सन्त कबीर पर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के कथन : HindiSahitya Vimarsh
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अवैतनिक सम्पादक : मुहम्मद
इलियास हुसैन
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इलियास
? हिंदू हृदय
और मुसलमान हृदय आमने-सामने करके अजनबीपन मिटानेवालों में इन्हीं का नाम लेना
पड़ेगा। (कबीरदास के
बारे में)
? इसमें कोई
संदेह नहीं कि कबीर को 'राम नाम' रामानन्द जी से ही प्राप्त हुआ।
पर आगे चलकर कबीर के 'राम' रामानन्द के 'राम' से भिन्न हो गए।
? इसमें कोई
सन्देह नहीं कि कबीर ने ठीक मौके पर जनता के उस बड़े भाग को सम्भाला जो नाथ
पंथियों के प्रभाव से प्रेम भाव और भक्ति रस से शुन्य, शुष्क पड़ता जा रहा था।
? कबीर ने
अपनी झाड़-फटकार के द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों की कट्टरता को दूर करने का जो
प्रयास किया। वह अधिकतर चिढ़ाने वाला सिद्ध हुआ, हृदय को
स्पर्श करने वाला नहीं।
? कबीर आदि संतों को नाथपंथियों से जिस प्रकार 'साखी' और 'बानी' शब्द मिले,
उसी प्रकार साखी और बानी के लिए बहुत कुछ सामग्री और 'सधुक्कड़ी' भाषा भी।
कबीर और ख़ुसरो की भाषा
? कबीर की अपेक्षा ख़ुसरो का
ध्यान की भाषा की ओर अधिक था।
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