UGCNET/JRF में 'हिन्दी भाषा एवं साहित्य' विषय पर पूछे गए कथनों और गद्य-पद्य-पंक्तियों के प्रश्न-6
UGCNET/JRF में 'हिन्दी भाषा एवं साहित्य' विषय पर पूछे गए कथनों और गद्य-पद्य-पंक्तियों के प्रश्न-6
157. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) जो बीत गई सो बात गई (i) मुक्तिबोध
(2) मैं तो डूब गया था स्वयं सून्य में (ii) दिनकर
(3) दो पाटों के बीच पिस गया (iii) बच्चन
(4) रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन नहीं तो और क्या है (iv) अज्ञेय (v) नरेंद्र शर्मा
कूट :
a b c d
(A) v i ii iv
(B) iv iv iii v
(C) iii v iv ii
(D) iii iv i ii
157. (D)
(1) जो बीत गई सो बात गई बच्चन
(2) मैं तो डूब गया था स्वयं सून्य में अज्ञेय
(3) दो पाटों के बीच पिस गया मुक्तिबोध
(4) रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन नहीं तो और क्या है दिनकर
158. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को कवियों से सुमेलित कीजिए :
(1) स्नहे निर्झर बह गया है (i) प्रसाद
(2) ओ! वरुणा की शान्त कछार (ii) हरिऔध
(3) सखि! वे मुझसे कहकर जाते (iii) निराला
(4) दिवस का अवसान समीप था (iv) मैथिलीशरण गुप्त (v) महादेवी वर्मा
कूट :
a b c d
(A) (i) (ii) (v) (iii)
(B) (iv) (i) (iii) (ii)
(C) (ii) (iii) (v) (i)
(D) (iii) (i) (iv) (ii)
158. (D)
(1) स्नहे निर्झर बह गया है निराला
(2) ओ! वरुणा की शान्त कछार प्रसाद
(3) सखि! वे मुझसे कहकर जाते मैथिलीशरण गुप्त
(4) दिवस का अवसान समीप था हरिऔध
159. इन काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) पेट पीठ मिलकर दोनों है एक (i) दिनकर
(2) सांप तुम सभ्य हुए नहीं (i) धूमिल
(3) एक आदमी रोटी बेलता है (iii) निराला
(4) श्वानों का मिलता दूध भात भूखे बालक अकुलाते हैं
(iv) नागार्जुन (v) अज्ञेय
कूट :
a b c d
(A) (iv) (v) (i) (ii)
(B) (v) (i) (iv) (iii)
(C) (iii) (v) (ii) (i)
(D) (i) (ii) (iv) (iii)
159. (C)
(1) पेट पीठ मिलकर दोनों है एक निराला
(2) सांप तुम सभ्य हुए नहीं अज्ञेय
(3) एक आदमी रोटी बेलता है धूमिल
(4) श्वानों का मिलता दूध भात भूखे बालक अकुलाते हैं
दिनकर
160. इन काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) अति सूधो सनेह को मारग है (i) पद्माकर
(2) साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि (ii) भिखारीदास
(3) गुलगुल गिल में गलीचा है गुनीजन हैं (iii) भूषण
(4) आगे के कवि रीझिहै ता कविताई तो राधिका कन्हाई सुमिरन कौ बहनौ है (iv) बोधा (v) घनानन्द
कूट :
a b c d
(A) (iv) (i) (iii) (v)
(B) (v) (iii) (iv) (i)
(C) (ii) (v) (ii) (iii)
(D) (i) (ii) (iv) (iii)
160. (B)
(1) अति सूधो सनेह को मारग है घनानन्द
(2) साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि भूषण
(3) गुलगुल गिल में गलीचा है गुनीजन हैं पद्माकर
(4) आगे के कवि रीझिहै ता कविताई तो राधिका कन्हाई सुमिरन कौ बहनौ है भिखारीदास
161. इन काव्य-पंक्तियों को उनके भाषा के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) का पूछहु तुम धातु, निछोही, जो गुरु कीन अन्तरपट ओही। (i) अपभ्रंश
(2) ढोला मारिये ढिल्ली मह मुच्छिउ मेच्छ सरीर। (ii) ब्रज
(3) जो मांगहु सो देहु मनोहर यहै बात तेरी खोटी। (iii) गढ़वाली
(4) उसकी चोटी सटकाई लख नागिन अपनी केंचुली छोड़ सटक गई।
(iv) अवधी (v) खड़ी बोली
कूट :
a b c d
(A) (iii) (iv) (i) (v)
(B) (iv) (i) (ii) (v)
(C) (ii) (iii) (i) (iv)
(D) (i) (ii) (iv) (iii)
161. (B)
(1) का पूछहु तुम धातु, निछोही, जो गुरु कीन अन्तरपट ओही। अवधी
(2) ढोला मारिये ढिल्ली मह मुच्छिउ मेच्छ सरीर। अपभ्रंश
(3) जो मांगहु सो देहु मनोहर यहै बात तेरी खोटी। ब्रज
(4) उसकी चोटी सटकाई लख नागिन अपनी केंचुली छोड़ सटक गई।
खड़ी बोली
162. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म संगत है :
(1) आह वेदना मिली विदाई ౼जयशंकर प्रसाद
(2) सखि! वे मुझसे कहकर जाते ౼महादेवी वर्मा
(3) एक बार बस और नाच तू श्यामा ౼पंत
(4) दुख सबको मांजता है ౼निराला
162. (1)
163. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) सजनि मधुर निजत्व दे कैसे मिलूं अभिमानी मैं (i) जयशंकर प्रसाद
(2) प्रिय के हाथ लगाए जागी, ऐसी मैं सो गई अभागी (ii) सुमित्रानन्दन पंत
(3) तू अब तक सोई है आली, आंखों में भरे विहागरी (iii) निराला
(4) कौन तुम रूपसी कौन, व्योम से उतर रही चुपचाप (iv) महादेवी वर्मा
(v) विद्यावती कोकिल
कूट :
a b c d
(A) (v) (iii) (ii) (i)
(B) (iv) (iii) (i) (ii)
(C) (i) (ii) (iii) (iv)
(D) (v) (ii) (i) (iii)
163. (B)
(1) सजनि मधुर निजत्व दे कैसे मिलूं अभिमानी मैं महादेवी वर्मा
(2) प्रिय के हाथ लगाए जागी, ऐसी मैं सो गई अभागी निराला
(3) तू अब तक सोई है आली, आंखों में भरे विहागरी जयशंकर प्रसाद
(4) कौन तुम रूपसी कौन, व्योम से उतर रही चुपचाप सुमित्रानन्दन पंत
164. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे (i) अज्ञेय
(2) सबने भी अलग संगीत सुना (ii) महादेवी वर्मा
(3) नयन मंे जिसके जलद वह तृषित चातक हूं (iii) निराला
(4) अशनि पात से शायित उन्नत शत-शत वीर (iv) मुक्तिबोध (v) कुंवर नारायण
कूट :
a b c d
(A) (i) (iii) (ii) (v)
(B) (iv) (i) (v) (ii)
(C) (iv) (i) (ii) (iii)
(D) (iii) (v) (iv) (i)
164. (C)
(1) अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे मुक्तिबोध
(2) सबने भी अलग संगीत सुना अज्ञेय
(3) नयन में जिसके जलद वह तृषित चातक हूं महादेवी वर्मा
(4) अशनि पात से शायित उन्नत शत-शत वीर निराला
165. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनकी भाषा के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) जसुमति हरि पालने झुलावै (i) डिंगल
(2) तेहि अवसर एक तापस आवा। तेजपुंज लघु बयस सुहावा (ii) दखनी
(3) अतिरंग स्वामी तू मिलि राति। बेटी राजा भोज की (iii) ब्रज
(4) दखन है नगीना अंगूठी है जग। अंगूठी कूं हरकत नगीना है लग (iv) मैथिली
(v) अवधी
कूट :
a b c d
(A) (iii) (v) (i) (ii)
(B) (iv) (iii) (ii) (i)
(C) (iii) (iv) (i) (ii)
(D) (ii) (iii) (i) (v)
165. (A)
(1) जसुमति हरि पालने झुलावै ब्रज (i) डिंगल
(2) तेहि अवसर एक तापस आवा। तेजपुंज लघु बयस सुहावा अवधी
(3) अतिरंग स्वामी तू मिलि राति। बेटी राजा भोज की मैथिली
(4) दखन है नगीना अंगूठी है जग। अंगूठी कूं हरकत नगीना है लग दखनी
166. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके सही अलंकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) मुख नहीं चन्द्रमा है (i) सन्देह
(2) मुख तो चन्द्र ही है (ii) अपह्नुति
(3) मुख देखकर चांद का आभास हुआ (iii) रूपक
(4) मुख है कि चांद (iv) भ्रांतिमान (v) उत्पेक्षा
कूट :
a b c d
(A) (i) (iii) (ii) (v)
(B) (iv) (i) (v) (ii)
(C) (ii) (iii) (iv) (i)
(D) (iii) (v) (iv) (i)
166. (C)
(1) मुख नहीं चन्द्रमा है अपह्नुति
(2) मुख तो चन्द्र ही है रूपक
(3) मुख देखकर चांद का आभास हुआ भ्रांतिमान
(4) मुख है कि चांद सन्देह
167. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके सही कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) द्रुत झड़ो जगत् के जीर्ण पत्र (i) धूमिल
(2) यह तीसरा आदमी कौन है, मेरे देश की संसद मौन है (ii) दिनकर
(3) तोड़ने ही होंगे मठ और गढ़ सब (iii) पंत
(4) आ गए प्रियंवद! केशकम्बली! गुफा गेह (iv) अज्ञेय (v) मुक्तिबोध
कूट :
a b c d
(A) (i) (iii) (ii) (v)
(B) (iv) (i) (v) (ii)
(C) (iv) (i) (ii) (iii)
(D) (iii) (i) (v) (iv)
167. (D)
(1) द्रुत झड़ो जगत् के जीर्ण पत्र पंत
(2) यह तीसरा आदमी कौन है, मेरे देश की संसद मौन है धूमिल
(3) तोड़ने ही होंगे मठ और गढ़ सब मुक्तिबोध
(4) आ गए प्रियंवद! केशकम्बली! गुफा गेह अज्ञेय
168. निम्नलिखित काव्य लक्षणों को उनके आचार्यों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) शब्दार्थौ सहितौ काव्यम् (i) विश्वनाथ
(2) तददोषौ सहितौ सगुणा वनलंकृती पुनः क्वापि (ii) भामह
(3) वाक्यं रसात्मकं काव्यम् (iii) पंडितराज जगन्नाथ
(4) रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् (iv) मम्मट (v) आनन्दवर्द्धन
कूट :
a b c d
(A) (i) (iii) (ii) (v)
(B) (iv) (i) (v) (ii)
(C) (ii) (iv) (i) (iii)
(D) (iii) (v) (iv) (i)
168. (C)
(1) शब्दार्थौ सहितौ काव्यम् (i) विश्वनाथ
(2) तददोषौ सहितौ सगुणा वनलंकृती पुनः क्वापि (ii) भामह
(3) वाक्यं रसात्मकं काव्यम् (iii) पंडितराज जगन्नाथ
(4) रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् (iv) मम्मट (v) आनन्दवर्द्धन
169. निम्नलिखित पंक्तियों के साथ उनके कवियों को सुमेलित कीजिए :
(1) जात पांत पूंछे नहिं कोई (i) तुलसीदास
(2) गिरा अनयन नयन बिनु बानी (ii) परमानन्ददास
(3) प्रेम प्रेम ते होय प्रेम ते पारहिं पइए (iii) जायसी
(4) मानुष प्रेम भयो बैकुंठी (iv) रामानन्द (v) सूरदास
कूट :
a b c d
(A) (v) (ii) (iii) (iv)
(B) (ii) (iv) (i) (v)
(C) (iv) (i) (v) (iii)
(D) (i) (iii) (ii) (v)
169. (C)
(1) जात पांत पूंछे नहिं कोई रामानन्द
(2) गिरा अनयन नयन बिनु बानी तुलसीदास
(3) प्रेम प्रेम ते होय प्रेम ते पारहिं पइए सूरदास
(4) मानुष प्रेम भयो बैकुंठी जायसी
170. निम्नलिखित पंक्तियों का उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) अरुण यह मधुमय देश हमारा (i) अज्ञेय
(2) हम नदी के द्वीप हैं (ii) धूमिल
(3) दुखों के दागों को तमगों सा पहना (iii) प्रसाद
(4) मेरे लिए हर आदमी एक जोड़ी जूता है (iv) मुक्तिबोध (v) निराला
कूट :
a b c d
(A) (iii) (i) (iv) (jj)
(B) (i) (iv) (ii) (iii)
(C) (iii) (i) (iv) (ii)
(D) (v) (ii) (ii) (iv)
170. (A)
(1) अरुण यह मधुमय देश हमारा प्रसाद
(2) हम नदी के द्वीप हैं अज्ञेय
(3) दुखों के दागों को तमगों सा पहना मुक्तिबोध
(4) मेरे लिए हर आदमी एक जोड़ी जूता है धूमिल
171. निम्न सुमेलित कीजिए :
(1) शब्दार्थौ सहितौ काव्यम् (i) दण्डी
(2) ननु शब्दार्थौ काव्यम् (ii) कुन्तक
(3) शब्दार्थौ सहितौ वक्र कवि व्यापार शालिनी (iii) भामह
(4) वाक्यं रसात्मकं काव्यम् (iv) भरतमुनि (v) विश्वनाथ
कूट :
a b c d
(A) (v) (iv) (ii) (iii)
(B) (iii) (i) (v) (ii)
(C) (iii) (i) (ii) (v)
(D) (i) (iv) (v) (ii)
171. (C)
(1) शब्दार्थौ सहितौ काव्यम् भामह
(2) ननु शब्दार्थौ काव्यम् दण्डी
(3) शब्दार्थौ सहितौ वक्र कवि व्यापार शालिनी कुन्तक
(4) वाक्यं रसात्मकं काव्यम् विश्वनाथ
172. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) कर्म का भोग भाग का कर्म
यही जड़ का चेतन आनन्द। (i) निराला
(2) होगी जय, होगी जय, हे पुरुषोत्तम नवीन ।
कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन। (ii) मुक्तिबोध
(3) मौन भी अभिव्यंजना है, जितना तुम्हारा सच है उतना ही कहो। (iii) जयशंकर प्रसाद
(4) परम अभिव्यक्ति लगातार धूमती है जग में पता नहीं जाने कहाँ, जाने कहाँ वह है।
(iv) अज्ञेय (v) धूमिल
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (ii) (iii) (iv) (v)
(2) (iii) (i) (iv) (ii)
(3) (i) (iv) (v) (iii)
(4) (v) (iv) (ii) (i)
(1) कर्म का भोग भाग का कर्म
यही जड़ का चेतन आनन्द। जयशंकर प्रसाद
(2) होगी जय, होगी जय, हे पुरुषोत्तम नवीन ।
कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन। निराला
(3) मौन भी अभिव्यंजना है, जितना तुम्हारा सच है उतना ही कहो। अज्ञेय
(4) परम अभिव्यक्ति लगातार धूमती है जग में पता नहीं जाने कहाँ, जाने कहाँ वह है।
मुक्तिबोध
173. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) राष्ट्रगीत में भला कौन यह भारत भाग्य विधाता है (i) गिरिजा कुमार माथुर
(2) क्या करूं जो शभुधनु टूटा तुम्हारा (ii) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
(3) अब मैं कवि नहीं रहा, काला झंडा हूं (iii) रघुवीर सहाय
(4) साधो आज मेरे सत की परीक्षा है (iv) विजय देवनारायण साही
(v) प्रभावकर माचवे
कूट :
a b c d
(A) (ii) (v) (iv) (iii)
(B) (iii) (i) (ii) (iv)
(C) (v) (iii) (i) (ii)
(D) (iv) (i) (v) (iii)
173. (D)
(1) राष्ट्रगीत में भला कौन यह भारत भाग्य विधाता है विजय देवनारायण साही
(2) क्या करूं जो शभुधनु टूटा तुम्हारा गिरिजा कुमार माथुर
3) अब मैं कवि नहीं रहा, काला झंडा हूं प्रभावकर माचवे
(4) साधो आज मेरे सत की परीक्षा है रघुवीर सहाय
174. काव्य-पंक्तियों और कवियों को समुलित कीजिए :
(1) अति सूधो सनेह को मारग है (i) तुलसीदास
(2) अब लौं नसानी अब न नसैहों (ii) सूरदास
(3) सटपटाति-सी ससि मुखी मुख घूंघट पर ढांकि (iii) बिहारी
(4) उधौ मन न भये दस-बीस (iv) घनानन्द (v) मीराबाई
कूट :
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (ii (v) (iv)
(B) (iv) (i) (iii) (ii)
(C) (v) (iii) (i) (ii)
(D) (i) (iv) (ii) (v)
174. (B)
(1) अति सूधो सनेह को मारग है घनानन्द
(2) अब लौं नसानी अब न नसैहों तुलसीदास
(3) सटपटाति-सी ससि मुखी मुख घूंघट पर ढांकि बिहारी
(4) उधौ मन न भये दस-बीस सूरदास
175. काव्य-पंक्तियों और कवियों को समुलित कीजिए :
(1) शब्दार्थौं सहितौ काव्ययम् (i) पंडितराज जगन्नाथ
(2) शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवछिन्ना पदावली (ii) विश्वनाथ
(3) रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् (iii) कुंतक
(4) वाक्यं रसात्मकं काव्यम् (iv) दण्डी (v) भामह
कूट :
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (ii) (iii) (v)
(B) (iv) (v) (iii) (ii)
(C) (v) (iv) (i) (ii)
(D) (iii) (vi) (ii) (i)
175. (C)
(1) शब्दार्थौं सहितौ काव्ययम् भामह
(2) शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवछिन्ना पदावली दण्डी
(3) रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् पंडितराज जगन्नाथ
(4) वाक्यं रसात्मकं काव्यम् विश्वनाथ
176. निम्नलिखित पंक्तियों को उनकळ कवियों कळ साथ सुमेलित कीजिए :
(1) जिधर अन्याय है उधर शक्ति (i) नागार्जुन
(2) नारी तुम केवल श्रद्धा हो (ii) दिनकर
(3) बहुत दिनों तक चक्की रोई, चूल्हा रहा उदास (iii) निराला
(4) सिंहासन खाली करो कि जनता आती है (iv) पंत (v) प्रसाद
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (v) (iv) (iii) (i)
(B) (i) (ii) (iii) (iv)
(C) (iv) (ii) (i) (v)
(D) (iii) (v) (i) (ii)
176. (D)
(1) जिधर अन्याय है उधर शक्ति निराला
(2) नारी तुम केवल श्रद्धा हो प्रसाद
(3) बहुत दिनों तक चक्की रोई, चूल्हा रहा उदास नागार्जुन
(4) सिंहासन खाली करो कि जनता आती है दिनकर
177. निम्नलिखित उक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग (i) घनानन्द
(2) अनबूड़े बूड़े तिरे, जे बूड़े सब अंग (ii) मीराबाई
(3) अति सूधो सनेह को मारग है (iii) सूरदास
(4) बसो मेरे नैनन में नन्दलाल (iv) बिहारी (v) तुलसी
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (v) (iv) (iii) (i)
(B) (v) (iv) (i) (ii)
(C) (iv) (ii) (i) (v)
(D) (iii) (iv) (i) vi)
177. (B)
(1) गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग तुलसी
(2) अनबूड़े बूड़े तिरे, जे बूड़े सब अंग बिहारी
(3) अति सूधो सनेह को मारग है घनानन्द
(4) बसो मेरे नैनन में नन्दलाल मीराबाई
178. निम्नलिखित उक्तियों को उनके ग्रंथकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) प्रदोषौ शब्दार्थौ सगुणावलंकृती पुनः क्वापि (i) भट्टतौत
(2) प्रज्ञानवनवोन्येषशालिनी प्रतिभा मता (ii) तुसली
(3) न कान्तमपि निर्भूषं विभाति वनिता मुखम् (iii) मम्मट
(4) कीरति भनिति भूति भल सोई। सूरसरि सम सब कहैं हित होई। (iv) भामह (v) जायसी
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (v) (iv) (iii) (i)
(B) (i) (ii) (iii) (iv)
(C) (iv) (ii) (i) (v)
(D) (iii) (i) (iv) (ii)
178. (D)
(1) प्रदोषौ शब्दार्थौ सगुणावलंकृती पुनः क्वापि मम्मट
(2) प्रज्ञानवनवोन्येषशालिनी प्रतिभा मता भट्टतौत
(3) न कान्तमपि निर्भूषं विभाति वनिता मुखम् भामह
(4) कीरति भनिति भूति भल सोई। सूरसरि सम सब कहैं हित होई। तुसली
179. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) साईं के सब जीव हैं कीरी कुंजर दोय (i) विद्यापति
(2) देसिल बयाना सबजन मिट्ठा (ii) कबीर
(3) भूषन बिनु न विराजई कविता बनिता मित्त (iii) पद्माकर
(4) नैन नचाय कही मुसुकाय, लला फिर आइयो खेलन होरी (iv) केशव (v) बिहारी
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (iv) (iii) (iii)
(B) (v) (ii) (iii) (ii)
(C) (iv) (ii) (v) (ii)
(D) (ii) (i) (iv) (iii)
179. (D)
(1) साईं के सब जीव हैं कीरी कुंजर दोय कबीर
(2) देसिल बयाना सबजन मिट्ठा विद्यापति
(3) भूषन बिनु न विराजई कविता बनिता मित्त केशव
(4) नैन नचाय कही मुसुकाय, लला फिर आइयो खेलन होरी पद्माकर
180. निम्नलिखित कथनों को उनके आचार्यों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) सौन्दर्यमलंकारः (i) विश्वनाथ
(2) वाक्यं रसात्मकं काव्यम् (ii) वामन
(3) वागर्थाविव सम्पृक्तौ वागर्थप्रतिपत्तये (iii) पं॰ जगन्नाथ
(4) रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् (iv) कालिदास (v) मम्मट
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (ii) (i) (iv) (iii)
(B) (iii) (ii) (i) (iv)
(C) (iv) (iii) (i) (ii)
(D) (i) (ii) (v) (iv)
180. (D)
(1) सौन्दर्यमलंकारः वामन
(2) वाक्यं रसात्मकं काव्यम् विश्वनाथ
(3) वागर्थाविव सम्पृक्तौ वागर्थप्रतिपत्तये मम्मट
(4) रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् कालिदास
181. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) जो घनीभूत पीड़ा थी (i) अज्ञेय
(2) हेर प्यारे को सेज पास, नम्रमुख हंसी-ख़ुशी (ii) प्रसाद
(3) हम नहीं कहते कि हमको छोड़कर तेजस्विनी बह जाए (iii) निराला
(4) जी हां हुज़ूर, मैं गीत बेचता हूं (iv) बच्चन (v) भवानी प्र॰ मिश्र
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (ii) (v) (iv)
(B) (v) (iii) (ii) (i)
(C) (iv) (ii) (i) (iii)
(D) (ii) (iii) (i) (v)
181. (D)
(1) जो घनीभूत पीड़ा थी प्रसाद
(2) हेर प्यारे को सेज पास, नम्रमुख हंसी-ख़ुशी निराला
(3) हम नहीं कहते कि हमको छोड़कर तेजस्विनी बह जाए अज्ञेय
(4) जी हां हुज़ूर, मैं गीत बेचता हूं भवानी प्र॰ मिश्र
182. पंक्तियों के साथ के साथ कवियों को सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) सेस महेस गनेस दिनेस (i) सूरदास
(2) मन लेत पै देत छटांक नहीं (ii) तुलसीदास
(3) जैसे उड़ि जहाज़ को पंछी (iii) घनानन्द
(4) गिरा अनयन नयन बिनु पानी (iv) रसखान (v) केशवदास
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (ii) (v) (iii)
(B) (iv) (iii) (i) (ii)
(C) (iv) (v) (ii) (i)
(D) (iii) (iv) (i) (v)
182. (B)
(1) सेस महेस गनेस दिनेस रसखान
(2) मन लेत पै देत छटांक नहीं घनानन्द
(3) जैसे उड़ि जहाज़ को पंछी सूरदास
(4) गिरा अनयन नयन बिनु पानी तुलसीदास
183. काव्य-पंक्तियों और उनके कवियों को सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) रवि हुआ अस्त, ज्योति के पत्र पर लिखा अमर (i) सुमित्रानन्दन पन्त
(2) शैया सैकत पर दुग्ध धवल तन्वंगी गंगा ग्रीष्म विकल (ii) मैथिलीशरण गुप्त
(3) सखि, वे मुझसे कहकर जाते (iii) निराला
(4) शशि मुख पर घूंघट डाले (iv) नागार्जुन (v) प्रसाद
कूट :
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (ii) (iv) (v)
(B) (ii) (i) (iii) (iv)
(C) (iv) (iii) (ii) (i)
(D) (iii) (i) (ii) (v)
183. (D)
(1) रवि हुआ अस्त, ज्योति के पत्र पर लिखा अमर निराला
(2) शैया सैकत पर दुग्ध धवल तन्वंगी गंगा ग्रीष्म विकल सुमित्रानन्दन पन्त
(3) सखि, वे मुझसे कहकर जाते मैथिलीशरण गुप्त
(4) शशि मुख पर घूंघट डाले प्रसाद
184. निम्नलिखित पंक्तियों के साथ कवियों का सुमेलन कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) ज्यों ज्यों निहारिए नेरे ह्वै नैननि (i) पद्माकर
(2) ऊंचे घोर मंदर के अन्दर रहनवारी है (ii) घनानन्द
(3) नैन नचाय कह्यौ मुसुकाय (iii) मतिराम
(4) रावरे रूप की रीति अनूप (iv) भूषण (v) ठाकुर
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (iii) (iv) (i) (ii)
(B) (v) (ii) (iii) (ii)
(C) (iii) (iv) (i) (v)
(D) (ii) (i) (iv) (iii)
184. (A)
(1) ज्यों ज्यों निहारिए नेरे ह्वै नैननि मतिराम
(2) ऊंचे घोर मंदर के अन्दर रहनवारी है भूषण
(3) नैन नचाय कह्यौ मुसुकाय पद्माकर
(4) रावरे रूप की रीति अनूप घनानन्द
185. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) शलभ में शापमय वर हूं (i) पंत
(2) दुख ही जीवन की कथा रही (ii) बच्चन
(3) वियोगी होगा पहला कवि (iii) निराला
(4) जो बीत गई सो बात गई (iv) महादेवी वर्मा (v) जयशंकर प्रसाद
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (iii) (iv) (i) (ii)
(B) (v) (ii) (iii) (ii)
(C) (iv) (iii) (i) (ii)
(D) (ii) (i) (iv) (iii)
185. (C)
(1) शलभ में शापमय वर हूं महादेवी वर्मा
(2) दुख ही जीवन की कथा रही निराला
(3) वियोगी होगा पहला कवि पंत
(4) जो बीत गई सो बात गई बच्चन
186. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके छन्दों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं (i) सवैया
(2) राम को रूप निहारत जानकी, कंकन के नग की परछाहीं (ii) कवित्त
(3) जानत है वह सिरजनहारा, जो कछु है मन मरम हमारा (iii) रूपमाला
(4) अधर लगे हैं आनि करिकै प्रयान प्रान चाहत चलन ये सन्देसो लै सुजान को (iv) दोहा (v) चौपाई
कूट :
a b c d
(A) (ii) (iv) (i) (iii)
(B) (v) (iii) (ii) (i)
(C) (iv) (ii) (ii) (v)
(D) (iv) (i) (v) (ii)
186. (D)
(1) जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं दोहा
(2) राम को रूप निहारत जानकी, कंकन के नग की परछाहीं सवैया
(3) जानत है वह सिरजनहारा, जो कछु है मन मरम हमारा चौपाई
(4) अधर लगे हैं आनि करिकै प्रयान प्रान चाहत चलन ये सन्देसो लै सुजान को कवित्त
187. निम्नलिखित पंक्तियों कळ साथ कवियों सुमेलन कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) घुन खाए शहतीरों पर (i) कळदारनाथ अग्रवाल
(2) एक बीते के बराबर (ii) नागार्जुन
(3) किन्तु हम हैं द्वीप (iii) धूमिल
(4) भूख से रिरियाती हुई (iv) अज्ञेय (v) लीलाधर जगूड़ी
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (iv) (iii) (iii)
(B) (iii) (ii) (i) (iv)
(C) (iv) (ii) (v) (ii)
(D) (ii) (i) (iv) (iii)
187. (D)
(1) घुन खाए शहतीरों पर नागार्जुन
(2) एक बीते के बराबर केदारनाथ अग्रवाल
(3) किन्तु हम हैं द्वीप अज्ञेय
(4) भूख से रिरियाती हुई धूमिल
188. निम्नलिखित कथनों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) करुणा दुखात्मक वर्ग में आने वाला मनोविकार है (i) डॉ॰ नगेन्द्र
(2) मनुष्य की श्रेष्ठ साधना ही संस्कृति है (ii) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(3) छायावाद स्थूल के प्रति विद्रोह है (iii) रामचन्द्र शुक्ल
(4) भक्ति आन्दोलन एक जातीय और जनवादी आन्दोलन है (iv) रामविलास शर्मा
(v) रामस्वरूप चतुर्वेदी
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (iv) (iii) (iii)
(B) (iii) (ii) (i) (iv)
(C) (iv) (ii) (v) (ii)
(D) (ii) (i) (iv) (iii)
188. (B)
(1) करुणा दुखात्मक वर्ग में आने वाला मनोविकार है रामचन्द्र शुक्ल
(2) मनुष्य की श्रेष्ठ साधना ही संस्कृति है हजारी प्रसाद द्विवेदी
(3) छायावाद स्थूल के प्रति विद्रोह है डॉ॰ नगेन्द्र
(4) भक्ति आन्दोलन एक जातीय और जनवादी आन्दोलन है रामविलास शर्मा
189. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों के साथ उनके कवियां को सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) चिर सजग उनींदी आंखें आज कैसा व्यस्त बाना (i) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(2) रूपोद्यान प्रफुल्लप्राय कलिका बिम्बाना (ii) मैथिली शरण गुप्त
(3) वेदने! तू भी भली बनी (iii) महादेवी वर्मा
(4) सुरम्य रम्ये रस राशि रंजिते (iv) अयोध्यासिंह उपाध्याय (v) सुभद्रावती कृमारी चौहान
कूट :
a b c d
(A) (iii) (iv) (ii) (i)
(B) (v) (ii) (i) (ii)
(C) (ii) (i) (v) (iv)
(D) (iii) (ii) (i) (v)
189. (A)
(1) चिर सजग उनींदी आंखें आज कैसा व्यस्त बाना महादेवी वर्मा
(2) रूपोद्यान प्रफुल्लप्राय कलिका बिम्बाना अयोध्यासिंह उपाध्याय
(3) वेदने! तू भी भली बनी मैथिली शरण गुप्त
(4) सुरम्य रम्ये रस राशि रंजिते महावीर प्रसाद द्विवेदी
190. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) भक्ति धर्म की रसात्मक अनुभूति है (i) हजारी प्रसाद द्विवेदी
;(2) श्रद्धेय बनने का मतलब है नान परसन अव्यक्ति हो जाना (ii) रामचन्द्र शुक्ल
;(3) काव्य आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति है (iii) बालमुकुन्द गुप्त
;(4) पंडिताई भी एक बोझ है (iv) हरिशंकर परसाई (v) जयशंकर प्रसाद
कूट :
a b c d
(A) (iii) (iv) (ii) (i)
(B) (v) (ii) (i) (ii)
(C) (ii) (i) (v) (iv)
(D) (ii) (iv) (v) (i)
190. (D)
(1) भक्ति धर्म की रसात्मक अनुभूति है रामचन्द्र शुक्ल
(2) श्रद्धेय बनने का मतलब है नान परसन अव्यक्ति हो जाना हरिशंकर परसाई
(3) काव्य आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति है जयशंकर प्रसाद
(4) पंडिताई भी एक बोझ है हजारी प्रसाद द्विवेदी
191. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों क साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) विषम शिला संकुला पर्वतो भूता गंगा शशितारकहारा अभिद्रुता अतिशय पूता
(i) त्रिलोचन
(2) अर्द्धविवृत जघनों पर तरुण सत्य कळ सिर धर लेटी थी वह दामिनी सी रुचि गौर कलेवर (ii) पंत
(3) तुम मुझे प्रेम करो, जैसे मछली लहरों से करती हैं (iii) कुंवर नारायण
(4) अनन्त विस्तार का अटूट मौन मुझे भयभीय करता है (iv) शमशेर बहादुर सिंह
(v) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
कोड:
(a) (b) (c) (d)
(1) (ii) (iv) (v) (iii)
(2) (i) (ii) (iv) (iii)
(3) (i) (iv) (v) (iii)
(4) (v) (iv) (ii) (i)
191. (2)
(1) विषम शिला संकुला पर्वतो भूता गंगा शशितारकहारा अभिद्रुता अतिशय पूता
त्रिलोचन
(2) अर्द्धविवृत जघनों पर तरुण सत्य कळ सिर धर लेटी थी वह दामिनी सी रुचि गौर कलेवर पंत
(3) तुम मुझे प्रेम करो, जैसे मछली लहरों से करती हैं शमशेर बहादुर सिंह
(4) अनन्त विस्तार का अटूट मौन मुझे भयभीय करता है कुंवर नारायण
192. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(1) वैश्यो! सुनो व्यापार सारा मिट चुका है देश का
सब धन विदेशी हर रहे हैं पार है क्या क्लेश का। (i) जयशंकर प्रसाद
(2) तुम भूल गए मोह में पुरुषत्व मोह में, कुछ सत्ता है नारी की।
समरसता है संबंध बनी अधिकार और अधिकारी की।। (ii) पंत
(3) प्रथम रश्मि का आना रागिणी! तूने कैसे पहचाना
कहां-कहां हे बाल विहंगिनी पाया तू ने यह गाना (iii) महादेवी वर्मा
(4) क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार। (iv) निराला
(v) मैथिली शरणगुप्त
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (ii) (iii) (iv) (v)
(2) (iii) (i) (iv) (ii)
(3) (i) (iv) (v) (iii)
(4) (v) (i) (ii) (iii)
192. (4)
(1) वैश्यो! सुनो व्यापार सारा मिट चुका है देश का
सब धन विदेशी हर रहे हैं पार है क्या क्लेश का। मैथिली शरणगुप्त
(2) तुम भूल गए मोह में पुरुषत्व मोह में, कुछ सत्ता है नारी की।
समरसता है संबंध बनी अधिकार और अधिकारी की।। जयशंकर प्रसाद
(3) प्रथम रश्मि का आना रागिणी! तूने कैसे पहचाना
कहां-कहां हे बाल विहंगिनी पाया तू ने यह गाना पंत
(4) क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार। महादेवी वर्मा
193. निम्नलिखित संवाद पंक्तियों को उनके नाटकों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) मैंने भावना में भावना का वरण किया है (i) चन्द्रगुप्त
(2) अधिकार सुख कितना मादक और सारहीन है (ii) लहरों का राजहंस
(3) समझदारी आने पर यौवन चला जाता है,
जब तक माला गूंथी जाती है फूल कुम्हला जाते हैं (iii) आषाढ़ का एक दिन
(4) नारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है
और उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध (iv) कोमल गांधार (v) स्कन्दगुप्त
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (ii) (iii) (iv) (v)
(2) (iii) (v) (i) (ii)
(3) (i) (iv) (v) (iii)
(4) (ii) (iv) (i) (iii)
193. (2)
(1) मैंने भावना में भावना का वरण किया है आषाढ़ का एक दिन
(2) अधिकार सुख कितना मादक और सारहीन है स्कन्दगुप्त
(3) समझदारी आने पर यौवन चला जाता है,
जब तक माला गूंथी जाती है फूल कुम्हला जाते हैं चन्द्रगुप्त
(4) नारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है
और उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध लहरों का राजहंस
194. इन कथनों के साथ उनके अलंकारों को सुमेलित कीजिए-
(1) वह आदमी नहीं, हैवान है (i) उत्प्रेक्षा
(2) वे तो मानो देवता हैं (ii) रूपक
(3) कहीं यह उसकी चाल तो नहीं है (iii) भ्रान्तिमान
(4) आप तो साक्षात् इंद्र हैं (iv) विरोधाभास (v) अपन्हुति
कूट
a b c d
(A) (iv) (v) (ii) (i)
(B) (iii) (i) (iv) (v)
(C) (ii) (iv) (v) (iii)
(D) (v) (i) (iii) (ii)
194. (D)
(1) वह आदमी नहीं, हैवान है अपन्हुति
(2) वे तो मानो देवता हैं उत्प्रेक्षा
(3) कहीं यह उसकी चाल तो नहीं है भ्रान्तिमान
(4) आप तो साक्षात् इंद्र हैं रूपक
195. निम्नलिखित पंक्तियों को उनकी कृतियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने की होंगे (i) कामायनी
(2) हंस पड़ा गगन, वह शून्य लोक (ii) अंधेरे में
(3) स्थिर समर्पण है हमारा (iii) कुकुरमुत्ता
(4) आप अपने से उगा मैं (iv) नदी के द्वीप (v) असाध्य वीणा
कूट :
a b c d
(A) (v) (ii) (iii) (i)
(B) (iii) (iv) (i) (ii)
(C) (ii) (i) (iv) (iii)
(D) (iv) (iii) (ii) (v)
195. (C)
(1) अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने की होंगे अंधेरे में
(2) हंस पड़ा गगन, वह शून्य लोक कामायनी
(3) स्थिर समर्पण है हमारा नदी के द्वीप
(4) आप अपने से उगा मैं कुकुरमुत्ता
Hindi Sahitya Vimarsh
UGCNET/JRF/SLET/PGT (हिन्दी भाषा एवं साहित्य) के परीक्षार्थियों के लिए सर्वोत्तम मार्गदर्शक
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