(जन्म- 1875 ई., काशी ; मृत्यु- 1945 ई.)
प्रमुख पुस्तकें हैं - हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1,2 (1909-1914), साहित्यालोचन (1923), भाषाविज्ञान (1924), हिंदी भाषा और साहित्य (1930) रूपकहस्य (1931), भाषारहस्य भाग 1 (1935), हिंदी के निर्माता भाग 1 और 2 (1940-41), मेरी आत्मकहानी (1942), कबीर ग्रंथावली (1928), साहित्यिक लेख (1945)।
1893 नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 16 जुलाई, सन् 1893 ई. को इन्होंने विद्यार्थी काल में ही अपने दो सहयोगियों रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिव कुमार सिंह की सहायता से की थी।
1896 नागरी वर्णमाला
1900 'सरस्वती पत्रिका' का सम्पादन (सरस्वती के प्रथम सम्पादक)
1900- 1905 हिन्दी हस्तलिखित ग्रन्थों का वार्षिक खोज विवरण
1906- 1908 हिन्दी हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज
1901 'चन्द्रावली' अथवा 'नासिकेतोपाख्यान'
1902 भाषा सार संग्रह' भाग-1, भाषा पत्र बोध, आलोक चित्रण
1903 छत्र प्रकाश, प्राचीन लेख मणिमाला
1904 आलोक चित्रण, रामचरितमानस, पृथ्वीराज रासो
1905 हिन्दी प्राइमर, हिन्दी की पहली पुस्तक,
1906 हिन्दी ग्रामर, हिन्दी वैज्ञानिक कोश, वनिता विनोद, इन्द्रावती भाग-1
1908 हम्मीर रासो, शकुन्तला नाटक, गवर्नमेण्ट आफ़ इण्डिया, हिन्दी संग्रह, बालक विनोद
1909 'हिन्दी कोविद रत्नमाला' भाग 1, 2,
1911 प्रथम हिन्दी साहित्य सम्मेलन की लेखावली,
1916 हिन्दी शब्द सागर' खण्ड 1-4
1919 सरल संग्रह, नूतन संग्रह, अनुलेख माला
1920 मेघदूत
1921 दीनदयाल गिरि ग्रन्थावली, परमाल रासो
1923 साहित्यलोचन, हस्तलिखित हिन्दी ग्रन्थों का संक्षिप्त विवरण, अशोक की धर्मालिपियाँ, 'नयी हिन्दी रीडर' भाग 6, 7
1924 भाषा विज्ञान, हिन्दी भाषा का विकास
1925 रानी केतकी की कहानी, गद्य कुसुमावली, 'हिन्दी संग्रह' भाग 1, 2, 'हिन्दी कुसुम संग्रह' भाग 1,2
1927 भारतेन्दु नाटकावली, 'हिन्दी कुसुमावली', हिन्दी प्रोज सेलेक्शन, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
1928 कबीर ग्रन्थावली, 'साहित्य सुमन' भाग 1-4,
1930 राधाकृष्ण ग्रन्थावली, हिन्दी भाषा और साहित्य
1931 गद्य रत्नावली, गोस्वामी तुलसीदास, रूपक रहस्य
1932 साहित्य प्रदीप
1933 सतसई सप्तक, द्विवेदी अभिनन्दन ग्रन्थ, रत्नाकर
1935 बाल शब्द सागर, भाषा रहस्य' भाग 1
1936 'हिन्दी गद्य कुसुमावली' भाग 1, 2
1939 हिन्दी गद्य के निर्माता' भाग 1,2
1942 मेरी आत्म कहानी, हिन्दी प्रवेशिका पद्यावली
1945 साहित्यिक लेख, हिन्दी गद्य संग्रह, त्रिधारा
— नागरी प्रचारिणी पत्रिका' (1-18 भाग)
— 'मनोरंजन पुस्तक माला' (1-50 संख्या)
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