शनिवार, 5 सितंबर 2020

रस-मैत्री

 रस-मैत्री

#अनुकूल भाव वाले अनेक रस एक-दूसरे को गति और उत्कर्ष प्रदान करते हैं तो उसे रस-मैत्री' कहते हैं।

#वीर, अद्भुत और रौद्र रस परस्पर मित्र हैं।

#वीभत्स और भयानक रस में पारस्परिक मित्रता है।



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