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— मुहम्मद इलियास हुसैन
अब लौं नसानी, अब न नसैहों —तुलसीदास
अब लौं
नसानी, अब न नसैहों।
रामकृपा भव-निसा
सिरानी जागे फिर न डसैहौं॥
पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी चित कंचनहिं कसैहौं॥
पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी चित कंचनहिं कसैहौं॥
परबस जानि
हँस्यो इन इंद्रिन निज बस ह्वै न हँसैहौं।
मन मधुपहिं प्रन करि, तुलसी रघुपति पदकमल बसैहौं॥
मन मधुपहिं प्रन करि, तुलसी रघुपति पदकमल बसैहौं॥
सुमेलित कीजिए—
जवाब देंहटाएंबसो मोरे नैनन में नन्दलाल (i) नानाकदेव
प्रभुजी मोरे अवगुन चित्त न धरो (ii) कबीर
अब लौं नसानी अब न नसै हों (iii) सूरदास
अव्वल अल्लह नूर उपाया क़ुदरत के सब बन्दे (iv) तुलसीदास
(v) मीराबाई
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(A) (v) (iii) (iv) (i)
(B) (iv) (ii) (iii) (i)
(C) (iii) (iv) (v) (i)
(D) (ii) (iii) (iv) (v)
उत्तर : (A)