निर्मल वर्मा की समस्त रचनाएँ
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अवैतनिक सम्पादक : मुहम्मद इलियास
हुसैन
सहायक सम्पादक : शाहिद इलियास
निर्मल वर्मा (जन्म : 3 अप्रैल 1929, शिमला, हिमाचल प्रदेश; मृत्यु : 25 अक्तूबर, 2005, दिल्ली) हिन्दी साहित्य में 'नई कहानी आंदोलन' के प्रमुख
ध्वजवाहक निर्मल वर्मा का कहानी में आधुनिकता का बोध लाने वाले कहानीकारों में अग्रणी
स्थान है।
उपन्यास
• वे दिन (1964 ई.,
प्रथम औपन्यासिक कृति, विश्वयुद्धोत्तरकालीन चेकोस्लोवाकिया की हताशा, अवसाद और
त्रासदी का मार्मिक चित्रण। इस उपन्यास में आधुनिकताबोध के सारे सूत्र— अकेलेपन का
बोध, विजातीयता की अनुभूति, महायुद्ध का संत्रास, जीवन की व्यर्थता का बोध, उदासी,
तनाव, अनिश्चय आदि—विद्यमान हैं।—डॉ. रामचन्द्र तिवारी, पात्र : इण्डी, रायना, मीता, टी.टी. ( थानथुन), फांज, मारिया, मेलन्कोविच इत्यादि)
• लाल टीन की छत (1974
ई., 'काया' नामक एक किशोरी के बचपन और किशोरावस्था के बीच के अन्तराल की
मनःस्थितियों—रहस्य, रोमांच, भय, भोलापन, अकेलापन— का चित्रांकन किया गया है। पात्र
: काया, मिस जोशुआ, काया का छोटा भाई, मंगतू आदि।)
• एक चिथड़ा सुख (1979
ई., विभिन्न पात्र अपने अधूरे जीवन में सुख और अपनी पहचान की तलाश में भटक रहे हैं।
इसलिए उनका सुख चिथड़ सुख है। पात्र : बिट्टी, इरा, मुन्नू, नित्तीभाई, डैरी)
• रात का रिपोर्टर
(1989 ई., आपातकाल में भारतीय में व्याप्त आतंक, भय, अविश्वास, रहस्य और मानसिक यातनाओं
का यथार्थपरक चित्रण और प्रजातांत्रिक मूल्यों की पुनर्स्थापना के प्रयासों का कथांकन।
दूसरे शब्दों में एक पत्रिका कि रिपोर्टर रिशी के बहाने पूर्व प्रधानमंत्री
श्रीमती इन्दिरा गाँधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के कारण पूरे समाज में व्याप्त
संत्रास और यातनाओं का कथांकन किया गया है। पात्र : रिशी, दयाल साहब, उमा, बिन्दु,
अनूप भाई)
• अन्तिम अरण्य (1990
ई., जीवन और मृत्यु के दार्शनिक पक्ष का चित्रण, जिसमें बूढ़ापे और मृत्यु से
जुड़ी पूर्व कलेक्टर मेहरा साहब की संवेदनाओं का चित्रण किया गया है। पात्र :
मेहरा साहब, दीवा, तिया, निरंजन बाबू, डॉ. सिंह और कथावाचक मैं।)
कहानी-संग्रह
• परिंदे (1958 ई., इस संग्रह
को डॉ. नामवर सिंह ने 'नई कहानी की पहली कृति' माना है) : 1. डायरी का खेल, 2.
माया का मर्म, 3. तीसरा गवाह, 4. अन्धेरे में, 5. पिक्चर पोस्टकार्ड, 6. सितम्बर
की एक शाम 7. परिन्दे।
• जलती झाड़ी (1965 ई.) : 1.
लवर्स, 2. मायादर्पण, 3. एक शुरुआत, 4. कुत्ते का मौत, 5. पहाड़, 6. पराए शहर में,
7. जलती झाड़ी 8. दहलीज़ 9. लन्दन की एक रात 10. अन्तर।
• पिछली गर्मियों में (1968
ई.) : 1. धागे, 2. पिता और प्रेमी, 3. डेढ़ इंच ऊपर, 4. खोज, 5. उनके कमरे, 6.
अमालिया, 7. इतनी बड़ी आकांक्षा, 8. पिछली गर्मियों में।
• बीच बहस में (1973 ई.) : 1.
छुट्टियों के बाद, 2. वीकएण्ड, 3. दो घर, 4. बीच बहस में।
• मेरी प्रिय कहानियाँ (1973
ई.) : 1. दहलीज़, 2. परिन्दे, 3. अन्धेरे में, 4. डेढ़ इंच ऊपर, 5. अन्कर, 6., लन्दन की एक रात, 7. जलती झाड़ी।
• कव्वे और काला पानी (1983
ई.)
• प्रतिनिधि कहानियाँ (1988
ई.)
• सूखा तथा अन्य कहानियाँ
(1995 ई.)
• ग्यारह लम्बी कहानियाँ
(2000 ई.)
• सम्पूर्ण कहानियाँ (2005
ई.)
निर्मल
वर्मा की प्रसिद्ध कहानियाँ : डायरी का खेल, माया का मर्म, परिन्दे, जलती झाड़ी, दहलीज़, लन्दन की एक रात, अन्धेरे में, डेढ़
इंच ऊपर, कव्वे और काला पानी इत्यादि।
संस्मरणात्मक यात्रा-वृत्त
• चीड़ों पर चाँदनी (1963 ई.)
• हर बारिश में (1970 ई.)
• धुँध से उठती धुन (1977 ई.)
निबन्ध
• शब्द और स्मृति (1976 ई.)
• कला का जोखिम (1981 ई.)
• ढलान से उतरते हुए (1985
ई.)
• भारत और यूरोप : प्रतिश्रुति
के क्षेत्र (1991 ई.)
• इतिहास, स्मृति, आकांक्षा
(1991 ई.)
• शताब्दी के ढलते वर्षों में
(1995 ई.)
• दूसरे शब्दों में (1997 ई.)
• आदि, अन्त और आरम्भ (2001
ई.)
• सर्जना-पथ के सहयात्री
(2005 ई.)
• साहित्य का आत्म-सत्य (2005
ई.)
नाटक
• तीन एकान्त (1976 ई.)
संचयन
• दूसरी दुनिया (1978, परिवर्द्धित
नया संस्करण, 2005 ई.)
अनुवाद
• कुप्रिन की कहानियाँ (1955
ई.)
• रोमियो, जूलियट और अँधेरा
(1962 ई.)
• झोंपड़ीवाले (1966 ई.)
• बाहर और परे (1967 ई.)
• बचपन (1970 ई.)
• आर यू आर (1972 ई.)
• कारेल चापेक की कहानियाँ
• इतने बड़े धब्बे
• एमे के : एक गाथा
संभाषण/साक्षात्कार/पत्र
• दूसरे शब्दों में (1999 ई.
ई.)
• प्रिय राम (मरणोपरांत 2006 ई.)
• संसार में निर्मल वर्मा (मरणोपरांत
2006 ई.)
सम्मान और पुरस्कार
• 1999 ज्ञानपीठ पुरस्कार
• 2002 पद्म भूषण
• 1995 मूर्तिदेवी पुरस्कार
• 1984 साहित्य अकादमी पुरस्कार
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