गुरुवार, 13 जून 2019

आचार्य शुक्ल और अन्य साहित्येतिहासकारों के अनुसार हिन्दी साहित्य का आरम्भ


आचार्य शुक्ल और अन्यसाहित्येतिहासकारों के अनुसार हिन्दी साहित्य का आरम्भ


आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार हिन्दी साहित्य का आरम्भ संवत् 1050 ई. से होता है। आचार्य शुक्ल ने आदिकाल की सीमा, जिसे उन्होंने वीरगाथाकाल कहा है, संवत् 1050 ई. से 1375 ई. तक मानी है।
हिंदी साहित्य की आरंभिक सीमा के संबंध में शुक्लजी का मत ही सर्वमान्य है। उन्होंने लिखा है
''अपभ्रंश या प्राकृताभास हिंदी के पद्यों का सबसे पुराना पता तांत्रिका और योगमार्गी बौद्धों की सांप्रदायिक रचनाओं के भीतर विक्रम की सातवीं शताब्दी के अंतिम चरण में लगता है। मुंज और भोज के समय (संवत् 1050 में तो ऐसी अपभ्रंश या पुरानी हिंदी का पूरा प्रचार साहित्य या काव्य-रचनाओं में भी पाया जाता है। अतः हिंदी साहित्य का आदिकाल संवत् 1050 से लेकर संवत् 1375 तक  महाराज भोज के समय से लेकर हम्मीरदेव के समय से कुछ पीछे तक माना जा सकता है।''
(रामचंद्र शुक्ल, हिंदी साहित्य का इतिहास, प्रकरण-1, सामान्य परिचय, पृ. 15, वाणी प्रकाशन)


काल-विभाजन
1.    जार्ज ग्रियर्सन का काल विभाजन
जार्ज ग्रियर्सन ने अपने ग्रंथ मे ग्यारह अध्यायों का वर्णन किया है जो निम्नलिखित है
(i)    चारणकाल (700-1300 ई.)
(ii)    15वीं शताब्दी का धार्मिक पुनर्जागरण
(iii)   मलिक मुहम्मद जायसी की प्रेम कविता
(iv)   ब्रज का कृष्ण सम्प्रदाय (1500-1600 ई.)
(v)    मुगल दरबार
(vi)   तुलसीदास
(vii)   रीतिकाव्य (1580-1692 ई.)
(viii)  तुलसीदास के परवर्ती कवि (1600-1700 ई.)
(ix)   18 वीं शताब्दी
(x)    कंपनी के शासन में हिन्दुस्तान (1800-1857 ई.)
(xi)   विक्टोरिया के शासन में हिन्दुस्तान

2.    मिश्रबन्धुओं का काल विभाजन
'मिश्र बन्धु विनोद' निम्न काल-विभाजन वर्णित है—
1.    आरम्भिक काल
(क)   पूर्व आरम्भिक काल—सं. 700 से 1343 वि.
(ख)   उत्तर आरम्भिक काल—सं. 1344 से 1444 वि.
2.    माध्यमिक काल
(क)   पूर्व माध्यमिक काल (सं. 1445 से 1560 वि.)
(ख)   प्रौढ माध्यमिक काल (सं. 1561 से 1680. वि.)
3.    अलंकृत काल
(क)   पूर्व अलंकृत काल—सं. 1681 से 1790 वि.
(ख)   उत्तर अलंकृत काल—सं. 1791 से 1889 वि.
4.    परिवर्तन कालसं. 1890 से 1925 वि.
5.    वर्तमान काल—सं. 1926 वि. से आज तक

3.    आचार्य रामचंद्र शुक्ल का काल-विभाजन
आचार्य शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास' (1929 ई.) में काल-विभाजान में दोहरा नामकरण करते हुए उसका प्रारूप निम्न प्रकार दिया है—

1.    आदिकाल (वीरगाथा काल) सं. 10501375 वि.
2.    पूर्वमध्यकाल (भक्तिकाल) सं. 1375 1700 वि.
3.    उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल) सं. 1700 1900 वि.
4.    आधुनिक काल (गद्य काल) सं. 1900 1984 वि.

4.    डॉ. रामकुमार वर्मा का काल-विभाजन डॉ. रामकुमार वर्मा ने अपने इतिहास ग्रंथ 'हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास' (1938 ई.) में निम्न प्रकार से काल-विभाजन किया है
1.    सन्धिकाल    (सं. 750 से 1000 वि.)
2.    चारणकाल    (सं. 1000 से 1375 वि.)
3.    भक्तिकाल (सं. 1375 से 1700 वि.)
4.    रीतिकाल (सं. 1700 से 1900 वि.)
5.    आधुनिक काल (सं. 1900 वि. से अब तक)

5. हजारी प्रसाद द्विवेदी का काल विभाजन— इस प्रकार है—
1. आदिकाल (1000 ई. से 1400 ई.)
2. पूर्व मध्यकाल (1400 ई. 1700 ई.)
3. उत्तर मध्यकाल (1700 ई. 1900 ई.)
4. आधुनिक काल (1900 ई. से अब तक)

6. डॉ. गणपति चन्द्रगुप्त का काल-विभाजन इस प्रकार है—
1. प्रारम्भिक काल (1241 ई. से 1375 वि.सं)
2. मध्यकाल
(i) पूर्व मध्यकाल (1375 से 1700 वि. सं.)
(ii) उत्तर मध्यकाल (1700 से 1900 वि. सं.)
3. आधुनिक काल (1900 ई. से अब तक)


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