पर सवार इल्लियाँ (iii) कुबेरनाथ राय
(4)
मिट्टी की ओर (iv) धर्मवीर भारती
(v) हरिशंकर परसाई
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (ii) (iv) (i) (v)
(3) (iv) (iii) (i) (ii)
(4) (iii) (v) (iv) (i)
91. निम्नलिखित स्त्री-पात्रों को सम्बद्ध नाटकों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
उर्वी (i) सूर्यमुख
(2)
सुन्दरी (ii) स्कन्दगुप्त
(3)
वेनुरती (iii) देहान्तर
(4)
देवसेना (iv) पहला राजा
(v) लहरों के राजहंस
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (iii) (iv) (ii)
(2) (iv) (iii) (ii) (v)
(3) (iv) (v) (i) (ii)
(4) (v) (iv) (iii) (ii)
92. निम्नलिखित उपन्यासों को उनसे सम्बद्ध पात्रों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
सूरज का सातवाँ घोड़ा (i) रंजना
(2)
मैला आँचल (ii) इला
(3)
एक इंच मुस्कान (iii) विश्वनाथ प्रसाद
(4)
तमस (iv) माणिक मुल्ला
(v) नत्थू
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) (iii) (i) (v)
(2) (i) (ii) (iii) (iv)
(3) (ii) (iv) (v) (iii)
(4) (iii) (v) (iv) (ii)
93. निम्नलिखित गद्य-रचनाओं को उनके लेखकों के साथ सुमेलित
कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
हम-हशमत (i) अजित कुमार
(2)
बच्चन निकट से (ii) रामवृक्ष बेनीपुरी
(3)
माटी की मूरतें (iii) प्रभाकर माचवे
(4)
चीड़ों पर चाँदनी (iv) कृष्णा सोबती
(v) निर्मल वर्मा
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (iv) (i) (ii) (v)
(3) (iv) (ii) (iii) (i)
(4) (i) (iv) (v) (iii)
94. निम्नलिखित काव्याशों को उनमें निहित अलंकारों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून
पानी गए न
उबरे, मोती मानुष चून (i) असंगति
(2)
बंसी धुन सुनि बृज बधू चली बिसार विचार
भुज भूषण पहिरे
पगनि भुजन नपेटे हार (ii) रूपक
(3)
जिन दिन देखे वे कुसुम गई सु बीति बहार
अब अलि रही
गुलाब की अपत कँटीली डार (iii) श्लेष
(4)
उदित उदयगिरि मंच पर रघुबर बाल पतंग
बिकसे सन्त
सरोज सब हरषे लोचन भृंग (iv) अन्योक्ति
(v) उत्प्रेक्षा
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iii) (i) (iv) (ii)
(2) (ii) (v) (iii) (i)
(3) (i) (iii) (v) (iv)
(4) (iv) (ii) (i) (iii)
95. निम्नलिखित अवधारणाओं को उनसे सम्बन्धित आचार्यों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(1)
उत्तर-सेरचनावाद (i) लुई अल्थ्युसर (Louis
Althusser)
(2)
यथार्थवाद (ii) फ्रेडरिक जेमसन (Fredric Jameson)
(3)
स्वच्छन्दतावाद (iii) राबर्ट बर्न्स (Robert
Burns)
(4)
उत्तर-आधुनिकतीवाद (iv) जार्ज लुकाच (George Lukacs)
(v) डी. एच. लारेन्स (D. H. Lawrence)
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (iv) (iii) (ii)
(2) (ii) (i) (iv) (v)
(3) (v) (iv) (ii) (i)
(4) (iii) (ii) (i) (iv)
निर्देश : निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्क पढ़िए और उससे सम्बन्धित
प्रश्नों (प्रश्न-संख्या 96 से 100) के उत्तर के लिए गए विकल्पों में से सही
विकल्प का चयन कीजिए :
सौन्दर्य किसे कहते हैं? प्रकृति,
मानव-जीवन तथा ललित कलाओँ के आनन्ददायक गुण का नाम सौन्दर्य है। इस स्थापना पर
आपत्ति यह की जाती है कि कला में कुरूप और असुन्दर को भी स्थान मिलता है। दुःखान्त
नाटक देखकर हमें वास्तव में दुःख होता है, साहित्य में वीभत्स का भी चित्रण होता
है। उसे सुन्दर कैसे कहा जा सकता है ? इस आपत्ति का उत्तर यह है कि कला में कुरूप और
असुन्दर विवादी स्वरों के समान है, जो राग के रूप को निखारते हैं। वीभत्स का
चित्रण देखकर हम उससे प्रेम नहीं करने लगते, हम उस कला से प्रेम करते हैं जो हमें
वीभत्स से घृणा करना सिखाती है। वीभत्स से घृणा करना सुन्दर कार्य है या असुन्दर ? जिसे हम कुरूप, असुन्दर और वीभत्स कहते हैं, कला में उसकी परिणति सौन्दर्य
में होती है। दुखान्त नाटकों में दूसरों का दुःख देखकर द्रवित होते हैं। हमारी
सहानुभूति अपने तक अथवा परिवार और तक, मित्रों तक सीमित न रहकर एक व्यापक रूप ले
लेती है। मानव-करुणा के इस प्रसार को हम सुन्दर कहेंगे या असुन्दर ? सहानुभूति की इस व्यापकता से हमें प्रसन्न होना चाहिए या अप्रसन्न ? दुःखान्त नाटकों अथवा करुण रस के साहित्य से हमें दुःख की अनुभूति होती है,
किन्तु यह दुःख अमिश्रित और निरपेक्ष नहीं होता। उस दुःख में वह आनन्द निहित होता
है जो करुणा के प्रसार से हमें प्राप्त होता है। इसके सिवा इस तरह के साहित्य में
हम बहुधा मनुष्य का विषम परिस्थितियों से वीरतापूर्ण संघर्ष करते हुए पाते हैं।
संघर्ष का यह उदात्त भाव दुःख की अनुभूति प्रबुद्ध द्रशकों तथा पाठकों के लिए
चुनौती का काम करती है। उनकी वेदना हमारे लिए प्रेरणा बन जाती है। आनन्द को इस
व्यापक रूप में लें । उसे इन्द्रिय-जन्य सुख का पर्यायवाची ही न मान लें, हमें
करुणा और वीभत्स के चित्रण में सौन्दर्य के अभाव की प्रतीति न होगी।
96. साहित्य में वीभत्स
का भी चित्रण सुन्दर होता है :
(1) वीभत्स को ही
काव्यशास्त्र में प्रमुख रस माना गया है।
(2) कला में असुन्दर और
कुरूप का सौन्दर्य में रूपान्तरण होता है।
(3) कला वीभत्स से घृणा
करना नहीं सिखाती।
(4) वीभत्स का चित्रण
आकर्षक होता है।
(2) कला में असुन्दर और
कुरूप का सौन्दर्य में रूपान्तरण होता है।
97. इसमें से कौन-सा कथन
सही नहीं है ?
(1) वीर मनुष्य की पराजय
आनन्द का मूल कारण है।
(2) दुःखान्त नाटकों में
सहानुभूति के स्वजनों तक सीमित रहने से मानव-करुणा का प्रसार होता है।
(3) दुःखान्त नाटक दूसरों
के दुःख से जुड़े होने के कारण हमारे दुःख का कारण नहीं बनते।
(4) प्रबुद्ध दर्शक और
पाठक दुःख को एक सीमित भाव मानते हैं।
98. इसमें से कौन-सा कथन
सही नहीं है ?
(1) वीर मनुष्यों की
वेदना सामाजिक के लिए प्रेरणा बन जाती है।
(2) करुण रस के साहित्य
में मनुष्य प्रायःविपरीत परिस्थितियों में संघर्षरत होता है।
(3) संघर्ष का औदात्य
दुःख को सीमित करता है।
(4) दुःख में आनन्द की
अनुपस्थिति होती है।
99. दुःखान्त नाटकों में
सौन्दर्य की उपस्थिति का आधार क्या है ?
(1) उसमें कुरूप और
असुन्दर को महत्व दिया जाता है।
(2) सभी दुःखान्त नाटक
प्रायः महान होते हैं।
(3) दुःखान्त नाटकों में
मानव-करुणा का प्रसार होता है।
(4) दुःखान्त नाटकों में
नाटककार स्वानुभूति का चित्रण करता है।
100. करुण रस के साहित्य
में आनन्द निहित होता है, क्योंकि :
(1) आनन्द मात्र इन्द्रिय-जन्य
सुख है।
(2) साहित्य में करुण रस
अनिवार्य है।
(3) इस साहित्य के मूल
में सहानुभूति की व्यापकता है।
(4) साहित्य में दुःख की
निरपेक्ष स्थिति है।
(3) इस साहित्य के मूल
में सहानुभूति की व्यापकता है।
Hindi Sahitya
Vimarsh
UGCNET/JRF/SET/PGT
(हिन्दी भाषा एवं साहित्य)
के परीक्षार्थियों के लिए सर्वोत्तम मार्गदर्शक
hindisahityavimarsh.blogspot,in
iliyashussain1966@gmail.com
Mobilr : 9717324769
सम्पादक : मुहम्मद इलियास हुसैन
सहायक सम्पादक : शाहिद इलियास
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें