शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह : Hindi Sahitya Vimarsh


राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह : Hindi Sahitya Vimarsh

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iliyashussain1966@gmail.com
Mobile : 9717324769
अवैतनिक सम्पादक : मुहम्मद इलियास हुसैन
सहायक सम्पादक : शाहिद इलियास

प्रसिद्ध शैली-सम्राट और कथाकार राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह (10 सितम्बर 1890 ई.—24 मार्च 1971 ई., शाहाबाद, बिहार के सूर्यपुरा नामक स्थान में) के प्रसिद्ध ज़मींदार राजा राजराजेश्वरी सिंह प्यारेके सुपुत्र थे।
रचनाएँ :
कहानी-संग्रह : कुसुमांजलि (1912 ई.), अपना पराया, गांधी टोपी, धर्मधुरी, बिखरे मोती (भाग-1, 1965 ई., भाग-2,3 1966 ई.)
कहानियाँ : कानों में कंगना (1913 ई.), गाँधी टोपी (1938 ई.), मरीचिका, सावनी समाँ (1938 ई.), नारी क्या एक पहेली? (1951 ई.), हवेली और झोपड़ी (1951 ई.), देव और दानव (1951 ई.), वे और हम (1956 ई.), धर्म और मर्म (1959 ई.), तब और अब (1958 ई.), अबला क्या ऐसी सबला? (1962 ई.), ई.), पैसे की अनी, कर्त्तव्य की बलिवेदी, ऐसा महंगा सौदा?, मां, भगवान जाग उठा !, ज़बान का मसला, बाप की रोटी।
उपन्यास : राम-रहीम (1936 ई.), पुरुष और नारी (1939 ई.), सूरदास (1942 ई.), संस्कार (1944 ई.), पूरब और पश्चिम (1951 ई.), चुंबन और चाँटा (1957 ई.)।
लघु उपन्यास : नवजीवन (1912 ई.), तरंग (1920 ई.), माया मिली न राम (1936 ई.), मॉडर्न कौन, सुंदर कौन (1964 ई.) और अपनी-अपनी नज़र, अपनी-अपनी डगर (1966 ई.)।
नाटक : नये रिफारमर या नवीन सुधारक (1911 ई.), धर्म की धुरी (1952 ई.), अपना पराया (1953 ई.) और नज़र बदली बदल गए नज़ारे (1961 ई.)।
संस्मरण : सावनी सभा, टूटातारा (1941 ई.), सूरदास।
गद्यकाव्य : नवजीवन, प्रेम लहरी।

संरक्षण : बिहार की प्रसिद्ध मासिक हिंदी पत्रिका ‘नई-धाराराधिकारमण प्रसाद सिंह जी के ही संरक्षण में प्रकाशित होती रही।

1920 ई. में बेतिया में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वितीय वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष मनोनित, इस सम्मेलन के पंद्रहवें अधिवेशन (आरा, 1936 ई.) के वे स्वगताध्यक्ष थे। आरा नगरी प्रचारिणी सभा के सभापति भी हुए थे।

सम्मान व पुरस्कार 

1969 ई. डॉक्टरेट की मानद उपाधि 23 जनवरी1969 को मगध विश्वविद्यालय ने उनको सम्माजनक डॉक्टरेट की उपाधि।

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