राह बदलती नहीं
राह बदलती नहीं- प्यार ही सहसा मर जाता है,
संगी बुरे नहीं तुम- यदि नि:संग हमारा नाता है।
स्वयंसिद्ध है बिछी हुई यह जीवन की हरियाली-
जब तक हम मत बुझें सोच कर— ‘वह पड़ाव आता है!’
राह बदलती नहीं- प्यार ही सहसा मर जाता है,
संगी बुरे नहीं तुम- यदि नि:संग हमारा नाता है।
स्वयंसिद्ध है बिछी हुई यह जीवन की हरियाली-
जब तक हम मत बुझें सोच कर— ‘वह पड़ाव आता है!’
? अज्ञेय
google search
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें