सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन
अज्ञेय रचनाएं/काव्य-पंक्तियां/कथन
(जन्म : 7 मार्च, 1911 कुशीनगर,
देवरिया, उ. प्र. – मृत्यु : 4 अप्रैल, 1987 नई दिल्ली)
#नाम : #सच्चिदानंद वात्स्यायन
#बचपन का नाम : #सच्चा
#ललित निबंधकार नाम
: #कुट्रिटचातन
रचनाकार नाम : #अज्ञेय (#जैनेद्र और #प्रेमचंद का दिया नाम है)।
#अज्ञेय #प्रयोगवाद एवं #नई कविता को साहित्य-जगत् में
#प्रतिष्ठित करने वाले कवि, प्रयोगधर्मी साहित्यकार। अज्ञेय के विषय में यह कहा जाता है
कि, वह #'कठिन काव्य के प्रेत
हैं'।
अज्ञेय प्रयोगवाद एवं
नई कविता को साहित्य जगत् में प्रतिष्ठित करने वाले कवि ।
#अज्ञेय की कहानियां
#पहला कहानी : जिज्ञासा (1935 ई.)
#पहला कहानी-संग्रह : विपथगा (1932 ई.)
#अंतिम कहानी : हज़ामत का साबुन
(1959)
#अधूरी कहानी : गृहत्याग (1932 ई., विपथगा में संकलित)
कहानी-संग्रह
#विपथगा (1937), भारतीय भड़ार,
लीडर प्रेस इलहाबाद
#परंपरा (1944), सस्वती प्रेस,
बनारस
#अमर वल्लरी और अन्य कहानियाँ, सस्वती प्रेस, बनारस
#कड़ियाँ तथा अन्य कहानियाँ, सस्वती प्रेस, बनारस
#कठोरी की बात (1945), प्रतीक प्रकाशन, दिल्ली
#शरणार्थी (1948), शारदा प्रकाशन, बनारस
#जयदोल (1951) प्रतीक प्रकाशन, दिल्ली
#ये तेरे प्रतिरूप (1961), राजपाल एंड संज, दिल्ली
#जिज्ञासा एवं अन्य कहनियाँ (1965 ई.)
#संपूर्ण कहानियाँ (दो खंडों में, 1975), राजपाल एंड संज, दिल्ली
1. अज्ञेय की मशहूर कहानियां
विपथगा (वार्तालाप-शैली), कविप्रिया (वार्तालाप-शैली में), सांप, धीरज और पठार का धीरज
(तीनों प्रतीकात्मक शैली में), हीली बोन की बत्तखें, मेजर चौधुरी की वापसी (दोनों मनोविश्लेषण-प्रधान शैली में), देवी (व्यंग्यप्रधान-शैली में), खित्तीन बाबू (रेखाचित्र या संस्मरण शैली), पगोडा वृक्ष, अकलंक, कड़िया, पुलिस की सीटी (नाटकीय
शैली), द्रोही, मनसो, अमरबल्लारी (आत्मकथात्मक शैली), शरणदाता, मुस्लिम-मुस्लिम भाई-भाई, बदला, रमंते तत्र देवता, नारंगियां (देश-विभाजन-संबंधी कहानियां) गैंग्रीन (रोज़), हारीति, छाया, क्षमा, दारोगा अमीचंद, अलिखित कहानी, शांति हंसी थी, शत्रु, पुरुष का भाग्य, कोठरी की बात,
सिगनेलर, पुलिस की सीटी, चिड़ियाघर, पठार का धीरज इत्यादि अज्ञेय की मशहूर कहानियां हैं।
उपन्यास
1. शेखर : एक जीवनी खंड-1
(1941), सस्वती प्रेस, बनारस
2. शेखर : एक जीवनी खंड-2
(1944), सस्वती प्रेस, बनारस
3. नदी के द्वीप
(1951)
4. अपने–अपने अजनबी
(1979), भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
5. बारह खंभा (संयुक्त
कृति), दस अन्य लेखकों के संग एक प्रयोग प्रभात प्रकाशन
6. छाया मेंखल, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
7. बीनू भगत, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
कविता-संग्रह
1. भग्नदूत (1933), वी.एच. वात्स्यायन, लाहौर
2. चिंता (1942), सस्वती प्रेस, बनारस
3. इत्यलम् (1946), प्रगति प्रकाशन, दिल्ली
4. हरी घास पर क्षण भर
(1949), प्रगति प्रकाशन, दिल्ली
5. बावरा अहेरी
(1954), भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली
6. इंद्रधनु रौंदे हुए
ये (1957), सरस्वती प्रेस, दिल्ली
7. अरी ओ करुणा प्रभामय
(1951), भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली
8. पुष्करिणी (1959), साहित्य सदन, झाँसी
9. आँगन के पार द्वार
(1961), भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
10. पूर्वा (भग्नदूत, इत्यलम्, हरि घास पर क्षण भर का
संकलन, 1965) राजपाल एंड संज
11. सुनहरे शैवाल
(1966), अक्षर प्रकाशन, नयी दिल्ली
12. कितनी नावों में
कितनी बार (1967),
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
13. क्योंकि मैं उसे
जानता हूँ (1969),
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
14. सागर मुद्रा
(1970), राजपाल एंड संज, दिल्ली
15. पहले मै सन्नाटा
बुनता हूँ (1974),
राजपाल एंड संज, दिल्ली
16. महावृक्ष के नीचे
(1977), राजपाल एंड संज, दिल्ली
17. नदी की बाँक पर छाया
(1981), राजपाल एंड संज, दिल्ली
18. सदानीरा (दो खंडो
में, 1984), नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
19. ऐसा कोई घर आपने
देखा है (1986),
नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
20. मरुस्थल (1995), प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
21. कारावास के दिन तथा
अन्य कविताएं / अज्ञेय (अज्ञेय की अंग्रेजी कविताओं का अनुवाद)
लंबी रचनाएँ
असाध्य वीणा / अज्ञेय
चुनी हुई रचनाओं के संग्रह
पूर्वा / अज्ञेय (कविता
संग्रह, 1965)
सुनहरे शैवाल / अज्ञेय
(कविता संग्रह, 1965)
अज्ञेय काव्य स्तबक
/ अज्ञेय (कविता संग्रह, 1995)
सन्नाटे का छन्द / अज्ञेय
(कविता संग्रह)
उपन्यास
#शेखर : एक जीवनी (पहला भाग, 1952 ई.)
#शेखर : एक जीवनी (दूसरा भाग, 19 ई.)
#शेखर : एक जीवनी (तीसरा भाग, अप्रकाशित)
#नदी के द्वीप (1952 ई.)
#अपने अपने अजनबी (1967 ई.)
कहानियां
#बृहद भाग (1937 ई.)
#परंपरा (1944 ई.)
#कोठरी की बात (1945 ई.)
#शरणार्थी (1948 ई.)
#जयदोल (1951 ई.)
#ये तेरे प्रतिरूप (1939 ई.)
#संपूर्ण कहानियां (दो भाग, 1975 ई.)
नाटक
1. उत्तर प्रियदर्शी
(काव्य नाटक,1967 ई.), अक्षर प्रकाशन दिल्ली
यात्रा-वृत्तान्त
1. अरे यायवर रहेगा याद
(1953) सस्वती प्रेस, बनारस
2. एक बूँद सहसा उछली
(1960) भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली
3. बहता पानी निर्मला
डायरी
1. भवंती (1972, 1964-70), राजपाल एंड संज, दिल्ली
2. अतंरा (1970, 1970-74), राजपाल एंड संज, दिल्ली
3. शाश्वती (1979, 1975-79), राजपाल एंड संज, दिल्ली
4. शेषा (1995), प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
निबंध/गद्य
1. त्रिशंकु (1945), सस्वती प्रेस, बनारस
2. सबरंग (1964)
3. आत्मनेपद (1960), भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली
4. हिंदी साहित्यः एक
आधुनिक परिदृश्य (1967), अभिनव भारती ग्रथमाला, कलकत्ता
5. सबरंग और कुछ राग
(1969)
6. आलवाल (1971) राजकमल, दिल्ली
7. लिखि कागद कोरे
(1972) राजपाल एंड संज दिल्ली
8. अद्यतन (1977), सरस्वती विहार, दिल्ली
9. जोग लिखी (1977), राजपाल एंड संज दिल्ली
10. संवत्सर, नेशनल परिब्लिशिग हाउस, दिल्ली
11. स्त्रोत और सेतु
(1978), राजपाल एंड संज दिल्ली
12. व्यक्ति और व्यवस्था
(1979), नेशनल परिब्लिशिग हाउस, दिल्ली
13. अपरोक्ष (1979), सरस्वती विहार, दिल्ली
14. युग संधियों पर
(1981), सरस्वती विहार, दिल्ली
15. धारा और किनारे
(1982), सरस्वती विहार, दिल्ली
16. स्मृति लेखा
(1982), नेशनल परिब्लिशिग हाउस, दिल्ली
17. कहाँ है द्वारका
(1982), राजपाल एंड संज दिल्ली
18. छाया का जंगल
(1984), सरस्वती विहार, दिल्ली
19. अ सेंस ऑफ टाइम
(1981), ओ.यु.पी.,दिल्ली
20. स्मृतिछंदा
(1989), नेशनल परिब्लिशिग हाउस, दिल्ली
21. आत्मपरक (1983), नेशनल परिब्लिशिग हाउस, दिल्ली
22. केंद्र और परिधि
(1984), नेशनल परिब्लिशिग हाउस, दिल्ली
अनुवाद
1. अंग्रेजी ‘विजिर’, स एलीफेट (इवो आंद्रिक) से ‘वजीर का फीता’,
2. अंग्रेजी ‘विवेकानंद’
(रोमांरोला) से हिंदी ‘विवेकानंद’,
3. हिंदी ‘त्यागपत्र’, (जैनेद्र कुमार) से अंग्रेजी ‘द रेजिग्नेशन’ (1946)
4. बांग्ला ‘गोरा’,( रवींद्रनाथ ठाकुर) से हिंदी ‘गोरा’,
5. बांग्ला ‘राजा’, (रवीद्रनाथ ठाकुर) से हिंदी ‘राजा’,
6. लागरक्विस्त के तीन
उपन्यासों का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद
7. बाग्ला ‘श्रीकांत’, (शरतचंद्र चट्रटोपाध्याय) से हिंदी, ‘श्रीकांत’
8. लिंकन वाणी
(1951)
संपादित ग्रंथ
1. आधुनिक हिंदी साहित्य
(1940), मेरठ साहित्य-संस्थान
2. पुष्करिणी (1959), साहित्य-सदन, झाँसी
3. नये एकांकी
(1952), भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
4. नेहरु अभिनंदन ग्रंथ
(संयुक्त रूप से,1999)
5. रुपांबरा (हिंदी प्रकृति
काव्य-संकलन, 1960),
6. सर्जन और संप्रेषण
(वत्सल निधि ले. शिविर, लखनऊ, ने. प. हाऊस, न. दिल्ली,1985)
7. साहित्य का परिवेश
(व. निधि लेखन शिविर, आबू, ने. प. हाऊस, नयी दिल्ली,1985)
8. साहित्य और समाज परिवर्तन
(वत्सल निधि लेखक शिविर, बरगी नगर, नेशनल पब्लिशिंग हाऊस, नयी दिल्ली,1986)
9. समकालीन कविता में
छंद (वत्सल निधि लेखन शिविर, बोधगया, नेशनल पब्शिंग हाऊस, नयी दिल्ली,1987)
10. स्मृति के परिदृश्य
(संवत्सर व्याख्यानमाला, साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली,1987)
11. भविष्य और साहित्य
(वत्सल निधि लेखन शिविर, जम्मू, ने. प. हाउस, नई दिल्ली,1989)
12. होमवती स्मारक ग्रंथ
नये साहित्य-सृष्टा, ग्रंथमाला (भारतीय ज्ञानपीठ)
में रघुवीर सहाय,
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, अजित कुमार, शांति मेहरोत्रा के रचना-संकलन
12. भारतीय कला-दृष्टि, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
13. जन जनक जानकी, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
13. सामाजिकक-यथार्थ
और कला-भाषा (1986)
पत्रकारिता
1936 : कुछ दिनों तक आगरा के समाचार पत्र सैनिक
के संपादन मंडल में
1937-39 : विशाल भारत के संपादकीय विभाग में, कुछ दिन ऑल इंडिया रेडियो में
1946 : प्रतीक का संपादन
1965-1968 : साप्ताहिक
दिनमान का संपादन
1973 : प्रतीक को नाम, नया प्रतीक देकर निकाला
1977 : दैनिक पत्र नवभारत टाइम्स का संपादन
यात्रा-वृत्तान्त
1. अरे यायवर रहेगा याद
(1953) सस्वती प्रेस, बनारस
2. एक बूँद सहसा उछली
(1960) भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली
3. बहता पानी निर्मल
डायरी
1. भवंती (1972, 1964-70), राजपाल एंड संज, दिल्ली
2. अतंरा (1970, 1970-74), राजपाल एंड संज, दिल्ली
3. शाश्वती (1979, 1975-79), राजपाल एंड संज, दिल्ली
4. शेषा (1995), प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
1964 में आँगन के पार
द्वार पर साहित्य अकादमी पुरस्कार
1979 में कितनी नावों
में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।
कविताएँ
अनुभव-परिपक्व / अज्ञेय
अरे ! ऋतुराज आ गया
!! / अज्ञेय
अलाव / अज्ञेय
आंगन के पार द्वार खुले
/ अज्ञेय
उड़ चल हारिल / अज्ञेय
उधार / अज्ञेय
उषा-दर्शन / अज्ञेय
औद्योगिक बस्ती / अज्ञेय
कतकी पूनो / अज्ञेय
कदम्ब-कालिन्दी-1-2
/ अज्ञेय
कलगी बाजरे की / अज्ञेय
काँपती है / अज्ञेय
क्योंकि मैं / अज्ञेय
क्वाँर की बयार / अज्ञेय
खुल गई नाव / अज्ञेय
घर-1-5 / अज्ञेय
चाँदनी चुपचाप सारी रात
/ अज्ञेय
चांदनी जी लो / अज्ञेय
जाड़ों में / अज्ञेय
जो कहा नही गया / अज्ञेय
जो पुल बनाएंगे / अज्ञेय
ताजमहल की छाया में
/ अज्ञेय
तुम्हारी पलकों का कँपना
/ अज्ञेय
दूर्वांचल / अज्ञेय
दृष्टि-पथ से तुम जाते
हो जब / अज्ञेय
देखिये न मेरी कारगुज़ारी
/ अज्ञेय
देना-पाना / अज्ञेय
नया कवि : आत्म-स्वीकार
/ अज्ञेय
नाता-रिश्ता-1-5 / अज्ञेय
पक गई खेती / अज्ञेय
पराजय है याद / अज्ञेय
पानी बरसा / अज्ञेय
प्रतीक्षा-गीत / अज्ञेय
प्रथम किरण / अज्ञेय
प्राण तुम्हारी पदरज़
फूली / अज्ञेय
फूल की स्मरण-प्रतिमा
/ अज्ञेय
मेरे देश की आँखें /
अज्ञेय
मैंने आहुति बन कर देखा
/ अज्ञेय
मैं ने देखा, एक बूँद / अज्ञेय
मैं ने देखा : एक बूंद
/ अज्ञेय
मैंने पूछा क्या कर रही
हो / अज्ञेय
मैं वह धनु हूँ / अज्ञेय
यह दीप अकेला / अज्ञेय
याद / अज्ञेय
ये मेघ साहसिक सैलानी
/ अज्ञेय
योगफल / अज्ञेय
रात में गाँव / अज्ञेय
रात होते-प्रात होते
/ अज्ञेय
वन झरने की धार / अज्ञेय
वसंत आ गया / अज्ञेय
वसीयत / अज्ञेय
वासंती / अज्ञेय
विपर्यय / अज्ञेय
शब्द और सत्य / अज्ञेय
शरद / अज्ञेय
शिशिर ने पहन लिया /
अज्ञेय
शोषक भैया / अज्ञेय
सत्य तो बहुत मिले /
अज्ञेय
सर्जना के क्षण / अज्ञेय
साँप / अज्ञेय
सारस अकेले / अज्ञेय
हँसती रहने देना / अज्ञेय
हमारा देश / अज्ञेय
हवाएँ चैत की / अज्ञेय
हीरो / अज्ञेय
क्षणिकाएँ
चुप-चाप / अज्ञेय
जीवन-छाया / अज्ञेय
धूप / अज्ञेय
नन्दा देवी-1-14 / अज्ञेय
पहाड़ी यात्रा / अज्ञेय
सोन-मछली / अज्ञेय
हाइकु / अज्ञेय
हाइकु
मात्सुओ बाशो का हाइकु
(अज्ञेय द्वारा अनुदित)
चिड़िया की कहानी / अज्ञेय
धरा-व्योम / अज्ञेय
सोन-मछली / अज्ञेय
हाइकु / अज्ञेय
हे अमिताभ / अज्ञेय
काव्य-पंक्तियां/कथन
नदी के द्वीप (कविता)
हम नदी के द्वीप हैं।
हम नहीं कहते कि हमको
छोड़कर स्रोतस्विनी बह जाए।
वह हमें आकार देती है।
हमारे कोण, गलियाँ, अंतरीप, उभार, सैकत-कूल
सब गोलाइयाँ उसकी गढ़ी
हैं।
माँ है वह! है, इसी से हम बने हैं।
किंतु हम हैं द्वीप।
हम धारा नहीं हैं।
स्थिर समर्पण है हमारा।
हम सदा से द्वीप हैं स्रोतस्विनी के।
किंतु हम बहते नहीं हैं।
क्योंकि बहना रेत होना है।
हम बहेंगे तो रहेंगे
ही नहीं।
पैर उखड़ेंगे। प्लवन
होगा। ढहेंगे। सहेंगे। बह जाएँगे।
और फिर हम चूर्ण होकर
भी कभी क्या धार बन सकते?
रेत बनकर हम सलिल को
तनिक गँदला ही करेंगे।
अनुपयोगी ही बनाएँगे।
द्वीप हैं हम! यह नहीं
है शाप। यह अपनी नियती है।
हम नदी के पुत्र हैं।
बैठे नदी की क्रोड में।
वह बृहत भूखंड से हम
को मिलाती है।
और वह भूखंड अपना पितर
है।
नदी तुम बहती चलो।
भूखंड से जो दाय हमको
मिला है, मिलता रहा है,
माँजती, सस्कार देती चलो। यदि ऐसा कभी हो -
तुम्हारे आह्लाद से या
दूसरों के,
किसी स्वैराचार से, अतिचार से,
तुम बढ़ो, प्लावन तुम्हारा घरघराता उठे -
यह स्रोतस्विनी ही कर्मनाशा
कीर्तिनाशा घोर काल,
प्रावाहिनी बन जाए -
तो हमें स्वीकार है वह
भी। उसी में रेत होकर।
फिर छनेंगे हम। जमेंगे
हम। कहीं फिर पैर टेकेंगे।
कहीं फिर भी खड़ा होगा
नए व्यक्तित्व का आकार।
मात:, उसे फिर संस्कार तुम देना।
रजनी की लकीर
लाल
नभ का चीर दिया
पुरुष उठा, पीछे न देख मुड़ चला गया
यों नारी का, जो रजनी है, धरती है,
शप्यार हर बार
छला गया। (अज्ञेय)
#"किंतु हम हैं द्वीप
हम धारा नहीं
हैं
स्थिर समर्पण है
हमारा
यदि ऐसा कभी हो
यह स्रोतस्विनी
ही कर्मनाशा, घोरै
काल प्रवाहिनी
बन जाए
तो हमें स्वीकार
है वह भी, उसी में रेत होकर
फिर बनेंगे, हम जमेंगे हम, कहीं फिर पैर टेकेंगे
कहीं फिर भी
खड़ा होगा नई व्यक्तित्व का आकार। (अज्ञेय, नदी के द्वीप)
#"मैं सेतु हूं, वह सेतु हूं
जो मानव से मानव
का हाथ मिलाने से बनता है। (अज्ञेय، मैं यहां हूं)
#"सांप तुम सभ्य तो हुए नहीं, नहीं होगे
नगर में बसना भी
तुम्हें नहीं आया
फिर कैसे सीखा डसना
विष कहां पाया?" (अज्ञेय)
एक छाप रंगों
की
एक छाप ध्वनि की
एक सुख स्मृति
का
एक व्यथा मन की।
(अज्ञेय)
न आए याद
मैं हूं
किसी बीते साल
के
सिले कैलेंडर की
एक बस तारीख़ जो
हर साल आती है।
(अज्ञेय)
चुक गया दिन एक
लंबी सांस उठी
बनने
मूक आशीर्वाद
सामने था आर्द्र
तारा नील
उमड़ आई असह
तेरी याद।
(अज्ञेय)
मैं देख रहा हूं
झड़ी फूल से
पंखुरी
--मैं देख रहा हूं
अपने को ही
झड़ते
मैं चुप हूं :
यह मेरे भीतर
वसंत
गाता है।
(अज्ञेय)
मैं भी असीम हूं
एक असीम बूंद
असीम समुद्र को
अपने भीतर
प्रतिबिंबित
करती है। (अज्ञेय)
तुम्हारे साथ
मैंने
कष्ट पाया है
यातनाएं सही हैं
किंतु तुम्हारे
साथ मैं
मरा नहीं हूं
क्योंकि
तुमने तुम्हारा
शेष कष्ट
भोगने के लिए
मुझे चुना :
मैं अपने ही
नहीं,
तुम्हारी भी
सलीब का वाहक
हूं। (अज्ञेय)
हम अतीत के
शरणार्थी हैं;
स्मरण
हमारा---जीवन के अनुभव का प्रत्यावर्तन
हमें न हीन
बनावे प्रत्याभिमुख होने के पाप- बोध से। (हरी घास पर क्षण भर, अज्ञेय)
यह क्षण हमें
मिला है नहीं नगर-सेठों की फ़ैयाज़ी से।
हमें मिला है यह
अपने जीवन की निधि से ब्याज सरीखा। (हरी घास पर क्षण भर, अज्ञेय)
और रहे बैठे तो
लोग कहेंगे
धुंधले में
दुबके प्रेमी बैठे हैं।
(हरी घास पर क्षण भर, अज्ञेय)
नहीं सुने हम वह
नगरी के नागरिकों से
जिनकी भाषा में
अतिशयं चिकनाई है साबुन की
किंतु नहीं है
करुणा। (हरी घास पर क्षण भर,
अज्ञेय)
दुख सबको मांजता
है
जिनको मांजता है
उन्हें यह सीख
देता है कि
सबको मुक्त
रखें। (अज्ञेय)
नंदा देवी
निचले
हर शिखर पर
देवल :
ऊपर ही
निराकार
तुम
केवल----
(अज्ञेय)
"कोई भी कभी केवल स्वांत: सुखाय लिखता है या
लिख सकता है, यह स्वीकार करने में मैंने अपने को सदा
असमर्थ पाया है..... अपनी अभिव्यक्ति-- किंतु किस पर अभिव्यक्ति। कविता किसी पर
किसी की अभिव्यक्ति है।" (अज्ञेय)
#"हिंदी साहित्य के पिछले 20 वर्षों क्यों, 50 वर्षों में जितनी नई प्रवृतियां लक्षित हुई
हैं सब के मूल में यही सामाजिक संचरण है। हम जो देख रहे हैं वह संस्कृति का निथरना
और विकसना नहीं है, बल्कि ऐंठन और टूटन ही अधिक रहा है। मेरा
विश्वास है कि नई संस्कृति आएगी और जब वह आएगी तो उसका सांस्कृतिक पारंपरिक से
संबंध न केवल होगा, बल्कि उसका लक्ष्य होगा जो जीवन में स्पंदित
होगा। पर अभी? अभी तक का दर्द नई संस्कृति के आविर्भाव का
नहीं, पुरानी की जकड़न का या उसकी टूटन का दर्द
है।" (अज्ञेय)
#"मैं खड़ा खोलें सभी कटिबंध पिंगल के मुक्त
मेरे छन भाषा मुख्तसर है मुफ्त में भाव पागल के।
ज्ञेय हो, दुर्जेय हो, अज्ञेय निश्चय हो
अर्थ के
अभिलाषियों से सतत निर्भय हो।" (अज्ञेय)
#"दान कर दो खुले कर से, खुले डर से होम कर दो
स्वयं को समिधा
बनाकर। शून्य होगा तिमिरमय भी,
तुम यही मानो कि
अनुदान मुक्त है
आकाश।"
(अज्ञेय)
सप्तकों के कवि/saptakon ke kavi
तारसप्तक : संपादक- अज्ञेय (1943)
मुक्तिबोध, नेमिचंद्र जैन, भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर, रामविलास शर्मा, अज्ञेय।
(स्मरण-सूत्र : मुनेभाप्रगिराअ)
दूसरा सप्तक : संपादक-
अज्ञेय (1951)
भवानीप्रसाद मिश्र, शंकुन्तला माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेर बहादुर सिंह, नरेश मेहत्ता, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती।
(स्मरण-सूत्र : भशंहशनरध)
तीसरा सप्तक : संपादक-
अज्ञेय (1959)
प्रयागनारायण त्रिपाठी, कीर्ति चौधरी, मदन वात्स्यायन, केदारनाथ सिंह,
कुंवर नारायण, विजयदेव नारायण साही, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना।
(स्मरण-सूत्र : प्रकीमकेकुंविस)
चौथा सप्तक : संपादक-
अज्ञेय (1979 ई.)
अवधेश कुमार (जन्म और
मृत्यु तिथि अनुपलब्ध)
श्रीराम वर्मा (1935
ई.)
सुमन राजे (23 अगस्त, 1938-2008 ई.)
स्वदेश भारती (12 दिसम्बर
1939-10 मार्च 2018 ई.)
राजेन्द्र किशोर (23
जुलाई 1943 ई.)
नंद किशोर आचार्य
(31 अगस्त 1945 ई.)
राजकुमार कुंभज (12 फ़रवरी
1947 ई.)
(स्मरण-सूत्र : कुमारवर्माराजेभारतीकिशोराचार्यकुम्भज)