मंगलवार, 17 सितंबर 2019

प्रथम रश्मि (सुमित्रनंदन पंत की कविता), NTA/UGCNET/JRF के नए सिलेबस में सम्मिलित : Hindi Sahitya Vimarsh


प्रथम रश्मि (सुमित्रनंदन पंत की कविता), NTA/UGCNET/JRF के नए सिलेबस में सम्मिलित : Hindi Sahitya Vimarsh


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सुमित्रनंदन पंत (20 मई 190028 दिसम्बर 1977), पंतजी का जन्म अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के कैसोनी गाँव में हुआ था। डॉ. नगेन्द्र ने उनके बारे में कहा है, 'वे प्रकृति के सुकुमार कवि हैं।'
'प्रथम रश्मि' सुमित्रानंदन पंत की आरम्भिक कविताओं में से एक है, जो उनके प्रथम काव्य-संग्रह 'वीणा' में संकलित है। इस कविता की सन् 1919 ई० में हुई। यह पंतजी की सर्वोत्कृष्ट कविताओं में से एक है।
प्रथम रश्मि
प्रथम रश्मि का आना रंगिणि!
तूने कैसे पहचाना?
कहाँ, कहाँ हे बाल-विहंगिनि!
पाया तूने वह गाना?
सोयी थी तू स्वप्न नीड़ में,
पंखों के सुख में छिपकर,
ऊँघ रहे थे, घूम द्वार पर,
प्रहरी-से जुगनू नाना।
शशि-किरणों से उतर-उतरकर,
भू पर कामरूप नभ-चर,
चूम नवल कलियों का मृदु-मुख,
सिखा रहे थे मुसकाना।

स्नेह-हीन तारों के दीपक,
श्वास-शून्य थे तरु के पात,
विचर रहे थे स्वप्न अवनि में
तम ने था मंडप ताना।
कूक उठी सहसा तरु-वासिनि!
गा तू स्वागत का गाना,
किसने तुझको अंतर्यामिनि!
बतलाया उसका आना!

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