रविवार, 23 अक्तूबर 2022

रीतिकालीन कवि #घनानंद पर प्रश्नोत्तरी-85 (#रचनाएं, #कथन और #प्रश्नोत्तरी)

 रीतिकालीन कवि #घनानंद पर प्रश्नोत्तरी-85 (#रचनाएं, #कथन और #प्रश्नोत्तरी)


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#घनानंद की रचनाएं

#सुजानहित (कवित्त-सवैया में अलौकिक श्रृंगार वर्णन)

#इश्क़लता (पंजाबी और उर्दू शब्दों का अधिक्य, प्रेम के उदात्त रूप का वर्णन, विषय-विप्रलंब श्रृंगार एवं वियोग)

#वियोगवेलि (श्रृंगार की सभी अवस्थाओं का चित्रण और फ़ारसी छंदों का सफल प्रयोग किया गया है)

#प्रीति-पावस (वर्षा-वर्णन)

#यमुनायश (यमुना महात्म्य)

#वृंदावनसत (वृंदावन महात्म्य)

#घनआनंद की प्रेम-पत्रिका में श्री कृष्ण के नाम पद्यबद्ध पत्र लिखकर उन्हें ब्रजवासियों की ओर से अनेक प्रकार के उलाहने दिए गए हैं।

#सरस वसंत (एक लंबी कविता)

#पदावली (श्री कृष्ण विनय भक्ति के पद, गो-चारण, वंशीवादन, होली, रास संबंधित पद, इनकी पदावली में एक हज़ार से अधिक पद पाए जाते हैं। श्रीकृष्ण लीलाओं से इन्होंने उन्हीं विषयों को चुना है जिन्हें सूरदास, परमानंद दास आदि अष्टछाप के कवियों ने अपनाया था। पदावली के बहुत से पद विनय से संबंधित हैं, जिनमें श्रीकृष्ण की उपासना का विधान है।)

#संगीतज्ञ घनानंद की 'कृष्णकौमुदी' में श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन है।

#घनानंद की रचनाओं का प्रथम संग्रह भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 'सुंदरी तिलक' में प्रकाशित कराया था। इसके उपरांत 'सुजानशतक' नाम से इनके 119 चंद्र प्रकाशित हुए थे।

#संवत 1954 ईस्वी में रत्नाकर जी ने घनानंद की रचनाओं का संग्रह सुजान सागर नाम से प्रकाशित कराया था।

#घनानंद की संपूर्ण रचनाओं का वैज्ञानिक विधि से संपादन और प्रकाशन विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने कराया है जिसमें 502 छंद हैं।

#घनानंद की दृष्टि में जो स्थान और महत्व 'सुजान' का था बोधा की दृष्टि में वही स्थान और महत्व 'सुभान' (कवि की प्रेयसी, पन्ना राजदरबार की नर्तकी) का था।

#कथन :

#आनंद विधान सुखदानि दुखियान दै। (घनानंद)

#हवै है सोउ घरी भाग उघरी। (धनानंद)

#कान्ह परे बहुतायत में इकलैन की बेदन जानो कहा तुम। (घनानंद)

#उजररनि बसी है हमारी अंखियान देखौ। (घनानंद)

#अति सूधो सनेह को मारग है

जहां नेकु सयानप बांक नहीं। 

यहां सांचे चलै तजि आपनपौ,

झिझकै कपटी जे निसांक नहीं। (घनानंद)

#लोग हैं लागी कवित्त बनावत, मोहि तौ मोरे कवित्त बनावत। (घनानंद) 

#समुझे कविता घन आनंद की, हिय आंखिन नेह पीर तकी। (घनानंद)

#देह दहै, न रहे सुधि गेह की, भूलि हूं, नेह को नाम न लीजै। (घनआनंद)

#कंत रमे उर अंतर में सुलहै नहिं क्यों सुखराशि निरंतर। (घनानंद)

#बिछुडरै मिल़ै मीन पतंग दशा कहां मो जिय गति को परसै। (घनानंद) 

मोहि तुम एक, तुम्हें मो सम आनेक आहि,

कहां कछु चंदहि चकोरन की कमी है। (घनानंद)

#इनकी (घनानंद की) सी विशुद्ध सरस और शक्ति शालिनी ब्रजभाषा लिखने में कोई और कविसमर्थ नहीं हुआ। विशुद्ध ता के साथ प्रौढ़ता भी अपूर्व हीं है। (रामचंद्र शुक्ल)

#प्रेम मार्ग का एक ऐसा प्रवीण और धीरज पथिक तथा ज़बांदानी का ऐसा दावा रखने वाला ब्रजभाषा का दूसरा कवि नहीं हुआ है। (रामचंद्र शुक्ल, घनानंद के संबंध में)

#घनानंद की भाषा सरल और संभावित है, जिसमें लक्ष्यार्थ और व्यांग्यार्थ का प्रधान्य है। (डॉक्टर वासुदेव सिंह)

#रीतिकालीन काव्यधारा के सर्वश्रेष्ठ रीतिमुक्त कवि घनानंद (घन आनंद) हैं।

#घनानंद को रस का साक्षात अवतार कहा जाता है। 

#धनानंद ने बहुसंख्याक छंद सुजान (कवि की प्रेयसी, मुगल सम्राट मुहम्मद शाह के दरबार की नर्तकी) को संबोधित करके लिखे हैं।

#घनानंद गिरीश सो जा नहीं तो मैं सुजान के प्रति 500 से ऊपर कवित्त- सवैए पाए जाते हैं।

#ब्रजभाषा के प्रेमियों में उनकी रचना 'सुजानहित' 'सुजान सागर' के नाम से प्रसिद्ध है।

#सहानुभूतिपरक अभिव्यक्ति के कारण घनानंद के काव्य में जो मार्मिकता और हृदय को स्पर्श करने की क्षमता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। इनका प्रेम उभयपक्षीय नहीं है।

#घनानंद किस काव्यधारा के कवि हैं?

(A) रीतिमुक्त

(B) रीति सिद्ध

(C) रीतिबद्ध

(D) इनमें से कोई नहीं

उत्तर : (A) रीतिमुक्त

#रीतिमुक्त कवियों में घनानंद का प्रेम इसलिए भिन्न है क्योंकि :

(A) वह अत्यधिक मांसल है

(B) वह आलौकिक एवं आध्यात्मिक है

(C) वह सुजान से प्रेरित है

(D) वह स्वानुभूति और रीतिमुक्त है

उत्तर : (D) वह स्वानुभूति और रीतिमुक्त है

#'इश्कलता' के रचनाकार हैं :

(A) बोधा

(B) आलम

(C) घनानंद

(D) सुनिधि

 उत्तर : (C) घनानंद


#'साक्षात अवतार' किसे कहा गया है?

(A) बोधा

(B) आलम

(C) घनानंद

(D) रसनिधि

 उत्तर : (C) घनानंद


#रीतिमुक्त कवियों के संबंध में कौन सा कथन असत्य है?

(A) यह कवि प्रेम की पीर के गहरे अनुभवी थे

(B) इनका प्रेम एकपक्षीय था

(C) इनकी प्रेमिका ने ही इन के काव्य की मूल प्रेरक शक्ति रहीं

(D) इनका प्रेम उभय पक्षीय था

 उत्तर : (D) इनका प्रेम उभय पक्षीय था


#घनानंद की रचनाओं का संकलन भारतेंदु जी ने किस ग्रंथ में प्रकाशित कराया था?

(A) सुंदरी तिलक

(B) बादशाह दर्पण

(C) भारत दुर्दशा

(D) अंधेर नगरी

 उत्तर : (A) सुंदरी तिलक


#घनानंद के काव्य की प्रेरक शक्ति थी :

(A) सुभान

(B) सुजान

(C) दरबारी संस्कृति

(D) नादिरशाह आक्रमण

 उत्तर : (B) सुजान


#घनानंद काव्य का सर्वप्रथम संकलन किसने किया?

(A) ब्रजनाथ

(B) वियोगी हरि

(C) जगन्नाथ दास रत्नाकर

(D) अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

 उत्तर : (A) ब्रजनाथ


#घनानंद की संपूर्ण रचनाओं का वैज्ञानिक विधि से संपादन किसने किया है?

(A) भारतेंदु हरिश्चंद्र

(B) जगन्नाथदास रत्नाकर

(C) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

(D) बाबू गुलाब राय

 उत्तर : (C) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र


#घनानंद के जीवन की वह घटना जिसके फलस्वरूप इन्हें वैराग्य हो गया और यह वृंदावन आकर भक्ति साधना करने लगे :

(A) राजदरबार में उचित सम्मान न मिलना

(B) मुहम्मदशाह रंगीला द्वारा इन्हें दरबार से निष्कासित किया जाना

(C) नादिरशाह के सिपाहियों द्वारा इनका एक हाथ काट डालना

(D) प्रियतमा सुजान (वेश्या) द्वारा इनके साथ विश्वासघात किया जाना

 उत्तर : (D) प्रियतमा सुजान (वेश्या) द्वारा इनके साथ विश्वासघात किया जाना


#वियोग श्रृंगार का प्रधान मुक्तक कवि कौन हैं?

(A) मतिराम

(B) घनानंद

(C) भिखारी दास

(D) देव कवि

 उत्तर : (B) घनानंद


#घनानंद की किस कृति में पंजाबी और उर्दू शब्दों की भरमार है?

(A) सुजान सागर

(B) इश्क़लता

(C) पदावली

(D) सरस वसंत

 उत्तर : (B) इश्क़लता


#'सुजान सागर' के रचयिता हैं :

(A) बोधा

(B) आलम

(C) घनानंद

(D) रसलीन

 उत्तर : (C) घनानंद


#घनानंद की बात करी थी जिसमें किस्म के नाम पत्र लिखकर ब्रजवासियों की ओर से अनेक उलाहने दिए गए हैं :

(A) कृष्णकौमुदी

(B) इश्क़लता

(C) सुजान हित

(D) प्रेम-पत्रिका

 उत्तर : (D) प्रेम-पत्रिका


#घनानंद की किस कृति में कृष्ण लीलाओं का वर्णन है?

(A) कृष्णकौमुदी

(B) इश्क़लता

(C) सुजान हित

(D) प्रेम-पत्रिका

 उत्तर : (A) कृष्णकौमुदी


#घनानंद के प्रेम-वर्णन में कौन सी विशेषता नहीं है?

(A) स्वच्छंदता

B) आसक्ति

(C) उभयपक्षीय प्रेम

(D) स्वानुभूतिपरकता

 उत्तर : (C) उभयपक्षीय प्रेम


#घनानंद का सर्वाधिक प्रसिद्ध ग्रंथ कौन सा है?

(A) वियोगवेलि

(B) पदावली

(C) इश्क़लता

(D) सुजाना सागर

 उत्तर : (D) सुजान सागर


#घनानंद को 'साक्षात रसमूर्ति' किसने कहा है?

(A) आचार्य रामचंद्र शुक्ल

(B) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

(C) पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी

(D) डॉक्टर शिवदान सिंह चौहान

 उत्तर : (A) आचार्य रामचंद्र शुक्ल


#यह (घनानंद) साक्षात रसमूर्ति और ब्रजभाषा के प्रधान स्तंभों में से हैं :

(A) डॉ. रामविलास शर्मा

(B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल

(C) डॉ. श्याम सुंदर दास

(D) पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी

 उत्तर : (B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल

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