रविवार, 23 जून 2019

कमलेश्वर (कथाकार) की रचनाएँ : Hindi Sahitya Vimarsh


कमलेश्वर (कथाकार) की रचनाएँ : Hindi SahityaVimarsh


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अवैतनिक सम्पादक : मुहम्मद इलियास हुसैन
सहायक सम्पादक : शाहिद इलियास

कमलेश्वर का जन्म 6 जनवरी 1932 ई. को मैनपुरी ज़िले (उत्तरप्रदेश) में हुआ और 27 जनवरी 2007 ई. को फ़रीदाबाद (हरियाणा) में उनका निधन हो गया। उनका पूरा नाम 'कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना' था।
उपन्यास
एक सड़क सत्तावन गलियाँ (1957 ई., प्रथम औपन्यासिक कृति, इसमें लीला-नौटंकी करके जीविकोपार्जन करनेवाले समाज के चित्रण के माध्यम से आधुनिक युग के क़स्बाई जीवन-संघर्ष और परिवर्तनों का चित्रांकन किया गया है। पात्र : बंसिरी)
डाक बंगला (1959 ई., मातृहीना 'इरा' का 'विमल' के प्रति आकृष्ट होकर पिता से अलग होने और उसके बाद जीवन-प्रवाह में अनेक लोगों से जुड़ने-बिछुड़ने और संघर्ष करने की कहानी कही गई है। यह उपन्यास आत्मकथात्मक और पूर्वदीप्त शैली में लिखा गया है।)
लौटे हुए मुसाफ़िर (1961 ई., साम्प्रदायिक समस्या एवं देश-विभाजन से सम्बन्धित मानवतावादी सोच को प्रस्तुत करनेवाला उपन्यास, जिसमें एक छोटी–सी बस्ती का विभाजन से पूर्व, विभाजन के समय और विभाजन के बाद का यथार्थपरक चित्रण किया गया है। पात्र : नसीबन, सत्तार, सलमा, यासीन, मक़सूद, साईं)
समुद्र में खोया हुआ आदमी (1967 ई., क्लर्क शयामलाल, उनकी पुत्री तारा और पुत्र वीरन के संघर्ष एवं विघटन का रोचक शैली में कथांकन। लेखक ने दिखाने का प्रयास किया है कि आर्थिक दबाव पुराने मूल्यों को तोड़ रहा है और निम्नवर्ग का उसे जीवित रखने का प्रयत्न व्यर्थ है।)
काली आँधी (1974 ई., इस उपन्यास में राजनीति के क्षेत्र में शिखर पर पहुँचनेवाली आधुनिक नारी के द्वन्द्व का चित्रण किया गया है। कथानायिका 'मालती' एक सुदृढ़ नेता के रूप में हमारे सामने आती है। मालती के पति जगदीश वर्मा राजनीति में आने के लिए उसको पूरा सहयोग देते हैं। उनका मानना है, "देश के निर्माण में औरतों को भी आगे आना चाहिए। औरतें यानी हमारी आधी जनसंख्या जब तक इस निर्माण में हमारा हाथ नहीं बँटाएँगी, तब तक हर काम की स्पीड आधी रहेगी .....यह बेहद जरूरी है कि हमारे घर की औरतें आगे आएं और हर काम में मर्दों का हाथ बटाएँ...|"
तीसरा आदमी (1976 ई., इसमें पति-पत्नी के बीच अपरिहार्य परिस्थितियों में आर्थिक दबाव के कारण तीसरे आदमी के आने और अन्ततः पति के अप्रासांगिक हो जाने की त्रासदी और उससे उत्पन्न तनाव का चित्रण किया गया है। अर्थात् मध्यवर्गीय दम्पति के बीच तीसरे व्यक्ति के प्रवेश के फलस्वरूप दाम्पत्य जीवन के संघर्ष की कहानी। पात्र : नायिका चित्रा और नायक।
• आगामी अतीत (1976 ई., आधुनिकता-बोध से संवेदित मानव की मार्मिक कहानी। पात्र : चाँदनी)
वही बात (1980 ई., इस उपन्यास में चीफ़ इंजीनियर 'प्रशान्त' की पत्नी 'समीरा' पति के यांत्रिक जीवन से ऊबकर उनके डिप्टी चीफ़ नकुल से प्रेम करने लगती है, परन्तु 'नकुल' की व्यस्तता उसे फिर निराश करती है। वह रिक्तता का अनुभव करती है। उसके दीवन में फिर 'वही बात' लौट आती है। उपन्यास में तीनों के अन्तर्द्वन्द्व का मार्मिक चित्रण किया गया है। मशीनीकरण के नतीजे में मानव भी मशीन हो गया। फलस्वरूप दाम्पत्य जीवन टूटन और बिखराव का शिकार हो गया।)
• सुबह दोपहर शाम (1982 ई., स्वतंत्रता-संग्राम में क्रान्तिकारियों की भूमिका का चित्रण, तत्कालीन क़स्बाई मानसिकता को उजागर करने का सफल प्रयास। पात्र : शान्ता, प्रवीन आदि।
• रेगिस्तान (1988 ई., हिन्दी-प्रेमी विश्वनाथ द्वारा राष्ट्रभाषा के प्रचार में मिली असफलता का मार्मिक कथांकन।)
• एक और चंद्रकांता (2015 ई.)
• कितने पाकिस्तान (2000 ई., साम्प्रदायिक उन्माद, वैमनस्य, युद्ध-लोलुपता इत्यादि पर प्श्न-चिह्न लगाते हुए मैत्री, सद्भाव और शान्ति का सन्देश के माध्यम से भारतीय इतिहास एवं संस्कृति का गहन परीक्षण, साम्प्रदायिक घृणा के फलस्वरूप इनसान का विभाजन और पाकिस्तान का निर्माण। पात्र : सलमा, कामरेड इमाम नाज़िश)
• अंतिम सफ़र (2012 ई., अंतिम उपन्यास, इसे तेजपाल सिंह धामा ने पूरा किया)
कहानी-संग्रह
(कमलेश्वर ने तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। वे नयी कहानी आन्दोलन के अगुआ रहे और उन्होंने 1972 ई. में समानान्तर कहानी का आन्दोलन चलाया।)
• राजा निरबंसिया (1957 ई., जगपति के माध्यम से ग्रामीण और शहरी सांस्कृतिक टकराहट का चित्रण)
• क़स्बे का आदमी (1958 ई.)
• खोई हुई दिशाएँ (1963 ई.)
• मांस का दरिया (1966 ई., वेश्या-जीवन ते घृणित यथार्थ का चित्रण। पात्र : जुगनू)
• ज़िन्दा मुर्दे (1969 ई.)
• इतने अच्छे दिन (1970 ई.)
• बयान (1973 ई.)
• कथा-प्रस्थान (1990 ई.)
• कोहरा (1996 ई.)
• आज़ादी मुबारक (2002 ई.)
• मेरी प्रिय कहानियाँ (2005 ई.)
• जॉर्ज पंचम की नाक (2007 ई.)
मशहूर कहानियाँ
नीली झील (युवा द्वारा अपने से बड़ी उम्र की विधवी पंडिताइन से विवाह करने और क़स्बे की मानसिकता का चित्रण)
• देवा की माँ
• जॉर्ज पंचम की नाक
• खोई हुई दिशाएँ
• मांस का दरिया
• अपना एकांत
• क़स्बे का आदमी
• ऊपर उठता हुआ मकान
• युद्ध
तलाश
• दिल्ली में एक मौत
• रुकी हुई ज़िन्जगी (आज के जीवन के ठहराव, घुटन, अकेलेपन का मार्मिक चित्रण)
• जो लिखा नहीं जाता
• मानसरोवर के हंस
• आसक्ति
• मुर्दों की दुनिया
• स्मारक
आलोचना-ग्रंथ
 नई कहानी की भूमिका
मेरा पन्ना : समानांतर सोच (दो खंड)
यात्रा-वृत्तान्त
खंडित यात्राएँ (1975 ई.)
कश्मीर : रात के बाद (1997 ई.)
संस्मरण
जो मैंने जिया
यादों के चिराग़
• मेरा हमदम मेरा दोस्त (1975 ई.)
जलती हुई नदी (1997 ई.)
नाटक
• अधूरी आवाज़
• रेत पर लिखे नाम
• हिंदोस्ता हमारा
पटकथा एवं संवाद
कमलेश्वर ने 99 फ़िल्मों के संवाद, कहानी या पटकथा-लेखन का काम किया। कुछ प्रसिद्ध फ़िल्मों के नाम हैं—
1. सौतन की बेटी (1989 ई.)—संवाद
2. लैला (1984 ई.)—संवाद, पटकथा
3. यह देश (1984 ई.)—संवाद
4. रंग बिरंगी (1983 ई.)—कहानी
5. सौतन (1983 ई.)—संवाद
6. साजन की सहेली (1981 ई.)संवाद, पटकथा
7. राम बलराम (1980 ई.)संवाद, पटकथा
8. मौसम (1975 ई.)कहानी
9. आंधी (1975 ई.)—उपन्यास
संपादन
अपने जीवनकाल में अलग-अलग समय पर उन्होंने सात पत्रिकाओं का संपादन किया—
1.  विहान-पत्रिका (1954 ई.)
2.  नई कहानियाँ—पत्रिका (1958-66 ई.)
3.  सारिका—पत्रिका (1967-78 ई.)
4.  कथायात्रा—पत्रिका (1978-79 ई.)
5.  गंगा—पत्रिका (1984-88 ई.)
6.  इंगित—पत्रिका (1961-68 ई.)
7.  श्रीवर्षा—पत्रिका (1979-80 ई.)
दूरदर्शन (टी.वी.) धारावाहिकों में 'चंद्रकांता', 'युग', 'बेताल पचीसी', 'आकाश गंगा', 'रेत पर लिखे नाम' इत्यादि का लेखन किया।
कमलेश्वर ने अपनी रचनाओं में तेज़ी से बदलते समाज का अत्यन्त यथार्थपरक, मार्मिक और संवेदनशील चित्रण प्रस्तुत किया है। वर्तमान की महानगरीय सभ्यता में मनुष्य के अकेलेपन की व्यथा का मार्मिक चित्रण कमलेश्वर की रचनाओं की विशेषता रही है।
सम्मान और पुरस्कार
1995 ई. 'पद्मभूषण' सम्मान
2003 ई. 'कितने पाकिस्तान' (उपन्यास) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

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