QUESTION PAPER & ANSWER KEYS (Hindi-2)
CBSE/UGCNET/JRF/ NOVEMBER 2017
HINDI SAHITYA VIMARSH
मुहम्मद इलियास हुसैन
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CBSE/UGCNET/JRF ने हिन्दी साहित्य का इतिहास उलट दिया
CBSE/UGCNET/JRF N-2017 P-2 (HINDI) में 11वां है౼
वल्लभाचार्य की मृत्यु के बाद किसने कहा था, “पुष्टि मार्ग को जहाज़ जात है, सो जाकौ कछु लेना हो सो लेव।”
(A) सूरदास (B) नंददास (C) छीत स्वामी (D) विट्ठलनाथ
उपर्युक्त कथन महाकवि सूरदास का नहीं, वल्लभाचार्य के सुपुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ है, जो उन्होंने महाकवि सूरदास की मृत्यु के समय कहा था। हिन्दी साहित्य के विभिन्न इतिहास इसी तथ्य की पुष्टि करते हैं।
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NOVEMBER 2017 P-2
निर्देश
: इस
प्रश्नपत्र
में पचास (50) बहु-विकल्पीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के
दो (2) अंक हैं। सभी प्रश्न अनिवयार्य हैं।
1. निम्नलिखित में से किस भाषा का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ
है :
(A) गुजराती (B) पंजाबी (C) मराठी (D) सिन्धी
2. 'शिवसिंह सरोज' का प्रकाशन कब हुआ ?
(A)
1862 ई. (B) 1870 ई,
(C) 1883 ई (D) 1888 ई
3.
आदिकालीन काव्यग्रंथों में कथा कहने की
परम्परा को लक्ष्य करके पृथ्वीराज रासो के संदर्भ में किस समीक्षक ने लिखा है,
''कथा की परीक्षा इतिहास की दृष्टि से नहीं, काव्य की दृष्टि से होनी चाहिए ।
पुरानी कथाएँ काव्य ही अधिक हैं, इतिहास वे एकदम नहीं हैं।''
(A) मुनि जिनविजय (B) राहुल सांकृत्यायन
(C) हज़ारी प्रसाद
द्विदेदी (D) विश्वनाथप्रसाद मिश्र
4. आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विदेदी के अनुसार
चौदहवीं-पन्द्रहवीं शताब्दी के हिन्दू-मुसलमानों, सामन्तों, शहरों, सेना के
सिपाहियों और लड़ाइयों का जीवन्त और यथार्थ चित्रण किस कृति में हुआ ?
(A) हम्मीर काव्य (B) कीर्तिकौमुदी (C) कीर्तिपताका (D) कीर्तिलता
5. ‘सगुनहि अगुनहि
नहिं कछु भेदा’౼ इस तथ्य को तुलसीदास ने किसके द्वारा कहलवाया है ?
(A) शिव (B) काग भुसुंडि (C) भरद्वाज (D) तुलसीदास की स्वयं की उक्ति
6. वल्लभाचार्य की मृत्यु के बाद किसने कहा था, “पुष्टि मार्ग
को जहाज़ जात है, सो जाकौ कछु लेना हो सो लेव।”
(A)
सूरदास (B) नंददास (C) छीत स्वामी (D) विट्ठलनाथ
7. सूरसागर में जगह-जगह दृष्टिकूट वाले पद मिलते हैं। यह भी विद्यापति का अनुकरण
है। ౼सूरदास से संबंधित उक्त विचार किस आलोचक का है?
(A)
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (B) बृजेश्वर वर्मा
(C) रामचन्द्र शुक्ल
(D) हरवंशलाल शर्मा
8. हय रथ पालकी गयंद गृह ग्राम चारु आखर लगाय लेत लाखन के सामा हौं।
यह उक्ति किस
कवि की है?
(A) मतिराम (B) देव (C) कुलपति मिश्र (D) पद्माकर
9. ‘सावन आवन हेरि सखी, मनभावन आवन चोप विसेखी।
छाए कहूँ घन
आनन्दजान सम्हारि के ठौर लै भूलनी लेखी।।
बून्दें लगैं
सब अंग दगैं उलटी गति आपने पापनि पेखी।
पौन सों जागति
आगि सुनी हीपैं पानि तें लागति आँखिन देखी।।’
౼इस सवैया में विरहिणी नायिका की किस मनःस्थिति का चित्रण
किया गया है?
(A) पुलक (B) मार्मिक स्थिति (C) रोमांच (D) संकोच
10. ‘प्रिय की सुधि-सी ये सरिताएँ, ये कानन कांतार सुसज्जित।
मैं तो नहीं,
किन्तु है मेरा हृदय किसी प्रीतम से परिचित।
जिसके
प्रेमपत्र आते हैं प्रायः सुख-संवाद-सन्निहित।
उपर्युक्त
काव्य-पंक्तियां किस कवि की हैं :
(A) हरिऔध (B) रामनरेश त्रिपाठी
(C) मैथिलीशऱण गुप्त (D) लाला भगवान दीन
11. 'नाटक जारी है'
काव्य-संग्रह के रचयिता हैं :
(A)
श्रीकान्त वर्मा (B) चन्द्रकान्त देवताले
(C) धूमिल (D) लीलीधर जगूड़ी
12. निम्नलिखित में से
'आग और राग' का कवि किसे कहा जाता है :
(A) दिनकर (B) निराला (C) पन्त (D) प्रसाद
13. 'विश्वनाथ प्रसाद'
किस उपन्यास का पात्र है ?
(A)
दीर्घतपा (B) कितने चौराहे (C) मैला आंचल (D) परती परीकथा
14. बाल, वयःसंधि और
किशोर मन का मनोवैज्ञानिक अंकन किस उपन्यास में हुआ है ?
(A) जयवर्धन (B) शेखर : एक जीवनी (C) संन्यासी (D) संघर्ष
15. ‘अ-कहानी’ के प्रमुख प्रवक्ता हैं :
(A) गंगा प्रसाद विमल (B) महीप सिंह
(C) मधुकर सिंह (D) शिवप्रसाद सिंह
16. निम्नलिखित में से
कौन-सा नाटक प्रेमचन्द का है ?
(A) जय-पराजय (B) रुपया तुम्हें खा गया (C) कृष्णार्जुन युद्ध (D) कर्वला
17. हज़ारीप्रसाद
द्विवेदी द्वारा रचित निबन्ध संग्रह नहीं है ?
(A) नाथ सम्प्रदाय (B) प्रबन्ध रत्नाकर
(C) साहित्य का मर्म (D) लालित्य मीमांसा
18. 'प्रगतिवाद' शीर्षक पुस्तक के लेखक हैं౼
(A) रामविलास शर्मा (B) रांगेय राघव
(C) शिवकुमार मिश्र
(D) शिवदानसिंह चौहान
(दोनों उत्तर सही हैं।)
19. ''त्रितयमिदं
व्याप्रियते शक्तिर्व्युत्पत्तिः'' ౼यह कथन किसका है?
(A) भामह (B) रुद्रट (C) मम्मट (D) जयदेव
20. निम्नलिखित में से
कोन-सा वक्रोक्ति भेद नहीं है ?
(A) उक्ति विन्यास वक्रता (B) वर्ण विन्यास वक्रता
(C) पद पूर्वार्ध वक्रता
(D) प्रकरण वक्रता
21. जन्मकाल की दृष्टि
से निम्नलिखित कवियों का सही अनुक्रम है ::
(1) नानक, कबीर, सुन्दरदास, दादू
(2) कबीर, नानक, दादू, सुन्दरदास
(3) कबीर, दादू, नानक,
सुन्दरदास
(4) नानक, सुन्दरदास, कबीर, दादू
22. रचनाकाल की दृष्टि से निम्नलिखित रचनाओं का सही अनुक्रम है
:
(1) शिवराजभूषण, ललितललाम. पद्माभरण, नवरसतरंग
(2) नवरसतरंग, शिवराजभूषण, ललितललाम. पद्माभरण
(3) पद्माभरण, शिवराजभूषण, ललितललाम. नवरसतरंग
(4) ललितललाम, शिवराजभूषण,. पद्माभरण, नवरसतरंग
23. जन्मकाल की दृष्टि से निम्नलिखित कवियों का सही अनुक्रम है
::
(1) मैथिलीशरण गुप्त, श्रीधर पाठक, रामनरेश त्रिपाठी, निराला
(2) श्रीधर पाठक, रामनरेश त्रिपाठी, मैथिलीशरण गुप्त, निराला
(3) रामनरेश त्रिपाठी, श्रीधर पाठक, निराला, मैथिलीशरण गुप्त
(4) श्रीधर पाठक, मैथिलीशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी, निराला
24. जन्मकाल की दृष्टि
से निम्नलिखित कवियों का सही अनुक्रम है ::
(1) बच्चन, अज्ञेय, रघुवीर सहाय, मुक्तिबोध
(2) बच्चन, अज्ञेय, मुक्तिबोध, रघुवीर सहाय
(3) अज्ञेय, बच्चन, मुक्तिबोध, रघुवीर सहाय
(4) अज्ञेय, बच्चन, रघुवीर सहाय, मुक्तिबोध
25. प्रकाशन वर्ष की दृष्टि से निम्नलिखित आत्मकथाओं
का
सही
अनुक्रम
है
:
(1)
नीड़ का
मिर्माण फिर, जूठन, शिकंजे का दर्द, अपनी ख़बर
(2) अपनी ख़बर, नीड़ का मिर्माण फिर, जूठन, शिकंजे का दर्द
(3) जूठन, शिकंजे का दर्द, अपनी ख़बर, नीड़ का मिर्माण फिर
(4) शिकंजे का दर्द, अपनी ख़बर, नीड़ का मिर्माण फिर, जूठन
26. प्रकाशन व्रष के अनुसार निम्नलिखित कहानी संग्रहों का सही
अनुक्रम है
(1) शरणार्थी, परिन्दे, कॉमरेड का कोट, डायन
(2) डायन, कॉमरेड का कोट, परिन्दे, शरणार्थी
(3) परिन्दे, शरणार्थी, डायन, कॉमरेड का कोट
(4) कॉमरेड का
कोट, डायन, शरणार्थी, परिन्दे
27. कुबेरनाथराय के निबंध संग्रहों का प्रकाशन वर्ष के अनुसार
सही अनुक्रम है
(1) कामधेनु, मराल, आगम की नाव, गंधमादन
(2) गंधमादन, कामधेनु. मराल, आगम की नाव
(3) मराल, आगम की नाव, गंधमादन, कामधेनु
(4) आगम की नाव, गंधमादन, कामधेनु. मराल
28. प्रकाशन वर्ष की दृष्टि से प्रसाद के नाटकों का सही
अनुक्रम है :
(1) सज्जन, विशाख, जनमेजय का नागयज्ञ, ध्रुवस्वामिनी
(2) विशाख, ध्रुवस्वामिनी, सज्जन, जनमेजय का
नागयज्ञ
(3) जनमेजय का
नागयज्ञ, सज्जन, ध्रुवस्वामिनी, विशाख
(4)
ध्रुवस्वामिनी, जनमेजय का नागयज्ञ, सज्जन, विशाख
29. रससूत्र के व्याख्याकारों का सही अनुक्रम है :
(1) भट्टनायक,
भट्टलोल्लट, शंकुक, अभिनव गुप्त
(2)
भट्टलोल्लट, शंकुक, अभिनव गुप्त, भट्टनायक
(3)
भट्टलोल्लट, शंकुक, भट्टनायक, अभिनव गुप्त
(4) शंकुक,
भट्टलोल्लट, भट्टनायक, अभिनव गुप्त
30. निम्नलिखित
ग्रंथों का कालक्रमानुसार
सही अनुक्रम
है :
(A)
आलोचना के मान, रसमीमांसा, नयी कविता,
नयी कविता और अस्तित्ववाद
(B) रसमीमांसा,
आलोचना के मान, नयी कविता, नयी कविता और अस्तित्ववाद
(C) रसमीमांसा, नयी कविता, आलोचना के मान, नयी कविता और
अस्तित्ववाद
(D) नयी कविता और अस्तित्ववाद, नयी कविता, आलोचना के मान,
रसमीमांसा
31. निम्नलिखित लेखकों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) विजयदेव सूरी (i) रेवन्तगिरिरास
(B) नरपति नाल्ह (ii)
भरतेश्वर बाहुबली रास
(C) शालिभद्र सूरी (iii)
बीसलदेव रासो
(D) आसगु (iv) चन्दनबाला रास (v) योगचर्या
कोड
:
(A) (b) (c) (d)
(1) (ii) (i) (iv) (v)
(2) (i) (iii) (ii) (iv)
(3) (iv) (ii) (iii) (v)
(4) (v) (iv) (i) (iii)
32. निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके प्रवर्तकों के साथ सुमेलित
कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) श्रीसम्प्रदाय (i)
मध्वाचार्य
(B) व्राह्म सम्प्रदाय (ii) विष्णुस्वामी
(C) रुद्र सम्प्रदाय (iii) रामानुजाचार्य
(D) सनकादि सम्प्रदाय (iv) वल्लभाचार्य (v) निम्बाकाचार्य
कोड
:
(A) (b) (c) (d)
(1) (i) (iii) (v) (iv)
(2) (iii) (iv) (i) (ii)
(3) (ii) (i) (iii) (iv)
(4) (iii) (i) (ii) (v)
33. निम्नलिखित प्रबन्धकाव्यों को उनकी रचनाकारों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II :
(A) चण्डीचरित्र (i)
कुलपति मिश्र
(B) द्रोँणपर्व
(संग्राम सार) (ii)
रामसिंह
(C) सुजानचरित (iii)
गोविन्द सिंह
(D) हिम्मतबहादुर
विरुदावली (iv) सूदन (v) पद्माकर
कोड
:
(A) (b) (c) (d)
(1) (i) (iii) (ii) (iv)
(2) (iv) (v) (i) (iii)
(3) (ii) (i) (iii) (iv)
(4) (iii) (i) (iv) (v)
34. निम्नलिखित रचनाओं
को उनके रचनाकारओं के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) प्रेमवाटिका (i) रसखान
(B) कवित्तरत्नाकर (ii) सेनापति
(C) रसरतन (iii) पुहकर कवि
(D) तिलकशतक (iv) मुबारक (v) क़ादिर
कोड
:
(A) (b) (c) (d)
(1) (ii) (iii) (i) (v)
(2) (i) (ii) (iii) (iv)
(3) (v) (i) (iv) (ii)
(d) (iv) (v) (ii) (i)
उत्तर : (2)
35. निम्नलिखित रचनाओं को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) वनबेला (i)
रामनरेश त्रिपाठी
(b) उत्तरा (ii)
निराला
(c) परिक्रमा (iii)
पन्त
(d) चित्राधार (iv) महादेवी वर्मा (v) प्रसाद
कोड
:
(A) (b) (c) (d)
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (ii) (iii) (iv) (v)
(3) (iii) (v) (iv) (ii)
(d) (ii) (iv) (iii) (v)
उत्तर : (2)
36. निम्नलिखित
काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) प्रिय स्वतंत्र रव अमृत मंत्र नव भारत में भर दे (i)
जयशंकर प्रसाद
(B) इस प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा। (ii) निराला
(C) अरे कहां देखा है तुमने, मुझे प्यार करने वाले को । (iii) बच्चन
(D) यह मन्दिर का दीप, इसे नीरव जलने दो (iv) महादेवी वर्मा (v)
पन्त
कूट
:
a b c d
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (iii) (iv) (v) (i)
(3) (ii) (iii) (i) (iv)
(4) (iv) (i) (ii) (iii)
37. निम्नलिखित पात्रों को उनसे सम्बद्ध उपन्यासों के साथ
सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) जयदेव पुरी (i)
बलचनवा
(B) चन्द्रमाधव (ii)
झूठा-सच
(C) फूल बाबू (iii) नाच्यौ बहुत गोपाल
(D) निर्गुनिया (iv)
नदी के द्वीप (v) सूरज का सातवां घोड़ा
कोड
:
a b c d
(1) (ii) (iv) (i) (iii)
(2) (i) (ii) (iii) (iv)
(3) (iii) (i) (ii) (v)
(4) (v) (iii) (iv) (ii)
38. निम्नलिखित पत्रों
को उनसे संबंद्ध कहानियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) आननन्दी (i) मंत्र
(B) दीनदयाल (ii)
सवा सेर गेहूँ
(C) डॉ. जयपाल (iii)
जुलूस
(D) शंकर (iv) बड़े घर की बेटी (v) मूठ
कोड
:
(A) (b) (c) (d)
(1) (iv) (iii) (ii) (i)
(2) (iv) (iii) (v) (ii)
(3) (ii) (iv) (i) (v)
(4) (iii) (i) (iv) (ii)
39. निम्नलिखित रचनाओं को उनके नाट्य रूपों के साथ सुमेलित
कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) चन्द्रावली (i) गीति नाट्य
(B) विषस्य
विषमौषधमअ (ii) एकांकी
(C) एक घूँट (iii) भाण
(D) करुणालय (iv) नाटिका (v) प्रहसन
कोड :
(A) (b) (c) (d)
(1) (iv) (iii) (ii) (i)
(2) (i) (ii) (III) (iV)
(3) (ii) (iv) (i) (v)
(4) (iii) (i) (iv) (ii)
40. निम्नलिखित आचार्यों को उनके ग्रंथों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) अभिनवगुप्त (i) स्रस्वतीकंठाभरण
(B) राजशेखऱ (ii) ध्वन्यालोकलोचन
(C) महिम भट्ट (iii) काव्यप्रकाश
(D) भोजराज
(iv)
काव्यमीमांसा (v)
व्यक्तिविवेक
कोड
:
a b c d
(1) (iv) (v) (i) (iii)
(2) (iii) (ii) (v) (i)
(3) (ii) (iv) (v) (i)
(4) (i) (iii) (iv) (ii)
निर्देश : 41 से 45 प्रशनों में दो कथन दिए गए हैं। इनमें से एक
स्थापना (A) है और दूसरा
तर्क (R) है। कोड में
दिए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।
41.
स्थापना (Assertion) (A)
: कविता आत्मप्रकाशन है, जो केवल कवि के
हृदय को आनन्द प्रदान करती है।।
तर्क (Reason) (R)
: इसीलिए कविता को कवि की आत्मा का आलोक
माना गया, जो समस्त लोक को प्रकाशित करता है।
(1) (A) ग़लत (R) सही (2) (A)
सही (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) सही (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
42. स्थापना (Assertion) (A) : साहित्य समाज के सामूहिक हृदय का विकास है।
तर्क (Reason) (R)
: इसीलिए समाज में रहनेवाले विभिन्न
धर्मालम्बियों की चित्तवृत्ति का इमें अलग-अलग विकास होता है।
(1) (A)
सही (R) ग़लत (2) (A) सही (R) सही
(3) (A) ग़लत (R) सही (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
43. स्थापना (Assertion) (A) : मिथक सार्वकालिक और सार्वदेशिक होते हैं।
तर्क (Reason) (R)
: क्योंकि सभी देशों की जातीय अस्मिता और
विकास एक जैसे हैं।
(1) (A) सही
(R) सही (2) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) ग़लत (4) (A) सही (R) सही
44. स्थापना (Assertion) (A) : रहस्यभावना के लिए द्वैत की स्थिति भी आवश्यक है और अद्वैत
का आभास भी।
तर्क (Reason) (R)
: क्योंकि एक के अभाव में विरह की स्थिति
असम्भव हो जाती है और दूसरे के बिना मिलन की इच्छा आधार खो देती है।
(1) (A) सही (R) सही (2) (A) सही और (R) ग़लत
(3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) ग़लत और (R) सही
45. स्थापना (Assertion) (A) : भारतेन्दु युग आधुनिकता का प्रवेश द्वार है।
तर्क (Reason) (R)
: क्योंकि भारतेन्दु युगीन साहित्य में
पश्चिमी संस्कृति के संघात से शुद्ध भारतीयता का उदय हुआ।
(1) (A)
सही (R) ग़लत (2) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही और (R) सही (4) (A) ग़लत और (R) सही
निर्देश
: निम्नलिखित
अवतरण
को
ध्यानपूर्वक
पढ़िए
और
उससे
सम्बन्धित
प्रश्नों (46
से
50 तक)
के
दिए
गए
बहुविकलपों
में से
सही
विलक्प
का
चयन
कीजिए
:
''फल की विशेष आसक्ति से कर्म के लाघव की वासना उत्पन्न
होती है, चित्त में यही आता है कि कर्म बहुत कम या बहुत सरल करना पड़े और फल
बहुत-सा मिल दाए। श्रीकृष्ण ने कर्म मार्ग से फलासक्ति की प्रबलता हटाने का बहुत
ही स्पष्ट उपदेश दिया था, पर उनके समझाने पर भी भारतवासी इस वासना से ग्रस्त होकर
कर्म से तो उदास हो बैठे फल के पीछे इतने पड़े कि गली में ब्राह्मण को एक पेठा
देकर पुत्र की आशा करने लगे,चार आने रोज़ का अनुष्ठान कराके व्यापार से लाभ, शत्रु
पर विजय, रोग से मुक्ति, धन-धान्य की वृद्धि तथा और भी न जाने क्या-क्या चाहने
लगे। आसक्ति प्रस्तुत या उपस्थित वस्तु में ठीक कही जा सकती है। कर्म सामने
उपस्थित रहता है। इससे आसक्ति उसी में चाहिए। फल दूर रहता है, इससे उसकी ओर कर्म
का लक्ष्य काफ़ी है। जिस आनन्द से कर्म की उत्तेजना होती है और जो आनन्द कर्म करते
समय बराबर चला चलता है, उसी का नाम उत्साह है।''
46.
''फल की विशेष आसक्ति के लाघव की वासना उत्पन्न होती है।'' इस कथन के
माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि
(1) कर्म करते समय फल
के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
(2) फल के बारे में
अधिक आसक्ति से कर्म करने में रुचि घटती है।
(3) फल के बारे में
अधिक आसक्ति से कर्म के प्रति उत्साह में इज़ाफ़ा होता है।
(4) फल के लालच में
जल्दी-जल्दी कर्म करना दुर्घटना का कारण हो सकता है।
47. ''श्रीकृष्ण ने कर्म मार्ग से फलासक्ति की प्रबलता हटाने
का बहुत ही स्पष्ट उपदेश दिया था'' से तात्पर्य है ౼
(1) श्रीकृष्ण ने कहा
था कि कर्म करते जाओ और फल की चिन्ता न करो।
(2) श्रीकृष्ण ने कहा
था कि कर्म करते जाओ, सिर्फ़ फल की चिन्ता न करो।
(3) श्रीकृष्ण ने कहा
था कि यदि तुम निष्ठापूर्वक कर्म करोगे तो
फल अवश्य मिलेगा।
(4) श्रीकृष्ण ने कहा
था कि फल में आसक्ति की अधिकता कर्म के प्रति उत्साह में बाधक होती है।
48. ''आसक्ति प्रस्तुत या उपस्थित वस्तु में ठीक कही जा सकती
है।'' क्योंकि :
(1) जो प्रस्तुत नहीं
है उसकी इच्छा संकट का कारण बन सकती है।
(2) जो प्रस्तुत नहीं
है उसमें रुचि पैदा नहीं हो सकती है
(3) कर्म प्रस्तुत
होता है इसलिए उसके प्रति रुचि स्वाभाविक है।
(4) अप्रस्तुत की
आकांक्षा मानसिक स्वास्थ्य की पहचान नहीं है।
49. चार आने रोज़ का अनुष्ठान करके व्यापार से लाभ की आशा करना
गीता के विरुद्ध क्यों है ?
(1) इसमें वासना
मिली हुई है।
(2) इसमें कम ख़र्च
करके ज़्यादा लाभ प्राप्त करने की लालसा है।
(3) इस कर्म में
उत्साह के साथ लोभ जुड़ा है।
(4) इसके पीछे
अंधविश्वास है।
50. उपर्युक्त
अवतरण में फल की विशेष आसक्ति से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(1) कर्म के प्रति
अत्यधिक अनुराग।
(2) फल के प्रति
अत्यधिक लोभ।
(3) कर्म और फल दोनों
के प्रति अत्यधिक लाभ।
(4) कर्म के प्रति
अनुराग और फल के प्रति उदासीनता।
NOVEMBER-2017 P-2
| 1 1 | 26 1 |
| 2 3 | 27 2 |
| 3 3 | 28 1 |
| 4 4 | 29 3 |
| 5 1 | 30 2 |
| 6 4 | 31 2 |
| 7 3 | 32 4 |
| 8 4 | 33 4 |
| 9 2 | 34 2 |
| 10 2 | 35 2 |
| 11 4 | 36 3 |
| 12 1 | 37 1 |
| 13 3 | 38 2 |
| 14 2 | 39 1 |
| 15 1 | 40 3 |
| 16 4 | 41 2 |
| 17 2 | 42 1 |
| 18 K | 43 1 |
| 19 2 | 44 1 |
| 20 1 | 45 1 |
| 21 2 | 46 2 |
| 22 4 | 47 4 |
| 23 4 | 48 3 |
| 24 2 | 49 1 |
| 25 2 | 50 2 | HINDI SAHITYA VIMARSH
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CBSE/UGCNET/JRF ने हिन्दी साहित्य का इतिहास उलट दिया
CBSE/UGCNET/JRF N-2017 P-2 (HINDI) में 11वां है౼
वल्लभाचार्य की मृत्यु के बाद किसने कहा था, “पुष्टि मार्ग को जहाज़ जात है, सो जाकौ कछु लेना हो सो लेव।”
(A) सूरदास (B) नंददास (C) छीत स्वामी (D) विट्ठलनाथ
उपर्युक्त कथन महाकवि सूरदास का नहीं, वल्लभाचार्य के सुपुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ है, जो उन्होंने महाकवि सूरदास की मृत्यु के समय कहा था। हिन्दी साहित्य के विभिन्न इतिहास इसी तथ्य की पुष्टि करते हैं।
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