शनिवार, 23 नवंबर 2019

शारंगधर (SHARANGDHAR): आचार्य रामचंद्र शुक्ल की दृष्टि में (HINDI SAHITYA VIMARSH)

शारंगधर (SHARANGDHAR): आचार्य रामचंद्र शुक्ल की दृष्टि में (HINDI SAHITYA VIMARSH)

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शारंगधर का आयुर्वेद का ग्रंथ तो प्रसिद्ध ही है। ये अच्छे कवि और सूत्रकार भी थे। इन्होंने 'शारंगधर पद्धति' के नाम से एक सुभाषित संग्रह भी बनाया है और अपना परिचय भी दिया है। रणथंभौर के सुप्रसिद्ध वीर महाराज हम्मीरदेव के प्रधान सभासदों में राघवदेव थे। उनके भोपाल, दामोदर और देवदास ये तीन पुत्र हुए। दामोदर के तीन पुत्र हुए शारंगधर, लक्ष्मीधर और कृष्ण। हम्मीरदेव संवत् 1357 में अलाउद्दीन की चढ़ाई में मारे गए थे। अत: शारंगधर के ग्रंथों का समय उक्त संवत् के कुछ पीछे अर्थात् विक्रम की चौदहवीं शताब्दी के अंतिम चरण में मानना चाहिए।

'शारंगधर पद्धति' में बहुत-से शाबर मंत्र और भाषा-चित्र-काव्य दिए हैं जिनमं बीच-बीच में देशभाषा के वाक्य आए हैं

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