शनिवार, 5 जनवरी 2019

NTA/UGCNET/JRF December-2018 (ANS KEYS, 56-100) : Hindi Sahitya Vimarsh

NTA/UGCNET/JRF December-2018 (ANS KEYS,  56-100) : Hindi Sahitya Vimarsh

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अवैतनिक सम्पादक : मुहम्मद इलियास हुसैन
सहायक सम्पादक : शाहिद इलियास


निर्देश : प्रश्न संख्या 56 से 75 तक के प्रश्नों में दो कथन दिए गए हैं । इनमें से एक स्थाहना (Assertion) (A) है और दूसरा तर्क (Reason) (R) है। कोड में दिए गए विकल्पों में से से सही विकल्प का चयन कीजिए।
56. स्थापना (Assertion) (A)  : जिस प्रकार हमारी आँखों के सामने आए हुए कुछ रूप व्यापर हमें रसात्मक भावों में मग्न करते हैं, उसी प्रकार भूतकाल में प्रत्यक्ष की हुई कुछ परोक्ष वस्तुओं का वासतविक स्मरण भी कभी-खबी रसात्मक होता है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि हमारी मनोवृत्ति स्वार्थ या शरीर यात्रा के रूखे विधानों से हटकर कुछ भाव क्षेत्र में स्थिर हो जाती है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) सही (R) ग़लत    (3) (A) ग़लत (R) सही    (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(1) (A) सही (R) सही

57. स्थापना (Assertion) (A) : साहित्य का इतिहास वस्तुतः मनुष्य-जीवन के अखंड प्रवाह का इतिहास है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि मनुष्य ही साहित्य का अन्तिम लक्ष्य है।
कोड :
(1) (A) सही (R) ग़लत (2) (A) सही (R) सही   (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(2) (A) सही (R) सही

58. स्थापना (Assertion) (A) : भूमंडलीकरण विश्व की पूँजीवादी व्यवस्था है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि इसमें पूरा विश्व एक बाज़ार है और व्यक्ति उपभोक्ता।
कोड :
(1)  (A) ग़लत (R) सही  (2) (A) सही (R) ग़लत  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) सही

59. स्थापना (Assertion) (A)  : दलित साहित्य का वैचारिक आधार मार्क्सवाद है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि इसमें वर्ग-संघर्ष की हिमायत की गई है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही   (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) सही (R) ग़लत
(2) (A) ग़लत (R) ग़लत

60. स्थापना (Assertion) (A)  : अस्तित्ववाद सामाजिक कल्याण और सह अस्तित्व का दर्शन है।
तर्क (Reason) (R) : क्यंकि यह व्यक्ति की स्वतंत्रता और चयन की आज़ादी का पक्षधर है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही   (3) (A) सही (R)  सही   (4) (A)  ग़लत (R) ग़लत
(2) (A) ग़लत (R) सही

61. स्थापना (Assertion) (A) : वासना या संस्कार वंशनुक्रम से चली आती हुई दीर्घ भाव-परम्परा का मनुष्य जाति की अन्तःप्रकृति में निहित संचय नहीं है।
तर्क (Reason) (R) : इसी कारण भारतीय आचार्यों की यह मान्यता पश्चिम की मनोविश्लेषणवादी सामूहिक अवचेतन की अवधारणा से पुष्ट है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) सही (R) ग़लत  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) ग़लत (R) सही
(3) (A) ग़लत (R) ग़लत

62. स्थापना (Assertion) (A) : किसी काव्य का श्रोता, पाठक जिन विषयों को मन में रति, करुणा, क्रोध, उत्साह इत्यादि भावों तथा सौन्दर्य, रहस्य, गाम्भीर्य आदि भावनाओं का अनुभव करता है, वे अकेले उसी के हृदय से सम्बन्ध रखनेवाले होते हैं।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि उपर्युक्त सभी विषय और भाव मनुष्य मात्र की भावात्मक सत्ता पर प्रभाव डालनेवाले होते हैं।
कोड :
1. (A) सही (R) ग़लत   (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) सही (R) सही
(2) (A) ग़लत (R) सही

63. स्थापना (Assertion) (A) : यह दृष्टकोण पूर्णतः स्थापित है कि एकांकी नाटक का लघु संस्करण है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि पूर्णकालिक नाटक को काट-छाँट कर नाट्यकार्य अथवा नाटकीय संघर्ष का पूर्ण विकास प्रदर्शित नहीं किया दा सकता है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(4) (A) ग़लत (R) ग़लत

64. स्थापना (Assertion) (A) : वस्तु में सौन्दर्य एक ऐसी शक्ति या ऐसा धर्म है जो द्रष्टा को आन्दोलित और हिल्लोलित कर सकता है और द्रष्टा में भी ऐसी शक्ति है, एक ऐसा संवेदन है, जो द्रष्टव्य के सौन्दर्य से चालित और हल्लोलित होने की योग्यता देता है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि द्रष्टा और द्रष्टव्य में एक ही समानधर्मा तत्व अन्तर्निहित है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही     (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) सही (R) ग़लत
(1)  (A) सही (R) सही

65. स्थापना (Assertion) (A) : नाटक जड़ या रूढ़ नहीं, एक गतिशील पाठ है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि यह लिखा कभी जाए खेला वर्तमान में जाता है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) सही (R) ग़लत  (4) (A) ग़लत (R) सही
(1)  (A) सही (R) सही

66. स्थापना (Assertion) (A) : कविता में चित्रित प्रेम निजी होता है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि प्रेम सामाजिक भाव नहीं है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) सही (R) सही   (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) ग़लत (R) सही
(3) (A) ग़लत (R) ग़लत

67. स्थापना (Assertion) (A) : चेतना अनुभूति की सघनता और चिन्तन की परकाष्ठा है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि अनुभूति और चिन्तन का सम्बन्ध शुद्ध हृदय के संवेदन से है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) सही (R) ग़लत  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) ग़लत (R) सही
(2) (A) सही (R) ग़लत

68. स्थापना (Assertion) (A) : श्रद्धा में कारण अन्तर्निहित और आलम्बन अज्ञात होता है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि श्रद्धा में दृष्टि व्यक्ति के कर्मों से होती हुई श्रद्धेय तक पहुँचती है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) सही (R) सही
(3) (A) ग़लत (R) सही

69. स्थापना (Assertion) (A) : छायावाद शुद्ध लौकिक और सौन्दर्य का काव्य है।
तर्क (Reason) (R) : इसीलिए उसमें राष्ट्रबोध और आध्यात्मिक चेतना न के बराबर है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(4) (A) ग़लत (R) ग़लत

70. स्थापना (Assertion) (A) : भक्ति को 'सा परानुरकितरीश्वरे' कहा गया है।
तर्क (Reason) (R) : इसीलिए भक्ति को साध्यस्वरूपा माना गया है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) सही

71. स्थापना (Assertion) (A) : मानव और प्रकृति के बीच समानता, पूर्व सम्पर्क, पूरकता या विरोध भाव में मिथक सृजन के सूत्र विद्यमान होतो हैं।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि प्रकृति में अलौकिकता और दिव्यशक्ति है और मानव कल्पना तथा प्रकृति के मध्य सीधा औऱ अनिवार्य सम्बन्ध है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) सही (R) ग़लत  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) सही (R) सही
(4) सही (R) सही

72. स्थापना (Assertion) (A) : स्वच्छन्दतावाद छायावाद और रहस्यवाद का पर्याय ही ह।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि यह द्विवेदीयुगीन शास्त्रीयता की प्रतिक्रियास्वरूप वैयक्तिक, काल्पनिक और निजी रहस्यानुभूति का प्रतिफलन है। 
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) सही

73. स्थापना (Assertion) (A) : अद्वैतवाद आत्मतत्व का विस्तार है।
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि वह जीव और जगत् की पृथक सत्त्ता को स्वीकार करता है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) ग़लत (R) ग़लत (4) (A) सही (R) सही
(1)  (A) सही (R) ग़लत

74. स्थापना (Assertion) (A) : आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं, वह मूल्यों के परिवर्तन का पर्याय है। 
तर्क (Reason) (R) : क्योंकि बदलाव की प्रक्रिया में हर युग आधुनिक होता है।
कोड :
(1)  (A) सही (R) ग़लत     (2) (A) ग़लत (R) सही  (3) (A) सही (R) सही   (4) (A) ग़लत (R) ग़लत
(3) (A) सही (R) सही

75. स्थापना (Assertion) (A) :  देश-भक्ति, संस्कृति-राग, चरित्रों की उदात्तता, भाषिक गरिमा और लम्बी कालावधि के विस्तृत कथानक के कारण जयशंकर प्रसाद का नाटक चन्द्रगुप्त महाकाव्योचित औदात्य से परिपूर्ण नाटक है।
तर्क (Reason) (R) : साथ ही उसमें ब्रेख्त के महानाट्य (एपिक थिएटर) की सम्पूर्ण विशेषताएँ भी मिलती हैं।
कोड :
(1)  (A) सही (R) सही        (2) (A) ग़लत (R) ग़लत (3) (A) ग़लत (R) सही  (4) (A) सही (R) ग़लत
(4) (A) सही (R) ग़लत

76. निम्नलिखित बोलियों को उनके क्षेत्र के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I               सूची-II
(1)   खड़ीबेली            (i) बिलासपुर
(2)   ब्रजभाषा            (ii) सुल्तानपुर
(3)   बांगड़ू        (iii) आगरा
(4)   अवधी        (iv) बिजनौर
(v) करनाल
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iii)   (iv)   (v)    (i)
(2)    (iv)   (iii)   (v)    (ii)
(3)    (iv)   (ii)    (iii)   (v)
(4)    (ii)    (iii)   (iv)   (v)
76.   (2)    (iv)   (iii)   (v)    (ii)


77. निम्नलिखित काव्यभाषाओं को उनसे सम्बद्ध रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I                                 सूची-II
(1)   अवहट्ठ            (i) भँवर गीत
(2)   ब्रजभाषा            (ii) प्रिय प्रवास
(3)   अवधी        (iii) कीर्तिलता
(4)   खड़ीबोली     (iv) प्रबन्ध चिन्तामणि
(v) मधुमालती
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iv)   (iii)   (ii)    (i)
(2)    (i)    (v)    (iii)   (iv)
(3)    (v)    (iv)   (ii)    (iii)
(4)    (iii)   (i)    (v)    (ii)
77.   (4)    (iii)   (i)    (v)    (ii)

78. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके रचयिता से सुमेलित कीजिए :
सूची-I                                 सूची-II
(1)   नगर बाहिरे डोंबी तोहरी कुडिया छाइ  (i) लूहिपा
(2)   काआ तरुवर पंच बिडाल                  (ii) कण्हपा
(3)   कड़ुवा बोल न बोलिस नारि         (iii) खुसरो
(4)   मोरा जोवना नवेलरा भयो है गुलाल   (iv) नरपता नाल्ह
(v) सरहपा
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (ii)    (i)    (iv)   (iii)
(2)    (i)    (ii)    (iii)   (v)
(3)    (iv)   (iii)   (ii)    (i)
(4)    (iii)   (ii)    (v)    (iv)
78.    (1)    (ii)           (i)            (iv)         (iii)

79. निम्नलिखित काव्य-पंक्तयों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   ओनई घटा, परी जग छाहाँ    (i) सूरदास
(2)   आवत जात पनहियाँ टूटी     (ii) कुंभनदास
(3)   अति मलीन वृषभानु कुमारी   (iii) तुलसीदास
(4)   कीरति भनिति भूतिभल सोई  (iv) जायसी
(v) कबीरदास
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (iii)   (iv)   (v)
(2)    (i)    (v)    (iii)   (iv)
(3)    (ii)    (v)    (iv)   (iii)
(4)    (iv)   (ii)    (i)    (iii)
79.   (4)    (iv)   (ii)    (i)    (iii)

80. निम्नलिखित दार्शनिक सिद्धान्तों को उनसे सम्बद्ध कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   अद्वैतवाद          (i) जायसी
(2)   विशिष्टाद्वैतवाद            (ii) हरिदास
(3)   शुद्धाद्वैतवाद       (iii) रैदास
(4)   सखी सम्प्रदाय       (iv) कुंभनदास
(v) तुलसीदास
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iii)   (v)    (iv)   (ii)
(2)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(3)    (ii)    (iii)   (v)    (i)
(4)    (iv)   (i)    (ii)    (v)
80.   (1)    (iii)   (v)    (iv)   (ii)

81. निम्नलिखित कृतियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   जपुजी             (i) तुलसीदास
(2)   रसमंजरी            (ii) कबीरदास
(3)   बरवै नायिका भेद     (iii) नन्ददास
(4)   वैराग्य संदीपनी       (iv) रहीम
(v) नानक
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (v)    (iv)   (iii)   (i)
(2)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(3)    (v)    (iii)   (iv)   (i)
(4)    (iv)   (v)    (iii)   (i)
81. (3)      (v)   (iii)   (iv)   (i)

82. निम्नलिखित रचनाओं को उनके प्रतिपाद्य के आधार पर सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   शिवराज भूषण       (i) सर्वांग निरूपण
(2)   छत्र प्रकाश          (ii) रीतिस्वच्छन्दवृत्ति
(3) विरहवारीश          (iii) जीवन चरित
(4) काव्य-निरेणय       (iv) अलंकार निरूपण
(v) रस निरूपण
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (v)    (iii)   (iv)
(2)    (iv)   (iii)   (ii)    (i)
(3)    (ii)    (i)    (iii)   (iv)
(4)    (ii)    (iii)   (v)    (iv)
82. (2)      (iv)  (iii)   (ii)    (i)

83. निम्नलिखित रस-प्रतिपादक कृतियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   रस सागर     (i) मतिराम
(2)   रस चन्द्रोदय  (ii) कवीन्द्र
(3)   रसराज       (iii) सोमनाथ
(4)   रसपीयूष निधि (iv) भिखारीदास
(v) श्रीपति
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(2)    (ii)    (iii)   (v)    (iv)
(3)    (v)    (ii)    (i)    (iii)
(4)    (iii)   (iv)   (ii)    (i)
83. (3)      (v)   (ii)    (i)    (iii)

84. निम्नलिखित काव्य-पंक्तयों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   दुःख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज जो नहीं कही । (i) अज्ञेय
(2)   मैं दिन को ढूंढ रही हूँ
जुगनू की उजियाली में ।    
मन माँग रहा है मेरा
सिकता हीरक प्याली में ।    (ii) पन्त
(3)   रोज़ सवेरे थोड़ा-सा मैं अतीत में जी लेता हूँ
क्योंकि रोज़ शाम को मैं थोड़ा-सा भविष्य में मर  जाता हूँ   (iii) महादेवी
(4)   बिखरी अलकें ज्यों तर्क जाल
वह विश्व मुकुट-सा उज्ज्वलतम शशिखंड
सदृश्य था स्पष्ट भाल             (iv) निराला (v) प्रसाद
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iv)   (iii)   (i)    (v)
(2)    (v)    (i)    (ii)    (iii)
(3)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(4)    (ii)    (iv)   (v)    (i)
84.   (1)    (iv)   (iii)   (i)    (v)

85. निम्नलिखित पात्रों को लम्बद्ध काव्य-कृतियों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I               सूची-II
(1)   कर्ण         (i) उर्वशी
(2)   कमला       (ii) यशोधरा
(3)   औशीनरी      (iii) रश्मिरथी
(4)   राहुल        (iv) प्रलय की छाया
(v) कामायनी
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(2)    (iv)   (v)    (ii)    (iii)
(3)    (iii)   (iv)   (i)    (ii)
(4)    (ii)    (iii)   (v)    (i)
85.   (3)    (iii)   (iv)   (i)    (ii)

86. निम्नलिखित कवियों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   अज्ञेय              (i) कला और बूढ़ा चाँद
(2)   बच्चन             (ii) दीपशिखा
(3)   रघुवीर सहाय        (iii) पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ
(4)   सुमित्रानन्दन पन्त    (iv) सतरंगिनी
(v) सीढ़ियों पर धूप में
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(2)    (v)    (iv)   (i)    (ii)
(3)    (iii)   (iv)   (v)    (i)
(4)    (iv)   (i)    (ii)    (iii)
86.   (3)    (iii)   (iv)   (v)    (i)

87. निम्नलिखित कवियों को उनसे जुड़े आन्दोलनों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   लक्ष्मीकान्त वर्मा     (i) नवगीत
(2)   नरेश               (ii) प्रगतिवाद
(3)   शम्भुनाथ सिंह       (iii) प्रयोगवाद
(4)   केदारनाथ अग्रवाल    (iv) अकविता
(v) नकेनवाद
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iv)   (v)    (i)    (ii)
(2)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(3)    (iii)   (v)    (iv)   (i)
(4)    (ii)    (iii)   (v)    (iv)
87.   (1)    (iv)   (v)    (i)    (ii)

88. निम्नलिखित कहानियों को उनसे सम्बद्ध पात्रों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   आकाशदीप          (i) सुनन्दा
(2)   दिल्ली में एक मौत      (ii) मालवी
(3)   उसने कहा था       (iii) बुद्धगुप्त
(4)   गैंग्रीन              (iv) आतुल
(v) बोधासिंह
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iii)   (iv)   (v)    (ii)
(2)    (iv)   (ii)    (iii)   (i)
(3)    (ii)    (iii)   (iv)   (v)
(4)    (iv)   (i)    (ii)    (iii)
88.   (1)    (iii)   (iv)   (v)    (ii)

89. निम्नलिखित उपन्यासों को उनके वर्ण्य विषय के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   अजय की डायरी      (i) समकालीन राजनीतिक परिवेश
(2)   अन्तराल            (ii) विदेशों में शोषित नारी
(3)   बसन्ती             (iii) स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में जटिलता
(4)   महाभोज            (iv) विश्वविद्यालय की पृष्ठभूमि
(v) महानगरी में बसी गन्दी बस्तियों का चित्रण
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iv)   (iii)   (v)    (i)
(2)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(3)    (ii)    (iv)   (i)    (iii)
(4)    (iii)   (v)    (iv)   (ii)
89.   (1)    (iv)   (iii)   (v)    (i)

90. निम्नलिखित निबन्धों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   कहानी-अकहानी       (i) शरद जोशी
(2)   गन्धमादन          (ii) रामधारी सिंह दिनकर
(3)   जीप पर सवार इल्लियाँ      (iii) कुबेरनाथ राय
(4)   मिट्टी की ओर      (iv) धर्मवीर भारती
(v) हरिशंकर परसाई
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(2)    (ii)    (iv)   (i)    (v)
(3)    (iv)   (iii)   (i)    (ii)
(4)    (iii)   (v)    (iv)   (i)
90.   (3)    (iv)   (iii)   (i)    (ii)

91. निम्नलिखित स्त्री-पात्रों को सम्बद्ध नाटकों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                    सूची-II
(1)   उर्वी         (i) सूर्यमुख
(2)   सुन्दरी       (ii) स्कन्दगुप्त
(3)   वेनुरती       (iii) देहान्तर
(4)   देवसेना       (iv) पहला राजा
(v) लहरों के राजहंस
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (iii)   (iv)   (ii)
(2)    (iv)   (iii)   (ii)    (v)
(3)    (iv)   (v)    (i)    (ii)
(4)    (v)    (iv)   (iii)   (ii)
91.          (3)          (iv)         (v)          (i)           (ii)

92. निम्नलिखित उपन्यासों को उनसे सम्बद्ध पात्रों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   सूरज का सातवाँ घोड़ा (i) रंजना
(2)   मैला आँचल         (ii) इला
(3)   एक इंच मुस्कान     (iii) विश्वनाथ प्रसाद
(4)   तमस              (iv) माणिक मुल्ला
(v) नत्थू
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iv)   (iii)   (i)    (v)
(2)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(3)    (ii)    (iv)   (v)    (iii)
(4)    (iii)   (v)    (iv)   (ii)
92.   (1)    (iv)   (iii)   (i)    (v)

93. निम्नलिखित गद्य-रचनाओं को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   हम-हशमत          (i) अजित कुमार
(2)   बच्चन निकट से     (ii) रामवृक्ष बेनीपुरी
(3)   माटी की मूरतें       (iii) प्रभाकर माचवे
(4)   चीड़ों पर चाँदनी       (iv) कृष्णा सोबती
(v) निर्मल वर्मा
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (ii)    (iii)   (iv)
(2)    (iv)   (i)    (ii)    (v)
(3)    (iv)   (ii)    (iii)   (i)
(4)    (i)    (iv)   (v)    (iii)
93.          (2)    (iv)         (i)           (ii)          (v)

94. निम्नलिखित काव्याशों को उनमें निहित अलंकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून
पानी गए न उबरे, मोती मानुष चून         (i) असंगति
(2)   बंसी धुन सुनि बृज बधू चली बिसार विचार
भुज भूषण पहिरे पगनि भुजन नपेटे हार      (ii) रूपक
(3)   जिन दिन देखे वे कुसुम गई सु बीति बहार
अब अलि रही गुलाब की अपत कँटीली डार   (iii) श्लेष
(4)   उदित उदयगिरि मंच पर रघुबर बाल पतंग
बिकसे सन्त सरोज सब हरषे लोचन भृंग    (iv) अन्योक्ति
(v) उत्प्रेक्षा
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (iii)   (i)    (iv)   (ii)
(2)    (ii)    (v)    (iii)   (i)
(3)    (i)    (iii)   (v)    (iv)
(4)    (iv)   (ii)    (i)    (iii)
94.   (1)    (iii)   (i)    (iv)   (ii)

95. निम्नलिखित अवधारणाओं को उनसे सम्बन्धित आचार्यों के साथ सुमेलित कीजिए :
            सूची-I                           सूची-II
(1)   उत्तर-सेरचनावाद      (i) लुई अल्थ्युसर  (Louis Althusser)
(2)   यथार्थवाद           (ii) फ्रेडरिक जेमसन (Fredric Jameson)
(3)   स्वच्छन्दतावाद       (iii) राबर्ट बर्न्स      (Robert Burns)
(4)   उत्तर-आधुनिकतीवाद   (iv) जार्ज लुकाच (George Lukacs)
(v) डी. एच. लारेन्स (D. H. Lawrence)
कोड :
(a)    (b)    (c)    (d)
(1)    (i)    (iv)   (iii)   (ii)
(2)    (ii)    (i)    (iv)   (v)
(3)    (v)    (iv)   (ii)    (i)
(4)    (iii)   (ii)    (i)    (iv)
95.   (1)    (i)    (iv)   (iii)   (ii)

निर्देश : निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्क पढ़िए और उससे सम्बन्धित प्रश्नों (प्रश्न-संख्या 96 से 100) के उत्तर के लिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए :
सौन्दर्य किसे कहते हैं? प्रकृति, मानव-जीवन तथा ललित कलाओँ के आनन्ददायक गुण का नाम सौन्दर्य है। इस स्थापना पर आपत्ति यह की जाती है कि कला में कुरूप और असुन्दर को भी स्थान मिलता है। दुःखान्त नाटक देखकर हमें वास्तव में दुःख होता है, साहित्य में वीभत्स का भी चित्रण होता है। उसे सुन्दर कैसे कहा जा सकता है ? इस आपत्ति का उत्तर यह है कि कला में कुरूप और असुन्दर विवादी स्वरों के समान है, जो राग के रूप को निखारते हैं। वीभत्स का चित्रण देखकर हम उससे प्रेम नहीं करने लगते, हम उस कला से प्रेम करते हैं जो हमें वीभत्स से घृणा करना सिखाती है। वीभत्स से घृणा करना सुन्दर कार्य है या असुन्दर ? जिसे हम कुरूप, असुन्दर और वीभत्स कहते हैं, कला में उसकी परिणति सौन्दर्य में होती है। दुखान्त नाटकों में दूसरों का दुःख देखकर द्रवित होते हैं। हमारी सहानुभूति अपने तक अथवा परिवार और तक, मित्रों तक सीमित न रहकर एक व्यापक रूप ले लेती है। मानव-करुणा के इस प्रसार को हम सुन्दर कहेंगे या असुन्दर ? सहानुभूति की इस व्यापकता से हमें प्रसन्न होना चाहिए या अप्रसन्न ? दुःखान्त नाटकों अथवा करुण रस के साहित्य से हमें दुःख की अनुभूति होती है, किन्तु यह दुःख अमिश्रित और निरपेक्ष नहीं होता। उस दुःख में वह आनन्द निहित होता है जो करुणा के प्रसार से हमें प्राप्त होता है। इसके सिवा इस तरह के साहित्य में हम बहुधा मनुष्य का विषम परिस्थितियों से वीरतापूर्ण संघर्ष करते हुए पाते हैं। संघर्ष का यह उदात्त भाव दुःख की अनुभूति प्रबुद्ध द्रशकों तथा पाठकों के लिए चुनौती का काम करती है। उनकी वेदना हमारे लिए प्रेरणा बन जाती है। आनन्द को इस व्यापक रूप में लें । उसे इन्द्रिय-जन्य सुख का पर्यायवाची ही न मान लें, हमें करुणा और वीभत्स के चित्रण में सौन्दर्य के अभाव की प्रतीति न होगी।  
96. साहित्य में वीभत्स का भी चित्रण सुन्दर होता है :
(1) वीभत्स को ही काव्यशास्त्र में प्रमुख रस माना गया है।
(2) कला में असुन्दर और कुरूप का सौन्दर्य में रूपान्तरण होता है।
(3) कला वीभत्स से घृणा करना नहीं सिखाती।
(4) वीभत्स का चित्रण आकर्षक होता है।
96.          (2) कला में असुन्दर और कुरूप का सौन्दर्य में रूपान्तरण होता है।

97. इसमें से कौन-सा कथन सही नहीं है ?
(1) वीर मनुष्य की पराजय आनन्द का मूल कारण है।
(2) दुःखान्त नाटकों में सहानुभूति के स्वजनों तक सीमित रहने से मानव-करुणा का प्रसार होता है।
(3) दुःखान्त नाटक दूसरों के दुःख से जुड़े होने के कारण हमारे दुःख का कारण नहीं बनते।
(4) प्रबुद्ध दर्शक और पाठक दुःख को एक सीमित भाव मानते हैं।
97.          (2) दुःखान्त नाटकों में सहानुभूति के स्वजनों तक सीमित रहने से मानव-करुणा का प्रसार होता है।

98. इसमें से कौन-सा कथन सही नहीं है ?
(1) वीर मनुष्यों की वेदना सामाजिक के लिए प्रेरणा बन जाती है।
(2) करुण रस के साहित्य में मनुष्य प्रायःविपरीत परिस्थितियों में संघर्षरत होता है।
(3) संघर्ष का औदात्य दुःख को सीमित करता है।
(4) दुःख में आनन्द की अनुपस्थिति होती है।
98.          (4) दुःख में आनन्द की अनुपस्थिति होती है।

99. दुःखान्त नाटकों में सौन्दर्य की उपस्थिति का आधार क्या है ?
(1) उसमें कुरूप और असुन्दर को महत्व दिया जाता है।
(2) सभी दुःखान्त नाटक प्रायः महान होते हैं।
(3) दुःखान्त नाटकों में मानव-करुणा का प्रसार होता है।
(4) दुःखान्त नाटकों में नाटककार स्वानुभूति का चित्रण करता है।
99.          (3) दुःखान्त नाटकों में मानव-करुणा का प्रसार होता है।

100. करुण रस के साहित्य में आनन्द निहित होता है, क्योंकि :
(1) आनन्द मात्र इन्द्रिय-जन्य सुख है।
(2) साहित्य में करुण रस अनिवार्य है।
(3) इस साहित्य के मूल में सहानुभूति की व्यापकता है।
(4) साहित्य में दुःख की निरपेक्ष स्थिति है।
100.        (3) इस साहित्य के मूल में सहानुभूति की व्यापकता है।

J-2018 Hindi-2

|  1 9 | 26 4 | 51 4 | 76 2 |
|  2 4 | 27 1 | 52 3 | 77 4 |
|  3 4 | 28 2 | 53 2 | 78 1 |
|  4 1 | 29 2 | 54 2 | 79 4 |
|  5 3 | 30 3 | 55 1 | 80 1 |
|  6 1 | 31 2 | 56 1 | 81 3 |
|  7 2 | 32 4 | 57 2 | 82 2 |
|  8 4 | 33 2 | 58 3 | 83 3 |
|  9 1 | 34 3 | 59 2 | 84 1 |
| 10 9 | 35 1 | 60 2 | 85 3 |
| 11 2 | 36 2 | 61 3 | 86 3 |
| 12 2 | 37 1 | 62 2 | 87 1 |
| 13 1 | 38 1 | 63 4 | 88 1 |
| 14 2 | 39 3 | 64 1 | 89 1 |
| 15 1 | 40 9 | 65 1 | 90 3 |
| 16 2 | 41 4 | 66 3 | 91 3 |
| 17 3 | 42 2 | 67 2 | 92 1 |
| 18 2 | 43 2 | 68 3 | 93 2 |
| 19 1 | 44 1 | 69 4 | 94 1 |
| 20 2 | 45 2 | 70 3 | 95 1 |
| 21 3 | 46 4 | 71 4 | 96 2 |
| 22 4 | 47 3 | 72 2 | 97 2 |
| 23 2 | 48 1 | 73 1 | 98 4 |
| 24 2 | 49 4 | 74 3 | 99 3 |

| 25 2 | 50 3 | 75 4 | 100 3 |


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