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जनवादी साहित्यकार राजेन्द्र यादव (1929 – 2013)
नई कहानी आन्दोलन के पुरोधा जनवादी साहित्यकार राजेन्द्र यादव (28 अगस्त 1929 – 28 अक्टूबर 2013) ने साहित्यिक मासिक पत्रिका ‘हंस’ का प्रकाशन प्रेमचन्द के जन्म दिन 31 जुलाई 1986 को शुरू किया और मृत्युपर्यन्त सम्पादन करते रहे। उपन्यास सम्राट् और आदर्शोन्मुखी यथार्थवादी युगस्रष्टा कथाकार प्रेमचन्द ने हंस का प्रकाशन 1930 में आरम्भ किया था, जो 1953 में बन्द हो गई थी।
पहली कहानी ‘प्रतिहिंसा’ मासिक पत्रिका कर्मयोगी में छपी।
पहला उपन्यास ‘प्रेत बोलते हैं’ (1951, इसका संशोधित रूप ‘सारा आकाश’ के नाम से 1959 में छपा)प्रसिद्ध संस्मरण- ‘मुड़ मुड़ के देखता हूँ’, ‘वे देवता नहीं हैं’, ‘आदमी की निगाह में औरत’.
‘होना सोना एक ख़ूबसूरत दुश्मन के साथ (2001) शीर्षक लेख पर काफ़ी विवाद हुआ था।
1999 से 2001 तक प्रसार भारती के सदस्य रहे।
उपन्यास
'प्रेत बोलते हैं' First novel published in 1951. उखड़े हुए लोग (1956)
कुलटा (1958)
सारा आकाश (1959) ('प्रेत बोलते हैं'के नाम से 1951 में)
शह और मात(1959)
अनदेखे अनजान पुल (1963)
एक इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ, 1963)
मंत्र-विद्ध (1967)
एक था शैलेन्द्र (2007)
कहानी-संग्रह
देवताओं की मूर्तियां (1951)
खेल-खिलौने (1953)
जहां लक्ष्मी कैद है (1957)
अभिमन्यु की आत्महत्या (1959)
छोटे-छोटे ताजमहल (1961)
किनारे से किनारे तक (1962)
टूट (1966)
चौखटे तोड़ते त्रिकोण (1987)
है ये जो आतिश गालिब (प्रेम कहानियां, 2008)
यहां तक पड़ाव-1, पड़ाव-2 (1989)
आवाज़ तेरी है (1960)
साक्षात्कार
चेखव: एक इंटरव्यू
समीक्षा-निबन्ध आदि
कहानी : स्वरूप और संवेदना (1968)
प्रेमचंद की विरासत (1978)अठारह उपन्यास (1981)
औरों के बहाने (1981)
कांटे की बात (बारह खंड, 1994)
मेरे साक्षात्कार (1994)
कहानी : अनुभव और अभिव्यक्ति (1996)
उपन्यास : स्वरूप और संवेदना (1998)
आदमी की निगाह में औरत (2001)
वे देवता नहीं हैं (2001)
मुड़-मुड़के देखता हूं (2002)
अब वे वहां नहीं रहते (2007)
जवाब दो विक्रमादित्य, (साक्षात्कार, 2007)
काश, मैं राष्ट्रद्रोही होता (2008)
संपादन
एक दुनिया समानान्तर (1967) कथा-दशक : हिंदी कहानियां (1981-90),
आत्मतर्पण(1994)
अभी दिल्ली दूर है (1995)
काली सुर्खियां (अश्वेत कहानी-संग्रह, 1995)
कथा यात्रा (1967)
अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य (2000)
औरत :उत्तरकथा (2001)
देहरी भई बिदेस : कथा जगत की बाग़ी मुस्लिम औरतें,
हंस के शुरुआती चार साल 2008 (कहानियां),
वह सुबह कभी तो आएगी (सांप्रदायिकता पर लेख, 2008)
नरक ले जाने वाली लिफ्ट (2002)
अनुवाद
चैखव के तीन नाटक - सीगल, तीन बहनें, चेरी का बगीचा
उपन्यास
टक्कर (चैखव), हमारे युग का एक नायक (लर्मन्तोव) प्रथम-प्रेम (तुर्गनेव), वसन्त-प्लावन (तुर्गनेव), एक मछुआ : एक मोती (स्टाइनबैक), अजनबी (कामू)- ये सारे उपन्यास 'कथा शिखर'के नाम से दो खंडों में (1994)
नई कहानी आन्दोलन के चार प्रमुख पुरोधा-
1925 मोहन राकेश (जनवरी8, 1925–1972)
1926 धर्मवीर भारती(25 दिसम्बर 1926 – 4 सितम्बर 1997)1929 निर्मल वर्मा (अप्रेल 3, 1929 – 2005)
1929 राजेन्द्र यादव (28 अगस्त 1929–28 अक्टूबर 2013)
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