आदिकाल की प्रवृत्तियाँ
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#सिद्ध काव्य
#नाथ काव्य
#चारण काव्य, रासो काव्य एवं प्रशस्ति काव्य
#श्रृंगार काव्य
#जैन काव्य
#सूफ़ी काव्य
#संत काव्य
#राम काव्य
#कृष्ण काव्य
#लोक काव्य
#मुक्तक एवं प्रबंध काव्यों की रचना
#गद्य रचनाएँ, व्याकरण एवं संग्रह ग्रंथ
#रासो काव्य की रचना
#वीर एवं श्रृंगार रस की प्रधानता #ऐतिहासिकता का अभाव
#संदिग्ध प्रमाणिकता
#कल्पना की प्रधानता
#संकुचित राष्ट्रीयता
#छंदों की विविधता
#डिंगल-पिंगल भाषा का प्रयोग
(1) डिंगल भाषा = अपभ्रंश+राजस्थानी का प्रयोग
(2) पिंगल = अपभ्रंश+ब्रजभाषा का प्रयोग
(साभार : हिंदी साहित्य की भूमिका, भाग-1, प्रोफ़ेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित व अन्य)
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