शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

अब लौं नसानी, अब न नसैहों —तुलसीदास

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       मुहम्मद इलियास हुसैन

 

अब लौं नसानी, अब न नसैहों तुलसीदास


अब लौं नसानी, अब न नसैहों।
रामकृपा भव-निसा सिरानी जागे फिर न डसैहौं॥
पायो नाम चारु चिंतामनि उर करतें न खसैहौं।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी चित कंचनहिं कसैहौं॥
परबस जानि हँस्यो इन इंद्रिन निज बस ह्वै न हँसैहौं।
मन मधुपहिं प्रन करि, तुलसी रघुपति पदकमल बसैहौं॥

1 टिप्पणी:

  1. सुमेलित कीजिए—
    बसो मोरे नैनन में नन्दलाल (i) नानाकदेव
    प्रभुजी मोरे अवगुन चित्त न धरो (ii) कबीर
    अब लौं नसानी अब न नसै हों (iii) सूरदास
    अव्वल अल्लह नूर उपाया क़ुदरत के सब बन्दे (iv) तुलसीदास
    (v) मीराबाई
    a b c d
    (A) (v) (iii) (iv) (i)
    (B) (iv) (ii) (iii) (i)
    (C) (iii) (iv) (v) (i)
    (D) (ii) (iii) (iv) (v)
    उत्तर : (A)

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