मंगलवार, 22 मई 2018

UGCNET/JRF में हिन्दी साहित्यकारों आदि के कथनों\गद्य\पद्य पंक्तियों पर पूछे गए प्रश्न-3

61. 'काम मंगल से मंडित श्रेय
सर्ग इच्छा का है परिणाम,
तिरस्कृत कर उसको तुम भूल
बनाते हो असफल भवधाम।'
उपर्युक्त काव्य-पंक्तियां 'कामायनी' के किस सर्ग की हैं \
(1) वासना (2) काम (3) श्रद्धा (4) लज्जा
61. (3) श्रद्धा

62. 'सूरदास जब अपने प्रिय विषय का वर्णन शुरू करते हैं तो मानो अलंकारशास्त्र हाथ जोड़कर उनके पीछे-पीछे दौड़ा करता है। उपमाओं की बाढ़ आ जाती है, रूपकों की वर्षा होने लगती है।'
उपर्युक्त कथन किस आलोचक है౼
(1) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (2) रामचन्द्र शुक्ल
(3) नन्ददुलारे वाजपेयी (4) हरबंशलाल शर्मा
62. (1) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी

63. 'रैण गंवाई सोइ के दिवस गवाँइयाँ खाई।
हीरे जैसे जनमुह है, कउड़ी बदले जाई।।' ౼ये काव्य-पंक्तियाँ किस कवि की हैं \
(1) कबीरदास (2) दादूदयाल
(3) गुरु नानक (4) कुम्भनदास
63. (3) गुरु नानक

64. 'गुन निरगुन कहियत नहीं जाके'౼ किस कवि की पंक्ति है \
(1) कबीर (2) नानक
(2) दादू (4) रैदास
64. (4) रैदास

65. 'कालदर्शी भक्त कवि जनता के हृदय को सम्भालने और लीन रखने के लिए दबी हुई भक्ति को जगाने लगे। क्रमशः भक्ति का प्रवाह ऐसा विकसित और प्रबल होता गया कि उसकी लपेट में केवल हिन्दू जनता ही नहीं आई, देश में बसने वाले सहृदय मुसलमानों में से भी न जाने कितने आ गए।' ౼ यह कथन किस आलोचक का है \
(1) रामविलास शर्मा (2) रामचन्द्र शुक्ल
(3) हजारीप्रसाद द्विवेदी (4) नगेन्द्र
65. (2) रामचन्द्र शुक्ल

66. 'सोहैं धनश्याम मग हेरति हथेरी ओट
ऊँचे धात बाम चढ़ि आवत उतरी जात।' ౼इन पंक्तियों में नायिका की किस मनोदशा का वर्णन हुआ है\
(1) उल्लास (2) उत्कंठा
(3) हताशा (4) आह्लाद
66. (2) उत्कंठा

67. 'रीतिकाल' में 'लला' के ललाट पर महावर दिखाई पड़ने लगी। 'बीर' सखी हो गया। रणात्मक ध्वनियों की बहार आ गई। 'नाद योजना' से मादकता को बढ़ा वा मिला।౼ यह कथन किसका है \
(1) रामचन्द्र शुक्ल (2) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
(3) जगदीश गुप्त (4) बच्चन सिंह
67. (3) जगदीश गुप्त

68. 'बानी को सार बखान्यो सिंगार
सिंगार को सार किसो-किसोरी।' ౼उक्त पंक्तियाँ किसकी हैं \
(1) आलम (2) देव (3) रसलीन (4) कृपाराम
68. (3) रसलीन

69. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) हे मेरी तुम! आओ बैठें पास-पास
हम हास और परिहास करें (i) धूमिल
(2) और वह सुरक्षित नहीं है
जिसका नाम हत्यारों की सूची में नहीं है (ii) नागार्जुन
(3) साम्यवाद के पथ में लीद किया करते हैं
मानवता का पोस्टर देखा लगे रेंकने (iii) केदारनाथ अग्रवाल
(4) कर गई चाक तिमिर का सीना
जीत की फांक यह तुम थीं (iv) त्रिलोचन
(v) लक्ष्मीकान्त वर्मा
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (iii) (ii) (iv)
(2) (iii) (i) (iv) (ii)
(3) (i) (ii) (iii) (iv)
(4) (iv) (iii) (ii) (i)
69. (2)
(1) हे मेरी तुम! आओ बैठें पास-पास
हम हास और परिहास करें केदारनाथ अग्रवाल
(2) और वह सुरक्षित नहीं है
जिसका नाम हत्यारों की सूची में नहीं है धूमिल
(3) साम्यवाद के पथ में लीद किया करते हैं
मानवता का पोस्टर देखा लगे रेंकने त्रिलोचन
(4) कर गई चाक तिमिर का सीना
जीत की फांक यह तुम थीं नागार्जुन

70. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनकs कवियों कs साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) जीवन तेरा छुद्र अंश है व्यक्त नील घन माला में
सौदामिनी संधि-सा सुन्दर क्षणभर रहा उजाला में। (i) पंत
(1) जो सोए सपनों के तम में वे जागेंगे यह सत्य बात (ii) निराला
(2) बांधो न नाव इस ठांव बन्धु
पूछेगा सारा गांव बन्धु (iii) महादेवी वर्मा
(3) पंथ होने दो अपरिचित
प्राण रहने दो अकेला (iv) प्रसाद
(v) भगवतीचरण वर्मा
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (i) (ii) (iii) (iv)
(2) (iii) (v) (ii) (i)
(3) (ii) (iii) (iv) (v)
(4) (iv) (v) (iii) (ii)
70. (2)
(1) जीवन तेरा छुद्र अंश है व्यक्त नील घन माला में
सौदामिनी संधि-सा सुन्दर क्षणभर रहा उजाला में। महादेवी वर्मा
(2) जो सोए सपनों के तम में वे जागेंगे यह सत्य बात भगवतीचरण वर्मा
(3) बांधो न नाव इस ठांव बन्धु
पूछेगा सारा गांव बन्धु निराला
(4) पंथ होने दो अपरिचित
प्राण रहने दो अकेला पंत

71. भारतेन्दु की नाट्य-उक्तियों को उनके नाटकों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) प्यारी! वे अधर्म्म से लड़ें, हम तो अधर्म्म नहीं कर सकते
हम आर्यवंशी लोग धर्म्म छोड़कर लड़ना क्या जानें। (i) अंधेर नगरी
(2) कोऊ नहिं पकरत मेरो हाथ
बीस कोटि सूत होत फिरत मैं हा हा होय अनाथ। (ii) विषस्य विषमौषधम
(3) चना हाकिम सब जो खाते।
सब पर दूना टिकस लगाते।। (iii) सत्य हरिश्चन्द्र
(4) हमने माना कि उसको स्वर्ग लेने की इच्छा न हो तथापि
अपने कर्मों से वह स्वर्ग का अधिकारी तो हो जाएगा। (iv) नीलदेवी (v) भारत दुर्दशा
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) (iii) (ii) (v)
(2) (iv) (v) (i) (iii)
(3) (i) (ii) (iv) (v)
(4) (ii) (v) (iii) (i)
71. (2)
(1) प्यारी! वे अधर्म्म से लड़ें, हम तो अधर्म्म नहीं कर सकते
हम आर्यवंशी लोग धर्म्म छोड़कर लड़ना क्या जानें। नीलदेवी
(2) कोऊ नहिं पकरत मेरो हाथ
बीस कोटि सूत होत फिरत मैं हा हा होय अनाथ। भारत दुर्दशा
(3) चना हाकिम सब जो खाते।
सब पर दूना टिकस लगाते।। अंधेर नगरी
(4) हमने माना कि उसको स्वर्ग लेने की इच्छा न हो तथापि
अपने कर्मों से वह स्वर्ग का अधिकारी तो हो जाएगा। सत्य हरिश्चन्द्र
72. 'गोस्वामी के प्रादुर्भाव को हिन्दी काव्य क्षेत्र में एक चमत्कार समझना चाहिए।' ౼यह कथन किस आलोचक का है \
(1) रामविलास शर्मा (2) रामचन्द्र शुक्ल
(3) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (4) नन्ददुलारे वाजपेयी
(2) रामचन्द्र शुक्ल

73. अपना परिचय देते हुए किस कवि ने स्वीकार किया है कि౼
‘‘हय, रथ पालकी, गयंद, ग्राम, चारु
आखर लगाय लेत लाखन की सामा हौं।’’ ౼
(1) भूषण (2) देव
(3) प्रतापसाहि (4) पद्माकर
73. (4) पद्माकर

74. 'तिय सैसव जोबन मिले, भेद न जान्यो जात।
परात समय निसि द्यौस के दुवौ भाव दरसात।'
౼उक्त दोहे में नायिका की किस अवस्था का वर्णन हुआ है \
(1) वयःसंधि (2) युवावस्था
(3) प्रौढ़ावस्था (4) शैशवावस्था
74. (1) वयःसंधि

75. 'समरस थे जड़ या चेतन
सुन्दर साकार बना था
चेतनता एक विलसती
आनन्द अखंड घना था।'
౼जयशंकर प्रसाद की उपर्युक्त पंक्तियां 'कामायनी' के किस सर्ग की हैं \
(1) श्रद्धा (2) रहस्य
(3) आनन्द (4) इड़ा
75. (3) आनन्द

76. 'वाक्य रसात्मकं काव्यं ।' ౼किसकी उक्ति है \
(1) रुद्रट (2) विश्वनाथ
(3) वामन (4) कुन्तक
76. (2) विश्वनाथ

77. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनकs रचनाकारों कs साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) पराधीन रहकर अपना सुख शोक न कह
सकता है। वह अपमान जगत में केवल पशु ही सह सकता है।
(i) मैथिलीशरण गुप्त
(2) धरती हिलकर नींद भगा दे।
वज्रनाद से व्योम जगा दे।
देव, और कुछ लाग लगा दें (ii) जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
(3) दिवस का अवसान समीप था
गगन था कुछ लोहित हो चला। (iii) नाथूराम शर्मा शंकर
(4) भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की
सुधि ब्रज-गांवनि में पावन जबै लगी। (iv) रामनरेश त्रिपाठी
(v) अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iv) (i) (v) (ii)
(2) (i) (iii) (ii) (iv)
(3) (v) (i) (iii) (ii)
(4) (ii) (v) (iv) (iii)
77. (1)
(1) पराधीन रहकर अपना सुख शोक न कह
सकता है। वह अपमान जगत में केवल पशु ही सह सकता है।
रामनरेश त्रिपाठी
(2) धरती हिलकर नींद भगा दे।
वज्रनाद से व्योम जगा दे।
देव, और कुछ लाग लगा दें मैथिलीशरण गुप्त
(3) दिवस का अवसान समीप था
गगन था कुछ लोहित हो चला। अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
(4) भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की
सुधि ब्रज-गांवनि में पावन जबै लगी। जगन्नाथदास 'रत्नाकर

78. जयशंकर प्रसाद कs नाट्यगीतों को उनकs नाटकों कs साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(1) आह वेदना मिली विदाई
मैंने भ्रमवश जीवन संचित
मधुकरियों की भीख लुटाई (i) अजातशत्रु
(2) यौवन तेरी चंचल छाया
इसमें बैठ घूंट भर पी लूं जो रस तू है लाया। (ii) ध्रुवस्वामिनी
(3) कैसी कड़ी रूप की ज्वाला
पड़ता है पतंग-सा इसमें मन हो कर मतवाला (iii) स्कन्दगुप्त
(4) स्वर्ग है नहीं दूसरा और
सज्जन हृदय परम करुणामय यही एक है ठौर। (iv) कामना (v) चन्द्रगुप्त
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (ii) (v) (i) (iii)
(2) (iv) (iii) (v) (ii)
(3) (v) (i) (ii) (iii)
(4) (iii) (v) (iv) (i)
78. (4)
(1) आह वेदना मिली विदाई
मैंने भ्रमवश जीवन संचित
मधुकरियों की भीख लुटाई स्कन्दगुप्त
(2) यौवन तेरी चंचल छाया
इसमें बैठ घूंट भर पी लूं जो रस तू है लाया। चन्द्रगुप्त
(3) कैसी कड़ी रूप की ज्वाला
पड़ता है पतंग-सा इसमें मन हो कर मतवाला कामना
(4) स्वर्ग है नहीं दूसरा और
सज्जन हृदय परम करुणामय यही एक है ठौर। अजातशत्रु

79. 'भक्तिमार्ग के साधकों के पद, राम-भक्त या वैधी भक्तिमार्ग के उपासकों की कविताएँ, सूफ़ी साधना से पुष्ट मुसलमान कवियों के तथा ऐतिहासिक हिन्दू कवियों के रोमांस और रीति-काव्य ये छहों धाराएँ अपभ्रंश कविता का स्वाभाविक विकास है।' ౼यह कथन किसका है \
(1) रामचन्द्र शुक्ल (2) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
(3) रामविलास शर्मा (4) राहुल सांकृत्यायन
79. (2) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी

80. 'यह सूचित करने की आवश्यकता नहीं है कि न तो सूर का अवधी पर अधिकार था और न जायसी का ब्रजभाषा पर ।'౼ यह कथन किसका है \
(1) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (2) नगेन्द्र
(3) रामचन्द्र शुक्ल (4) रामकुमार वर्मा
80. (3) रामचन्द्र शुक्ल

81. गिरा अरथ, जल बीचि सम कहियत भिन्न भिन्न।
बंदौं सीमाराम पद जिनहि परम परम प्रिय खिन्न।
उक्त काब्य पंक्तियाँ किस कवि की है \
(1) केशवदास (2) तुलसीदास
(3) ईश्वरदास (4) नागरीदास
81. (2) तुलसीदास

82. 'धर्म का प्रवाह कर्म, ज्ञान और भक्ति, इन तीन धाराओं में चलता है। इन तीनों के सामंजस्य से धर्म अपनी पूर्ण सजीव दशा से रहता है। किसी एक के भी अभाव से वह विकलांग रहता है।' ౼यह कथन किस आलोचक का है \
(1) रामचन्द्र शुक्ल (2) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
(3) राहुल सांकृत्यान (4) रामविलास शर्मा
82. (1) रामचन्द्र शुक्ल

83. 'चिरजीवों जारी जुरैं क्यों न सनेह गंभीर ।
को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के बीर ।।'
'वृषभानुजा' और 'हलधर' में कौन-सा अलंकार है \
(1) यमक (2) प्रतीप
(3) श्लेष (4) ब्याजस्तुति
83. (3) श्लेष

84. 'पानिप अपार घन आनंद उकति ओछी
जतन जुगति जोन्ह कौन पै नपति है ।'
उक्त काव्यांश में कवि क्या कहना चाहता है \
(1) नायिका का सौन्दर्य वर्णन असंभव नहीं है।
(2) नायिका के सौन्दर्य से अच्छी कवि की उक्ति है।
(3) नायिका के सौन्दर्य की तुलना में मेरी उक्ति निष्कृष्ट है।
(4) नायिका का सौन्दर्य और कवि की उक्ति दोनों अच्छे हैं।
84. (3) नायिका के सौन्दर्य की तुलना में मेरी उक्ति निष्कृष्ट है।

85. 'अष्टछाप में सूरदास के पीछे इन्हीं का नाम लेना पडझ्ता है। इनकी रचना भी बड़ी सरस और मधुर है। इनके संबंध में यह कहावत प्रसिद्ध है कि और कवि गढ़िया नंददास जड़िया।' ౼यह कथन किसका है ?
(1) रामचन्द्र शुक्ल (2) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
(3) रामकुमार (4) नन्ददुलारे वाजपेयी
85. (1) रामचन्द्र शुक्ल

86. 'छोड़ द्रुमों की मृदु छाया
तोड़ प्रकृति से भी माया
बोलो! तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूँ लोचन ?'౼यह काव्य-पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?
(1) रामनरेश त्रिपाठी (2) जयशंकर प्रसाद
(3) सुमित्रानंदन पंत (4) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
86. (3) सुमित्रानंदन पंत

87. 'अब तक क्या किया,
जीवन क्या जिया,
ज़्यादा लिया और दिया बहुत-बहुत कम'
उपर्युक्त पंक्तियाँ के रचयिता हैं :
(1) अज्ञेय (2) रघुवीर सहाय
(3) शमशेर बहादुर सिंह (4) मुक्तिबोध
87. (4) मुक्तिबोध

88. 'मौन भी अभिव्यंजना है :
जितना तुम्हारा सच है
उतना ही कहो।'
'मौन' के इस रचनात्मक संदर्भ की अभिव्यक्ति अज्ञेय ने अपनी किस काव्य कृति में की है ?
(1) इंद्रधनुष रौंदे हुए (2) पहले सन्नाटा बुनता हूँ
(3) आँगन के पार द्वार (4) हरी घास पर क्षण भर
88. (1) इंद्रधनुष रौंदे हुए

89. 'कविता कवि व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं, व्यक्तित्च से पलायन है।’ ౼यह कथन किसका है ?
(1) लुकाच (2) कॉलरिज
(3) आई॰ ए॰ रिचर्ड्स (4) टी॰ एस॰ इलियट
89. (4) टी॰ एस॰ इलियट

90. 'श्रेष्ठ कविता प्रबल मनोवेगों का सहज उच्छलन है, किन्तु इसके पीछे कवि की विचारशीलता और गहन चिन्तन होना चाहिए।’ यह विचार किस पाश्चात्य चिन्तक का है ?
(1) कॉलरिज (2) क्रोचे
(3) लेविस (4) वर्ड्सवर्थ
90. (4) वर्ड्सवर्थ
Hindi Sahitya Vimarsh
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हिन्दी भाषा एवं साहित्य के परीक्षार्थियों के लिए सर्वोत्तम मार्गदर्शक
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सम्पादक : मुहम्मद इलियास हुसैन
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