बुधवार, 16 मई 2018

UGC/NET/JRF में पूछे गए कथन/गद्य/पद्य-पंक्तियाँ-1

UGC/NET/JRF में पूछे गए कथन/गद्य/पद्य-पंक्तियाँ-1

1. ‘‘नायिका भेद की संकीर्ण सीमा में जितना लोकचित्त आ सकता था, इस काल (रीति) का उतना चित्र निश्चय ही विश्वसनीय और मनोरम है।’’ ౼यह कथन किसका है?
(1) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (2) नगेन्द्र
(3) भगीरथ मिश्र (4) शिवकुमार मिश्र
1. (3) भगीरथ मिश्र

2. ‘‘मैंने श्रीकृष्णचन्द्र को इस ग्रंथ में एक महापुरुष की भाँति अंकित किया है, ब्रह्म करके नहीं।’’ ౼यह आख्यान किस कवि ने किया है ?
(1) धर्मवीर भारती (2) द्वारिका प्रसाद मिश्र
(3) मैथिलीशरण गुप्त (4) अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध
2. (4) अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध

3. ‘‘दुख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज जो नहीं कही।’’ ౼यह कथन किस कवि का है ?
(1) प्रसाद (2) मुक्तिबोध
(3) निराला (4) पंत
3. (3) निराला

4. ‘‘भूलकर जब राह, जब जब राह, भटका मैं
तुम्हीं झलके, महाकवि,
सघन तम की आंख बनकर मेरे लिए’’ ౼महाकवि निराला का उपर्युक्त स्तवन किस परवर्ती कवि ने किया है ?
(1) शमशेर बहादुर सिंह (2) रामधारी सिंह दिनकर
(3) धर्मवीर भारती (4) रघुवीर सहाय
(1) शमशेर बहादुर सिंह

5. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) जाके कुटुम्ब सब ढोर ढोबन्त
फिरहिं अजहुं बानारसी आसपासा (i) जायसी
(B) जेई मुख देखा तेइ हँसा
सुना ते आयउ आँसु (ii) सूरदास
(C) हरि हैं राजनीति पढि आए समुझी बात
कहत मधुकर जो समाचार कछु पाए (iii) रैदास
(D) संतन को कहा सीकरी सो काम (iv) नंददास
(v) कुंभनदास
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) (v) (i) (ii)
(2) (iii) (iii) (v) (i)
(3) (iii) (i) (ii) (v)
(4) (i) (ii) (iv) (iii)
5. (3)
(A) जाके कुटुम्ब सब ढोर ढोबन्त
फिरहिं अजहुं बानारसी आसपासा ౼रैदास
(B) जेई मुख देखा तेइ हँसा
सुना ते आयउ आँसु ౼जायसी
(C) हरि हैं राजनीति पढि आए समुझी बात
कहत मधुकर जो समाचार कछु पाए ౼सूरदास
(D) संतन को कहा सीकरी सो काम ౼कुंभनदास

6. ‘‘मोरा जोबना नवेल रा भयो है गुलाल
कासे घर दीनी बकस मोरी माल।
उक्त काव्य-पंक्तियां के रचयिता हैं’’
(A) धर्मदास (B) अमीर ख़ुसरो (C) दरिया साहब (D) यारी साहब
6. (B) अमीर ख़ुसरो

7. ‘‘सखी हौं स्याम रंग रंगी।
देखी बिकाय गई वह मूरति, सूरत माहिं पगी ।’’ ౼ये काव्य-पंक्तियां किसकी हैं?
(A) हितहरिवंश (B) गदाधर भट्ट (C) मीराबाई (D) जीव गोस्वामी
7. (B) गदाधर भट्ट

8. ‘‘तिय सैसव जोबन मिले, भेद न जान्यो जात।
प्रात समय निसि द्योस के डुबो भाव दरसात।’’
इस देाहे में नायिका की किस अवस्था का वर्णन किया गया है?
(A) सद्यः स्नाता (B) वयःसंधि (C) नवोढा (D) मानमृदु
8. (B) वयःसंधि

9. ‘‘जगत् जनायो जिहिं सकल, सो हरि जान्यों नाहिं।
ज्यों आंखिन सब देखियै, आंखि न देखी जाहिं।।’’
उक्त दोहे में कौन-सा अलंकार है?
(A) दृष्टान्त (B) उदाहरण (C) उपमा (D) प्रतिवस्तुपमा
9. (B) उदाहरण

10. ‘‘रचना न तो दर्शन है और न किसी ज्ञानी के प्रौढ मस्तिष्क का चमत्कार। यह तो अन्तततः एक साधारण मनुष्य का शंकाकालु हृदय ही है, जो मस्तिष्क के स्तर पर चढकर बोल रहा है।’’ ౼रामधारी सिंह दिनकर द्वारा कहा गया यह कथन किस काव्य में संबंध में है?
(A) रश्मिरथी (B) उर्वशी (C) कुरुक्षेत्र (D) परशुराम की प्रतीक्षा
10. (C) कुरुक्षेत्र

11. ‘‘उड़ गया गरजता यंत्र-गरुड़
बन बिन्दु, शून्य में पिघल गया साँप।’’ ౼ये पंक्तियाँ अज्ञेय की किस कविता से हैं?
(A) पहचान (B) साँप (C) हरि घास पर क्षण भर (D) हवाई अड्डे पर विदा
11. (D) हवाई अड्डे पर विदा

12. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) हौं सब कबिन्ह केर पच्छिलगा। (i) कबीरदास
(B) कबित्त बिवेक एक नहिं मोरे। (ii) जायसी
(C) प्रभुजी, हौं पतितन कौ टीको। (iii) मलूकदास
(D) अब तो अजपा जपु मन मेरे (iv) तुलसीदास (v) सूरदास
कोड :
a b c d
(A) (ii) (iv) (v) (iii)
(B) (iv) (i) (ii) (v)
(C) (iii) (ii) (iv) (i)
(D) (i) (iv) (v) (ii)
12. (A)
(A) हौं सब कबिन्ह केर पच्छिलगा। (जायसी)
(B) कबित्त बिवेक एक नहिं मोरे। (तुलसीदास)
(C) प्रभुजी, हौं पतितन कौ टीको। (सूरदास)
(D) अब तो अजपा जपु मन मेरे। (कबारदास)

13. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) श्रेय नही कुछ मेरा मैं तो डूब गया था स्वयं शून्य में
वीणा के माध्यम से अपने को मैंने सब कुछ सौंप दिया था। (i) मुक्तिबोध
(B) परम अभिव्यक्ति लगातार घूमती है जग में
पता नहीं जाने कहाँ, जाने कहाँ वह है (ii) दिनकर
(C) पर एक तत्व है बीज रूप स्थित मन में साहस में,
स्वतंत्रता में, नूतन सृजन में (iii) शमशेर बहादुर सिंह
(D) मैं उनका आदर्श जो व्यथा न खोल सकेंगे
पूछेगा जग किन्तु पिता का नाम न बोल सकेंगे। (iv) धर्मवीर भारती (v) अज्ञेय
कोड :
a b c d
(A) (iv) (i) (iv) (ii)
(B) (v) (i) (iii) (ii)
(C) (i) (ii) (iii) (iv)
(D) (iv) (iii) (ii) (vi)
13. (B)
(A) श्रेय नही कुछ मेरा मैं तो डूब गया था स्वयं शून्य में
वीणा के माध्यम से अपने को मैंने सब कुछ सौंप दिया था।
(अज्ञेय, असाध्यवीणा)
(B) परम अभिव्यक्ति लगातार घूमती है जग में
पता नहीं जाने कहाँ, जाने कहाँ वह है । (मुक्तिबोध, अन्धेरे में, भाग 8)
(C) पर एक तत्व है बीज रूप स्थित मन में साहस में,
स्वतंत्रता में, नूतन सृजन में (धर्मवीर भारती, अन्धायुग)
(D) मैं उनका आदर्श जो व्यथा न खोल सकेंगे
पूछेगा जग किन्तु पिता का नाम न बोल सकेंगे। (दिनकर, रश्मिरथी)

14. ‘‘मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन रावन रिपु जग सुखदाई। राजीव विलोचन भव भय मोचन पाहि-पाहि सरनहिं आई।।’’
౼रामचरित मानस की उक्त चौपाई में व्यक्त विचार किस पात्र के हैं ?
(1) अहल्या (2) शबरी
(3) तारा (4) मंदोदरी
14. (1) अहल्या

15. ‘‘अच्युत् चरन तरंगिगिनी, शिव-सिर मालती माल।
परि न बनायो सुरसरी, कीजो इंजव भाल।’’
౼इस दोहे के रचनाकार का नाम है :
(1) रहीम (2) रसलीन
(3) रसखान (4) रामसहाय
15. (1) रहीम

16. ‘‘लिखन बैठी जाकी सबी गहि-गहि हरब गरूर।
भए न केते जगत के चतुर चितेरे कूर।।’’ ౼इस दोपे में सबी शब्द का अर्थ है :
(1) चित्र (नायिका के समान) (2) काल्पनिक चित्र
(3) आदर्श चित्र (4) मनोनुकूल चित्र
16. (1) चित्र (नायिका के समान)

17. ‘‘कहाँ हो ऐ हमारे प्राण प्यारे। किधर तुम छोड़कर हमको सिधारे।।
बुढ़ापे में यह दुख भी देखना था।। इसको को देखने को मैं बचा था।’’
౼ये काव्य-पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?
(1) प्रतापनारायण मिश्र (2) अम्बिकादत्त व्यास
(3) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (4) उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी
17. (3) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

18. ‘‘फिर परियों के बच्चे से हम सुभग सीप के पंख पसार।
समुद्र पैरते शुचि ज्योत्सना में पकड़ इन्द्र के कर सुकुमार।’’
౼इन काव्य-पंक्तियों के रचनाकार हैं :
(1) सुमित्रानन्दन पंत (2) महादेवी वर्मा
(3) निराला (4) प्रसाद
18. (1) सुमित्रानन्दन पंत

19. ‘‘सब का निचोड़ लेकर तुम
सुख से सूखे जीवन में
बरसो प्रभात हिम कण-सा
आँसू बनकर जीवन में।’’
उक्त काव्य-पंक्तियों के रचयिता हैं :
(1) निराला (2) जयशंकर प्रसाद
(3) महादेवी वर्मा (4) पंत
19. (2) जयशंकर प्रसाद

20. ‘‘कहाँ जाऊँ?/हर दिशा में/मृत्यु से भी बहुत आगे की अपरिमित दूरियाँ हैं।’’ ౼कविता की ये पंक्तियाँ कुंवर नारायण की किस रचना से है?
(1) चक्रव्यूह (2) अपने सामने
(3) आत्मजयी (4) परिवेश : हम-तुम
20. (3) आत्मजयी

21. ‘‘वैदिक सूक्तों के गरिमामय उद्गम से लेकर लोकगीतों के महासागर तक जिस अविछिन्न प्रवाह की उपलब्धि होती है, उस भारतीय भावधारा का स्नातक हूँ।’’
उपर्युक्त विचार विद्यानिवास मिश्र ने अपने किस निबंध-संग्रह की भूमिका में लिखे हैं?
(1) देश, धर्म और साहित्य (2) पीपल के बहाने
(3) छितवन की छांह (4) शिरीष की याद आई।
21. (3) छितवन की छांह

22. अज्ञेय ने ‘शेखर’ के संदर्भ में अपने किस निबंध में स्वीकार किया है कि ‘‘ज्याँ क्रिस्तोफ के अनवत आत्मशोध और आत्म-साक्षात्कार का जो चित्र ‘रोलाँ’ ने प्रस्तुत किया है, उससे कुछ अवश्य प्रेरणा मिली ?’’
(1) अद्यतन (2) आत्मनेपद
(3) त्रिशंकु (4) धार और किनारे
22. (2) आत्मनेपद

23. ‘‘आज बस पराजय की बेला में सिद्ध हुआ
झूठी थी सारी अनिवार्यता भविष्य की
केवल कर्म सत्य है
मानव जो करता है, इसी समय
उसी में निहित है भविष्य
युग-युग तक का।’’
౼अंधायुग का उक्त संवाद किस अंक से उद्धृत है ?
(1) कौरव नगरी (2) गांधारी का शाप
(3) प्रभु की मृत्यु (4) पशु का उदय
23. (4) पशु का उदय

24. ‘‘समझदारी आने पर यौवन चला जाता है, जब तक माला गुंथी जाती है फूल कुम्हला जाते हैं।’’
౼जयशंकर प्रसाद कृत ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक का उक्त संवाद किस पात्र द्वारा बोला गया है ?
(1) दाण्ड्यायन (2) चाणक्य
(3) चन्द्रगुप्त (4) सिंहरण
24. (2) चाणक्य

25. ‘‘काव्यशोभायाः कर्तारौ धर्मः गुणाः।’’ ౼यह किस आचार्य की उक्ति है ?
(1) मम्मट (2) वामन
(3) आनन्दवर्द्धन (4) विश्वनाथ
25. (2) वामन

26. जहाँ सामानार्थक विशेषणों से प्रस्तुत के वर्णन द्वारा अप्रस्तुत का बोध कराया जाय, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है ?
(1) समासोक्ति (2) सहोक्ति
(3) विनोक्ति (4) व्यक्तिरेक
26. (1) समासोक्ति

27. ‘‘मैं साहित्य को मनुष्य की दृष्टि से देखने का पक्षपाती हूँ।’’ ౼यह किस आचार्य की उक्ति है?
(1) महावीर प्रसाद द्विवेदी (2) रामचन्द्र शुक्ल
(3) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (4) नन्ददुलारे वाजपयी
27. (3) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी

28. स्वाधीनता प्राप्ति के अवसर पर लिखी गई निम्नलिखित कविता किस कवि की है?
‘‘मुक्त गगन है, मुक्त पवन है, मुक्त सांस गर्वीली।
लांघ सात लांबी सदियों को हुई शृंखला ढीली।
टूटी नहीं कि लगा अभी तक, उपनिवेश का दाग़?
बोल तिरंगे, तुझे उड़ाऊँ या कि जगाऊँ आग?’’
(1) माखनलाल चतुर्वेदी (2) रामधारी सिंह दिनकर
(3) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ (4) सोहनलाल द्विवेदी
28. (1) माखनलाल चतुर्वेदी

29. ‘‘कविता तो कवि की आत्मा का आलोक है, उसके हृदय का रस है, जो बाहर की वस्तु का अवलम्ब लेकर फूट पड़ती है।’’ ౼यह कथन किसका है?
(1) जयशंकर प्रसाद (2) नरेश मेहता
(3) रामधारी सिंह दिनकर (4) कुंवर नारायण
29. (3) रामधारी सिंह दिनकर

30. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(a) जेहि पंखी के नियर होई, करै बिरह की बात। सोई पंखी जाई जरि, तरिवर होई निपात (i) तुलसीदास
(b) हमको सपनेहू में सोच जा दिन तें बिछुरे नन्दनन्दन ता दिन ते यह पोच। (ii) नंददास
(d) जब जीवन को है कपि आस न कोय। कनगुरिया की मुदरी कंगना होय (iii) सूरदास
(d) जिभिया ऐसी बावरी कहि गई सरग-पताल आपुहिं कहि भीतर रही, जूती खात कपाल। (iv) जायसी (v) रहीम
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) ( iii) ( i) (v)
(2) (v) (iv) (ii) (i)
(3) (iii) (v) (iv) (ii)
(4) (ii) ( i) ( iii) ( iv)
30. (1)
(a) जेहि पंखी के नियर होई, करै बिरह की बात। सोई पंखी जाई जरि, तरिवर होई निपात ౼ जायसी
(b) हमको सपनेहू में सोच जा दिन तें बिछुरे नन्दनन्दन ता दिन ते यह पोच। ౼ सूरदास
(c) जब जीवन को है कपि आस न कोय। कनगुरिया की मुदरी कंगना होय ౼ तुलसीदास
(d) जिभिया ऐसी बावरी कहि गई सरग-पताल आपुहिं कहि भीतर रही, जूती खात कपाल। ౼ रहीम

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