गुरुवार, 17 मार्च 2022

हिंदी प्रतिष्ठा, सप्तम पत्र (हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास).

 हिंदी प्रतिष्ठा, सप्तम पत्र (हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास).

समय : 3 घंटे  

पूर्णांक : 100 

यह पत्र पांच खंडों में विभक्त है। खंड (क) हिंदी भाषा के इतिहास से, खंड (ख) हिंदी साहित्य के इतिहास से, खंड (ग) काव्यांग के विवेचन से और खंड (घ) प्रयोजनमूलक हिंदी से संबद्ध है। परीक्षार्थियों को इनमें से प्रत्येक से एक-एक अर्थात कुल चार आलोचनात्मक प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। खंड (ड.) और खंड (ड.) वस्तुनिष्ठ/अतिलघुउत्तरीय प्रश्नों के होंगे जिनके भी उत्तर अपेक्षित होंगे। 

अंक विभाजन : 

 (i) निर्धारित पाठ्य विषयों से आलोचनात्मक प्रश्न : 4×20=80 अंक

(प्रत्येक खंड से एक-एक)

🙏(ii) वस्तुनिष्ठ/अतिलघूत्तरीय प्रश्न : 20×1=20 अंक

निर्धारित पाठ्य विषय :

खंड (क) हिंदी भाषा का इतिहास

अध्येतव्य : हिंदी भाषा का स्वरूप विकास, मूल आकार भाषाएं तथा विभाषाओं का विकास।

खंड (ख) हिंदी साहित्य का इतिहास

अध्येतव्य : हिंदी साहित्य के आदिकाल, पूर्वमध्यकाल, उत्तरमध्य काल तथा आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, प्रमुख युगप्रवृतियां, विशिष्ट रचनाकार और उनकी प्रतिनिधि कृतियां।

निम्नलिखित गद्य विधाओं का उद्भव और विकास 

कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध, आलोचना।

ध्यातव्य : इस पत्र के लघूत्तरीय प्रश्न उपर्युक्त निर्धारित पाठ्य विषय पर आधृत होंगे।

अनुशंसित सहायक पुस्तकें : 

1. हिंदी भाषा का उद्भव और विकास : डॉ. उदय नारायण तिवारी (भारती भंडार, इलाहाबाद) 

2. हिंदी भाषा का इतिहास : डॉ. भोलानाथ तिवारी (वाणी प्रकाशन, दिल्ली) 

3. हिंदी भाषा का विकास : डॉ. गोपाल राय (अनुपम प्रकाशन, पटना)

4. हिंदी साहित्य का इतिहास : डॉ. नगेंद्र 

5. हिंदी साहित्य का इतिहास : आचार्य रामचंद्र शुक्ल 

6. हिंदी साहित्य का उद्भव और विकास  : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

7. रीतिकाल की भूमिका : डॉ. नगेंद्र 

8. आधुनिक हिंदी साहित्य : डॉ. लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय

9. रीति साहित्य को बिहार की देन : डॉ. अमरनाथ सिन्हा

 10. आधुनिक हिंदी साहित्य का विकास : डॉ. श्रीकृष्ण लाल

11. रसमंजरी : सं. कन्हैयालाल पोद्दार 

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