विजयदान देथा की रचनाएँ/Vijaydan Deth ki Rachnayen
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1 सितम्बर 1926, बोरुंदा राजस्थान, 10 नवम्बर 2013।
बिज्जी के नाम से भी जाना था।
हिन्दीअपनी मातृ भाषा राजस्थानी के के समादर के लिए 'बिज्जी' ने कभी अन्य किसी भाषा में नहीं लिखा, उनका अधिकतर कार्य उनके एक पुत्र कैलाश कबीर द्वारा हिन्दी में अनुवादित किया—
- उषा, 1946, कविताएँ
- बापु के तीन
हत्यारे, 1948, आलोचना
- ज्वाला साप्ताहिक में स्तम्भ, 1949-1952
- साहित्य और
समाज, 1960, निबन्ध
- अनोखा पेड़, सचित्र बच्चों की कहानियाँ, 1968
- फूलवारी, कैलाश कबीर द्वारा हिन्दी अनुवादित,1992
- चौधरायन की चतुराई, लघु कथाएँ, 1996
- अन्तराल, 1997, लघु कथाएँ
- सपन प्रिया, 1997, लघु कथाएँ
- मेरो दर्द ना
जाणे कोय, 1997, निबन्ध
- अतिरिक्ता,1997, आलोचना
- महामिलन, उपन्यास, 1998
- प्रिया मृणाल, लघु कथाएँ, 1998
राजस्थानी कृतियाँ
- बाताँ री फुलवारी, भाग 1-14, 1960 - 1974, लोक लोरियाँ
- प्रेरणा
(कोमल कोठारी द्वारा सह-सम्पादित) 1953
- सोरठा, 1956 - 1958
- टिडो राव, राजस्थानी की प्रथम जेब में रखने लायक पुस्तक, 1965
- उलझन, 1984, (उपन्यास)
- अलेखुन हिटलर, 1984, (लघु कथाएँ)
- रूँख, 1987
- कबू रानी, 1989, (बच्चों की
कहानियाँ)
- राजस्थानी-हिन्दी
कहावत कोष। (संपादन)
- बाताँ री
फुलवारी, भाग 1-14, 1960-1975,
लोक लोरियाँ
- प्रेरणा कोमल कोठारी द्वारा सह-सम्पादित, 1953
- सोरठा, 1956-1958
- परम्परा, इसमें तीन विशेष चीजें सम्पादित हैं - लोक संगीत, गोरा हातजा, जेथवा रा * राजस्थानी लोक गीत, राजस्थान के लोक गीत, छः भाग, 1958
प्रारम्भ में 1953 से 1955 तक बिज्जी ने हिन्दी मासिक प्रेरणा का सम्पादन किया। बाद में
हिन्दी त्रैमासिक रूपम, राजस्थानी शोध
पत्रिका परम्परा, लोकगीत, गोरा हट जा, राजस्थान के
प्रचलित प्रेमाख्यान का विवेचन, जैठवै रा सोहठा और
कोमल कोठारी के साथ संयुक्त रूप से वाणी और लोक संस्कृति का सम्पादन किया।
रंगकर्मी हबीब तनवीर ने विजयदान देथा
की लोकप्रिय कहानी 'चरणदास चोर' को नाटक का स्वरूप प्रदान किया था और श्याम बेनेगल ने इस पर एक
फिल्म भी बनाई थी।
सही मायनों में वे
राजस्थानी भाषा के भारतेंदु हरिश्चंद्र थे, जिन्होंने उस अन्यतम भाषा में आधुनिक गद्य और समकालीन चेतना
की नींव डाली।
पुरस्कार और सम्मान
- 1974 राजस्थानी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
- 1992 में
भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार
- 1995 का
मरुधारा पुरस्कार
- 2002 का बिहारी
पुरस्कार
- 2006 का
साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार
- 2007 में पद्मश्री
- 2011 मेहरानगढ़
संग्राहलय ट्रस्ट द्वारा राव सिंह पुरस्कार
बातां री फुलवारी पुस्तक किस पते पर मिल सकती है ।
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