राम विलास शर्मा की रचनाएँ
(10 अक्तूबर, 1912-30 मई, 2000)
कृतियाँ
लगभग 100 महत्वपूर्ण पुस्तकों का सृजन।
कविता-संग्रह
- तार सप्तक (1943) में संकलित कविताएँ
- रूप तरंग
- सदियों के सोये जाग उठे
- प्रतिनिधि कविताएं
उपन्यास
- चार दिन
नाटक
- पाप के पुजारी
आत्मकथा
- अपनी धरती अपने लोग (1996, 3 खंड)
अन्य ग्रन्थ
- प्रेमचंद (1941, पहली पुस्तक)
- प्रेमचंद और उनका युग (1941),
- भाषा और साहित्य में पाकिस्तान (1941)
- भारतेंदु हरिश्चन्द्र (1942),
- गोस्वामी तुलसीदास और मध्यकालीन भारत (1944)
- निराला (1946),
- राष्ट्रभाषा हिन्दी और हिन्दू राष्ट्रवाद (1948)
- साहित्य और संस्कृति (1949)
- भारत की भाषा समस्या (1949)
- लोकजीवन और साहित्य (1951)
- ‘भारतेंदु युग और हिन्दी साहित्य का विकास’,
- प्रगति और परम्परा (1953),
- जातीय भाषा के रूप में हिन्दी का प्रसार (1953)
- हिन्दी-उर्दू समस्या (1953)
- भाषा, साहित्य और संस्कृति (1954),
- प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं (1955)
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1956)
- आस्था और सौन्दर्य (1956)
- उर्दू समस्या (1958)
- भाषा और समाज (1961),
- भाषा की समस्या और मज़दूर वर्ग (1965)
- भारत की राजभाषा अंग्रेज़ी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (1965)
- निराला की साहित्य साधना (तीन-भाग) - (1969, 1967-76, साहित्य अकादमी पुरस्कार-1970),
- नई कविता और अस्तित्ववाद (1975)
- महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण (1977),
- ‘भारत में अँग्रेजी राज्य और मार्क्सवाद (1982, 2 खंड)’,
- मार्क्सवाद और प्रगतिशील साहित्य (1985)
- हिन्दी जाति का इतिहास (1986)
- इतिहास-दर्शन (1995)
- भारतीय नवजागरण और यूरोप (1996)
- भारतीय साहित्य की भूमिका (1996),
- भारतीय संस्कृति और हिन्दी प्रदेश (1999, 2 खंड)’,
- परम्परा का मूल्यांकन,
- ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी (3 खंड, व्यास सम्मान-1991)’
- ‘गाँधी, आंबेडकर और लोहिया (2000)’,
- ‘पश्चिमी एशिया और ऋग्वेद’ (1994),
- ‘भारतीय साहित्य और हिन्दी जाति के साहित्य की अवधारणा’
- भारतीय सौन्दर्य बोध और तुलसीदास (2001)
- भारतेंदु हरिश्चन्द्र और हिन्दी नवजागरण की समस्याएं (1984)
- मार्क्स और पिछड़े समाज
- मेरे साक्षात्कार
- घर की बात
- धूल
- ऐतिहासिक भाषाविज्ञान और हिन्दी
- सन् सत्तावन की राजक्रान्ति और मार्क्सवाद
- पाश्चात्य दर्शन और सामाजिक अन्तरविरोध : थाल्स से मार्क्स तक लेख
- हिन्दी जाति के सांस्कृतिक इतिहास की रूपरेखा (1977)
- प्रगतिशील कविता की वैचारिक भूमिका
- google searchसमालोचक (मासिक, आगरा, प्रधान सम्पादक रामविलास शर्मा)
मैत्रेयी पुष्पा के अब तक 11 से अधिक उपन्यास छप चुके हैं- स्मृतिदंश (1990), बेतवा बहती रही (1993), इदन्नम (1994), चाक (1997), झूलानट (1999), अल्मा कबूतरी (2000), अगनपाखी (2001), विज़न (2002), कहे ईसुरीफाग (2004), त्रिया हठ (2004), गुनाह-बेगुनाह इत्यादि।
जवाब देंहटाएंअल्मा कबूतरी (2000) मैत्रेयी पुष्पा का मशहूर उपन्यास है। कबूतरा एक जनजाति का नाम है।
हिन्दी के जीवनीपरक उपन्यास
जवाब देंहटाएं‘भारती का सपूत'— डॉ. रांगेय राघव (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पर, हिन्दी में प्रथम जीवनीपरक उपन्यास, 1954, प्रथम संस्करण),
‘रत्ना की बात' — डॉ. रांगेय राघव (तुलसी के जीवन पर, 1957, द्वितीय संस्करण)
‘लोई का ताना'— डॉ. रांगेय राघव (कबीर के जीवन पर, 1954)
‘मानस का हंस'— अमृतलाल नागर (तुलसीदास के जीवन पर, 1972)
‘लखिमा के आंखें'— डॉ. रांगेय राघव (द्यापति के जीवन पर, 1974, द्वितीय संस्करण) ‘मेरी भव बाधा हरो'— डॉ. रांगेय राघव (बिहारी के जीवन पर, 1976, द्वितीय संस्करण)
‘धूनी का धुंआं'— डॉ. रांगेय राघव (गोरखनाथ के जीवन पर, 1978, द्वितीय संस्करण) ‘यशोधरा जीत गई है'— डॉ. रांगेय राघव (गौतम बुद्ध के जीवन पर)
‘देवकी का बेटा— डॉ. रांगेय राघव (कृष्ण के जीवन पर)
‘आवारा मसीहा'— विष्णु प्रभाकर (शरत् चन्द्र की जीवनी, 1974)
‘खंजन नयन'— अमृतलाल नागर (सूरदास के जीवन पर, 1981)
‘पहला गिरमिटिया'— गिरिराज किशोर (महात्मा गांधी के जीवन पर, 1999)
‘सूत्रधार'— संजीव (भिखारी ठाकुर पर, 2003)
‘तोड़ो कारा तोड़ो'— (विवेकानंद के जीवन पर आधारित उपन्यास, निर्माण-1992, साधना-1993, परिव्राजक-2003, निर्देश-2004, सन्देश-2004, नरेंद्र कोहली)
‘विवेकानंद'— राजेन्द्र मोहन भटनागर (जीवनीपरक उपन्यास)
‘सनातन पुरुष'— डॉ. राजेंद्र मोहन भटनागर (महर्षि अरविंद पर)
‘युगपुरुष अंबेडकर'— राजेन्द्र मोहन भटनागर