प्रश्नोत्तरी-16 (भारतीय काव्यशास्त्र पर NTA/UGCNET/JRF में पूछे गए सवाल)
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अवैतनिक सम्पादक : मुहम्मद इलियास
हुसैन
सहायक सम्पादक : शाहिद इलियास
1. करुण रस का स्थायी भाव है—शोक (J-1991)
2. निर्वेद किस रस का स्थायी भाव है—शोक (J-1992)
3. रस की संख्या 8 किसने मानी है? भरत (A-1994)
4. विभाव में प्रधान है— भाव (A-1995)
5. संचारी भावों की संख्या है— (A) 9 (B) 33 (C) 16 (D) 99 (D-2009)
6. अलंकारों को काव्य का शोभाकारक धर्म किसने माना—दण्डी (J-2007)
7. अलंकार-सम्प्रदाय के प्रवर्तक या संस्थापक आचार्य—भामह (J-2013)
8. वक्रोक्ति सम्प्रदाय के विरोधी आचार्य—विश्वनाथ (J-2013)
9. कारयित्री प्रतिभा और भावयित्री प्रतिभा का विभाजन करनेवाले आचार्य—राजशेखर
(J-2013) 10. रौद्र अमर्ष, क्रोध
अद्भुत विस्मय
वीभत्स जुगुप्सा
शान्त निर्वेद (S-2013)
11. भक्ति को रस रूप में प्रतिष्ठित करने वाले आचार्य हैं—
(।) मधुसूदन सरस्वती (C) जीव गोस्वामी
(C) वल्लभाचार्य (D) रूप गोस्वामी (J-2007)
12. रुद्रट वक्रोक्ति को शब्दालंकार मानते हैं, इसे अर्थालंकार किसने माना है—
(A) दण्डी (B) क्षेमेन्द्र (C) वामन (D) आनन्दवर्धन (D-2006)
काव्य-लक्षण—
शब्दार्थौ सहितौ काव्यम् (भामह, 6वीं सदी) (J-2006, J-2008, J-2011, S-2013)
तददौषो शब्दार्थौ सगुणावलंकृती पुनः क्वापि (मम्मट, 11वीं सदी)
(J-2006, J-2008, D-2008)
वाक्यं रसात्मकं काव्यम (विश्वनाथ, 14वीं सदी)
(J-2006, J-2008, D-2008, D-2010, J-2011)
रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यं (पण्डितराज जगन्नाथ, 16वीं सदी)
(J-2006, J-2008, D-2008, J-2009, D-2010, J-2011)
‘सत्त्वोद्रेकाद खण्ड स्वप्रकाशानन्द चिन्मयः। द्यान्तरस्पर्शशून्यो ब्रह्मसहोदरः।
कोत्तर चमत्कार प्राणः कैश्चित्प्रमातृभिः। स्वाकारवद भिन्नत्वेनायमास्वाद्यते रसः।’ — आचार्य विश्वनाथ (J-2012)
ननु शब्दार्थौ काव्यम् (रुद्रट, 9वीं सदी) (D-2008)
शब्दार्थौ सहितौ वक्रकवि व्यापार शालिनी (कुन्तक) (D-2008)
सौन्दर्यमलंकारः (वामन) (D-2010)
वागार्थाविव सम्पृक्तौ वागर्थप्रतिपत्तये (कालिदास) (D-2010)
‘सुखदुःखात्मको रसः’—रामचन्द्र गुणचन्द्र (A-1994)
‘भावकत्वम् साधारणीकरणम्’ (भट्ट नायक) (J-1991)
शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवछिन्ना पदावली (दण्डी) (J-2011)
नाट्यशास्त्र (भरतमुनि, 2वीं सदी) (J-2011)
काव्यालंकार (भामह, 6वीं सदी) (J-2006, D -2010, J-2011)
काव्यालंकारसूत्रवृत्ति (वामन, 8वीं सदी) (J-2006)
काव्यालंकारसूत्रवृत्ति (वामन, 8-9वीं सदी) (J-2011)
ध्वन्यालोक (आनन्दवर्धन, 9वीं सदी) (J-2006, J-2005 D-2006, D -2010)
दशरूपक (धनंजय, 10वीं सदी) (J-2011)
वक्रोक्तिजीवितम् (कुन्तक, 10-11वीं सदी) (J-2009)
काव्यप्रकाश (मम्मट, 11वीं सदी) (D-2006, J-2009, D-2010, J-2011)
काव्यानुशासन (हेमचन्द्र, 12वीं सदी) (J-2005, D -2010)
साहित्यदर्पण (विश्वनाथ, 14वीं सदी) (J-2005, J-2009)
रसमंजरी (भानु मिश्र, 14-15वीं सदी) (J-2005)
उज्ज्वल नीलमणि (रूपगोस्वामी, 15वीं सदी) (J-2005, D-2008)
रसगंगाधर (पण्डितराज जगन्नाथ, 16-17वीं सदी) (J-2006, J-2005, D-2006, (J-2009, J-2012, D-2011)
काव्यमीमांसा (राजशेखर, 880-920 के बीच), ध्वन्यालोकलोचन (अभिनवगुप्त, 10वीं-11वीं शती), सरस्वती कण्ठाभरण (भोजराज, 11वीं शती का पूर्वार्द्ध), नाट्यदर्पण (रामचन्द्र-गुणचन्द्र, 12वीं शती का पूर्वार्द्ध) (S-2013)
रसमंजरी (भानु मिश्र, 14-15वीं सदी), श्रृंगारप्रकाश (भोजराज 11वीं शती का पूर्वार्द्ध), व्यक्तिविवेक (महिम भट्ट 11वीं शती का मध्यकाल), चित्रमीमांसा (अप्पयदीक्षित 16वीं-17वीं शती) (J-2013)
रससूत्र के व्याख्याता आचार्य और उनके सिद्धान्त काल-क्रमानुसार —
(1) भट्ट लोल्लट (8वीं सदी)—उत्पत्तिवाद
(J-2005, D-2005, D -2006, D -2009, J-2010, J-2012, D-2012)
(2) शंकुक (9वीं सदी)—अनुमितिवाद (J-2005, D-2005, D-2006, J-2007, D-2009, J-2010, J-2012, D-2012, J-1990, J-2011, S-2013)
(3) भट्ट नायक (10वीं सदी)—भुक्तिवाद
(J-2005, D-2005, D -2006, J-2010, J-2012, D-2012)
(4) अभिनवगुप्त (11वीं सदी)—अभिव्यक्तिवाद (J-2005, D-2005, D-2006, D-2009, J-2010, J-2012, D-2012, A-1995, J-1990, J-1991)
कौन रससूत्र के व्याख्याता नहीं हैं? शंकुक, भट्ट लोल्लट, वामन, अभिनवगुप्त (D-2011)
साधारणीकरण (भट्ट नायक) (D-2009, J-2010)
काल-क्रम—
दण्डी (7वीं सदी), आनन्दवर्धन (9वीं सदी), क्षेमेन्द्र (11वीं सदी)
आनन्दवर्धन (9वीं सदी), अभिनवगुप्त (10वीं सदी), विश्वनाथ (14वीं सदी),
जगन्नाथ (16वीं सदी)
भरत (2वीं सदी), भामह (6वीं सदी), कुन्तक (10वीं सदी), जगन्नाथ (16वीं सदी)
(D-2004)
भरतमुनि (2वीं सदी), भामह (6वीं सदी), अभिनवगुप्त (10वीं सदी), विश्वनाथ (14वीं सदी) (D-2011)
भामह (6वीं सदी), क्षेमेन्द्र (11वीं शती का उत्तरार्द्ध), विश्वनाथ (14वीं सदी), पण्डितराज जगन्नाथ (16वीं सदी) (D-2012)
भामह (6वीं सदी), कुन्तक (10वीं सदी), रूप गोस्वामी (15वीं सदी), पण्डितराज जगन्नाथ (16वीं सदी) (D-2010)
भरतमुनि (2वीं सदी), आनन्दवर्धन (9वीं सदी), विश्वनाथ (14वीं सदी), जगन्नाथ (16वीं सदी) (J-2012)
भामह (6वीं सदी), दण्डी (7वीं सदी), आनन्दवर्धन (9वीं सदी), अभिनवगुप्त (10वीं सदी) (J-2013)
दण्डी (7वीं सदी), मम्मट (11वीं शती), जयदेव (13वीं शती), विश्वनाथ (14वीं सदी) (J-2013)
भरतमुनि (2वीं सदी), भट्ट लोल्लट (उद्भट और अभिनव गुप्त के बीच), शंकुक (9वीं शती का आरम्भ), भट्ट नायक (10वीं शती का मध्यकाल) (S-2013)
एकांकी में अन्विति अथवा संकलनत्रय के अन्तर्गत काल, स्थान के साथ किसके निर्वाह की गणना की जाती है?
(A) पात्र (B) कार्य (C) प्रकरी (D) पताका
इनमें से कौन ‘अनुभाव’ का एक भेद है?
(A) निर्वेद (B) व्रीड़ा
(C) उन्माद (D) आहार्य
इन उक्तियों को उनके आचार्यों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) शब्दार्थ शरीरं ताबत् काव्यम् (i) भामह
(B) काव्यं ग्राह्यम अलंकारात् (ii) मम्मट
(C) मुख्यार्थहतिर्दोषः (iii) विश्वनाथ
(D) करोति कीर्तिं प्रतिं च साधु काव्य निबन्धनम् (iv) वामन
(v) दण्डी
कूट :
a b c d
(A) i ii iii iv
(B) v iv ii i
(C) ii iii iv v
(D) v iv iii ii
भारतीय काव्यशास्त्र में रसगत दोषों की संख्या कितनी मानी गई है?
(1) 5 (2) 10
(3) 25 (4) 20
निम्नलिखित में से कौन-सा भेद स्वकीया नायिका का भेद नहीं है?
(1) मध्या (2) मुग्धा
(3) प्रौढ़ा (4) वासकसज्जा
ध्वनि सिद्धान्त के आचार्य हैं :
(1) आनन्दवर्धन (2) वामन
(3) मम्मट (4) विश्वनाथ
नाट्यशास्त्र से संबंद्ध निम्नलिखित ग्रंथों का सही अनुक्रम है :
(1) भाव प्रकाशन, दशरूपक, नाट्यदर्पण, अभिनव भारती
(2) नाट्यदर्पण, दशरूपक, भाव प्रकाशन, अभिनव भारती
(3) दशरूपक, अभिनव भारती, नाट्यदर्पण, भाव प्रकाशन
(4) अभिनव भारती, दशरूपक, नाट्यदर्पण, भाव प्रकाशन
भारतीय काव्यशास्त्र में रसगत दोषों की संख्या कितनी मानी गई है?
(1) 5 (2) 10
(3) 25 (4) 20
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जहाँ सामानार्थक विशेषणों से प्रस्तुत के वर्णन द्वारा अप्रस्तुत का बोध कराया जाय, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
(1) समासोक्ति (2) सहोक्ति
(3) विनोक्ति (4) व्यक्तिरेक
जब वक्रोक्ति वक्ता की कंठ ध्वनि पर आश्रित होती है तब उसे क्या कहा जाता है?
(1) सभंग श्लेष वक्रोक्ति (2) vभंग श्लेष वक्रोक्ति
(3) काकुवक्रोक्ति (4) प्रहेलिका
निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रंथ भामह का है ?
(1) काव्यालंकार (2) काव्यादर्श
(3) ध्वन्यालोक (4) साहित्यदर्पण
नाटक के कथानक के कुछ दृश्य सूच्य होते हैं। पाँच प्रकार के इन सूच्य कथानकों का सही अनुक्रम है :
(1) प्रवेशक, अंकास्य, विष्कम्भक, चूलिका, अंकावतार
(2) अंकावतार, चूलिका, अंकास्य, विष्कम्भक, प्रवेशक
(3) विष्कम्भक, प्रवेशक, चूलिका, अंकास्य, अंकावतार
(4) चूलिका, अंकास्य, विष्कम्भक, प्रवेशक अंकावतार,
निम्नलिखित सिद्धान्तों को उनके सिद्धान्तकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
सूची-I सूची-II
(a) वक्रोक्ति सिद्धान्त (i) क्षेमेन्द्र
(b) रीति सिद्धान्त (ii) आनन्दवर्द्धन
(ब) औचित्य सिद्धान्त (iii) कुन्तक
(d) ध्वनि सिद्धान्त (iv) वामन
(v) भरत
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(1) (iii) (iv) (ii) (v)
(2) (i) (ii) (iii) (iv)
(3) (iii) (iv) (i) (ii)
(4) (v) (i) (ii) (iii)