रविवार, 31 जुलाई 2022

अरबी भाषा का संस्मरण-साहित्य को योगदान

 अरबी भाषा का संस्मरण-साहित्य को योगदान

∆ मुहम्मद इलियास हुसैन



संस्मरण-साहित्य की दृष्टि से अरबी दुनिया की सबसे समृद्ध भाषा है। इसमें 'हदीस' के रूप में संस्मरणात्मक साहित्य मौजूद है। हदीसों का अनुवाद दुनिया की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में उपलब्ध है। ईशदूत हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के कथन, आशय, समाचार, घटना इत्यादि को 'हदीस' कहते हैं। अरबी भाषा में ईशदूत हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं अध्यात्म-वृत्ति पर प्रकाश डालने वाली संस्मरणात्मक कृतियों का विशाल भंडार मौजूद है। हदीस की विश्व प्रसिद्ध अमर कृतियां ये हैं :

'सहीह बुख़ारी', 'सुनने-अबू दाऊद', 'जामेअ तिरमिज़ी', 'सुनने नसई' और 'इब्ने माज़ा'। इन संस्मरणात्मक हदीस-संग्रहों को 'सिहाह सित्ता' अर्थात 'षडसत्य ग्रंथ' (छ: सच्ची किताबें) कहते हैं। इन ग्रंथों का हिंदी-उर्दू में अनुवाद उपलब्ध है।

इनमें हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के कथनों एवं कर्मों को आप (सल्ल.) के प्यारे साथियों (रजि.) द्वारा संस्मरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इन संग्रहों को संसार का सर्वाधिक प्रामाणिक, ऐतिहासिक और पूर्णरूपेण सत्य पर आधारित संस्मरण-साहित्य कहा जा सकता है।

संसार की प्राय: हर प्रमुख भाषाओं में इनका अनुवाद उपलब्ध है। 

प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान, विचारक, लेखक और अनुवादक मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ ख़ान साहब ने उपर्युक्त कृतियों के आधार पर 'कलामे-नुबूवत' शीर्षक से उर्दू में पांच खंडों में हदीसों को संकलित किया है। इनका अनुवाद 'हदीस सौरभ' के नाम से हिंदी में भी हो चुका है। 'रियाज़ुस्सलिहीन' नाम से भी हदीसों का एक संग्रह उर्दू-हिंदी में प्रकाशित हो चुका है। अन्य भारतीय भाषाओं में हदीसों के कितने ही अनुवाद प्रकाशित हो चुके है।

हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के संबंध में आपके साथियों (रज़ि.) के कुछ संस्मरण निम्नलिखित हैं :

#फ़िलिस्तीन के निवासी उबादा-बिन-यसीर शामी अपने क़बीले की एक स्त्री फ़सैला के माध्यम से रिवायत करते हैं कि उसका कहना है कि मैंने अपने पिता को यह कहते हुए सुना कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्ल.) से पूछा, "क्या यह भी पक्षपात है कि कोई व्यक्ति अपनी क़ौम से प्रेम करें? आप (सल्ल.) ने कहा, "नहीं, बल्कि पक्षपात यह है कि कोई व्यक्ति अपनी क़ौम की सहायता उसी स्थिति में भी करे, जबकि वह अत्याचार कर रही हो।" (हदीस : मुसनद अहमद, इब्ने-माज़ा)

#हज़रत अब्दुल्लाह-बिन- आमिर (रज़ि.) से उल्लिखित है कि एक दिन मेरी मां ने मुझे बुलाया। उस समय अल्लाह के रसूल (सल्ल.) हमारे घर में बैठे हुए थे। मेरी मां ने कहा, "दौड़ कर आओ। मैं तुम्हें कुछ दूंगी।" अल्लाह के रसूल (सल्ल.) ने पूछा, "तुम इसे क्या देना चाहती हो?" उन्होंने कहा, "मैं मेरी उसे एक खजूर देने की इच्छा है।" इस पर अल्लाह के रसूल (सल्ल.) ने कहा, "याद रखो, अगर तुम उसे कुछ न देती तो एक झूठ तुम्हारे कर्मपत्र में लिख दिया जाता।" (हदीस : अबू-दाऊद)

#हज़रत इब्ने-मसऊद (रज़ि.) से उल्लिखित है कि अल्लाह के रसूल (सल्ल.) बोरिए पर सोए। उठे तो आप (सल्ल.) के शरीर पर बोरिए के निशान पड़े हुए थे। इब्ने- मसऊद ने कहा, "अल्लाह के रसूल! अगर आप हमें आदेश देते तो हम आपके लिए फ़र्श बिछाते और अच्छे कपड़े की व्यवस्था कर देते।" आप (सल्ल.) ने कहा,

 "मुझे इस दुनिया से और इस दुनिया को मुझसे क्या सरोकार? मेरी और इस दुनिया की मिसाल तो बस ऐसी है, जैसे कोई सवार किसी वृक्ष के नीचे छाया की तलाश में आए और फिर उसे छोड़ कर चल दे।" (हदीस : मुस्नद अहमद, तिरमिज़ी, इब्ने-माज़ा)

#हज़रत सहल (रज़ि.) कहते हैं कि एक महिला अल्लाह के रसूल (सल्ल.) के पास एक बुना हुआ हाशियादार बुर्दा लेकर आई। क्या तुम जानते हो कि बुर्दा क्या चीज़ है? शमला (चादर)। उन्होंने कहा कि हां। उस महिला ने कहा कि मैंने इसे अपने हाथ से बुना है। आई हूं कि आप (सल्ल.) को पहना (ओढ़ा) दूं। नबी (सल्ल.) ने उसे क़बूल कर लिया। उस समय आपको उसकी ज़रूरत भी थी। फिर आप (सल्ल.) हमारे पास आए। उस समय आपने उसे तहबंद (लूंगी) के रूप में पहन रखा था। एक व्यक्ति ने उसकी प्रशंसा की और कहा कि इसे आप हमें प्रदान कर दें। यह कितनी अच्छी है। लोगों ने कहा कि यह तूने अच्छा नहीं किया। इसे तो नबी (सल्ल.) ने आवश्यकतावश पहन रखा था और तूने इसे मांग लिया। हालांकि तुझे मालूम है कि आप (सल्ल.) किसी के सवाल को रद्द नहीं करते। उस व्यक्ति ने कहा कि अल्लाह की क़सम! इसे मैंने पहनने के लिए नहीं मांगा है, बल्कि इसलिए मांगा है कि यही मेरा कफ़न हो।" (हदीस : बुख़ारी)

#हज़रत अब्दुल्लाह-बिन-मसऊद से उल्लेखित है कि अल्लाह के रसूल (सल्ल.) ने कहा, "जान लो कि विनष्टध हुए वे लोग जो बातों और मामलों में अति से काम लेते हैं।" यह बात आप (सल्ल.) ने तीन बार कही। (हदीस : मुस्लिम)

#हज़रत आयशा (रज़ि.) से उल्लिखित है कि नबी (सल्ल.) ने फ़रमाया, "अल्लाह को सबसे अधिक अप्रिय आदमी वह है जो अत्यंत झगड़ालू हो।" (हदीस : बुख़ारी)

#हज़रत आइज़-बिन-अम्र (रज़ि.) बयान करते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्ल.) को यह कहते हुए सुना, "शासकों में सबसे बुरा शासक वह है जो ज़ालिम हो।" (हदीस : मुस्लिम)

#हजंरत अब्दुल्लाह-बिन-उमर (रज़ि.) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्ल.) ने फ़रमाया, "तुम में सबसे उत्तम वह है, जो नैतिकता की दृष्टि से उत्तम हो।" (हदीस : बुख़ारी, मुस्लिम)

#हज़रत हुज़ैफ़ा (रज़ि.) से उल्लिखित है, नबी (सल्ल.) ने कहा, "क़सम है उस सत्ता की जिसके हाथ में मेरे प्राण हैं। तुम अनिवार्यत: भलाई का हुक्म देते रहोगे और बुराई से रोकते रहोगे। अन्यथा अल्लाह जल्द ही तुम पर यातना भेजेगा। उस समय तुम अल्लाह से प्रार्थना करोगे और तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार नहीं की जाएगी।" (हदीस : तिरमिज़ी)

#हज़रत इब्ने-उमर (रज़ि.) से उल्लेखित है कि अल्लाह के रसूल (सल्ल.) ने कहा, "मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सूखने से पहले दे दो।" (हदीस : इब्ने-माज़ा)

#हज़रत औफ़-बिन-मालिक (रज़ि.) से उल्लिखित है कि अल्लाह के रसूल (सल्ल.) ने कहा, "तुम्हारे सर्वोत्तम शासक वे हैं जिनसे तुम प्रेम करो और वे तुमसे प्रेम करें। तुम उनके लिए दुआ करो और वे तुम्हारे लिए दुआ करें और तुम्हारे शासकों में निकृष्टतम शासक वे हैं जिनसे तुम्हें द्वेष हो और उन्हें तुमसे द्वेष हों और तुम उन पर लानत करो और वे तुम पर लानत करें।" (हदीस : मुस्लिम)

#हज़रत आइज़-बिन-अम्र (रज़ि.) कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्ल.) को यह कहते हुए सुना, "शासकों में सबसे बुरा शासक वह है जो अत्याचारी हो।" (हदीस : मुस्लिम)

#हज़रत इब्ने-अब्बास (रज़ि.) कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्ल.) को यह कहते हुए सुना, "वह व्यक्ति मोमिन नहीं जो पेट भर खाए और उसका पड़ोसी उसके पहलू में भूखा रह जाए।" (हदीस : बैहक़ी, फ़ी शोबुल ईमान)

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